रायबरेली : हाल के दिनों में बच्चों के अचानक बेहोश होने की बीमारी की वजह न्यूरो सिस्टी सरकोसिस कीड़ा ही पाया जा रहा है। जिला अस्पताल व प्राइवेट हास्पिटल में किए जा रहे सीटी स्कैन में बेहोश होने वाले अधिकांश मरीजों में इसकी पुष्टि हुई है। यह कीड़ा दिमाग में पहुंच कर नसों को नुकसान पहुंचाता है, जिसकी वजह से बच्चे बेहोश हो रहे हैं। डलमऊ के साथ जिले भर से मरीजों के आने का सिलसिला जारी है। वहीं स्वास्थ्य महकमा अभी भी इस बीमारी को लेकर गंभीर नहीं हुआ है। गुरुवार को गांवों में टीम भेजकर खानापूरी कर दी गई। सीएमओ ये मानने को तैयार ही नहीं की न्यूरो सिस्टी सरकोसिस कीड़े की वजह से बच्चे बेहोश हो रहे हैं।
शहर के निजी हास्पिटल में शुक्रवार को ऐसे तीन मरीज आए। भदोखर के देदानी, शंकरगंज निवासी अशर्फी लाल का बेटा सौरभ (10) 22 मई को अचानक बेहोश हो गया। मुंह से झाग निकलने लगा। घर पर मौजूद मां कांति देवी उसे लेकर हास्पिटल पहुंची। सीटी स्कैन में दिमाग में कीड़ा होने पर ट्रीटमेंट शुरू किया गया। सलोन के करहिया बाजार के निकट बीरभानपुर से आए संजय पुत्र बनवारी को 11 मई को झटका लगा और वह बेहोश हो गया। सीटी स्कैन में संजय को भी कीड़े की वजह से बेहोश होने की बात सामने आई। हरचंदपुर के भिटवा, जोहवाशर्की निवासी रामसहाय की बेटी सुहासिनी (14)लगभग एक साल पहले अचानक अचेत हो गई। घरवालों ने उसकी पढ़ाई बंद करा दी, नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में कुछ दिनों तक इलाज भी चला। 5 मई को वह फिर अचानक अचेत हो गई। उसका सीटी स्कैन करने पर पता चला की कीड़े की वजह से दिमाग में सूजन काफी बढ़ गई और गाठें भी पड़ गई।
फिर आए दो मरीज
डलमऊ क्षेत्र में गांवों के बच्चों में अचेत होने की बीमारी का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा। शुक्रवार को भी डलमऊ सीएचसी में बबुरा गांव निवासिनी ज्योती (15) व पूरे पासिन मजरे पखरौली निवासिनी सोनम (16) को अचानक अचेत होने के कारण परिजनों ने भर्ती कराया। वहीं चिकित्सक बीमारी का कारण बुखार मान रहे हैं जबकि अचानक अचेत होकर गिरने वाले 80 प्रतिशत बच्चों में बुखार नहीं पाया गया। बीमारी का कारण दूषित खानपान बताया जा रहा है। सीएचसी प्रभारी वीके ¨सह अब साहब का दबाव है तो सीएचसी के चिकित्सक कैसे मान लें की कीड़े के दिमाग में जाने से कई बच्चों को बेहोशी की बीमारी हो रही है।
दूसरे दिन गांवों में नहीं गई टीम
अचानक अचेत होने की बीमारी की खबर छपने के बाद सीएमओ ने जिला स्तर पर एक टीम गठित कर बीमारी से प्रभावित गांवों में भेजा। लेकिन स्वास्थ्य टीम ने एक दिन में ही बीमारी का पता लगाया, सीएमओ को बताया की नहीं साहब, कीड़ा वजह नहीं, बुखार, लू या ऐसी ही कोई और वजह होगी। साहब मान नहीं रहे, टीम ने मुहर लगा दी, बावजूद इसके डलमऊ क्षेत्र में ही दो नए मरीज अस्पताल पहुंचने से स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
गंदगी की गिरफ्त में गांव
तेजी से फैल रही अचेत होने की बीमारी के बावजूद गांवों में गंदगी का बोलबाला है। डलमऊ विकासखंड के सुरजूपुर गांव में चारों ओर गंदगी ही गंदगी फैली हुई है। गंदगी के बीच लगे हैंडपंप से ग्रामीण अपनी प्यास बुझा रहे हैं। गांव में लगे कूड़े के ढेरों में सुअरों का आवागमन दिन भर बना रहता है। जिससे गंदगी कूड़े के ढेरों से घरों तक पहुंच रही है। स्वास्थ्य विभाग तो नहीं डलमऊ एसडीएम शैलेंद्र कुमार मिश्र जरूर इस बीमारी को लेकर गंभीर दिखे। उन्होंने बताया की ग्रामीण आंचल में फैल रही अचेत होने की बीमारी संज्ञान में है। बीमारी से बचाव के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामींणों को साफ सफाई के लिए जागरुक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा ।
सीएमओ को चाहिए सीटी स्कैन रिपोर्ट
