तात्पर्य:भूमि सुधार से तात्पर्य है भूमि स्वामित्व का उचित व न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करना। अर्थात् भूमि के स्वमित्तव को इस प्रकार व्यवस्थित करना जिससे उसका अधिकतम उपयोग किया जा सके। ब्रिटिश शासन का प्रमुख उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना था अतः उन्होंने कई भू-राजस्व प्रणालियों की शुरुआत की जैसे- जमींदारी व्यवस्था, रैय्यतबाड़ी व्यवस्था एवं महालवाड़ी व्यवस्था। Show
इन सभी व्यवस्थाओं का मूल उद्देश्य अधिकतम राजस्व की वसूली करना था। इनके कारण भू- स्वामित्त्व का असंतुलित वितरण देखने को मिला इस असंतुलन को दूर करने के लिये एवं शोषणकारी आर्थिक संबंधों को समाप्त करने के लिये भूमि सुधार की आवश्यकता देखने को मिली। स्वतंत्रता पूर्व भारत में भू- राजस्व व्यवस्था:इज़ारेदारी व्यवस्था-
स्थायी बंदोबस्त या ज़मींदारी व्यवस्था-
रैयतवाड़ी व्यवस्था-
महालवाड़ी व्यवस्था-
भूमि सुधार के उद्देश्य:
संस्थागत सुधार-
तकनीकी सुधार-
भूमि सुधार से क्या अभिप्राय है इस दिशा में भारत सरकार द्वारा क्या प्रयास किए गए है?भूमि सुधार (Land reform) के अन्तर्गत भूमि से संबन्धित कानूनों तथा प्रथाओं में परिवर्तन आते हैं। यह सरकार द्वारा आरम्भ की जाती है या सरकार के समर्थन से चलायी जाती है जिसमें मुख्यतः कृषि भूमिं के पुनर्वितरण पर बल दिया जाता है। भारतीय कृषि में सुधार लाने हेतु भूमि सुधार नीति को अपनाया गया है।
भूमि सुधार से आप क्या समझते हैं व्याख्या कीजिए?व्यापक अर्थ में कृषि-प्रणाली व क्रियाओं के सम्बन्ध में किए गए ऐसे किसी उपाय को जिससे कार्यक्षमता बढ़ती है, भूमि-सुधार कहा जाता है। भूमि सुधार के अन्तर्गत मध्यस्थों की समाप्ति अथवा काश्तकारी नियम में सुधार के अतिरिक्त जोतों की अधिकतम सीमा का निर्धारण, जोतों की चकबन्दी, सहकारी खेती आदि की व्यवस्था की जाती है।
भूमि सुधार क्या है Drishti IAS?भूमि सुधार मानव और भूमि के बीच के संबंध का योजनाबद्ध और संस्थागत पुनर्गठन है जिसका अभिप्राय भूमि के पुनर्वितरण से है। इसके अंतर्गत भूमि का स्वामित्व, संचालन, पट्टा, बिक्री और उत्तराधिकार विनियमन शामिल है। मध्यस्थों का उन्मूलन: स्वतंत्रता-पूर्व की भूमि राजस्व प्रणाली के भू-कर संग्राहकों (यथा-ज़मींदार) को हटाने के लिये।
भारतीय अर्थव्यवस्था में भूमि सुधार के क्या उपाय अपनाए गए थे?सरकार योजनाओं में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त लिए इन प्रमुख उपायों पर जोर देती है: (i) बिचौलियों का उन्मूलन, (ii) लगान के नियमन, काश्तकारों की सुरक्षा एवं उन्हें भूमिधर बनाने के उद्देश्यों से काश्तकारी में सुधार की व्यवस्था, कृषि-भूमि पर सीमाबंदी तथा बेशी भूमि का वितरण (iv) जोती की चकबंदी, (v) कृषि-भूमि सम्बंधी ...
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