आयरन का निष्कर्षण(Iron extraction): आज हम आपको Class-12th chemistry से Chapter-6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रकम (Principles and processes of Extraction of Elements) में से एक मुख्य भाग आपको आज हम आपको बताने जा रहे जो हैं आयरन का सामान्य परिचय व आयरन का निष्कर्षण के बारे में पूरी जानकारी basic to advanced जानकारी देंगे इसमें आपको आयरन का निष्कर्षण, प्रकार, उपयोग व गुणवत्ता के बारे में बताएंगे। Show
चलिए अब आपको बारी-बारी से आयरन का निष्कर्षण के बारे बताते हैं। आयरन का सामान्य परिचयविषय - सूची
आयरन(Iron) एक सक्रिय धातु है अतः यह मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती हैं संयुक्त अवस्था में आयरन निम्नलिखित रूपों में पाया जाता है क्या आपको पता है पृथ्वी पर सर्वाधिक पाई जाने वाली धातु एलुमिनियम के बाद “आयरन” का ही स्थान है। Read More:- धातु निष्कर्षण किसे कहते हैं और धातु निष्कर्षण किन-किन विधियों द्वारा किया जाता है? आयरन के खनिजों के नाम व सूत्र1.आक्साइड खनिज
2.कार्बोनेट खनिज
3.सल्फाइड खनिज
आयरन का निष्कर्षण (Extraction of Iron)हमारे इस आयरन का निष्कर्षण के लेख को पढ़ने वाले भाई- बहनों बताना चाहते हैं कि अब तक हमने आयरन के बारे में basic information दी है अब आगे इसके निर्माण और प्रकारो के बारे जानेंगे इस लिए आपसे निवेदन है कि ध्यान पूर्वक आयरन का निष्कर्षण को पढ़िए और समझिए। शायद आपको पता हो कुछ भाई- बहनों को नहीं पता होगा उनके लिए और साथ-साथ जिन भाई- बहनों को पता है उनके लिए भी कि आयरन का निष्कर्षण इनके आक्साइड अयस्कों मुख्य रूप से हेमेटाइट, मैग्नेटाइट और लिमोनाइट से होता है अब आगे आपको आयरन निष्कर्षण कैसे होता है और प्रकार के बारे में आगे धीरे-धीरे बताते चलेंगे चलिए अब आपको आगे बताते हैं। Read More:- भारत में कुल कितने राज्य और कितने केंद्रशासित प्रदेश हैं 2020 1.अयस्क का सांन्दण( Concentration of ore)शायद आपको पता होगा कि आयरन का सांदण घनत्व पृथक्करण विधि द्वारा किया जाता है अयस्क को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लेते हैं उसके बाद किसी ढालू तल पर जल के तेज धारा के साथ धो देते हैं । जब हम धोते हैं तो जल के साथ जो अशुद्धियां होती हैं वह जल के साथ बह जाती हैं। आप यह भी जान लीजिए कि इसका सांदण चुंबकीय विधि द्वारा भी कर सकते हैं। 2.सान्दित अयस्क का निस्तापन और भर्जन (Calcination and Roasting of concentrated ore)प्राप्त सान्दित अयस्क का गलनांक से कम ताप पर वायु की अनुपस्थिति में गर्म करके निस्तापन करते हैं इस प्रक्रिया में जल बाहर निकल जाता है तथा यदि निष्कर्षण कार्बोनेट अयस्क से किया जा रहा हो तो वह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
निस्तापन के पश्चात प्राप्त अयस्क को गलनांक से कम ताप पर वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर सल्फर तथा आर्सेनिक की अशुद्धियां आक्सीकृत होकर बाहर निकल जाती हैं फेरस आक्साइड आक्सीकृत होकर फेरिक ऑक्साइड में बदल जाता है क्योंकि इससे वाष्प के रूप में अशुद्धियां बाहर निकल जाती है । अब हम आपको कुछ भर्जन में होने वाली अभिक्रियाओं के बारे बताते हैं।