सीएमओ डा डीके ¨सह व उनकी चिकित्सकों की टीम अभी भी ये मानने को तैयार हो रही की अचानक बेहोश हो रहे बच्चों की बीमारी की एक वजह न्यूरो सिस्टी सरकोसिस कीड़ा है। सीएमओ का कहना है की अगर ऐसा है तो मुझे सीटी स्कैन रिपोर्ट मुहैया कराई जाए। मैनें फरवरी में कृति मुक्ति दिवस कार्यक्रम कराया लेकिन अखबार में उल्टा खबरें प्रकाशित कर दीं गई। अगर दवा का अच्छे से वितरण हो जाता तो इस बीमारी की संभावना कम ही होती। क्योंकि सीएमओ ये मान नहीं रहें की दिमाग में कीड़े की वजह से अधिकांश बच्चे, बड़े बेहोश हो रहे हैं, इसलिए इनसे बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने की उम्मीद करना बेमानी होगी।
न्यूरो फिजीशियन
रोजाना औसतन तीन से चार ऐसे मरीज हैं। सीटी स्कैन कराने पर अधिकांश मरीजों की बीमारी का कारण दिमाग में कीड़ा होना पाया गया है। नियमित इलाज से मरीज ठीक भी हो रहे हैं।
डा मनीष चौहान, न्यूरो फिजीशियन
वरिष्ठ रेडियोलाजिस्ट बोले
जिला अस्पताल में रोजाना औसतन चार से पांच ऐसे मरीज आ रहे हैं। इससे बचाव के लिए जागरुकता को सीएमएस अन्य चिकित्सकों से वार्ता की जा रही है। बीमारी से बचने के लिए जल्द ही जागरुकता कार्यक्रम करने की तैयारी है।
टैपवर्म का लार्वा मस्तिष्क, मांसपेशियों या अन्य ऊतकों को संक्रमित करने लगता है जिससे कई समस्याएं पैदा होती हैं। तो चलिए जानें किन 6 सब्जियों से दिमाग में कीड़ा पहुंचने का जोखिम होता है। पत्ता गोभी में सबसे पहले टैमवर्म होने की बात सामने आई थी, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की नीचे दी गई सब्जियों में भी कीड़े होते हैं और ये दिमाग में पहुंच जाते हैं।
1. शिमला मिर्च-Capsicum
शिमला मिर्च के बीज टैपवार्म के अंडे हो सकते हैं। ये कीड़े इतने छोटे होते हैं आप इन्हें बिना माइक्रोस्कोप के नहीं देख सकते। शिमला मिर्च के बीज में इसके अंडे अगर खा लिए जाएं तो इसके कीड़े दिमाग में पहुंच जाते हैं। इसलिए शिमला मिर्च को खाने और बनाने से पहले इनके सारे बीजों को निकाल लें। फिर इसे गुनगुने पानी से धो लें और तब खाने में शामिल करें।
2. बैंगन-Brinjal
बैंगन में अगर कहीं भी कीड़ा नजर आता है तो आप उसे हटाते होंगे,लेकिन शायद ही आप जानते होंगे की इसके बीजों में भी टैवर्म के अंडे हो सकते हैं। बैंगन को बिना काटे कभी भी आग पर सीधे नहीं पकाएं क्योंकि इसमें अंदर ये कीड़े छुपे हो सकते हैं।
3 परवल-parwal
परवल के बीजों में भी टैमवर्म की संभावना रहती है। इसलिए इसके बीजों को हमेशा हटा दें और अगर परवल सड़ा या कीड़े वाला हो तो उसे पूरी तरह से फेंक दें।4. कुंदरू-Kundru
कुंदरू खाने के नुकसान कई हैं और उन्हीं में से एक है दिमाग के कीड़े होना। दरअसल, कुंदरू में इन छोटे-छोटे कीड़ों के होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। खास कर कि बड़े साइज के और हल्के पीले रंग के कुंदरू में।
5. अरबी के पत्ते-Arbi Leaves
अरबी के पत्तों में टैपवार्म और इनके अंडे हो सकते हैं। तो कई बार ये इनके लार से भी दूषित कर सकता है। बारिश और नमी वाले मौसम में तो ये पत्ते इनके लिए प्रजनन स्थल बन जाते हैं। ऐसे में इन पत्तों को खाने में शामिल करने से पहले गर्म पानी से अच्छे से साफ करें और हर एक पत्ते को अलग से काटें। एक साथ सभी पत्ते मा काटें नहीं तो इनमें छिप पर ये कीड़े आपके पेट तक जा सकते हैं और आपके ब्रेन तक पहुंच सकते हैं।
दिमाग में कीड़ा होने के लक्षणलगातार या अचानक सिर में दर्द होना सिर में अचानक तेज़ दर्द या लगातार बिना किसी ओर वजह के दर्द होना।मिचली या उल्टी का आना।
दिखाई देने में मुश्किल होना।शरीर का तालमेल बैठाने में दिक्कत।ये प्रारंभिक लक्षण हैं दिमाग में टैमवर्म के पहुंचे के।डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। 'पत्रिका' इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।