काशी की क्या विशेषताएं बताई गई है संक्षेप में लिखिए? - kaashee kee kya visheshataen bataee gaee hai sankshep mein likhie?

वाराणसी, जेएनएन। देश-विदेश के पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच ले आती है काशी नगरी की माटी। हस्तकला, संगीत, पर्व उत्सव व अल्हड़पन बनारस की जगमग थाती। अपने बूते हजार करोड़ विदेशी मुद्रा ले आती है धर्म और पर्यटन की यह नगरी...।

देवाधिदेव की नगरी और 33 कोटि देवताओं के भी वास की मान्यता ने काशी को संगीत-धर्म-अध्यात्म का रंग दिया। काशीपुराधिपति के मन-मिजाज से इस नगर ने मस्ती और अल्हड़पन का अंदाज लिया। गंगा के गले में चंद्रहार से लिपटे पाट और घाट से लय मिलाते सूर्यदेव ने बनारस की सुबह को इंद्रधनुषी रंग दिया। द्वादश ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर समेत हिंदू देवालयों की विशाल शृंखला, सारनाथ समेत समूचा बौद्ध सर्किट और जैन तीर्थ स्थलों से भी इस नगर ने आशीर्वाद लिया। 

इसमें एकाकार सात वार, नौ त्योहार की परंपरा यहां के वाशिंदों के पर्व-उत्सवों का रसिया होने की गवाही देते हैं। सर्वधर्म सद्भाव का ठांव है यह जहां लगभग सभी संप्रदायों के संतों के पड़े पांव जो दुनियावी दुश्वारियों के बीच सुकून की छांव देते हैं। 

कबीर की अनूठी श्रमसाधक परंपरा से मिली हुनर और आराधना की थाती को गलियों और मोहल्लों ने जिया और इसका संदेश भी दिया। 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:...' के अर्थ बेशक मेल खाते हैं इस नगर से लेकिन भौतिकता के दौर में श्रम साधना, बाबा की आराधना, मौज मस्ती, पहनावा और खानपान की फक्कड़ी तान बनारस के सनातन तौर पर स्मार्ट होने का सुबूत दे जाता है। 

अध्यात्म संग खींच लाता काशी का अंदाज

देव दर्शन के साथ ही काशी का अंदाज व इस नगर को देखने-समझने की लालसा श्रद्धालुओं, जिज्ञासुओं व ज्ञान पिपासुओं रोजाना बनारस खींच ले आती है। इसमें सालाना लाखों देसी-विदेशी सैलानियों की जमात होती है। महज 1550 वर्ग किमी के दायरे में बसे बनारस में मिनी भारत की झांकी पाते हैं और रीझे हुए जाते हैं। इन पर्यटकों और हस्तकला के बूते दुनिया का पुरनिया नगर देश को हजारों करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा दिलाता है। अध्यात्म, योग, संगीत समेत सर्वविद्या की राजधानी जिसका शर्तिया तौर पर कोई सानी नहीं, प्राच्य से आधुनिक शिक्षा संग चिकित्सा की आस में पूर्वी उत्तर प्रदेश से पश्चिमी बिहार तक के गांवों से सिसकता हुआ आया गरीब यहां रोगों से भी निजात पाता है।  

काशी में पर्यटन के आकर्षण  

सारनाथ, घाट और देवालय, रामनगर दुर्ग, तुलसीघाट, रानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली, मुंशी प्रेमचंद की लमही, सुबह-ए- बनारस, घाट संध्या, गंगा आरती सहित कई अन्य देवालय व स्थल पर्यटन के केंद्र हैं। 

खास आयोजन भी रिझाते हैं 

रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला, नाटी इमली का भरत मिलाप, संकटमोचन संगीत महोत्सव, ध्रुपद मेला, गंगा महोत्सव, महाशिवरात्रि उत्सव। 

62 लाख पर्यटक, अरबों का कारोबार 

देसी सैलानी : 59 लाख 

विदेशी पर्यटक : तीन लाख 

प्रत्यक्ष कारोबारी : 3230 

अप्रत्यक्ष कारोबार : 3230 गुणित 10

पर्यटन से आय : 12 अरब (प्रति पर्यटक न्यूनतम दो हजार के आधार पर)

