25 नबी का नाम क्या है? - 25 nabee ka naam kya hai?

25 नबी का नाम क्या है? - 25 nabee ka naam kya hai?


इस्लाम इन हिंदी डॉट कॉम: अल्लाह ताला ने अपने बंदों को सीधा रास्ता दिखाने के लिए समय-समय पर अपने पैगंबरों और संदेष्टाओं को दुनिया में भेजा। दुनिया में लगभग 124000 नबी भेजे गए यह सभी इंसानों में से थे और लोगों को एक अल्लाह की तरफ बुलाते थे। उनमें से कुछ नबी ऐसे थे जिनको अल्लाह ने धार्मिक पुस्तकें प्रदान की थी जिनके मुताबिक वह अपने अनुयायियों को सत्य मार्ग दिखाते थे। जिन नबियों को यह ईश्वरीय ग्रंथ मिलते थे उन्हें रसूल कहा जाता है। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी एक रसूल थे जिन्हें अल्लाह ताला ने कुरान जैसी मुक़द्दस किताब अता फ़रमाई। कुरान में 25 नबियों का वर्णन मिलता है।

अल्लाह ने समय-समय पर अपने बंदों को सही मार्ग पर लाने के लिए नबी और रसूल भेजें जिन्हें समय-समय पर कई किताबें प्रदान की गई जिनमें से चार प्रसिद्ध किताबों का जिक्र कुरान में मिलता है।

प्रसिद्ध आसमानी किताबें

प्रसिद्ध आसमानी किताबें निम्नलिखित हैं, ये विभिन्न समयकाल में विभिन्न रसूलों पर नाजिल हुईं

• सहूफे इब्राहिमी

 हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को प्रदान की गई थी यह किताब अब लुप्त हो चुकी है लेकिन इतिहास में इसका कहीं कहीं जिक्र मिल जाता है।

• तौरात

इस किताब को अल्लाह की तरफ से हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर नाजिल किया गया था यह किताब अब अपनी असल हालत में मौजूद नहीं है लेकिन इसमें भी एकेश्वरवाद की शिक्षा और इस्लाम धर्म का जिक्र मिल जाता है।

• जबूर

यह किताब हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को प्रदान की गई थी जिससे वह आपने कबीले और मुल्क के लोगों की रहनुमाई करते थे।

• इंजील

इस किताब को वर्तमान में बाइबल के नाम से जाना जाता है इसे हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर नाजिल किया गया था इस किताब में हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से लेकर बहुत से नदियों का जिक्र मिल जाता है और इसमें भी हर किताब की तरह एकेश्वरवाद और इस्लाम की मूलभूत शिक्षाओं का जिक्र किया गया है हालांकि इस किताब में भी अब बहुत तब्दीली हो चुकी है और यह अपनी असल हालत में मौजूद नहीं है।


आसमानी किताबें कैसे नाज़िल हुई


यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये होता है की आसमानी किताबें कब और कैसे अवतरित की गई। जब किसी समाज या देश में अधर्म का बोलबाला हो जाता और लोग पथ भ्रष्ट हो जाते तो अल्लाह आपने संदेश को पहुंचाने के लिए एक पैगंबर या रसूल भेजता और उसे एक किताब या कुछ बुनियादी बातें बताई जाती जिन्हें वह अपने समाज कि लोगों को बताता और उन्हें सीधी रास्ते पर लाने की कोशिश करता।

जिब्रील अलैहिस्सलाम नबी और रसूलों को ईश्वर का संदेश लाकर देते थे और वह संदेश नबी और रसूल अपने कबीले और लोगों तक पहुंचाते थे। हजरत मोहम्मद सल्ला वसल्लम को भी जिब्रील अलैहिस्सलाम पैगाम लाकर देते थे जिसे वह अपनी कौम तक पहुंचा देते और इस तरह धीरे-धीरे अल्लाह के पैगाम का एक बड़ा जखीरा जमा हो गया जिसे कुरान के नाम से जाना जाता है।



क्या मुसलमान चारों आसमानी किताब पर यकीन रखते हैं


मुसलमानों के लिए अल्लाह की तरफ से नाज़िल की गई हर किताब पर यकीन रखना जरूरी है। अगर कोई अल्लाह की तरफ से नाज़िल की गई इन किताबों का इनकार करता है तो वह इस्लाम का इनकार करता है। मुसलमान तौरात, जबूर, इंजील और कुरान चारों पर यकीन रखते हैं और यह भी मानते हैं कि समय के साथ कुरान के अलावा अन्य सभी किताबों में तब्दीलियां हो चुकी है।

कुरान की रक्षा की जिम्मेदारी स्वयं अल्लाह ने ली है इसलिए उसमें तब्दीली नहीं की जा सकती आज दुनिया में लाखों मुसलमान क़ुरान को कंठस्थ किए हुए हैं और इस तरह कुरान पूर्ण रूप से सुरक्षित है।


कहा जाता है पैगंबर ने कुल 11 शादियां की. उनकी बीवीयों के नाम, ख़दीजा बिन्त खुवायलद (1), साव्दाह बिन्त जा'मा (2), आएशा बिन्त अबु बकर (3), हफसाह बिन्त उमर (4), ज़ैनब बिन्त ख़ुजाइमाह (5), हिन्द बिन्त अबी उम्यया (उम्म सलामा) (6), ज़ैनब बिन्त जाहश (7), जुवाइरियाह बिन्त अल-हरीथ (8), रमला बिन्त अबु सुफियान (9), सफियाह बिन्त हुयाई इब्न अख़्ताब (10), मुहम्म बिन अल हरीथ (11). (स्रोत- Quora)

इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है. पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन की खुशी में यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है. आइए ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी 10 अहम बातों के बारे में जानते हैं.

