सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का रंग लाल क्यों हो जाता हैं ?
पढ़िए आखिर क्यों सूर्य सुबह उदय होते समय लाल नजर आता हैं व शाम को सूर्य ढलते समय लाल क्यों नजर आता हैं। जब सूर्योदय होता हैं, तब सूरज एक लाल गेंद की तरह दिखाई देता है और जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, वैसे-वैसे सूरज का रंग सफेद होता जाता है, लेकिन सूर्यास्त के समय उसका रंग एक बार फिर लाल हो जाता है। अतः मन में यह सवाल उठता हैं की आखिर क्यों दिखाई देता है सूरज सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लाल ?सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का रंग लाल क्यों हो जाता हैं ?
Why the rising sun is red in Colour
दरअसल सूर्य की सफ़ेद किरणें सात रंगों बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंगों से बनती है। दोपहर के समय तो ये किरणे सीधे धरती पर पड़ती हैं, लेकिन सुबह और शाम के समय उन्हें दोगुनी दूरी तय करनी होती है।
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इसलिए उनमे इतनी ऊष्मा नहीं रह जाती है की वे वास्तविक रंग में धरती तक पहुंच सके। होता यह हैं की सुबह और शाम के समय वातावरण में उपस्थित धूल, धुए और पानी की वाष्प के कारण सूर्य की किरणों से पिले, नारंगी और लाल रंगों को छोड़कर अन्य सभी रंग बिखर जाते हैं।
इन तीनो रंगों में भी लाल रंग की रोशनी सबसे अधिक होती हैं, इसलिए सूर्य की किरणों में लालिमा होती हैं। और यही कारण है की सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज का रंग लाल होता हैं।
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सुबह और शाम में सूर्य लाल क्यों दिखाई देता है | सूर्य के प्रकाशीय रंग
सूर्य का लाल रंग में ( सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में ) दिखना एक प्राकृतिक घटना है जिसे हम वैज्ञानिक तर्क के आधार पर समझेंगे। उससे पहले लोगों की राय इसके बारे में क्या है उसे जान लेते हैं।
बहुतों का कहना है कि सूर्य लाल इसलिए दिखाई देता है क्योंकि लाल, नारंगी और पीले रंग के अलावा बाकी सभी ( हरा, आसमानी, नीला और बैगनी ) रंगों का प्रक्रिणन हो जाता है। प्रक्रिणन क्यों होता है ? इसके जवाब में उनका कहना है कि वातावरण में मौजूद शूक्ष्म कणों ( धूल, गैस आदि ) के द्वारा अत्यधिक आवृत्ति या कम तरंगदर्ध्यों वाली प्रकाश तरंगों का प्रक्रिणन या फैलाव हो जाता है। अतः हमें सूर्य लगभग लाल रंग का दिखाई देता है।
क्या यह कारण या उदाहरण हमारे
मन को संतुष्ट करता है या यह हमें पुरी तरह से समझ में आया ?
अधिकांश लोगों का जवाब होगा " ना " और कुछ लोगों का जवाब " हाँ " में भी होगा।
चलिए अब ऐसे सवालों को देखते हैंं जो इस उदाहरण पर प्रश्न खड़ा करते हैं -
- प्रक्रिणन सुबह और शाम में ही क्यों होता है ?
- प्रक्रिणन दोपहर में क्यों नहीं होता है जबकि वातावरण में वही धूल कण होते हैं।
- एकही समय में पृथ्वी के अलग - अलग स्थानों पर सुबह / शाम तथा दोपहर होते हैं तो प्रक्रिणन सिर्फ सुबह और शाम वाले स्थानों पर ही क्यों होता है ?
इन प्रश्नों से यह स्पष्ट होता है कि बात अगर प्रक्रिणन की होती तो एकही समय में पृथ्वी के हर स्थानों पर प्रक्रिणन समान रूप से होना चाहिए। मगर उपर के उदाहरणों के हिसाब से अलग - अलग हो रहा है जो की गलत है। जब शुबह की पहली और शाम की आखिरी किरण पड़ती है तो प्रक्रिणन होता है मान लेते हैं पर हर अगले सेकेंड सूर्य का
रंग बदलता जाता है तो क्या प्रक्रिणन समाप्त होने लगता है ?
