बच्चों में विटामिन डी की पूर्ति कैसे करें? - bachchon mein vitaamin dee kee poorti kaise karen?

बच्चों में विटामिन डी की पूर्ति कैसे करें? - bachchon mein vitaamin dee kee poorti kaise karen?

बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उनमें सभी तरह के पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा का होना जरूरी है। अगर उनके शरीर में कोई भी पोषक तत्व कम हो जाए, तो उनके स्वास्थ्य और विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। पोषक तत्वों में सबसे आम विटामिन-डी की कमी है। इस कमी के बारे में पता चलते ही इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। अब आप सोच रहे होंगे कि बच्चों में विटामिन-डी की कमी का पता कैसे चलेगा। इसका जवाब आपको मॉमजंक्शन के इस लेख में मिलेगा। यहां विटामिन-डी की कमी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बताया गया है।

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लेख के शुरुआती भाग में हम शिशुओं व बच्चों में विटामिन-डी की कमी क्या होती है, यह बता रहे हैं।

जब किसी शिशु या बच्चे को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी नहीं मिलता, तो उसके शरीर में विटामिन-डी का स्तर कम होने लगता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, विटामिन-डी के स्तर को सीरम 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन-डी व कैल्सीडियोल कहा जाता है। इस शोध के अनुसार, अगर बच्चों के रक्त में विटामिन-डी का स्तर 20 नैनोग्राम प्रति मिली लीटर यानी 50 नैनोमोल प्रति लीटर से कम होता है, तो इसे शरीर में विटामिन-डी की कमी माना जाता है (1)।

वहीं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) के अनुसार, रक्त में जब विटामिन-डी की मात्रा 30 नैनोमोल प्रति लीटर से कम होती है, तो उसे विटामिन-डी डेफिशिएंसी कहा जाता है (2)। इस कमी के कारण बच्चों की हड्डियां का कमजोर होना व दौरे पड़ने जैसी कई समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।

आगे हम बता रहे हैं कि शिशुओं व बच्चों के लिए विटामिन डी क्यों महत्वपूर्ण होता है।

शिशुओं व बच्चों के लिए विटामिन-डी महत्वपूर्ण क्यों है? | Baccho Me Vitamin D Ki Kami Se Hone Wale Rog

विटामिन-डी एक पोषक तत्व है, जो शरीर को खाद्य पदार्थों से मिलने वाले कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद कर सकता है। ये दोनों पोषक तत्व कैल्शियम व विटामिन-डी मिलकर हड्डियों का निर्माण करने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, विटामिन-डी हृदय स्वास्थ्य, संक्रमण से लड़ने और चोट या सर्जरी के बाद हड्डियों को ठीक करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है (3)।

बच्चों में विटामिन-डी की कमी से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, बच्चों में विटामिन-डी के कारण रिकेट्स (हड्डियों का नाजुक और झुका हुआ होना) की समस्या हो सकती है (4)। इसी वजह से विटामिन-डी को शिशुओं व बच्चों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

अब आगे हम शिशुओं व बच्चों में विटामिन-डी की कमी के लक्षण के बारे में बताएंगे।

शिशुओं व बच्चों में विटामिन-डी की कमी के लक्षण

विटामिन-डी की कमी के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके कुछ आम लक्षण के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1) (5) (6):

  1. कलाई पर सूजन।
  2. मांसपेशियों में कमजोरी।
  3. शरीर का सही से विकास न होना।
  4. जल्दी थक जाना।
  5. चिड़चिड़ापन।
  6. दौरे पड़ना।
  7. निचले अंग और पीठ में दर्द।
  8. पैरों का झुकना (Bow Legs)
  9. हड्डियों के घनत्व में कमी।
  10. हड्डियों में दर्द का अनुभव।
  11. पेट निकलना।
  12. बार-बार निमोनिया होना।

अब विटामिन-डी की कमी के कारण पर एक नजर डाल लेते हैं।

विटामिन-डी की कमी के कारण

शरीर में विटामिन-डी की कमी होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से ये शामिल हैं (4):

  • खाद्य पदार्थ में पर्याप्त विटामिन-डी का न होना।
  • भोजन से पर्याप्त विटामिन-डी को अवशोषित न कर पाने (मालएब्जॉर्प्शन) की समस्या।
  • सूर्य के प्रकाश के संपर्क में कम आना या न आना।
  • लिवर और किडनी का विटामिन-डी को उसके सक्रिय रूप में परिवर्तित न पाना।
  • कुछ दवाओं का विटामिन-डी को परिवर्तित व अवशोषित करने की क्षमता को रोकना।

