इंद्रधनुष कैसे बनता है, aakash mein indradhanush kaise banata Hai |
सबसे पहले इस चीज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझते हैं। अगर आप विज्ञान के विद्यार्थी रहे हैं तो इस बात को समझने में आपको बहुत आसानी होगी। हमारा सूर्य का प्रकाश देखने में सफेद दिखाई देता है। पर यदि आप उसे किसी प्रिज्म में से निकालेंगे तो आपको साथ अलग-अलग कलर में दिखाई देगा। प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion of light) किसे कहते हैं। इस प्रकाशीय विक्षेपण की घटना से इन्द्रधनुष बनाता है।
अगर विज्ञान की भाषा में आपको यह बात समझ में नहीं आ रही है तो इसे और सरल भाषा में समझने की कोशिश करते हैं। जब बारिश होती है तो कभी कभी बारिश की कुछ बूंदे आकाश में बड़े आकार में रह जाती हैं और जब सूर्य की किरणें इन बादलों में से होकर गुजरती है धरती पर आते समय सात अलग-अलग प्रकार के कलर में परिवर्तित हो जाती हैं जो आपको नीचे से देखने पर सतरंगी इंद्रधनुष के रूप में दिखाई देती है। कहने का मतलब यह है कि सूर्य का प्रकाश बारिश में जब बादलों से होकर गुजरता है तो वह इंद्रधनुष का रूप ले लेता है। पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का मुख्य कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है। इन्द्रधनुष सुबह के समय पश्चिम दिशा मे और शाम के समय पूर्व दिशा में दिखाई पड़ता है। बारिश के बाद प्रकृति का यह एक अनूठा नजारा होता है। इंद्रधनुष हमेशा बरसात के समय दिखाई देता है । इसकी एक और शर्त है इंद्रधनुष तभी दिखाई देगा जब सूरज आपके पीछे हो ना कि सामने।
इन्द्रधनुष में 7 कलर होते है जिनका क्रम इस प्रकार होता है। लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी, बैंगनी ज्यादातर लाल सबसे बाहर और बैंगनी सबसे अंदर होता है।
कई बार ऐसा होता है कि एक नहीं बल्कि दो-दो rainbow दिखाई देते हैं. ऐसा तब होता है जब एक ही जगह मौजूद बूंदों के बार बार धूप के संपर्क में आने पर दो इंद्रधनुष दिखाई पड़ते हैं. पहले Rainbow से निकली रंगीन रोशनी जैसे ही सफेद में बदलती है, वैसे ही उसका संपर्क दूसरी बूंदों से हो जाता है और फिर प्रकाश अलग अलग रंगों में बिखर जाता है, लेकिन उसके रंग उल्टे क्रम में होते हैं।
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aakash mein indradhanush kaise banata Hai
इंद्रधनुष" इंद्रधनुष शब्द लैटिन भाषा के 'Arcus Pluvius' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'बरसात की चाप'। वैसे तो इस नाम से लगभग सभी लोग परिचित होंगे। और जो इस नाम से परिचित हैं उन्होंने अपने जीवन में एक या कई बार इंद्रधनुष जरूर देखा होगा।
आप चाहे तो इस प्रयोग को अपने घर पर भी करके देख सकते हैं इसके लिए आपको एक प्रिज्म की जरूरत पड़ेगी। सबसे पहले आप प्रिज्म को एक टेबल पर रख लीजिए, और एक तरफ से आप सफेद प्रकाश डालिये तो दूसरी तरफ से आपको सात रंगों में प्रकाश विभाजित होकर दिखाई देगा। इस घटना को वर्ण विक्षेपण कहते है। और किसी सिद्धांत पर इंद्रधनुष बनता है अब आप अच्छे से समझ रहे होंगे कि आसमान में इंद्रधनुष क्यों बनता है और किन परिस्थितियों में हमें इन्द्रधनुष दिखाई दे सकता है।
इंद्रधनुष कैसे बनता है, aakash mein indradhanush kaise banata Hai |
इंद्रधनुष की खोज सबसे पहले किसने की थी ?
