अट नहीं रही है कविता में क्या नहीं आ रही है? - at nahin rahee hai kavita mein kya nahin aa rahee hai?

CBSE बोर्ड परीक्षा में 2010 से 2020 तक ‘पाठ- अट नहीं रही है-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ से पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर-


2010

प्रश्न-1 प्रश्न- इस वर्ष ‘अट नहीं रही है’ कविता से कोई प्रश्न नहीं पूछा गया था।


2011

प्रश्न-2. ‘अट नहीं रही है’ कविता में क्या संदेश दिया गया है?

उत्तर- ‘अट नहीं रही है’ कविता में निम्न संदेश दिए गए हैं-

(i) हमें हमेशा प्रसन्न और आनंद में रहना चाहिए।

(ii) लाल पत्तों की तरह कोमल और आवश्यकता पड़ने पर हरे पत्तों सा कठोर भी बनना आना चाहिए।

(iii) पूरे वातावरण को फूलों की सुगंध जैसा महकाते रहना चाहिए।

(iv) पक्षियों की भांति सुख-दुःख में एक होकर रहना चाहिए।

नोट- कोई भी दो बिंदु लिखना पर्याप्त है।


2012

प्रश्न-3. ‘फागुन में ऐसा क्या है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न है ? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर- इस माह में न अधिक गरमी होती है और न ही अधिक सर्दी। पेड़-पौधे पत्ते और रंग-बिरंगे फल-फूलों से भर जाते हैं। मंद-मंद सुगंधित पवन बहती है। पूरा वातावरण हर्ष, उल्लास, उत्साह और आनंद से भरा रहता है। कुल मिलाकर इस माह में चारो ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। यह अनोखा सौंदर्य बाकी ऋतुओं में नहीं दिखाई देता है।

प्रश्न-4. फागुन मास की प्राकृतिक शोभा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर- फागुन मास की प्रकृतिक शोभा का वर्णन इस प्रकार है-

(i) इस महीने में पेड़-पौधे लाल-हरे पत्तों और फल-फूलों भरे रहते हैं।  

(ii) वातावरण फूलों की सुगंध से महकता रहता है।

(iii) पक्षी उत्साहित होकर आकाश में आनंद करते दिखाई देते हैं।

(iv) फूलों पर भौरे और मधुमखियाँ रसपान करती नजर आती हैं।

(vi) सभी ओर हरियाली ही हरियाली होती है।

नोट- कोई भी दो बिंदु लिखना पर्याप्त है।


2013

प्रश्न-5. इस वर्ष ‘अट नहीं रही है’ कविता से कोई प्रश्न नहीं पूछा गया था।


2014

प्रश्न-6. ‘अट नहीं रही है’ कविता में चारो ओर छाई सुंदरता को देखकर कवि क्या करना चाहता है?

उत्तर- ‘अट नहीं रही है’ कविता में चारो ओर छाई सुंदरता को देखकर कवि का मन झूम उठता है। फागुन के महीने में पेड़-पौधों में नई पत्तियाँ निकल आती हैं। रंग-बिरंगे फूलों से डालियाँ सज जाती हैं। फूलों की सुगंध के कारण वातावरण में उल्लास है। कवि इस सौंदर्य का आनंद ले रह है। वह जिधर देखता है तो नजर ही नहीं हटती है। इस सौंदर्य से उसका मन भर ही नहीं रहा है।


2015

प्रश्न-7. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है ?

उत्तर- कवि की आँख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि चारो ओर हरियाली ही हरियाली है। पेड़-पौधे लाल-हरे पत्तों और तरह-तरह के रंग-बिरंगे फल-फूलों से लदे हुए हैं। फूलों की सुगंध धीमें-धीमें हवा में घुल रही है। पूरा वातावरण सुगंध और उत्साहित से भरा है। पक्षी खुश होकर आसमान में उड़ने लगते हैं। फागुन के इस सौंदर्य को कवि देखता है तो उसकी आँख हटती ही नहीं है।


2016

प्रश्न-8. “कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो” पंक्ति में किसकी विशिष्टता व्यंजित हुई है। बताइए कि वह कौन-सी खूबी है जिससे घर-घर भर जाता है? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर- “कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो” पंक्ति में फूलों की विशिष्टता व्यंजित हुई है। फागुन के महीने में चारो ओर रंग-बिरंगे फूल खिले रहते हैं। उनकी मंद-मंद सुगंध से घर भर जाता है।