विटामिन-डी की कमी के कारण के बाद इसके उपचार के बारे में जान लेते हैं।

विटामिन-डी की कमी के लिए उपचार

विटामिन-डी की कमी का उपचार पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी लेना ही है। विटामिन-डी के मुख्य स्रोत की मदद से इस कमी को पूरा किया जा सकता है, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (3) (4)।

  • सूरज की रोशनी : धूप में बैठने से शरीर को विटामिन-डी मिलता है। आजकल बच्चे अधिकांश समय स्कूल में या फिर घर के अंदर ही बिताते हैं, जिस कारण उन्हें धूप से विटामिन-डी नहीं मिल पाता है। इसी वजह से सुबह धूप सेंकने से विटामिन-डी के स्तर में सुधार हो सकता है।
  • आहार द्वारा : खाद्य पदार्थों के माध्यम से भी विटामिन-डी की कमी को पूरा किया जा सकता है। वैसे, तो बहुत कम खाद्य पदार्थों में विटामिन-डी होता है, जिसमें मछली व मछली का तेल, मशरूम, चीज़, फॉर्टिफाइड (पोषक तत्वों को अलग से जोड़ना) दूध, दही, जूस और अनाज शामिल हैं।
  • सप्लीमेंट्स : विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए बच्चों को विटामिन-डी का सप्लीमेंट्स दिए जा सकते हैं। बच्चों के लिए विटामिन-डी की गोलियां, च्यूगम और सिरप खरीद सकते हैं। इसे आमतौर पर विटामिन-डी3 कहा जाता है। बस इसे बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को न दें।

आगे हम शिशुओं व बच्चों में विटामिन-डी की कमी को रोकने के तरीके के बारे में बता रहे हैं।

शिशुओं व बच्चों में विटामिन-डी की कमी को कैसे रोकें?

बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी देकर ही इसकी कमी को रोका जा सकता है। इसके लिए आप नीचे दिए गए उपायों को अपना सकते हैं (4) (7)।

  • बच्चों को कुछ देर सूरज की रोशनी में बैठने या खेलने के लिए कहें। ध्यान रहे कि सुबह के समय सूरज की रोशनी कम होती है और उसी दौरान धूप में बैठना सही होता है। इसके बाद फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
  • विटामिन-डी युक्त आहार, जैसे – अंडा, चीज़ व मशरूम बच्चों को खिलाएं।
  • समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराएं, ताकि पता चल सके कि उसमें पोषक तत्व की कमी है या नहीं।
  • छोटे बच्चों को नहलाने से पहले सूरज की रोशनी में तेल से मालिश करना।

चलिए, अब जानते हैं कि शिशुओं व बच्चों के लिए विटामिन-डी की कितनी खुराक दी जानी चाहिए।

शिशुओं व बच्चों के लिए विटामिन-डी की खुराक/दवाई

शिशुओं व बच्चों के लिए विटामिन-डी की खुराक को अलग-अलग उम्र के आधार पर तय किया जाता है। यह खुराक कुछ इस प्रकार है (8):

  • 0 से 12 महीने के शिशुओं के लिए 400 IU (10 माइक्रोग्राम (एमसीजी) प्रतिदिन)।
  • 1 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए  600 IU (15 mcg /प्रतिदिन)।
  • 9 वर्ष से ऊपर की आयु वालों के लिए भी 600 IU (15 mcg /प्रतिदिन)।

बच्चों के लिए विटामिन-डी की अधिकतम सुरक्षित मात्रा के बारे में नीचे पढ़ें। विटामिन-डी का इससे अधिक सेवन करने से बच्चे में विटामिन-डी की विषाक्तता भी हो सकती है।

  • शिशुओं को अधिकतम 1 हजार से 1,500 IU प्रतिदिन (25 से 38 एमसीजी) लेना चाहिए।
  • 1 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए विटामिन-डी की अधिकतम सीमा 2,500 से 3,000 IU प्रतिदिन है।
  • 9 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए 4,000 IU प्रतिदिन विटामिन-डी की अधिकतम सीमा है।

आगे विटामिन-डी युक्त सर्वश्रेष्ठ खाद्य पदार्थ के बारे में जानें।

विटामिन-डी युक्त सर्वश्रेष्ठ खाद्य पदार्थ

खाद्य पदार्थों में विटामिन-डी2 और विटामिन-डी3 दोनों होते हैं, जो बच्चों में विटामिन-डी की पूर्ति में मददगार साबित हो सकते हैं। क्या हैं विटामिन-डी युक्त खाद्य सामग्रियां नीचे पढ़ें (1) (4) (9)।

6 महीने से अधिक आयु के शिशुओं के लिए

  • फॉर्टिफाइड मिल्क
  • फॉर्टिफाइड संतरे का रस
  • फॉर्टिफाइड सोया मिल्क
  • फॉर्टिफाइड चावल का दूध
  • चीज़
  • फॉर्टिफाइड सिरियल
  • फॉर्टिफाइड इंफेन्ट फॉर्मूला

एक वर्ष से अधिक उम्र वाले बच्चों के लिए

  • सैल्मन व मैकेरल मछली
  • अंडे की जर्दी यानी पीला भाग
  • गाय का दूध
  • दही
  • अनाज
  • फलों के रस
  • मशरूम

अब हम बच्चों को दिए जाने वाले विटामिन-डी के प्रकार के बारे में बताने जा रहे हैं।

विटामिन-डी के कौन से प्रकार बच्चों को देने चाहिए?

