सामाजिक अनुसंधान और सामाजिक सर्वेक्षण में क्या अंतर है? - saamaajik anusandhaan aur saamaajik sarvekshan mein kya antar hai?

देखा जाये तो समाज,सामाजिक संबंधों की एक अति जटिल व्यवस्था है। मनुष्य के अपने सामाजिक संबंधों एवं व्यवहारों, (केवल घटनाओं) के अध्ययन करने की एक प्रमुख विधि है। यह सच है कि,सामाजिक सर्वेक्षण, सामाजिक अनुसंधान के लिए एक पद्धति भी है। इस पद्धति में व्यक्ति या शोधकर्ता सामाजिक क्षेत्र में जाकर अपना अध्ययन करता है। सामाजिक सर्वेक्षण विधि के अंतर्गत वैज्ञानिक विधियों के द्वारा किसी विशिष्ट क्षेत्र में रहने वाले लोगों की तात्कालिक सामाजिक समस्याओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाती है। (केवल तथ्यों का संकलन किया जाता है)। जिसके आधार पर सामाजिक सुधार की योजनाएं भी बनाई जा सकती है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि, सामाजिक समस्या के अध्ययन का वह तरीका है। जिसमें खोजकर्ता घटनास्थल व क्षेत्र में जाकर मौलिक एवं प्राथमिक सूचनाओं अथवा तथ्यों का संकलन करता है। उसे ही सामाजिक सर्वेक्षण कहा जाता है।

सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ

यदि हम सामाजिक सर्वेक्षण को उसके शब्दों के बनावट की दृष्टि से देखें, तो यह शब्द आंग्ल भाषा के सर्वे (survey) शब्द का ही हिंदी में रूपांतरण सर्वेक्षण है। अर्थाथ स्वयं सर्वे (survey) दो शब्दों (sur+vey) से मिलकर बना होता है। (Sur+vey) से मिलकर बना होता है। Sur जिसे sor भी कह सकते हैं । का अर्थ होता है । Over या veair=to see अर्थात देखना। जिसे हम सामूहिक रूप से घटित घटना को ऊपर से देखना (to over see) अथवा उसका निरीक्षण करना कह सकते।

इस तरह से शाब्दिक दृष्टि से सर्वेक्षण का तात्पर्य होता है। किसी घटना अथवा स्थिति को ऊपर से देखना अथवा अवलोकन करना अथवा उसका सिंहावलोकन करना है।

वेबस्टर शब्दकोश (webesters dictionary) मैं सर्वेक्षण का अर्थ इस प्रकार से बताया गया है।”सही प्रकार की सूचना को पाने की दृष्टि अथवा उद्देश्य से किए गए आलोचनात्मक निरीक्षण अथवा विशेषताओं में किसी एक क्षेत्र का अध्यन करना” सर्वेक्षण कहलाता है।

इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि, सामाजिक सर्वेक्षण सामाजिक शोध अथवा अन्वेषण कि वह वैज्ञानिक पद्धति है। जिसके द्वारा एक सीमांकित भौगोलिक क्षेत्र अथवा क्षेत्रफल में आवासीय सदस्यों/ व्यक्तियों के संबंध में सामाजिक तथ्यों एवम सुचनाओं का एकत्रीकरण किया जाता है। साथ ही उनकी सामाजिक समस्याओं के बारे में वास्तविक अथवा सत्य जानकारी को प्राप्त किया जाता है। जिससे उनकी समस्याओं का निदान एवम् उनकी समस्याओं को उपचारित किया जा सके।

सामाजिक सर्वेक्षण की प्रकृति एवं विशेषताएं

सर्वेक्षण (सामाजिक) के अर्थ अथवा उसकी परिभाषा के मौलिकता के ऊपर कुछ प्रमुख विशेषताओं का व्याख्यान किया गया है जो इस रूप में उपलब्ध है।

यह सामाजिक घटनाओं एवं समस्याओं का अध्ययन करता है

यानी कि,सामाजिक सर्वेक्षण के तहत एक समूह या समुदाय में पाई जाने वाली विभिन्न सामाजिक घटनाओं एवं उनके जीवन की दशा तथा उनके कारणों आदि का अध्ययन किया जाता है।