3.प्रगलन(Smelting)आयरन का निष्कर्षण करने के लिए अयस्क का सांन्दण, सान्दित अयस्क का निस्तापन और भर्जन किया अब इनसे प्राप्त अयस्क का प्रगलन(Smelting) करेंगे चलिए शुरू करते हैं अयस्क का प्रगलन हमेशा वात्या भट्टी में किया जाता है अयस्क में कोक तथा चूना पत्थर मिलाकर वात्या भट्टी में डाला जाता है। अब हम आपको वात्या भट्टी में होने वाली सभी क्रियाओं बारी- बारी से बताते हैं। दहन खंड(Combustion zone)- यह भट्टी का सबसे नीचे का क्षेत्र है तथा इसका ताप अधिकतम (1500-1600°C) होता है इस खंड में कार्बन मोनोऑक्साइड(CO) तथा CO2 बनाती है। C+O2-CO2 गर्म CO2 गैस ऊपर की ओर जाती है तो वह रक्त तप्त कोक से क्रिया करके कार्बन मोनोऑक्साइड(CO) बदल जाती हैं गलन खंड (Fusion zone)- दहन खंड से ठीक ऊपर इस भाग का ताप(12000-1300°C) होता है जहां कार्बन तथा आयरन का मिश्रण पिघलने लगता है तथा गल कर अशुद्ध आयरन भट्टी के तली में जमा हो जाती है। धातु मल खंड (Slag zone)-इस भाग का ताप 800-1000°C होता है तथा इस खंड में कैल्शियम कार्बोनेट, CaO तथा CO2 में विघटित हो जाता है विघटन से प्राप्त CaO( गालक) अयस्क में उपस्थित SiO2 से अभिक्रिया करके धातुमल (CaSiO3) बनाता है। CaO+ SiO2-CaSiO3 अपचयन खंड(Reduction zone)- यह भट्टी के सबसे ऊपर का भाग है तथा इसका ताप 400-700°C होता है इस खंड में ऊपर की ओर आने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड आयरन आक्साइड के सम्पर्क में आती है तथा इसे अपचयित कर देती है इस प्रकार गलित धातु व धातु मल भट्टी के नीचे वाले भाग में एकत्रित हो जातें हैं गलित धातु व धातु मल को बाहर निकालने के लिए अलग-अलग छिदो की व्यवस्था होती है जिससे इन्हें बाहर निकाल देते हैं उदाहरण- Si,P,S,Mn etc. मेरे दोस्तों अब तक आपको हमने आयरन का निष्कर्षण के बारे में पूरी जानकारी दिया अब आयरन कितने प्रकार के होते हैं उसके बारे में पूरी जानकारी देंगे। आयरन कितने प्रकार के होते हैं ?(iron kitne prakar ke hote hain)मेरे भाई और बहनों अब हम आयरन का निष्कर्षण को पढ़ने के बाद अब आपको आयरन के प्रकारों के बारे में पूरी जानकारी देंगे पोस्ट पर बने रहें। उत्तर- आयरन तीन प्रकार का होता है. आपका दूसरा सवाल होता है कि आयरन के तीनो प्रकारो के नाम बताएं।
अब हम आपको आयरन के तीनों प्रकार के बारे में विस्तारपूर्वक बताएंगे। 1. ढलवां लोहा(Cast iron)इसमें लगभग 93-94%Fe,2-4%C तथा शेष Si,p,S तथा Mn की अशुद्धियां होती हैं कच्चे लोहे(Pig iorn) को कोक व चूना पत्थर के साथ क्यूपोला भट्टी गर्म करने पर हमें ढलवा लोहा प्राप्त हो जाता है ढलवा लोहा कठोर तथा भंगुर होता है उदाहरण- ढक्कन, फ्रेम ,मशीनरी व ड्रेन पाइप में ढाल दिया जाता है। अब आपको पता ही चल गया होगा कि ढलवा लोहा क्या है और ढलवां लोहा(Cast iron) किसे कहते हैं और इसके उदाहरणों को अब हम आगे आपको बताएंगे पिटवा लोहा के बारे में आपसे प्रार्थना है की पोस्ट पर बने। 2.पिटवां लोहा(Wrought iron)पिटवां लोहा(Wrought iron)अगर आपको पता नहीं है तो इसे ध्यान में रखिएगा की पिटवा लोहा सबसे शुद्ध लोहा है हम आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि इसमें 98.8% से 99.9% तक फेरस होता है। और और सभी अशुद्धियां होती हैं शायद आपको पता होगा कि पिटवा लोहे का निर्माण कैसे होता है? अगर नहीं पता है तो ध्यान से पढ़िए। पिटवा लोहा का निर्माण पडलिंग विधि(Puddling process) द्वारा किया जाता है। हम आपको बताना चाहते हैं कि इस विधि में ढलवा लोहे को परावर्तनी भट्टी , जिसके अंदर(FeO3) का स्तर लगा होता है। इसी में लोहे की गलन क्रिया होती है। ढलवा लोहे में उपस्थित अशुद्धियां हेमेटाइट द्वारा अपने आक्साइडो में आक्सीकृत हो जाती है कार्बन के ऑक्सीकरण से बनी कार्बन मोनोऑक्साइड नीली ज्वाला के साथ जलने लगती है। सिलिकॉन , फास्फोरस इत्यादि आप शिक्षित होकर धातु मल बनाते हैं।
