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पारिवारिक बंटवारे के बाद ही अब होगी जमाबंदी, बेटियों की नहीं हो पाएगी हकमारी
- भाई अगर जमीन बेचना चाहते हैं तो बहनों का हिस्सा सुरक्षित रहेगानए दाखिल-खारिज रसीद पर बेचने वाली जमीन का नया और पुराना खाता, खेसरा नंबर जरूरी
पटना. 2 अक्टूबर से भूमि निबंधन की प्रक्रिया बदल जाएगी। लोग तभी जमीन बेच पाएंगे, जब उनके नाम जमाबंदी (दाखिल-खारिज) होगी। पुश्तैनी जमीन बेचने से पहले पारिवारिक बंटवारा करना होगा, जमीन की दाखिल-खारिज करानी पड़ेगी। जमीन निबंधन के दस्तावेज में अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा देना होगा। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में बेटियों
की हकमारी नहीं हो पाएगी। भाई अगर जमीन बेचना चाहते हैं तो बहनों का हिस्सा सुरक्षित रहेगा या उसकी रजामंदी जरूरी होगी।
नए प्रावधान में दाखिल-खारिज रसीद पर बेचने वाली जमीन का नया और पुराना खाता, खेसरा नंबर जरूरी है। दोनों खाता, खेसरा नहीं रहने पर निबंधन नहीं होगा। इसके वास्ते निबंधन विभाग ने अपने ऑनलाइन सिस्टम में बदलाव किया है। जमीन की खरीद बिक्री के लिए जैसे ही सिस्टम में लोड किया जाएगा, कंप्यूटर सबसे पहले दाखिल खारिज का नंबर मांगेगा। निबंधन दस्तावेज में अपनी संपत्ति की जमाबंदी संख्या, जमाबंदी
जिल्द संख्या और जमाबंदी पृष्ठ संख्या की जानकारी देनी होगी।
जो आपको जानना जरूरी है
- पारिवारिक बंटवारे में बेटियों की हिस्सेदारी होगी। हां, अगर वह लिखकर इसकी मनाही करती हैं, तो अलग बात है।
- तीन पीढ़ियों से जमाबंदी नहीं होने की स्थिति में ये करें-पहले वंशावली बनाएं। फिर, इसी आधार पर 100 रुपया देकर पारिवारिक बंटवारा करें। पारिवारिक बंटवारा के बाद जमीन का दाखिल-खारिज कराएं।
- रजिस्टर 2 की स्थिति : खासकर रजिस्ट्री के पुराने मामलों में सतत प्रक्रिया के तहत इसे पूरी तरह दुरुस्त करने की कवायद जारी है। नई रजिस्ट्री के मामले में स्थिति कमोबेश ठीक है। रजिस्ट्री होने के कुछ दिन बाद यह रजिस्टर 2 में दर्ज हो जाता है।
- जमाबंदी की समयसीमा : 21 दिन। इसी तरह पारिवारिक बंटवारे की समयसीमा को भी लोकसेवा का अधिकार कानून व शिकायत निवारण कानून के दायरे में लाने की बात है।
- फायदा क्या- 2 अक्टूबर से हो रहे बदलाव से जमीन विवाद में निश्चित रूप से कमी आएगी। पुश्तैनी जमीन के आपसी बंटवारे के बाद जिनके हिस्से में जो जमीन आएगी, उसे अपने नाम से म्यूटेशन कराना होगा, तभी वे जमीन बेचने के हकदार होंगे। इस नियम के लागू होने के बाद फर्जी रजिस्ट्री पर पूरी तरह रोक लग जाएगी।
-प्रभाकर टेकरीवाल, वरीय अधिवक्ता (हाईकोर्ट)