इसको समझने के लिए हम आगे बढ़ते हैं।
सूर्य लाल क्यों दिखता है
हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है और इसी वजह से रात और दिन होते हैं। घुमती हुई पृथ्वी का कोई भी भाग जब सूर्य की तरफ जाता है तो पृथ्वी के उस भाग पर सूर्य की किरणें पड़ने लगती है और वहाँ पर सबेरा होता है। इसके बाद दोपहर और शाम होने लगती है ।
सूर्य का प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है। और निचे दिए गए चित्र के अनुसार प्रकाश किरणें चलती हैं।
ऊपर दिए गए चित्र से यह स्पष्ट हो रहा है कि अगर हम सूर्य के समान्तर या चित्रानुसार तीर के समान्तर देखें तो हमें सूर्य की लाल किरण ही दिखाई देती है और ऐसा ठीक सुबह या शाम के समय
हो सकता है। सुबह और शाम के समय सूर्य और इसकी किरणें पृथ्वी और हमारी आँखों के समान्तर होती हैं ।
ये श्वेत प्रकाश के रूप में तब तक दिखाई देेता है जबतक सातों प्रकाशीय रंग एक दूसरे के बिल्कुल पिछे होते या एक सीध में हों और इन्हें देेखा जाए।
इनमें सबसे आगेे लाल और सबसे पिछे बैगनी रंग का
प्रकाश होता है। सुबह के समय प्रकाश ( पृृथ्वी के उस भाग पर जहाँँ सुबह होने वाली होती है ) पर पृृथ्वी के समान्तर ( लगभग 0° कोण पर ) पड़ता है और हमारी आँखों में लाल किरण ही पड़ती है ( एकदम शुरू में ) और बाकि नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला और बैगनी रंग हमारी आँखों तथा पृथ्वी पर पड़ ही नहीं पाते हैं ( सूर्योदय के प्रारम्भ में )। चित्र में देखिए 👇
नोट: सुबह और शाम वाले स्थान पर पड़ने वाले लाल प्रकाश के बाद ( अंदर की
तरफ जाने पर), नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला और बैगनी प्रकाश होतें। इनको चित्र में दर्शाया नहीं गया है।
इस चित्र से स्पष्ट है कि सूबह और शाम को लाल किरण ही पृथ्वी पर पड़ पाती है और जो पृृथ्वी का भाग सूर्य के ( दोपहर के समय ) फोकस पर होता है वहाँ पर सभी रंगों की प्रकाशीय किरणें सीधी पड़ती है और इसीलिए दोपहर के समय सूर्य सफेद दिखाई देता है। दूसरे शब्दों
में कहें तो जैसे - जैसे पृृथ्वी घूमती है तो ( पृथ्वी का वह भाग जहाँ सूर्योदय होना प्रारंभ हो गया होता है ) वह स्थान सूर्य से आने वाली किरणों के ( 0° से 90° की तरफ आने लगता है ) फोकस पर आनेे लगता है और बाकि प्रकाशीय (नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला और बैगनी ) रंग भी हमारी आँखों तथा पृथ्वी के उस भाग पर पड़ने लगते हैं।
और इस तरह सूर्य पहले लाल, से नारंगी, नारंंगी से पीला और अंत में सफेद दिखाई
देता है।
बिल्कुल इसी तरह जब सूर्य ढलता है तो फिर पृृथ्वी प्रकाश के समान्तर ( 180° कोण ) होने लगती है या फोकस से हटती जाती है और सबसे बाहरी प्रकाश यानी लाल प्रकाश ही पृथ्वी पर पड़ता है और यही रंग हमारी आँखों में पड़ता है। इसलिए सूर्य हमें सूर्योद और सूर्यास्त के समय लाल ही दिखाई देता है।
परिक्षण (testing)
अगर हमें इस जानकारी का परिक्षण करना है कि यह सही है या गलत तो हमें जरुर करना चाहिए क्योंकि हमेें बिना परिमाण या सबूत के किसी भी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए। हम जानते हैं कि हमारी आँखों में जिस रंग की किरणें पड़ती है हमेें वस्तु उसी रंग की दिखाई देती है। सूर्य के प्रकाश में सात रंग होते हैं जिसमें सबसे बाहरी या आगे लाल और सबसे आन्त्तरिक या पिछे बैगनी होता है। सुबह या शाम के समय सूर्य की किरणेें पृृथ्वी के समान्तर हो जाती हैैं । इसलिए प्रकाश की बाहरी किरणें लाल (अत्यधिक) और नारंंगी ( भी थोड़ी बहुत ) ही पड़ पाती हैं जो हमारी आँँखों में पड़ती है और फलस्वरूप हमें सूर्य लाल और हल्का नारंंगी जैैसा दिखाई देता है। अगर हम पृृथ्वी से इतनी उँँचाई पर जाकर सूर्य को देखेें जहाँ से सूूर्य की सभी किरणेें सीधी हमाारी आँखों पर पड़े तो हमें सूूर्य श्वेत दिखाई देगा। या सुबह से 6 घंंटे बाद भी हम सूर्य को देखेें तो हमाारी आँखों और पृृथ्वी पर ये प्रकाशीय किरणेें बिल्कुल सीधी पड़ती है और परिणामस्वरूप हमें सूर्य (दोपहर के समय) सफेद दिखाई देता है।
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