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एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है

इस बिंदु के तहत केवल वही घटनाएं सामाजिक सर्वेक्षण के माध्यम से अध्ययन की जाती है। जो कि एक सीमांकित क्षेत्रफल के अंतर्गत आती है। जिससे खोजकर्ता उस क्षेत्र विशेष में जाकर के, उनसे संबंधित तथ्यों का एकत्रीकरण करता है। और उन एकत्रित तथ्यों से अपने अध्ययन को पूर्ण कर समाज के सामने एक नया ज्ञान अर्थात ऐसा ज्ञान जो अब तक बिलोपित था,को प्रस्तुत करता है।

सामाजिक समस्याओं का अध्ययन एवं उसका उपचार

इसकी प्रमुख विशेषताओं में सामाजिक समस्याओं का केवल अध्ययन ही नहीं करता है। वरन उनके घटित होने वाले कारणों को भी खोजा जाता है। जिससे कि उनका समाधान भी निकाला जा सके। एवं सुधारात्मक और उपचारात्मक योजनाओं को बनाने में हमारा मार्गदर्शन एवं सहयोग भी कर सके।

वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग

सामाजिक सर्वेक्षण की विशेषताओं में एक विशेषता यह भी है। कि, सामाजिक सर्वेक्षण के दौरान एक क्षेत्र में निवासरत होने वाले लोगों का वैज्ञानिक विधियों के आधार पर अध्ययन किया जाता है। इसके तहत विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग भी किया जाता है। यथा साक्षात्कार अथवा प्रश्नावली एवं अनुसूची इत्यादि वैज्ञानिक पद्धतियों को उपयोग में लाया जाता है।  

सहकारी प्रक्रिया

कुछ विद्वानों ने सामाजिक सर्वेक्षण को एक प्रकार का सहकारी प्रक्रिया भी माना है। एक छोटे अथवा लघु क्षेत्र में सीमित समस्या का अध्ययन तो एक अनुसंधानकर्ता के द्वारा भी किया जा सकना संभव हो सकता है।

परंतु यदि यही अध्ययन एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्रफल में करना है तो,यह अध्ययन किसी एक अनुसंधानकर्ता के लिए संभव नहीं हो पाएगा। इसलिए बड़े क्षेत्र में अध्ययन करने के लिए, उनकी समस्याओं को बारे में जानने के लिए, एक दल अथवा समूह की आवश्यकता पड़ती है। और सामाजिक सर्वेक्षण के तहत यह काम आसान किया जा सकता है। इसीलिए सामाजिक सर्वेक्षण को एक सहकारी प्रक्रिया भी माना गया है।

परिमाणात्मक पक्ष 

SOCIAL (सामाजिक) सर्वेक्षण की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए यह भी बताया गया है। कि, सर्वेक्षण के द्वारा एकत्रित किए गए तथ्यों को परिमाणात्मक रूप से भी प्रकट अथवा प्रस्तुत किया जा सकता है।

सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन

सर्वेक्षण (सामाजिक) के द्वारा समाज की आर्थिक स्थिति एवं सामाजिक दशाएं तथा उनके सांस्कृतिक पक्षों का भी अध्ययन अथवा संबंधित तथ्यों को कलेक्ट किया जा सकता है।

मूर्त पहलुओं का अध्ययन 

SOCIAL (सामाजिक) सर्वेक्षण में मानवीय समाज एवं समूह के मूर्त पहलुओं का भी अध्ययन बड़ी सरलता एवं सफलता के साथ संपन्न किया जाता है।

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विशिष्ट समुदाय का अध्ययन

सामाजिक सर्वेक्षण के तहत एक विशिष्ट समूह का चयन किया जाता है।जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्रफल में रहते हैं। जिसके द्वारा उस चयनित समूह से संबंधित वैश्विक अध्ययन पक्षपात रहित एवं  तटस्थता के साथ किया जाता है।

सामाजिक सर्वेक्षण का क्षेत्र एवं विषय वस्तु

प्रसिद्ध समाजशास्त्री श्रीमान मोजर ने सामाजिक सर्वेक्षण को लगभग चार भागों में बांटा है। जिसका सबसे पहला प्रकार ये है।

