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of Governors of Reserve Bank of India (RBI)- From 1935 RBI के गवर्नर की नियुक्ति कैसे की जाती है? रिज़र्व बैंक सम्बंधित मामलों को Central Board of Directors (CBD) देखता है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 8 के अनुसार बोर्ड के सदस्यों को भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है. RBI के प्रशासनिक अधिकारी के रूप में केंद्रीय निदेशक मंडल (Central Board of Directors) में निदेशकों के दो सेट शामिल हैं, पहला आधिकारिक निदेशक और दूसरा, गैर-आधिकारिक निदेशक है. RBI अधिनियम के अंतर्गत केंद्र सरकार गवर्नर मनोनीत करती है.
सर ओसबोर्न स्मिथ – 1 जनवरी 1935 से 30 जून 1937स्मिथ एक पेशेवर बैंकर थे. रिजर्व बैंक से पहले वह ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ बैंक में 20 साल और न्यू साउथ वेल्स बैंक में 10 साल तक कार्य कर चुके थे. वह इंपीरियल बैंक ऑफ इण्डिया के प्रबंधक गवर्नर 1926 में बने. उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक का गवर्नर 1 अप्रैल 1935 को नियुक्त किया गया. अपने कार्यकाल में उन्होंने किसी बैंक नोट पर हस्ताक्षर नही़ किए थे. सर जेम्स ब्रेड टेलर – 21 अप्रैल 1891 – 17 फ़रवरी 1943सर जेम्स ब्रेड टेलर भारतीय रिजर्व बैंक के पहले डिप्टी गवर्नर और भारतीय रिजर्व बैंक के दूसरे गवर्नर ओसबोर्न स्मिथ थे. उन्होंने 1 जुलाई 1937 से 17 फ़रवरी 1943 तक यह पद संभाला. सी. डी. देशमुख – 11 अगस्त 1943 – 30 जून 1949सी. डी. देशमुख का पूरा नाम चिन्तामणि द्वारकानाथ देशमुख था. वह भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर थे, जिन्हें ब्रिटिश राज ने 1943 में गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया. उसी दौरान उन्हें सर की उपाधि दी थी. उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में भारत के तीसरे वित्त मंत्री के रूप में भी कार्य किया है. “गवर्नर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 1944 में ब्रेटन वुड्स वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व किया, स्वतंत्रता और देश के विभाजन, भारत और पाकिस्तान के बीच रिजर्व बैंक की संपत्ति और liabilities के विभाजन की देखरेख की थी.” सर बेनेगल रामा राव – 1 जुलाई 1949 – 14 जनवरी 1957सर बेनेगल रामा राउ ने सबसे लम्बे समय तक गवर्नर के रूप में कार्य किये. उन्होंने संयुक्त राज्य में भारतीय राजदूत के रूप में भी कार्य किया. के. जी. अम्बेगाओंकर – 14 जनवरी 1957 – 28 फ़रवरी 1957यह भारतीय रिज़र्व बैंक के पांचवे गवर्नर थे. इससे पहले वह भारतीय सिविल सेवा के सदस्य थे और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के रूप में भी कार्य कर चुके थे. वित्त सचिव के रूप में भी वह सेवा कर चुके थे. एच. वी. आर. आयंगर – 1 मार्च 1957 – 28 फ़रवरी 1962रिजर्व बैंक के छठवें गवर्नर के रूप में नियुक्त होने से पहले H V R Iengar ने भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. उनके कार्यकाल के दौरान 1962 में बैंक डिपॉजिट के लिए बीमा शुरू किया गया, जिसने भारत को डिपॉजिट इंश्योरेंस के साथ प्रयोग करने वाले सबसे शुरुआती देशों में से एक बना दिया. मौद्रिक नीति के पहलू में, variable cash eserve ratioका पहली बार उपयोग किया गया था. पी. सी. भट्टाचार्य – 1 मार्च 1962 – 30 जून 1967वह भारतीय Audit और Account Service के सदस्य थे, वित्त मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया. बाद में उन्हें भारतीय स्टेट बैंक के Chairman के रूप में भी नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्हें RBI के गवर्नर के रूप में नियुक्त किग गया. उनके कार्यकाल में हुए कुछ घटनाक्रमों में क्रेडिट रेगुलेशन स्कीम को क्रेडिट रेगुलेशन के एक साधन के रूप में पेश किया गया था, 1966 में रुपये के अवमूल्यन के साथ, आयात उदारीकरण और निर्यात सब्सिडी को खत्म करने सहित कई कार्य उसी समय किये गए. एल. के. झा – 1 जुलाई 1967 – 3 मई 1970RBI के गवर्नर बनने से पहले L K झा प्रधानमंत्री के सचिव थे. उनके कार्यकाल में वाणिज्यिक बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण शुरू किया गया था. 1969 में 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, एक ऐसा कदम, जिसमें रिज़र्व बैंक का समर्थन नहीं था. बी. एन. आदरकार – 4 मई 1970 – 15 जून 1970B N Adarkar एक पेशेवर अर्थशास्त्री थे और एस. जगन्नाथन के पदभार संभाले तब तक गवर्नर के पद पर बने रहे. उन्होंने भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में महत्वपूर्ण पदों को सम्हाला था. एस. जगन्नाथन – 16 जून 1970 – 19 मई 1975एस. जगन्नाथन ने भारतीय रिज़र्व बैंक में गवर्नर के रूप में नियुक्त होने से पहले केंद्र सरकार के साथ विश्व बैंक में भारत के कार्यकारी निदेशक(Executive Director) के रूप में कार्य किया. बाद में वह IMF में भारतीय कार्यकारी निदेशक(Indian Executive Director) बन गए. एन. सी. सेनगुप्ता – 19 मई 1975 – 19 अगस्त 1975के. सी. पुरी के पद संभालने तक N C सेनगुप्ता को तीन महीने के लिए राज्यपाल नियुक्त किया गया था. वह पहले वित्त मंत्रालय के बैंकिंग विभाग के Secretary के रूप में कार्यरत थे. के. आर. पुरी – 20 अगस्त 1975 – 2 मई 1977के. आर. पुरी के कार्यकाल के दौरान RRBs- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई थी. RBI में गवर्नर के रूप में नियुक्ति से पहले, उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम के Chairman और प्रबंध निदेशक(Managing Director) के रूप में कार्य किया था. एम. नरसिम्हन – 3 मई 1977 – 30 नवम्बर 1977RBI की वेबसाइट के अनुसार “एम नरसिम्हम रिजर्व बैंक कैडर से नियुक्त होने वाले पहले और अब तक के एकमात्र गवर्नर थे, जो बैंक में आर्थिक विभाग में एक Research Officer के रूप में शामिल हुए थे. वह बाद में सरकार में शामिल हुए और गवर्नर के रूप में नियुक्ति से पहले उन्होंने Economic Affairs के विभाग में Additional Secretary के रूप में कार्य किया था..” डॉ. आई. जी. पटेल – 1 दिसम्बर 1977 – 15 सितम्बर 1982डॉ. आई. जी. पटेल RBI के गवर्नर बनने से पहले, वित्त मंत्रालय में सचिव के रूप में और उसके बाद United Nations Development Programme में शामिल हुए थे. उनके कार्यकाल के दौरान छह निजी क्षेत्र के बैंकों(private sector banks) का राष्ट्रीयकरण किया गया था, priority sector में ऋण देने के लिए लक्ष्य प्रस्तुत किए गए, और डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का विलय कर दिया गया, और बैंक में एक विभागीय पुनर्गठन किया गया डॉ. आई. जी. पटेल को 1981 में IMF के Extended Fund Facility का विस्तार करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जो उस समय IMF के इतिहास में सबसे बड़ी व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करती थी. डॉ॰ मनमोहन सिंह – 16 सितम्बर 1982 – 14 जनवरी 1985डॉ. मनमोहन सिंह ने Governor के रूप में नियुक्ति से पहले वित्त विभाग में सचिव और योजना आयोग के सदस्य सचिव के रूप में कार्य किया. उनके कार्यकाल में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम और शहरी बैंक विभाग की नई शुरूआत हुई. |