ओम का उच्चारण कितनी देर करना चाहिए? - om ka uchchaaran kitanee der karana chaahie?

हिन्दू धर्म में किसी भी पूजन व मंत्रोच्चार की शुरूआत ॐ के उच्चारण के साथ होती है। इसके अलावा वैज्ञानिक भी ओम के उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि तरंगों पर शोध कर चुके हैं, और आगे भी कर रहे हैं। ॐ के उच्चारण के बाद मन और दिमाग शांत होने की प्रक्रिया के बारे में हम सभी जानते हैं। लेकिन ॐ के उच्चारण से आपकी कई बीमारियां भी ठीक हो सकती है। जानने के लिए पढ़ि‍ए ॐ उच्चारण के यह 10 स्वास्थ्य लाभ - इलाज से पहले दवा के बारे में जानना जरूरी है। दरअसल ॐ शब्द, अ, उ और म अक्षर से मि‍लकर बना है। जिनमें "अ" का अर्थ है उत्पन्न होना, "उ" का तात्पर्य है उठना तथा उड़ना अर्थात् विकास एवं "म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना। इसका असर भी मानसिक स्तर पर आप महसूस करते हैं।


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नई दिल्‍ली: ओम (ॐ) शब्‍द अपने आप में ही बड़ा प्रभावशाली शब्‍द है। इसके बिना ना तो कोई मंत्र पूरा होता है और ना ही कोई पूजा। इस शब्‍द में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है। हिंदू धर्म के अनुसार अगर आप नियमित इस शब्‍द का उच्‍चारण करेंगे तो आपको ब्रह्मांड की शक्तियां प्राप्‍त हो जाएंगी। यही नहीं इसके जाप से आपके जीवन के सभी दुख और रोग दूर होगें। 

वैज्ञान ने भी माना है कि इसे बोलने से इंसान को मानसिक तनाव से मुक्‍ती मिलती है और मन हमेशा शांत रहता है। लेकिन कई लोग मंत्र बोलते वक्‍त इस शब्‍द का सही से उच्‍चारण नहीं करते जिससे इसका सही लाभ नहीं मिल पाता। 

ॐ शब्द को धर्म से न जोड़ कर साधना से जोड़ना चाहिये। अब चलिये जानते हैं ॐ का जाप करने के सही नियम क्‍या है होते हैं, जिससे इसका पूरा फल मिल सके। 

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ॐ का जाप करने के लिये एक शांत स्‍थान का चुनाव करना चाहिये क्‍योंकि इससे जो ध्वनि निकलती है उसी से हमें तरह तरह के लाभ प्राप्‍त होते हैं। आपकी जगह शोर शराबे से दूर और प्राकृति के करीब होनी चाहिये। 

माना जाता है कि दिन के किसी भी समय में ऐसे ही जाप नहीं कर लेना चाहिये, बल्‍कि जब ईश्वरीय शक्ति अपने चरम पर हों तभी जाप करें। आपको अधिक लाभ पाने के लिये ॐ का जाप सुबह सुबह या फिर रात को सोने से पहले करें, जिससे आपको अच्‍छा फल मिले। 

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ॐ शब्‍द को कभी धीरे नहीं बोलना चाहिये नहीं तो इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। इस शब्‍द जितना जोर आवाज में बोलेंगे यह उतना ही ज्‍यादा फलदाई होगा और मानसिक शांति प्रदान करेगा। इस शब्‍द को गहराई से उच्चारित करें। 

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 क्‍या आपको पता है कि ओम या ॐ शब्‍द का सही उच्‍चारण और जाप करने का सही समय क्‍या है? यदि नहीं तो आप यह आर्टिकल जरूर पढ़ें।

ॐ, इस शब्‍द को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और धार्मिक माना गया है। हिंदू धर्म और शास्‍त्र में कुछ बिना ॐ शब्‍द के अधूरा माना गया है। पूजा किसी भी देवी या देवता की हो ॐ शब्‍द का उच्‍चारण सबसे पहले किया जाता है।

हिंदू धर्म में हर पवित्र मंत्र में ॐ शब्‍द का प्रयोग जरूर किया गया है। शास्‍त्रों के अनुसार ॐ शब्‍द को भगवान शिव का अति प्रिय माना गया है। विज्ञान ने भी इस शब्‍द को मेडिकेटेड माना है।

उज्‍जैन के पंडित मनीष शर्मा बताते हैं, 'ओम शब्‍द के उच्‍चारण मात्र से निकलने वाली ध्‍वनि आपके मन को शांत करती है और आपको कई रोगों से मुक्‍त करती है। इस शब्‍द में बहुत शक्ति है।'

तो चलिए जानते हैं कि ओम शब्‍द का उच्‍चारण करने का सही तरीका क्‍या है? और इस शब्‍द को किस समय बोलने से इसका अच्‍छा असर होता है।

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कैसे करें ॐ का उच्‍चारण 

सबसे पहले यह जान लें कि ॐ अपने आप में एक सम्‍पूर्ण मंत्र है। यह मंत्र छोटा और आसान नजर आता है उतना ही मुश्किल इसका उच्‍चारण होता है। अमूमन लोग ॐ का गलत उच्‍चारण करते हैं। गौरतलब है कि हिंदू धर्म (हिंदू धर्म में इस मंत्र का क्‍यों है महत्‍व)में किसी भी मंत्र का गलत उच्‍चारण करने से इसका बुरा असर पड़ता है।