जनसंख्यात्मक विशेषताएं

इसके अंतर्गत वह बताते हैं। कि, सामाजिक सर्वेक्षण के द्वारा किसी समाज अथवा समुदाय की जनसंख्यात्मक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। जिसमे परिवार एवं उसकी संरचना, स्त्री और पुरुषों की संख्या,एवम वैवाहिक स्थिति इत्यादि को भी समिल्लित किया जा सकता है।

सामाजिक पर्यावरण 

इसके तहत श्रीमान मोजर ने उन सामाजिक एवं आर्थिक कारणों को उल्लेखित किया है। जो,लोगों को कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप से आवश्यक रूप से प्रभावित करते हैं। इन कारकों के अंतर्गत समुदाय एवम समूह के लोगों के विभिन्न व्यवसाय एवं आय,घरों की दशा,शिक्षा,स्वास्थ्य तथा अन्य सामाजिक एवं भौतिक सुख सुविधाओं, धर्म, पड़ोस आदि को सम्मिलित किया जाता है। लोगों के रहन-सहन का स्तर सामाजिक,आर्थिक दशाओं को जानने के लिए भी सामाजिक सर्वेक्षण किया जाता है। इस प्रकार के सर्वेक्षण में व्यक्ति किस तरह से रहते हैं? उनकी भौतिक जरूरत है क्या है? तथा अपनी पूर्ति वे किन संसाधनों के माध्यम से पूरा करते हैं। आदी बातें जानने का प्रयास किया जाता है।

सामाजिक क्रियाएं

सर्वेक्षण की विषय वस्तु का अगला चरण आता है। सामाजिक क्रियाओं का इसके अंतर्गत व्यवसाय या पेशों के इतर लोगों के अन्य सामाजिक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है। व्यक्ति क्या करते हैं? यह जानना इस तरह के सर्वेक्षणों का मूल उद्देश्य होता है। लोगों के सामाजिक क्रिया के अंतर्गत, ऐसे तमाम प्रश्नों को सम्मिलित किया जाता है। जैसे वे जब कोई काम नहीं कर रहे होते हैं, तब वह क्या करते हैं? यानी क्या वे उस समय मनोरंजन करते हैं? या रेडियो सुनते हैं? या अखबार पढ़ते हैं? या टीवी देखते हैं? आदि आदतें को इस में सम्मिलित किया जाता है।

विचार तथा मनोवृति

इसके अंतर्गत श्रीमान मोजर बताते हैं। कि, इस श्रेणी के अंतर्गत उन सर्वेक्षण को सम्मिलित किया जाता हैं। जो विभिन्न मुद्दों और विषय पर लोगों के विचारों,उनकी मनोवृतियों, उनका दृष्टिकोण, उनके मूल्यों तथा मानसिक स्थितियों से अवगत कराते हों।तब चाहे वे  जनमत संग्रह हो या छुआछूत हो,या फिर विधवा विवाह हो या चुनाव संबंधी कोई मुद्दा हो आदि के बारे में लोगों की राय जानने के लिए इस प्रकार के सर्वेक्षणों को आयोजित किया जाता है।

 सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्य

इसके बाद हम लोग चर्चा करते हैं। कि, सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्य एवं लक्ष्य क्या हों? तथा ये सर्वेक्षण किन उद्देश्यों एवम लक्ष्यों को मध्य नजर रखते हुए किए जा सकते है? जैसे कि हम सभी लोग जानते हैं। कि सामाजिक सर्वेक्षण कई उद्देश्यों को लेकर आयोजित किए जा सकते हैं। एक सर्वेक्षण का उद्देश्य शुद्ध वैज्ञानिक अथवा व्यवहारिक भी हो सकता है।ज्ञान प्राप्ति समस्याओं के कारण तथा उनका निवारण तथा समाज सुधार की योजनाओं को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से भी सामाजिक सर्वेक्षण आयोजित किए जाते हैं।सामाजिक सर्वेक्षण के लक्ष्यों को मध्य नजर रखते हुए श्रीमान मोजर कहते हैं। कि जन जीवन के किसी पक्ष पर प्रशासन संबंधी तथ्यों की खोज करने के लिए अथवा समाजशास्त्रीय सिद्धांत के किसी पक्ष पर प्रकाश डालने के लिए भी आयोजित किए जा सकते हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार बताए गए है

