भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा था? - bhagavaan shree krshn ne arjun se kya kaha tha?

हाइलाइट्स

श्रीकृष्ण कहते हैं मृत्यु से भयभीत रहने वाला व्यक्ति जीवन नहीं जी पाता.
भूत और भविष्य की चिंता करना व्यर्थ है, वर्तमान ही सत्य है.
कर्म ही पूजा है. कर्म ही भक्ति है, इसलिए कर्म को पूरे मन से करना चाहिए.

Mahabharata: महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुछ उपदेश दिए, जिसके बाद अर्जुन ने युद्ध शुरू की और कौरवों को पराजित कर दिया. महाभारत के युद्ध को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है. महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, उसे जीवन का असली सूत्र माना गया है. गीता में इन्हीं उपदेशों के माध्यम से व्यक्ति जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति का भी हल ढूंढ़ लेता है. श्रीकृष्ण ने ‘समय सबसे बलवान है’, ‘कर्म ही पूजा है’  जैसे कई उपदेश दिए, जिसका विवरण गीता में मिलता है. महाभारत के दौरान अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा दिए इन उपदेशों को जीवन का असली सूत्र कहा गया है. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए उपदेश के बारे में, जो जीवन का मूल मंत्र हैं.

कर्म ही पूजा है
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि” अर्थात् कर्म ही पूजा है. कर्म ही भक्ति है, इसलिए कर्म को पूरे मन से करना चाहिए. कृष्ण ने अर्जुन को कर्म योगी बनने के उपदेश दिए. उन्होंने अर्जुन से कहा-जो भी कर्म करो, यह सोचकर करो कि वह परमात्मा को समर्पित होता है.

मृत्यु से भय व्यर्थ है
मृत्यु का भय हर व्यक्ति को होता है. भगवान कृष्ण कहते हैं- संसार के निर्माण के बाद से ही जन्म और मृत्यु का चक्र चलता आ रहा है और यह प्रकृति का नियम है. ‘जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु अवश्य होती है और मृत्यु के बाद जन्म अवश्य होता है, इसलिए मृत्यु से भयमुक्त होकर वर्तमान में जीना चाहिए.’

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समय बड़ा बलवान है 
महाभारत के दौरान अर्जुन विचलित थे और उनसे शस्त्र भी नहीं उठ रहे थे. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा- समय बड़ा बलवान है. यदि तुम सोचते हो कि तुम शस्त्र नहीं उठाओगे तो इन पापियों का संहार नहीं होगा. अरे अर्जुन! तुम तो एक निमित्त हो, इनका संहार लिखा है और वह जरूर होगा.

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा- ‘भूत और भविष्य की चिंता करना व्यर्थ है, वर्तमान ही सत्य है.’ जब असमंजस की स्थिति में रहो और कुछ समझ ना आए तो सब परमात्मा पर छोड़ दो और बस अपना कर्म करो. परिस्थितियां कितनी भी बुरी क्यों न हों, यही सोचो कि समय सबसे बड़ा बलवान है. अच्छा हो या बुरा, बीत जाएगा.

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Tags: Dharma Aastha, Lord krishna, Mahabharata, Religious

FIRST PUBLISHED : September 07, 2022, 10:00 IST

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा था? - bhagavaan shree krshn ne arjun se kya kaha tha?

श्रीकृष्ण 

मुख्य बातें

  • महाभारत में कृष्ण ने अर्जुन को दिए उपदेश

  • भगवत गीता में वर्णित है जीवन के मूलमंत्र

  • कृष्ण ने अर्जुन को बताए जीवन के गूढ़ रहस्य

Shri Krishna life mantra in Mahabharata: महाभारत की लड़ाई को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा जाता है। वहीं महाभारत के दौरान भगवान कृष्ण के द्वारा अर्जुन को बताए जीवन के गूढ़ रहस्य के लिए भी जाना जाता है, जिसे दुनिया गीता उपदेश के नाम से जानती है। श्री कृष्ण ने 'समय सबसे बलवान है' और 'कर्म ही पूजा है..' जैसे कई उपदेश दिए हैं। कृष्ण के इन उपदेशों को जीवन का मूल मंत्र कहा जाता है, जिससे व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थियों का भी अपनी निर्णय शक्ति से सामना कर लेता है। जानते हैं महाभारत में भगवान कृष्ण द्वारा बताए गए जीवन के असली मंत्र के बारे में.. 

समय बड़ा बलवान है, अच्छा हो या बुरा बीत जाएगा
महाभारत के दौरान जब अर्जुन विचलित थे उनकी हाथों से शस्त्र नहीं उठ रहे थे। तब भगवान कृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन को पथ प्रदर्शित करते हुए कहा था कि समय बड़ा बलवान है। तुम सोचते हो कि तुम शस्त्र नहीं उठाओगे तो इन पापियों का संहार नहीं होगा! अरे अर्जुन! तुम तो एक निमित्त हो इनका संहार लिखा है और जरूर होगा। श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि जब कुछ समझ ना आए तो सब परमात्मा के हवाले कर कर्म करो और परिस्थितियां कितनी भी बुरी हो यह सोच कर चलो कि एक दिन बीत ही जाएगा।

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कर्म ही पूजा है, मन से करो

जब भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन के असली रहस्य के बारे में बता रहे थे तब उन्होंने कर्म के बारे में कहा " कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि " अर्थात कर्म ही पूजा है कर्म ही भक्ति है कर्म को पूरे मन से करना चाहिए और यह सोच कर करना चाहिए मैं जो कह रहा हूं वह परमात्मा को समर्पित है। गीता उपदेश में अनुसार, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म योगी बनने की सलाह दी थी।

‘अपने इष्ट, अपने भगवान पर विश्वास रखो’

भगवान कृष्ण ने भक्ति योग की बात कही थी। उन्होंने भक्ति को एक शाश्वत चलने वाली प्रक्रिया बताया है। भक्ति योग में श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने इष्ट पर भरोसा रखते हुए कर्म करने की सलाह दी थी। भक्ति योग में विश्वास को सर्वोपरि रखा गया है। इसलिए भगवान पर विश्वास रखकर जीवन के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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श्री कृष्ण ने अर्जुन को क्या कहा था?

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा- 'भूत और भविष्य की चिंता करना व्यर्थ है, वर्तमान ही सत्य है. ' जब असमंजस की स्थिति में रहो और कुछ समझ ना आए तो सब परमात्मा पर छोड़ दो और बस अपना कर्म करो. परिस्थितियां कितनी भी बुरी क्यों न हों, यही सोचो कि समय सबसे बड़ा बलवान है. अच्छा हो या बुरा, बीत जाएगा.

श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन से क्या कहा?

कहां है 5000 साल पुराना अक्षय वट... कहते हैं कि ज्योतिसर वही जगह है जहां पर महाभारत के युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। उन्होंने अर्जुन को गीता के 18 अध्याय सुनाने के बाद युद्ध के लिए तैयार किया था।

कृष्ण भगवान ने क्या कहा था?

तब श्रीकृष्ण ने कहा- 'कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा, न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा। किंतु हरि नाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा। श्रीमन नारायण, नारायण हरि हरि।

भगवान कृष्ण ने गीता में क्या कहा है?

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ ये भी गीता के दूसरे अध्याय का श्लोक है . इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि सिर्फ कर्म पर तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है.