पंडित जी ओम मंत्र का जाप करने का सही उच्‍चारण बताते हैं और कहते हैं, 'ओम शब्‍द तीन अक्षरों से मिल कर बना है। यह अक्षर है अ, उ और म। इसमें अ का अर्थ है उत्‍पन्‍न करना, उ का मतलब है उठाना और म का अर्थ है मौन रहना। यानि जब यह तीनों शब्‍द मिलते हैं तो उसका आश्‍य होता है ब्रह्मलीन होजाना। इसलिए आप जब भी ॐ का उच्‍चारण करें तो इन तीन अक्षरों को ध्‍यान में रख कर करें।' 

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ॐ शब्‍द का उच्‍चारण करते वक्‍त एक विशेष ध्‍वनि उत्‍पन्‍न होती है। जिससे शरीर के अलग-अलग भाग में कंपन होता है। जब आप उ बोलते हैं तो आपके शरीर के मध्‍य भाग में कंपन होता है। इससे आपके सीने , फेफड़ों और पेट पर बहुत अच्‍छा असर पड़ता है। वहीं जब आप म बोलते हैं तो इसकी ध्‍वनि से मस्तिस्‍क में कंपन होता है। इससे दिमाग की सारी नसे खुल जाती हैं। शरीर के महत्‍वपूर्ण ऑर्गेंस इन्‍हीं दोनों हिस्‍सों में होते हैं।

ॐ के स्‍वर से जो कंपन होता है वह शरीर को अंदर से शुद्ध करता है। इतना ही नहीं यह आपकी स्‍मरण शक्ति और ध्‍यान लगाने की क्षमता को सुधारता है। ॐ के उच्‍चारण से आपको मानसिक शांति मिलती है। इस शब्‍द का स्‍वर इतना पवित्र होता है कि यदि आप तनव में हैं तो वह भी दूर हो जाता है। यह शब्‍द आपके सोचने समझने के तरीके को बदलता है और आपको छोटी-छोटी परेशानियों से बाहर निकलने का रास्‍ता बताता है। (इस मंत्र को बोलने से आप हो सकती हैं रोग मुक्‍त )

ॐ को बोलने का सही समय 

हर चीज को करने का एक सही समय होता है। किसी भी मंत्र के उच्‍चारण का भी एक समय होता है। अगर आप किसी भी मंत्र को बेटाइम ही बोलना शुरू कर देंगे तो शायद इसका अच्‍छा नहीं बुरा असर पड़े। इसी तरह ॐ मंत्र को बोलने का एक सही समय होता है। पंडित जी कहते हैं, 'अगर आप ॐ का उच्‍चारण करना चाहती हैं और इसके लाभ उठाना चाहती हैं तो आपको सुबह सूर्य उदय होने से पूर्व किसी शांत जगह पर सुखासन मूद्रा में बैठ कर ॐ का उच्‍चारण करना चाहिए। ध्‍यान रहे कि जब आप ॐ का उच्‍चारण करें तो इसकी संख्‍या 108 होनी चाहिए।'  (सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है ॐ)

जब आप ॐ शब्‍द का उच्‍चारण करें तो आपको केवल इस शब्‍द पर ही पूरा फोकस करना है। इस शब्‍द बालते वक्‍त आपको इसे अंदर से महसूस करना है। इस शब्‍द के उच्‍चारण के समय आपको ध्‍यान लगाने के साथ-साथ इस शब्‍द को देखना भी हैं मगर मन की आंखों से। इसके लिए आपको आंखें बंद कर के ॐ का उच्‍चारण करना चाहिए। इससे आप पूरे ध्‍यान और मन के साथ इस मंत्र का जाप कर पाएंगी। 

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ओम का उच्चारण कितनी बार करना चाहिए?

- बता दें कि ॐ का उच्चारण 5, 7, 11 और 21 बार करना उपयोगी माना गया है. - इसके साथ ही पूजा के वक्त विशेष रूप से ॐ का जाप अपने हिसाब से करें और भगवान की कृपा पाएं.

ओम का उच्चारण कब करना चाहिए?

उच्चारण का सही समय प्रातःकाल है। इसे दोपहर, शाम या रात में ना करें। — ओम (ॐ) के उच्चारण से जो कंपन व आभास होता है वह शरीर को पूर्ण तरीक़े से शुद्ध करता है।

मंत्र कितनी बार में सिद्ध होता है?

जिस मंत्र की साधना करनी हो पहले विधिपूर्वक जितना हर रोज जप सकें उतना प्रतिदिन जप कर सवा लाख बार जप पूरा कर मंत्र साधना करें। फिर जिस कार्य को करना चाहते हैं 108 बार या 21 बार जैसा मंत्र में लिखा हो- उतनी बार जप करने से कार्य सिद्ध होता है।

ओम् के जप से मनुष्य क्या बनता है?

पहली स्थिति में 'ऊँ' जप से शरीर शुद्ध होकर मन ही मन जप के योग्य बनता है और मन ही मन 'ऊँ' जप करके मन शुद्ध व निर्मल बनता है, जिससे बुरे मानसिक विचार दूर होते हैं। इस ध्यान से शरीर और मन दोनों ही 'ऊँ' मय हो जाते हैं। इससे मन शांत होकर ईश्वर शक्ति का ज्ञान प्राप्त करता है और व्यक्ति समाधि की प्राप्ति करता है।

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