रने डॅकार्ट ऐसे पहले इंसान जिनने सन 1637 में पता लगाया कि इंद्रधनुष सूर्य की रोशनी के बारिश की बूंदों से गुजरने पर रिफ्लेक्ट (वर्ण विक्षेपण) होने पर बनता हैं।
इंद्रधनुष के बारे में रोचक तथ्य
इंद्रधनुष के रंगों में बैंगनी और नारंगी रंग 1666 में आइजैक न्यूटन ने जोड़ा था, इससे पहले इंद्रधनुष में केवल 5 रंग माने जाते थे। आपको जानकर आश्चर्य होगा चीन में अभी भी एक इंद्रधनुष में केवल पांच रंग माने जाते हैं।
आप इंद्रधनुष को केवल तभी देख सकते है जब सूर्य आपकी पीठ पर हो।
चाँद की रोशनी से बनने वाले इंद्रधनुष को Moonbow और कोहरे से बनने वाले इंद्रधनुष को Fogbow कहा जाता है। इस प्रकार का इंद्रधनुष बहुत ही दुर्लभ होता है।
कभी-कभी एक साथ दो, तीन या चार इंद्रधनुष भी देखने को मिलते है ऐसा तब होता है जब सूर्य का प्रकाश बारिश की बूंदों के अंदर एक से ज्यादा बार टकराता है।
अगर एक साथ दो इंद्रधनुष बनते हैं तो दूसरे इंद्रधनुष कके रंगों का क्रम प्रथम इंद्रधनुष के बिल्कुल विपरीत क्रम में होगा। इसलिए आपको दूसरे इंद्रधनुष में लाल रंग की बजाय बैंगनी रंग सबसे ऊपर दिखेगा।
कोई भी दो इंसान एक जैसा इंद्रधनुष नही देख सकते। क्योंकि, आपके बगल में खड़ा व्यक्ति आपसे अलग स्थान पर खड़ा है तो उसे इंद्रधनुष भी अलग ही दिखाई देगा।
हालांकि आप दोनों को लग सकता हैं कि आप एक ही इंद्रधनुष देख रहे हैं लेकिन वास्तव में आप दोनों अलग-अलग इंद्रधनुष देख रहे हैं ।
बारिश की हर बूंदे अपना अलग इंद्रधनुष बनाती हैं इसलिए वो व्यक्ति जहाँ खड़ा होगा उसे वहाँ का इंद्रधनुष दिखाई देगा।
जब सूर्य ऊँचाई पर होगा तो हमें इंद्रधनुष नीचे दिखाई देता है और जब सूर्य नीचे होगा तो हमें इंद्रधनुष ऊँचाई पर दिखाई देता है।
आप इंद्रधनुष को छू नही सकते।
सौर मंडल में पृथ्वी और शनि ग्रह का चंद्रमा टाइटन दो ऐसी जगह हैं जहाँ इंद्रधनुष बनना संभव हैं। टाइटन पर तब इंद्रधनुष बनता है जब सूर्य की रोशनी तरल मीथेन की बूंदों से रिफ्लेक्ट करती हैं। टाइटन पर इंद्रधनुष का कोण 42 डिग्री की बजाय लगभग 49 डिग्री होता हैं।
दो इंद्रधनुष के बीच के गाढ़े भाग को अलेक्जेंडर बैंड कहा जाता हैं। इसे पहली बार 200 ईस्वी में अलेक्जेंडर ने परिभाषित किया था।
'इंद्रधनुष' शब्द लेटिन भाषा के 'arcus pluvius' शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ "बरसात की चाप" होता है।
साउथ अफ्रीका को 'Rainbow Nation' भी कहा जाता है।
आज तक का सबसे लंबे समय तक दिखाई देने वाला इंद्रधनुष 14 मार्च 1994 को इंग्लैंड के शहर 'शेफील्ड' में देखा गया था। जो अब तक के सबसे लंबे समय सुबह 9 बजे से शाम 3 बजे तक दिखाई दिया था।