विटामिन-डी दो प्रकार के होते हैं। एक विटामिन-डी2 (एर्गो-कैल्सिफेरोल) और दूसरा विटामिन-डी3 (कॉलेकैल्सिफेरॉल)। इन दोनों में से बच्चे को कौन से प्रकार के विटामिन-डी का सेवन करने चाहिए, इसकी सटीक सलाह डॉक्टर बच्चे की स्थिति को ध्यान में रखकर देते हैं। वैसे, ये दोनों ही विटामिन-डी को खाद्य पदार्थ के माध्यम से लिया जा सकता है। इसके अलावा, विटामिन-डी2 व 3 के कैप्सूल, टेबलेट, पाउडर और च्यूगम भी बाजार में उपलब्ध हैं (1)।

लेख के अगले भाग में हम बच्चे को अधिक विटामिन-डी देने से होने वाले जोखिम के बारे में बताएंगे।

अधिक विटामिन-डी के क्या जोखिम हैं?

बच्चों को अधिक मात्रा में विटामिन-डी देने से विटामिन-डी टॉक्सिसिटी हो सकती है। ज्यादा विटामिन-डी शरीर में पहुंचने से यह आंत में अधिक कैल्शियम अवशोषित करता है। इससे रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ने लगता है। इसके कारण होने वाली समस्याएं कुछ इस प्रकार हैं (8):

  • हृदय और फेफड़ों के टिश्यू में कैल्शियम का जमा होना।
  • इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • किडनी डैमेज व किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है।
  • मतली, उल्टी, कब्ज, भूख में कमी, कमजोरी और वजन का घटना।

बच्चे में विटामिन-डी की कमी से अब घबराने की जरूरत नहीं है। आप लेख में ऊपर बताए गए तरीकों से बच्चों में इस पोषक तत्व की कमी को दूर कर सकते हैं। बस जरूरी है थोड़ी सी जागरूकता की, जिसमें आपकी सहायता यह लेख करेगा। यहां आप विटमिन-डी की कमी के लक्षण से जुड़ी जानकारी हासिल करके यह अनुमान भी लगा सकते हैं कि बच्चे में विटामिन-डी की कमी है या नहीं। इसके अलावा, विटामिन-डी की कमी से बचाव के लिए आर्टिकल में बताए गए खाद्य पदार्थों को बच्चे के आहार में शामिल भी कर सकते हैं। बस किसी तरह का सप्लीमेंट यानी विटामिन-डी की दवा देने से पहले डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर लें।

संदर्भ (Reference):

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    बच्चों में विटामिन डी की कमी को कैसे दूर करें?

    -बच्चों को कम से आधे घंटे सुबह की धूप जरूर दिखाएं. -बच्चों को हर रोज एक ग्लास गाय का दूध पिलाएं. -बच्चे का आहार विटामिन डी से भरपूर होना चाहिए. -विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी सप्लीमेंट दे सकते हैं.

    बच्चों में विटामिन डी की कमी का क्या लक्षण है?

    - शिशुओं में विटामिन डी की कमी के लक्षण- शिशुओं में विटामिन डी की भारी कमी होने पर ऐंठन, दौरे पड़ना, और सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है. - बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण- विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स रोग हो सकता है. जिस कारण हड्डियां काफी सॉफ्ट और कमजोर हो जाती हैं.

    विटामिन डी के लिए बच्चे को क्या खिलाएं?

    अंडे के पीले हिस्से में विटामिन डी होता है. बच्चे को रोज कम से कम एक अंडा जरूर खिलाएं. 2 गाय का दूध- दूध बच्चों के लिए संपूर्ण आहार माना जाता है. ऐसे में बच्चे को दूध जरूर पिलाएं.

    बच्चे में विटामिन डी की कमी से कौन सा रोग होता है?

    विटामिन डी की कमी का प्रभाव नवजात शिशुओं और बच्चों में, विटामिन डी के लगातार कम स्तर से रिकेट्स (सूखा रोग) हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मुलायम हड्डियां, विकृत हड्डियां, हड्डियों का टूटना, खराब वृद्धि, और रक्त में कैल्सियम का स्तर कम होता है जिससे ऐंठन हो सकती है।