शीर्ष देवालय 

श्रीकाशी विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा दरबार, संकटमोचन मंदिर, कालभैरव समेत अष्टभैरव दरबार, नौ देवी और नौ गौरी के मंदिर समेत कई देवालय। बुद्ध की प्रथम उपदेशस्थली, जैन तीर्थंकरों के चार स्थल।  

संत स्थली 

कबीर प्राकट्य स्थली लहरतारा व कर्मस्थली कबीरचौरा, संत रविदास जन्म स्थली, तुलसीघाट, संतमत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट, रामानंद संप्रदाय मूलपीठ श्रीमठ, श्रीविद्यामठ, सतुआबाबा आश्रम, अघोरपीठ पड़ाव, क्रीं कुंड। 

हस्तकला और मजबूत बौद्धिक संपदा

बनारसी साड़ी, भदोही की कालीन, गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी का खिलौना, मीरजापुरी दरी, जरी जरदोजी, रेशम व जरी बैज, मेटल क्राफ्ट, गुलाबी मीनाकारी, बनारसी कुंदनकारी, बलुआ पत्थर का काम, सॉफ्ट स्टोन अंडर कटवर्क, बनारस ग्लास बीड्स, संगीत वाद्य यंत्र। 

ट्रेड सेटर और ट्रेंड सेंटर 

प्राकृतिक संरचना के कारण गंगा के तट पर बसा बनारस धर्म और पर्यटन की थाती के कारण प्राचीन समय से व्यापार का बड़ा केंद्र रहा है। अपनी जीवटता के बूते आज भी सोनभद्र से सोनौली व पश्चिमी बिहार तक का ट्रेड और ट्रेंड सेटर भी है।

-किराना मंडी गोला दीनानाथ

-गल्ला मंडी विश्वेश्वर गंज 

-फल मंडी पहडिय़ा 

-साड़ी की गद्दियां

-सर्राफा कारोबार 

चिकित्सा को आधार 

-बीएचयू आइएमएस और अस्पताल 

-मंडलीय समेत पांच बड़े अस्पताल 

-मानसिक चिकित्सालय पांडेयपुर 

-50 से अधिक निजी बड़े अस्पताल 

शैक्षिक संस्थान

काशी हिंदू विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, केंद्रीय तिब्बती उच्च विश्वविद्यालय। दर्जन भर शासकीय महाविद्यालयों के साथ ही तमाम निजी तकनीकी व मेडिकल कालेज। 

संगीत की शान 

-ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी

-पं. राजन-साजन मिश्र

-पं. छन्नूललाल मिश्र 

-स्मृति शेष पं. किशन महाराज

-उस्ताद बिस्मिल्लाह खां 

-सितारा देवी

-पं. रविशंकर

साहित्यिक विभूतियां 

प्रेमचंद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद, देवकी नंदन खत्री, जगन्नाथदास रत्नाकर, डा. श्यामसुंदर दास, आदि। 

परिवहन के साधन 

लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बाबतपुर, कैंट जंक्शन, वाराणसी सिटी व मंडुआडीह रेलवे स्टेशन। 

काशी की क्या विशेषताएँ बताई गई है?

इसे संसार के सबसे पुरानी नगरों में माना जाता है। भारत की यह जगत्प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम (उत्तर) तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असी नदियों के गंगासंगमों के बीच बसी हुई है। इस स्थान पर गंगा ने प्राय: चार मील का दक्षिण से उत्तर की ओर घुमाव लिया है और इसी घुमाव के ऊपर इस नगरी की स्थिति है

Kashi क्यों प्रसिद्ध है?

इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी, श्री कशी विश्वनाथ मन्दिर एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है।

काशी का रहस्य क्या है?

पुराणों के अनुसार पहले यह भगवान विष्णु की पुरी थी, जहां श्रीहरि के आनंदाश्रु गिरे थे, वहां बिंदु सरोवर बन गया और प्रभु यहां 'बिंधुमाधव' के नाम से प्रतिष्ठित हुए। महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णुजी से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। तब से काशी उनका निवास स्थान बन गई।

काशी का पौराणिक महत्व क्या है?

काशी का पौराणिक महत्व है। इसका महत्व इसी बात से प्रकट होता है कि स्वयं भगवान विष्णु भोलेनाथ की पूजा करने के लिए यहां आए थे। यह जगह भगवान शिव ने श्रीहरि विष्णु से अपने निवास के लिए ली थी। यहां स्थित कपाल मोचन तीर्थ वह स्थान है, जहां शिवजी को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी।

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