भारत के पूर्वी तट पर अधिक चक्रवात क्यों आते हैं? - bhaarat ke poorvee tat par adhik chakravaat kyon aate hain?

यूपीएससी आईएएस और यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन अभ्यास कार्यक्रम (Answer Writing Practice for UPSC IAS & UPPSC/UPPCS Mains Exam)


मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम:

  • प्रश्नपत्र-2: सामान्य अध्ययन-1: (भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल तथा समाज)

Show

प्रश्न - उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति किस प्रकार होती है? भारत के पश्चिमी तट की तुलना में पूर्वी तट उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के प्रति अधिक सुभेद्य है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द)

मॉडल उत्तर:

  • चर्चा में क्यों है?
  • उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात का परिचय।
  • उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पति।
  • परिचमी तट की तुलना में पूर्वी तट उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के प्रति अधिक सुभेद्य होने के कारण।
  • निष्कर्ष

चर्चा में क्यों हैं?

हाल ही में देश को दो बड़े उष्णकटिबन्धीय चक्रवातों का सामना करना पड़ा है। देश का पूर्वी तट जहाँ ‘‘बुलबुल’’ चक्रवात से प्रभावित था वहीं पश्चिमी तट को भी ‘‘महा’’ चक्रवात का सामना करना पड़ा है।

उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात का परिचय

उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात आक्रामक तूफान हैं, जिनकी उत्पत्ति उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर होती है। जिसके बाद ये तटीय क्षेत्रों की ओर गतिमान होते हैं। ये चक्रवात आक्रामक पवनों के कारण वृहद स्तर पर विनाश, अत्याधिक वर्षा और तूफान लाते हैं ये चक्रवात विध्वंसक प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं। हिंद महासागर में इनको चक्रवात, अटलांटिक महासागर में हरीकेन, पश्चिमी प्रशांत और दक्षिणी चीन सागर में टाइफून और पश्चिमी आस्ट्रेलिया में विली-विली कहा जाता है।

उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति

  • उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति निम्नलिखित प्रकार से होती है।
  • सर्वप्रथम उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति तथा विकास उष्ण कटिबन्धीय महासागरों की सतह पर होता है।
  • सामान्यतः इन महासागरों की उत्पत्ति ऐसे महासागरों की सतह पर होती है जिनका तापमान 27°C से अधिक हो।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए कोरियालिस बल की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण कारक है। कोरियालिस बल की अनुपस्थिति के कारण ही इनकी उत्पत्ति 5° उत्तरी अक्षांश से 5° दक्षिणी अक्षांश के क्षेत्रों के मध्य नहीं होती है।
  • उर्ध्वाधर पवनों गति में अंतर कम होना भी चक्रवातों की उत्पत्ति का एक प्रमुख कारण है।
  • कमजोर निम्न दाब क्षेत्र या निम्न स्तर के चक्रवातीय परिसंचरण का होना भी उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के विकास का प्रमुख कारण है।
  • समुद्री तल तंत्र पर वायु का अपसरण।
  • एक विकसित उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की विशेषता इसके केंद्र के चारों तरफ प्रबल सर्पिल पवनों का परिसंचरण है जिसे इसकी आंख कहा जाता है। इस परिसंचरण प्रणाली का व्यास 150 से 250 किमी. तक होता है।
  • इसका केंद्रीय (अक्षु) क्षेत्र शांत होता है जहाँ पवनों का अवतलन होता है। अक्षु के चारों तरफ अक्षुभित्ति होती है जहाँ वायु का प्रबल व वृताकार रूप में आरोहण होता है। यह अरोहरण क्षोभसीमा की ऊंचाई तक पहुँचता है। इसी क्षेत्र में पवनों का वेग अधिकतम होता है।
  • चक्रवातों को और अधिक विध्वंसक करने वाली ऊर्जा संघनन प्रक्रिया द्वारा कपासी स्तरी मेघों से प्राप्त होती है। समुद्रों से लगातार आर्द्रता की आपूर्ति के कारण ये तूफान अधिक शक्तिशाली बनते हैं। स्थल पर कुछ दूर पहुंचने के पश्चात् आर्द्रता की आपूर्ति रूक जाती है जिससे ये समाप्त हो जाते हैं।

पश्चिमी तट की तुलना में पूर्वी तट उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के प्रति अधिक सुभेद्य होने के कारण

  • एक रिर्पोट के अनुसार, पश्चिमी तट में पूर्वी तट की तुलना में आने वाले तूफानों की संख्या 8 गुना कम है। नेशनल सॉइक्लॉन रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट के अनुसार, साल 1891 से 2000 के बीच भारत के पूर्वी तट पर 308 तूफान आये हैं। जबकी पश्चिमी तटों पर सिर्फ 48 चक्रवात आये हैं।

भारत के पूर्वी तट पर अधिक चक्रवात क्यों आते हैं? - bhaarat ke poorvee tat par adhik chakravaat kyon aate hain?

  • बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में अधिक तूफान आते हैं जिसका मुख्य कारण पवन का पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाह है। बंगाल की खाड़ी पूर्व में हैं यहाँ यहां द्वीपों की अधिकता के कारण जल का तापमान अधिक होता है। जिससे यहां पश्चिम तट की अपेक्षा जल गर्म रहता है। और पश्चिम तट पर तुलनात्मक रूप से जल के कम तापमान के कारण चक्रवातों की उत्पत्ति नहीं होती हैं।
  • पूर्वी तटों से लगने वाले राज्यों की भूमि पश्चिमी तटों से लगने वाले राज्यों की तुलना में अधिक समतल है। इस कारण यहाँ आने वाले तूफान सतहे से सीधे टकराते हैं जिससे पूर्वी तट पर अधिक क्षति होती है। जबकी पश्चिमी तट के तूफान ओमान की ओर मुड़ जाते है जिसके कारण यहां कम क्षति होती है।

निष्कर्ष

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पूर्वी तट, पश्चिमी तट की अपेक्षा चक्रवातों के लिए अधिक सुभेद्य हैं। विश्व में इन चक्रवातों का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग दृष्टिगत होता है। हाल के दिनों में उष्ण चक्रवातों की बारम्बारता में वृद्धि हुई है जिसका कारण विशेषज्ञों द्वारा ग्लोबल वार्मिंग को माना जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग  के परिणामस्वरूप ही बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों की बारंबारता में वृद्धि हुई है।

चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्र के चारों ओर वायुमंडलीय हलचल के कारण होता है. तेज और अक्सर विनाशकारी वायु सर्कुलेशन इसकी खासियत है. चक्रवात अपने साथ खतरनाक तूफान लेकर आता है. मौसम खराब हो जाते हैं. हवा उत्तरी गोलार्ध में एंटीकलॉकवाइज दिशा में अंदर की ओर घूमती है

हैदराबाद : तमिलनाडु ऐतिहासिक रूप से उन राज्यों में है, जहां पर ट्रोपिकल चक्रवात का खतरा सबसे अधिक रहता है. तमिलनाडु का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 13 मिलियन हेक्टेयर है. इसकी 1,076 किमी की तटरेखा है. यह भारत के कुल समुद्र तट का लगभग 15% है. इसमें तूफान, बाढ़ और सूखे का खतरा प्रमुख है. हाल के वर्षों में राज्य ने इन तूफानों का सामना किया है. गाजा (2018), ओखी (2017), वर्धा (2016), नीलम (2012), ठाणे (2011), जल (2010) और निशा (2008). ये सभी ट्रोपिकल चक्रवात हैं.

गंभीर चक्रवाती तूफान गाजा थाईलैंड की खाड़ी के ऊपर कम दबाव की प्रणाली के रूप में उत्पन्न हुआ. 10 नवंबर को बंगाल की खाड़ी के ऊपर कमजोर प्रणाली का अवसाद अचानक तेज हो गया. यह 11 नवंबर को चक्रवाती तूफान के रूप में तेज हो गई, जिसे 'गाजा' के रूप में वर्गीकृत किया गया. गाजा की वजह से वेदारण्यम में भूस्खलन हुआ. 100-120 किमी प्रति घंटे की गति से तेज हवा चल रही थी.

अदिरामपट्टीनम में 165 किमी प्रति घंटे और मुथुपेट में 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड दर्ज की गई. चक्रवात गाजा ने तमिलनाडु के 8 जिलों अर्थात् नागापट्टिनम, तंजावुर, तिरुवरुर, पुदुकोट्टई, कराईकल, कुड्डालोर, त्रिची और रामनाथपुरम को प्रभावित किया.

चक्रवात का क्या अर्थ है?

चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्र के चारों ओर वायुमंडलीय हलचल के कारण होता है. तेज और अक्सर विनाशकारी वायु सर्कुलेशन इसकी खासियत है. चक्रवात अपने साथ खतरनाक तूफान लेकर आता है. मौसम खराब हो जाते हैं. हवा उत्तरी गोलार्ध में एंटीकलॉकवाइज दिशा में अंदर की ओर घूमती है और दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त.

भारत में चक्रवात कहां से आते हैं ?

अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवात आते हैं. इसका अनुपात लगभग 4: 1 है. 1891 और 1990 के बीच भारत के पूर्व और पश्चिम बंगाल के चक्रवातों की आवृत्ति का विश्लेषण बताता है कि पूर्वी तट पर लगभग 262 चक्रवात आए और इस दौरान पश्चिमी तट पर 33 चक्रवात आए.

चक्रवाती तूफानों का हमला

भारत कई युगों से चक्रवातों की मार झेल रहा है हालांकि, 9 चक्रवात सबसे खतरनाक साबित हुए हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्र में विनाश हुआ है.

भारत में सबसे अधिक चक्रवात प्रभावित कौन से राज्य हैं?

भारतीय उप-महाद्वीप दुनिया का सबसे प्रभावित क्षेत्र है, जिसका तट 7516 किलोमीटर है. यहां दुनिया के लगभग 100 प्रतिशत चक्रवात होने का खतरा है.
चक्रवात से प्रभावित होने वाले 84 तटीय जिलों में 13 तटीय राज्य / केंद्र शासित प्रदेश हैं.

चार राज्य - आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल और एक केंद्र शासित प्रदेश - पूर्वी तट पर पुडुचेरी चक्रवात आपदाओं के लिए सबसे अधिक असुरक्षित हैं.

तमिलनाडु के ज्यादा चक्रवात वाले जिले

  • चेन्नई
  • कुड्डालोर
  • कांचीपुरम
  • कन्याकुमारी
  • नागपट्टिनम पुदुक्कोट्टै
  • रामनाथपुरम
  • तिरुवल्लुर
  • तंजावुर
  • तिरुवल्लुर
  • तूतीकोरिन

तमिलनाडु में चक्रवातों का प्रबंधन कैसे किया जाता है?

पूर्व-आपदा चक्रवात

चक्रवात की चेतावनी आईएमडी द्वारा चार चरणों में जारी की गई है.

पहले चरण की चेतावनी जिसे प्री साइक्लोन वॉच (PRE CYCLONE WATCH) के नाम से जाना जाता है इसे 72 घंटे पहले जारी किया जाता है. जिसमें चक्रवाती गड़बड़ी और ट्रोपिकल चक्रवात में इसकी तीव्रता के बारे में प्रारंभिक चेतावनी शामिल है.

दूसरा चरण साइक्लोन अलर्ट के रूप में जाना जाता है. इस चरण में चेतावनी कम से कम 48 घंटे के लिए जारी की जाती है. इसमें तूफान के स्थान और तीव्रता, उसके आंदोलन की संभावना की दिशा, तटीय जिलों में प्रतिकूल मौसम और मछुआरों, आम जनता, मीडिया और आपदा प्रबंधकों को सलाह देने की संभावना की जानकारी शामिल है.


तीसरे चरण की चेतावनी जिसे साइक्लोन चेतावनी (CYCLONE WARNING) के रूप में जाना जाता है, तटीय क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम की अपेक्षित शुरुआत से कम से कम 24 घंटे पहले जारी किया जाता है. इस स्तर पर लैंडफॉल प्वाइंट पूर्वानुमान है. ये चेतावनी तीन घंटे के अंतराल पर जारी की जाती है, जिसमें चक्रवात की नवीनतम स्थिति और इसकी तीव्रता, भू-भाग की संभावित बिंदु और समय, संबंधित भारी वर्षा, तेज हवा और तूफान के साथ-साथ आम जनता, मीडिया, मछुआरों और आपदा प्रबंधकों को उनके प्रभाव और सलाह के साथ नवीनतम स्थिति प्रदान की जाती है.

चौथा चरण पोस्ट लैंड फॉल आउटलुक ( POST LANDFALL OUTLOOK) के रूप में जाना जाता है.लैंडफॉल के अपेक्षित समय से कम से कम 12 घंटे पहले जारी किया जाता है. यह अपने भूस्खलन और प्रतिकूल मौसम के बाद आंतरिक क्षेत्रों में अनुभवी होने की संभावना के कारण चक्रवात की गति की संभावित दिशा देता है.

पूर्वी तट में चक्रवात क्यों आते हैं?

पूर्वी तट के डेल्टा वाले क्षेत्र में प्रायः चक्रवात आते हैं। ऐसा इस कारण होता है क्योंकि अंडमान सागर पर पैदा होने वाला चक्रवातीय दबाव मानसून एवं अक्तूबर-नवंबर के दौरान उपोष्ण कटिबंधीय जेट धाराओं द्वारा देश के आंतरिक भागों की ओर स्थानांतरित कर दिया जाता है। ये चक्रवात विस्तृत क्षेत्र में भारी वर्षा करते हैं

भारत का कौन सा तट अक्सर चक्रवात से प्रभावित होता है?

Detailed Solution. उड़ीसा में चक्रवात से सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि पूर्वी तट पर चक्रवात की संभावना अधिक है और ओडिशा भारत के पूर्वी तट पर स्थित है।

चक्रवात की उत्पत्ति कैसे होती है?

चक्रवात कैसे उत्तपन्न होता है? जब गर्म क्षेत्रों के समुद्र में सूर्य की भयंकर गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है तो हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है और ऊपर की नमी से संतृप्त होकर संघनन( जलवाष्प का बूंदों में बदलना) से बादलों का निर्माण करती हैं।

चक्रवात क्या है UPSC?

उत्तर : भूमिका - हवाओं का परिवर्तनशील और अस्थिर चक्र, जिसके केंद्र में निम्न वायुदाब तथा बाहर उच्च वायुदाब होता है, 'चक्रवात' कहलाता है।