1. पैगंबर मोहम्मद का जन्म अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था. पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था. जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई. मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे. इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था.

2. पैगंबर की पत्नी आयशा के मुताबिक, पैगंबर घर के कामों में भी मदद करते थे. घर के काम करने के बाद वह प्रार्थना के लिए बाहर जाते थे. कहा जाता है कि वह बकरियों का दूध भी दुहते थे और अपने कपड़े भी खुद धुलते थे.

3. पैगंबर मोहम्मद मूर्ति पूजा या किसी भी चित्र की पूजा के खिलाफ थे. यही वजह है कि उनकी कहीं भी तस्वीर या मूर्ति नहीं मिलती है. बता दें कि इस्लाम में मूर्ति पूजन की मनाही है.

4. बताया जाता है कि पैगंबर मोहम्मद ने कहा था कि जो भी उनकी तस्वीर बनाएगा, उसे अल्लाह सजा देगा.

5. पैगंबर मोहम्मद इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर हैं. कुरान के मुताबिक, एक रात जब वह पर्वत की एक गुफा में ध्यान कर रहे थे तो फरिश्ते जिब्राइल आए और उन्हें कुरान की शिक्षा दी.

6. जिब्राइल के अल्लाह का नाम का जिक्र करते ही मोहम्मद ने संदेश पढ़ना शुरू कर दिया. अल्लाह का संदेश मानकर पैगंबर मोहम्मद जिंदगी भर इसे दोहराते रहे. उनके शब्दों को याद कर लिया गया और संग्रहित कर लिया गया.

7. पैगंबर का विश्वास था कि अल्लाह ने उन्हें अपना संदेशवाहक चुना है इसलिए वह दूसरों को भी अल्लाह का संदेश देने लगे.

8. मोहम्मद की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि मक्का में प्रभावशाली लोगों को खतरा महसूस होने लग गया. सन् 622 में मोहम्मद को अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना कूच करना पड़ा. उनके इस सफर को हिजरत कहा गया. इसी वर्ष इस्लामिक कैलेंडर हिजरी की भी शुरुआत हुई.

9. मदीना के लोग आपसी लड़ाइयों से परेशान थे और मोहम्मद साहब के संदेशों ने उन्हें वहां बहुत लोकप्रिय बना दिया. उस समय मदीना में तीन महत्वपूर्ण यहूदी कबीले थे.

10. कुछ ही वर्षों में पैगंबर मोहम्मद के बड़ी संख्या में अनुयायी हो चुके थे और तब उन्होंने मक्का लौटकर विजय हासिल की. मक्का में स्थित काबा को इस्लाम का पवित्र स्थल घोषित कर दिया गया. सन् 632 में हजरत मुहम्मद साहब का देहांत हो गया पर उनकी मृत्यु तक लगभग पूरा अरब इस्लाम कबूल कर चुका था.

टोटल कितने नबी हैं?

मुसलमानों का मानना ​​है कि पहला नबी ही पहला इंसान था, आदम अलैहिस्सलाम ( آدم), अल्लाह (الله) द्वारा निर्मित। यहूदियों में 48 नबियों का ज़िक्र है। ईसाई धर्म के कई नबियों का ज़िक्र क़ुरान में किया गया है, क्योंकि ईसा भी नबियों की परंपरा में से एक थे।

इस्लाम धर्म में कितने नबी आए?

नबी (दूत) और रसूल संसार में लगभग 124,000 नबी (दूत) एक खुदा को पूजने का सन्देश देने के लिये भेजे गये थे। यह दूत भी मानवों में से होते थे और ईश्वर की ओर लोगों को बुलाते थे। ईश्वर इन दूतों से विभिन्न रूपों में समपर्क रखता था। इन दूतों को इस्लाम में नबी कहते हैं।

नबी और रसूल में क्या फर्क है?

नबी और रसूल के बीच प्रसिद्ध अंतर यह है कि रसूल वह है जिस की ओर किसी शरीअत की वह्य की गई हो और उसे उसके प्रसार का हुक्म दिया गया हो, और नबी वह है जिस की ओर किसी शरीअत की वह्य की गई हो और उसे उसके प्रसार का हुक्म न दिया गया हो।

मुसलमानों के पहले नबी कौन थे?

इस्लाम के पहले नबी, मुसलमानों के अनुसार, पहला आदमी, हजरत एडम (अरबी में, आदम) और बाइबल में उल्लेखित थे, उन्हें भी मुसलमानों को पैग़म्बर के रूप में माना जाता है, हजरत मुहम्मद साहब को इस्लाम के अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पैग़म्बर के रूप में माना जाता है।