प्रशन-9. फागुन की आभा कैसी है और ‘अट नहीं रही है’ कविता में उसकी स्थिति कैसी वर्णित है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- फागुन की आभा प्रकृति के कण-कण में समाई है। उसके दर्शन पेड़-पौधों की लताओं और फल-फूलों की सुंदरता आदि में होते हैं। चारो तरफ फूलों की सुगंध फैली हुई है। कवि ने कविता में स्पष्ट किया है कि प्रकृति में सौंदर्य जगह-जगह बिखरा हुआ है। यह सौंदर्य समा नहीं रहा है।

प्रश्न-10. ‘अट नहीं है’ कविता में किस ऋतु का वर्णन है और ऐसी कौन-सी  चीज है, जो अट नहीं रही है?

उत्तर- ‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन के महीने का वर्णन है। इस मास में ही होली आती है। इसकी सुंदरता सभी जगह दिखाई दे रही है। यह शोभा इतनी अधिक है कि प्रकृति, घर और तन-मन में समा नहीं रही है। इस मास की आभा से पूरा संसार जगमगा रहा है।


2017

प्रश्न-11. इस वर्ष ‘अट नहीं रही है’ से कोई प्रश्न नहीं आया था।


2018

प्रश्न-12. ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए।

उत्तर- वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन इस प्रकार है-

(i) चारो ओर हरियाली बिखरी रहती है।

(ii) पेड़-पौधे में नए पत्ते और फल-फूल आ जाते हैं।

(iii) फूलों की खुशबू से पूरा वातावरण सुगंधित हो जाता है।

(iv) वसंत में उत्साहित होकर पक्षी आसमान में उड़ते लगते हैं।

(v) इस ऋतु में सभी लोग प्रसन्न दिखाई देते हैं।

(vi) इस मास में न अधिक गरमी होती है और न ही अधिक सरदी।

नोट- कोई भी दो बिंदु लिखना पर्याप्त है।


2019

प्रश्न-13. इस वर्ष ‘अट नहीं रही है’ से कोई प्रश्न नहीं आया था।

 


2020

प्रश्न-14. ‘अट नहीं रही है’ कविता में ‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ के आलोक में बताइए फागुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है?

उत्तर- फागुन लोगों के मन को निम्न तरह से प्रभावित करता है-

(i) फागुन के महीने में प्रकृति का सौंदर्य चरम सीमा(उच्च स्तर) पर रहता है।

(ii) हरे-भरे पेड़-पौधों और रंग-बिरंगे फूलों को देखकर लोग झूम उठते हैं।

(iii) खुशनुमा वातावरण से मानव मन पक्षियों की तरह उड़ने लगता है।

प्रश्न-15. प्रकृति की शोभा-श्री फागुन में कैसे अपना रंग-रूप बदलती है? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर लिखिए।

अट नहीं रही है कविता में क्या नहीं अट रही है?

पट नहीं रही है। प्रसंग- अट नहीं रही है कविता में कवि ने फागुन की मादकता को प्रकट करते हुए फागुन की सर्वव्यापक सुंदरता का सजीव चित्रण किया है। अट नहीं रही है का भावार्थ (सार)- अट नहीं रही है कविता में कवि कहता है कि फागुन के महीने की कांति कहीं भी समा नहीं रही है।

अट नहीं रही है कविता में कौन से महीने का वर्णन किया गया है?

'अट नहीं रही है' कविता में फागुन महीने के सौंदर्य का वर्णन है। इस महीने में प्राकृतिक सौंदर्य कहीं भी नहीं समा रहा है और धरती पर बाहर बिखर गया है।

अट नहीं रही हैं कविता का उद्देश्य क्या है?

उत्तर 'अट नहीं रही है' कविता में कवि फागुन मास की मादकता एवं सौंदर्य का वर्णन करते हुए प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहता है कि सब जगह सुंदरता फैली पड़ी है, बिखरी हुई है। रंग-बिरंगे फूल-पत्ते इस तरह छा गए हैं कि मानो वे फागुन के तन में समा नहीं पा रहे हैं। फागुन का सौंदर्य बाहर प्रकट हो रहा है।

अट नहीं रही है कविता में कवि ने किसकी व्यापकता का वर्णन किया है?

Solution : अट नहीं रही है. कविता फागुन मास की मस्ती और शोभा का वर्णन करती है। इसमें कवि ने कहा है कि फागुन की शोभा अपने में समा नहीं पा रही है। इसलिए वह बाहर छलक-झलक पड़ती है।