भक्ति काल को स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है PDF? - bhakti kaal ko svarn yug kyon kaha jaata hai pdf?

भक्ति काल में स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?

ग्रंथों में भक्ति संबंधित रचनाओं के साथ-साथ काव्य के आवश्यक अंग रस, छन्द, अलंकार, बीम्ब, प्रतीक दोहा, सोरठा, योजना रुपक भाव का सुन्दर चित्रण हुआ है। इस प्रकार भक्ति काल का महत्व साहित्य और भक्ति भावना दोनों ही दृष्टियों से बहुत अधिक है। इसी कारण भक्ति काल को स्वर्ण युग कहा जाता है।

भक्ति काल को स्वर्ण काल कहा जाता है कैसे?

इसकी समयावधि 1375 वि. सं से 1700 वि. सं तक की मानी जाती है। यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है जिसको जॉर्ज ग्रियर्सन ने स्वर्णकाल, श्यामसुन्दर दास ने स्वर्णयुग, आचार्य राम चंद्र शुक्ल ने भक्ति काल एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लोक जागरण कहा

हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग किस काल को कहा जाता है और क्यों कहा जाता है?

हिन्दी साहित्य का भक्तिकाल 'स्वर्ण युग' के नाम से जाना जाता है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में भक्ति काल महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी समयावधि 1375 वि. सं से 1700 वि.

स्वर्ण युग कौन सा काल है?

उत्तर : गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग माना जाता है। इसे भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार, धार्मिक सहिष्णुता, आर्थिक समृद्धि तथा शासन व्यवस्था की स्थापना काल के रूप में जाना जाता है।