(SOCIAL)सामाजिक समस्याओं का अध्ययन

सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य है यह भी है। कि,इससे सामाजिक समस्याएं जैसे अपराध,बाल अपराध, हत्या ,गंदी बस्तियां, गरीबी और अशिक्षा आदि समस्याओं के कारणों और निदानो का पता लगाने के लिए आयोजित किये जाते हैं। 

कार्य कारण संबंधों की खोज करना

सर्वेक्षण के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए आगे बताया गया है।कि, इसका लक्ष्य सामाजिक घटनाओं के कारणों को खोजना है। कोई भी सामाजिक घटना बिना किसी कारण के नहीं घटित होती है। तथा किस घटना के पीछे कौन से मौलिक कारण होते हैं।तथा किस घटना के पीछे कौन से गौण कारक होते हैं। इस प्रकार कार्य कारण संबंधों की व्याख्या करना सामाजिक सर्वेक्षण का प्रमुख उद्देश्यों में से एक माना जाता है।

प्रकल्पनाओं का निर्माण एवं परीक्षण किया जाना

सर्वेक्षण का एक उद्देश्य प्रकल्पनाओं का निर्माण करना और उसका परीक्षण करना भी है। जिस समुदाय अथवा समूह का हम अध्ययन करना चाह रहे हैं। या कर रहे हैं। उसका मुख्य सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ करने से पहले एक अग्रगामी सर्वेक्षण किया जाता है। इस प्रकार के सर्वेक्षण से प्राप्त वास्तविक तथ्यों के आधार पर एक परिकल्पना को तैयार किया जाता है। और फिर उन्हीं परिकल्पनाओं के सत्यापन के लिए मूल सर्वेक्षण का कार्य आयोजित करवाया जाता है।

सामाजिक सिद्धांतों का पुनरीक्षण करना

अर्थात समाजशास्त्र के क्षेत्र में विद्वानों के द्वारा पूर्व में निर्मित विभिन्न सिद्धान्त बनाये गए होते हैं। समाज हमेशा से परिवर्तनशील एवं गतिशील रहा है। तथा समाज की व्यवस्था के सम्बन्ध में प्राचीन काल में जो भी सिद्धांत अथवा नियम स्थापित किए गए थे। वे नियम अथवा सिद्धान्त क्या वर्तमान में और भविष्य में समाज के लिए उपयोगी होंगे या नहीं होंगे। इसी बात को परखने के लिए पूर्व में निर्मित सभी सिद्धांतों एवं नियमों को समय-समय पर पुनर्परीक्षण किया जाता है। इस प्रकार नवीन अध्ययन प्रणालियों के आधार पर उन को परखने की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि सर्वेक्षण का आयोजन प्राचीन सिद्धांतों एवं नियमों के सत्यापन करने के लिए भी किया जाता है।

सामाजिक घटनाओं का वर्णन करना

SOCIAL (सामाजिक) सर्वेक्षण के द्वारा समाज में घटित होने वाली घटनाओं का वर्णन वैज्ञानिक नियमों के द्वारा करना होता है। अतः सामाजिक घटनाओं का वर्णन करना भी सामाजिक सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य एवं लक्ष्य रहा है।

जीवन की दशाओं का अध्ययन करना

वर्तमान परिस्थितियों में जन कल्याण के सिद्धांतों एवं नियमों को अधिक तवज्जो दी जाती है। जिसके माध्यम से समाज में सभी वर्गों का विकास करने का प्रयास किया जाता है। इसीलिए सामाजिक जीवन की दशाओं को सुधारने वाली योजनाओं का निर्माण किया जाता रहता है। जो तब तक संभव नहीं हो सकती है। जब तक कि, सामाजिक जीवन की वास्तविकता को ना समझ लिया जाए। सामाजिक सर्वेक्षण के द्वारा भी जीवन की दशाओं का अध्ययन करता है। तथा संबंधित समस्याओं के वास्तविक कारकों का भी पता करता है।