पिटवा लोहा में जब फास्फोरस की अशुद्धि होती है तो इसे शीत भंगुर कहते हैं क्योंकि यह साधारण ताप पर भंगुर हो जाता है जब पिटवा लोहे में सल्फर की अशुद्धियां होती है तो यह उच्च ताप पर भंगुर हो जाता है जिससे इसे ताप भंगुर कहते हैं पिटवा लोहा बिल्डिंग में प्रयोग किया जाता है आप लोग अक्सर यह भी सवाल पूछते हैं कि पिटवा लोहा किस काम में आता है? उत्तर- पिटवा लोहा का प्रयोग लोहे की चेन, दरवाजे इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है। हम आशा करते हैं कि आपको पिटवा लोहे के बारे में जानकारी मिल गई होगी। 3.इस्पात(Steel)आपको इस्पात(Steel) के बारे में पता ही होगा लेकिन कुछ लोगों का सवाल रहता है कि इस्पात(Steel) क्या है इस्पात(Steel) किसे कहते हैं इस्पात कितने प्रकार का होता है इसलिए आज हम इसमें आपको इस्पात के बारे में बताएंगे उनके प्रकारों के बारे में बताएंगे चलिए बताते हैं।
आपने क्या सीखामेरे भाई और बहनों हमने आपको आयरन का निष्कर्षण में आयरन में सारी चीजों को बताने की कोशिश की है आयरन का सामान्य परिचय, आक्साइड खनिज, कार्बोनेट, खनिज, सल्फाइड खनिज, अयस्क का सांद्रण, सान्दित अयस्क का निस्तापन और भर्जन, प्रगलन, ढलवां लोहा, पिटवां लोहा और इस्पात हम आपको एक तरफ से जितनी चीजें आपको बताया है उसको एक तरफ से एक बार उसको आपको सारी हेडिंग आपके सामने ला दिया हैं अगर आपको इसमें से कुछ भी नहीं समझ में आया हो तो कमेंट बॉक्स में हेडिंग को लिख सकते हैं हम उस हेडिंग को आपको पर्सनली समझाने का प्रयास करुंगा। और आपका इस लेख से थोड़ा भी फायदा मिला है तो subscribe जरूर करना और शेयर कर देना।
साझा करना पिछला लेखधातु निष्कर्षण किसे कहते हैं और धातु निष्कर्षण किन-किन विधियों द्वारा किया जाता है? अगला लेखमनोविज्ञान की परिभाषा एवं विकास | साइकोलॉजी हिंदी नोट्स Psychology in Hindi शिवांश पांडे http://Surajupdate.com Hello दोस्त मेरा नाम Shivanshpandey मैं इस ब्लाग पर Health,New Business idias, Education and online related सभी प्रकार की जानकारी हिन्दी में लिखता हूं। thanks. आयरन कैसे बनता है?लोहा एक मूलभूत सामग्री है जिसका लौह अयस्क से निष्कर्षण किया जाता है। शुद्ध लोहे का गलनांक 1530 डिग्री सेंटीग्रेड है और इसका घनत्व 7.86 ग्राम/सीसी है। लोहा बनाना संबंधित परिवर्तक एजेंट (परिवर्तक) का उपयोग करके लौह अयस्क के परिवर्तन की प्रक्रिया है।
लोहे की उत्पत्ति कैसे हुई?माना जाता है कि लौहे के रूप में मनुष्य ने जिस धातु का उपयोग किया था वो पृथ्वी से उत्पन्न लौहा नहीं था दरअसल वो पृथ्वी से टकराने वाले उल्कापिंडों से प्राप्त लोहा था। उल्कापिंड संबंधी लोहे से काम करना तुलनात्मक रूप से आसान था, और लोगों ने इससे आदिम उपकरण बनाना सीखा।
आयरन क्या है समझाइए?आयरन (iron) हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण मिनरल है। यह शरीर के विकास के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। आयरन से हीमाग्लोबिन बनता है और यह लाल रक्त कोशिकाओं के कार्य को आसान बनाता है, जो फेफड़ों से पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है।
लोहा कहाँ पाया जाता है?भारत में लौह अयस्क के कुल वसूली योग्य भंडार लगभग हैमेटाईट के 9602 मिलियन टन और मैग्नेटाईट के 3408 मिलियन टन हैं। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, राजस्थान और तमिलनाडु लौह अयस्क के मुख्य भारतीय उत्पादक हैं।
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