स्टोरी हाइलाइट्स
- ज्वेलरी खरीदते समय केवल 3 चीजों का करें भुगतान
- टैक्स के तौर पर केवल 3 फीसदी GST चुकाएं
भारत में लोग साल भर इंतजार करते हैं कि दिवाली और धनतेरस के मौके पर सोने की ज्वेलरी खरीदेंगे. इस बार भी बड़े पैमाने पर लोग गोल्ड ज्वेलरी खरीदने की तैयारी कर रहे होंगे. खासकर महिलाएं त्योहारों में ज्वेलरी जरूर खरीदती हैं, वो इसे निवेश और लक्ष्मी के आगमन से जोड़कर देखती हैं.
अगर आप इस त्योहार में ज्वेलरी खरीदने की सोच रहे हैं तो खरीदते समय कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें. जिससे आप सही दाम में प्योर ज्वेलरी खरीद पाएंगे और ज्वेलर्स आपको गुमराह नहीं कर पाएगा. अगर आप ऑनलाइन ज्वेलरी खरीदते हैं तो फिर इस तरह की समस्याएं कम आती हैं. लेकिन अगर ज्वेलरी शॉप में जाकर खरीदते हैं तो जरूर सतर्क रहें.
ज्वेलर्स नहीं कर पाएंगे गुमराह
दरअसल, जब आप ज्वेलर्स से सोना खरीदते हैं तो देखें कि बिल में क्या-क्या चार्ज जोड़ा गया है. अक्सर ज्वेलर्स ग्राहकों को गुमराह करने के लिए बिल में कई तरह के चार्ज जोड़ देते हैं और ग्राहक जानकारी के अभाव में कुछ नहीं कह पाते.
केंद्र सरकार के मुताबिक ज्वेलरी खरीदते समय ग्राहकों को केवल तीन चीजों का भुगतान करना है. पहला- ज्वेलरी का वजन के हिसाब से कीमत, दूसरा- मेकिंग चार्ज और तीसरा- जीएसटी (3 फीसदी) चुकाना पड़ता है. ज्वेलरी का भुगतान आप ऑनलाइन करें या ऑफलाइन, इस पर आपको केवल 3 फीसदी ही GST चुकाना होगा.
इसके अलावा ज्वेलर्स किसी भी तरह का चार्ज करता है तो फिर आप सवाल खड़े कर सकते हैं. क्योंकि कुछ ज्वेलर्स पॉलिस वेट या फिर लेबर चार्ज के नाम पर कुछ रुपये अलग से चार्ज करते हैं, जो नियम के खिलाफ है. आप बिल्कुल इसका भुगतान ना करें और ज्वेलर्स के खिलाफ शिकायत भी कर सकते हैं.
सही रेट ऐसे खरीद सकते हैं ज्वेलरी
आपको पता होनी चाहिए कि ज्वेलरी 24 कैरेट सोने से नहीं बनती है. बाजार में उपलब्ध अधिकतर ज्वेलरी 22 कैरेट और 18 कैरेट की होती है. इसलिए खरीदते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि उस दिन सर्राफा बाजार में सोने का भाव क्या है. जिससे आप सही रेट पर ज्वेलरी खरीद पाएंगे.
सबसे अहम बात यह है कि ज्वेलरी के मेकिंग चार्ज को लेकर मोल-भाव जरूर करें. अधिकतर ज्वेलर मोल-भाव के बाद मेकिंग चार्ज कम कर देते हैं. क्योंकि ज्वेलरी पर 30 फीसदी तक मेकिंग चार्ज लिया जाता है. ज्वेलर्स को सबसे ज्यादा फायदा मेकिंग चार्ज से ही होता है.
हमेशा ऑरिजनल बिल लें. ताकि भविष्य में जब आप उस ज्वेलरी को कहीं बेचने जाएं तो उसकी प्योरिटी और वजन को लेकर कोई समस्या न हो. जहां तक शुद्धता की बात है तो केवल और केवल हॉलमार्क ज्वेलरी ही खरीदें. हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं. सभी कैरेट का हॉलमार्क अलग होता है. मसलन 22 कैरेट पर 916, 21 कैरेट पर 875 और 18 कैरेट पर 750 लिखा होता है. इससे शुद्धता में शक नहीं रहता.
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वर्तमान में रत्न एवं आभूषण पर जीएसटी की दर तीन प्रतिशत है
मुंबई:
Budget 2022: अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) ने मंगलवार को सरकार से जीएसटी (माल एवं सेवा कर) की दर को घटाकर 1.25 प्रतिशत करने का आग्रह किया है. रत्न और आभूषण उद्योग के प्रमुख निकाय जीजेसी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपनी बजट-पूर्व सिफारिशों में सोने, कीमती धातुओं, रत्नों और ऐसे सामान से बने आभूषणों पर राजस्व समानता सिद्धांत के आधार पर 1.25 प्रतिशत की संचयी जीएसटी दर तय करने की मांग की है. वर्तमान में रत्न एवं आभूषण पर जीएसटी की दर तीन प्रतिशत है.
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जीजेसी ने वित्त मंत्री से पैन कार्ड की सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का भी आग्रह किया है, क्योंकि ग्रामीण भारत में कई घरों में पैन कार्ड नहीं है और जरूरत के समय विशेषकर वैश्विक महामारी के समय में न्यूनतम आवश्यक आभूषण की व्यवस्था करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. जीजेसी ने सरकार से अनुरोध किया है कि सोने की न्यूनतम मात्रा पर उपयुक्त स्पष्टीकरण जारी किया जाए, जिसे कोई व्यक्ति किसी भी विभागीय अधिकारियों द्वारा पूछताछ किए बिना स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) के तहत जमा कर सकता है. इसके अलावा उद्योग निकाय ने अनुरोध किया कि रत्न और आभूषण उद्योग को 22 कैरेट सोने के आभूषणों की खरीद के लिए ईएमआई सुविधा की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे महामारी के बाद उद्योग के कारोबार में पर्याप्त वृद्धि होगी. जीजेसी के अध्यक्ष आशीष पेठे ने कहा, ‘‘महामारी के इन मुश्किल समय के दौरान हमारे उद्योग को बहुत नुकसान हुआ है, और इसे के वी कामत की रिपोर्ट में 'तनावग्रस्त क्षेत्रों' में से एक के रूप में भी चिन्हित किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमने आयकर अधिनियम की धारा 40 ए में बदलाव का प्रस्ताव दिया है ताकि प्रतिदिन 10,000 रुपये की मौजूदा दैनिक नकद सीमा को बढ़ाकर 1,00,000 रुपये किया जा सके।'' उन्होंने कहा कि जीजेसी ने सरकार से क्रेडिट कार्ड के माध्यम से आभूषणों की खरीद पर बैंक कमीशन (1-1.5 प्रतिशत) को माफ करने का भी आग्रह किया है. इससे रत्न और आभूषण उद्योग 'डिजिटल इंडिया' को बढ़ावा देने में भूमिका निभा सकेगा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)