तथ्यों का संकलन करना है

सामाजिक सर्वेक्षण के मुख्य उद्देश्यों में से एक उद्देश्य यह भी है। कि, उसके द्वारा सामाजिक जीवन से संबंधित तथ्यों व सूचना का एकत्रीकरण किया जाता है। इन्हीं तथ्यों के माध्यम से सामाजिक जीवन को समझने में सहयोग प्राप्त होता है।

समाज सुधार

सर्वेक्षण के माध्यम से अनुसंधानकर्ता सामाजिक समस्याओं एवं जन सरोकारों से संबंधित पक्षों की सही जानकारी मुहैया कराते हैं। जिनके कारण जन सरोकारों से संबंधित समस्या का समाधान कर पाना संभव हो पाता है।

निष्कर्ष

सामाजिक सर्वेक्षण में हमने सर्वेक्षण के सामाजिक सर्वेक्षण, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की है। यह सच है। की, सामाजिक सर्वेक्षण सनुसन्धान की एक पद्धति है। जिसके माध्यम से किसी निशिचित भू-भाग में रहने वाले लोगों या समुदाय के के बारे में तथ्यों अथवा सूचनाओं का कलेक्शन किया जाता है। आशा है की आपको हमारी ये पोस्ट अच्छी लगी होगी।  

 

 

सर्वेक्षण पद्धति से आप क्या समझते हैं?

यह सामाजिक शोध अथवा अन्वेषण कि वह वैज्ञानिक पद्धति है। जिसके द्वारा एक सीमांकित भौगोलिक क्षेत्र अथवा क्षेत्रफल में आवासीय सदस्यों/ व्यक्तियों के संबंध में सामाजिक तथ्यों एवम सुचनाओं का एकत्रीकरण किया जाता है।

सामाजिक सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं संक्षेप में लिखें?

मानवीय समस्या के अध्ययन का वह तरीका है। जिसमें खोजकर्ता घटनास्थल व क्षेत्र में जाकर मौलिक एवं प्राथमिक सूचनाओं अथवा तथ्यों का संकलन करता है। उसे ही सामाजिक सर्वेक्षण कहा जाता है।

सामाजिक सर्वेक्षण और सामाजिक अनुसंधान में क्या अंतर है?

सामाजिक सर्वेक्षण की प्रकृति व्यवहारिक है। जबकि सामाजिक अनुसंधान की अध्ययन प्रगति सैद्धांतिक है, अर्थात् सामाजिक सर्वेक्षण में उपयोगिता व्यवहारिक समस्याएं एवं समाधान सुधार एवं कल्याण की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है। जबकि सामाजिक अनुसंधान में नए तथ्यों की खोज सिद्धांतों के निर्माण आदि की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है।

सामाजिक सर्वेक्षण का क्या अर्थ है?

सामाजिक सर्वेक्षण की परिभाषा :- “विस्तृत अर्थ में सामाजिक सर्वेक्षण किसी समुदाय के सदस्यों के जीवन और कार्य की दशाओं के सम्बन्ध में सांख्यिकी का संकलन करना है।” “सामाजिक सर्वेक्षण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक समुदाय की बनावट और क्रियाओं के सामाजिक पक्ष के सम्बन्ध में संख्यात्मक तथ्य संकलित किये जाते हैं।”

सामाजिक अनुसंधान का मतलब क्या होता है?

संक्षेप में," सामाजिक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सामाजिक घटनाओं और सामाजिक समस्याओं के कारण इनके अन्तःसम्बन्धों का ज्ञान, उनमें निहित प्रक्रियाओं का अध्ययन, विश्लेषण और तदनुसार परिणामों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।" समाज में अनेक प्रकार की समस्याएँ होती हैं, हम इन समस्याओं का निदान करना चाहते हैं।

सामाजिक अनुसंधान और समाजशास्त्रीय अनुसंधान में क्या अंतर है?

सामाजिक सर्वेक्षण का उद्देश्य मनुष्य के जीवन में सुधार करना और उसकी उन्नति के मार्ग की अवरोधों का पता लगाकर उन्हें दूर. करना होता है। इस प्रकार से यह उपयोगितावादी होता है। जबकि सामाजिक अनुसंधान का उद्देश्य मानव की वृद्धि और अनुसंधान की प्रक्रियाओं में सुधार करना है, इसलिए यह वैधानिक होता है।