करता था सो क्यों किया का अर्थ - karata tha so kyon kiya ka arth

Kabir Das ke Dohe: Part 2 संत कबीर के दोहे

संत कबीर के दोहे

दोहा 1: पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ॥

अर्थ : संत कबीर के अनुसार प्रेम की भाषा बोलने वाला और प्रेम के ढाई अक्षर पढनेवाला व्यक्ति ही पंडित होता है. मोटी मोटी किताब पढ़कर मन में कुटिलता रखनेवाला कभी पंडित नहीं हो सकता है. ऐसे भी आज के इस संसार को प्रेम की बहुत ज्यादा जरुरत है.

संत कबीर के दोहे

दोहा 2: जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान।

मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥

अर्थ:   जाति, धर्म, वर्ण न देख; एक सज्जन व्यक्ति के गुण और ज्ञान को देखना चाहिए. जिस प्रकार मोल तलवार का होता है न कि म्यान का.

संत कबीर के दोहे

दोहा 3: बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि ।

हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि ॥

अर्थ:   संत कबीर बोली को अनमोल बताते हैं. कोई भी शब्द बिना सोचे समझे नहीं बोलना चाहिए.  कई बार बिना सोचे समझे बोले गए शब्द भयंकर स्थिति पैदा कर देते हैं.

संत कबीर के दोहे

दोहा 4: साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं ।

धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं॥

अर्थ:   संत कबीर कहते हैं कि साधु करुणा और प्रेम का भूखा होता है. वह कभी भी धन का भूखा नहीं होता. जो साधु धन का भूखा होता है वह साधु नहीं हो सकता.

संत कबीर के दोहे

दोहा 5: हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना ।

आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोऊ जाना॥

अर्थ:   संत कबीर कहते हैं कि हिंदु राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्रिय हैं. इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से किसी को सच का पता न चल सका.

संत कबीर के दोहे

दोहा 6:   करता था सो क्यों किया, अब करी क्यों पछताय ।

बोवे पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥

अर्थ: संत कबीर कहते हैं कि किसी गलत काम को कर लेने पर लोग पछताते हैं. बबूल का पेड़ लगाने वाले आम कैसे खा सकते हैं.

संत कबीर के दोहे

दोहा 7: जो तोको कांटा बुवै,  ताहि बोओ तू फूल ।

ताहि फूल को फूल है, वाको हैं तिरसूल ॥

अर्थ: अपना कर्म शुद्ध रखने से अपने को ही लाभ होता है.  जो कोई आपको कष्ट पहुंचता है उसे भी उससे ज्यादा कष्ट का सामना करना पड़ता है.

संत कबीर के दोहे

दोहा 8: तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय ।

कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय ॥

अर्थ : संत कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है. यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है !

संत कबीर के दोहे

दोहा 9:   सज्जन जन वही, जो ढाल सरीखा होय ।

दुख में तो आगे रहे, सुख में पीछे होय ॥

अर्थ:  सज्जन पुरूषों का चरित्र ढाल के समान होता है, जो संकट में आगे रहता है और सुख में पीछे यानि आपके साथ रहता है.

संत कबीर के दोहे

दोहा 10:  जहाँ दया तंह धर्म है, जहाँ लोभ तंह पाप ।

जहाँ क्रोध तंह काल है, जहाँ छिमा तंह आप ॥

अर्थ:  संत कबीर कहते हैं कि जहाँ दया है वहां धर्म है, जहाँ लोभ है वहां पाप हैं, जहाँ क्रोध है वहां काल यानि नाश है और जहाँ क्षमा है वहां ईश्वर का वास होता है.

संत कबीर के दोहे

दोहा 11:  काम, क्रोध, मद, लोभ की, जब लग घट में खान।

कहा मूर्ख कहा पंडिता, दोनों एक समान ॥

अर्थ:  संत कबीर कहते हैं कि यदि मूर्ख और पंडित दोनों में काम, क्रोध, मद और लोभ है तो दोनों एक समान हैं.

और भी पोस्ट पढने के लिये नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

  • Kabir Das ke dohe with Hindi meaning: Part 1
  • Hawa ka Karj and Peppy King Hindi Story हवा का कर्ज हिंदी स्टोरी
  • Pollution and its Impact Hindi Article
  • Impact of Disobeying Hindi Story
  • Fantastico Use of Carom Seeds Ajwain in Hindi
  • Gurudev Rabindranath Tagore Life story
  • Music Quotes in Hindi
  • Healthy Sperm स्वस्थ शुक्राणु Hindi Article
  • Carl Jung Famous Hindi Quotes

नयी पोस्ट ईमेल में प्राप्त करने के लिए Sign Up करें.

Related posts:

Republic Day Speech in Hindi for Students
Know Yourself स्वयं को पहचानें
Bill Gates Quotes in Hindi
स्पष्ट चिंतन का अभ्यास
One Shloka Ramayan in Hindi एक श्लोकी रामायण

कबीर दास के 5 दोहे अर्थ सहित?

कबीर के 10 बेहतरीन दोहे : देते हैं जिंदगी का असली ज्ञान.
मैं जानूँ मन मरि गया, मरि के हुआ भूत | ... .
भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय | ... .
मैं मेरा घर जालिया, लिया पलीता हाथ | ... .
शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल | ... .
जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय | ... .
मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास | ... .
कबीर मिरतक देखकर, मति धरो विश्वास |.

कबीर दास के 10 दोहे अर्थ सहित?

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित (Kabir Das Dohe with Mean).
बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर | ... .
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय | ... .
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, ... .
ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये | ... .
मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार । ... .
तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय । ... .
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय ।.

बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए दोहा?

बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय का मतलब है - गलत काम का गलत नतीजा। कहने का मतलब है कि जब आप गलत काम करोगे तो काम का प्रभाव भी गलत ही होगा ना 😊😊। आप अच्छे परिणाम की उम्मीद नहीं कर सकते ।

कबीर दास जी के दोहे का अर्थ?

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है वो आज करो, और जो आज करना है वो अभी करो, क्यूंकि पलभर में प्रलय जो जाएगी फिर आप अपने काम कब करेंगे। ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग ।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग