फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ मुझ पर विधाता वाम है का अभिप्राय स्पष्ट करें? - phir vyarth kyon kahata phiroon mujh par vidhaata vaam hai ka abhipraay spasht karen?

                
                                                                                 
                            विशद यानि विस्तृत, व्यापक। विशद के कई और अर्थ हैं मसलन  उज्ज्वल; निर्मल; स्वच्छ या श्वेत; सफ़ेद; चमकीला; सुंदर। इसके अलावा लंबा- चौड़ा अथवा स्पष्टता के अर्थ में भी प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द है। अमर उजाला 'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- विशद। प्रस्तुत है शिवमंगल सिंह 'सुमन' की कविता: चलना हमारा काम है
                                                                                                
                                                     
                            

गति प्रबल पैरों में भरी 
फिर क्यों रहूं दर दर खड़ा 
जब आज मेरे सामने 
है रास्ता इतना पड़ा 
जब तक न मंजिल पा सकूं, 
तब तक मुझे न विराम है, 
चलना हमारा काम है।

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया 
कुछ बोझ अपना बंट गया 
अच्छा हुआ, तुम मिल गई 
कुछ रास्ता ही कट गया 
क्या राह में परिचय कहूं, 
राही हमारा नाम है, 
चलना हमारा काम है। 

जीवन अपूर्ण लिए हुए 
पाता कभी खोता कभी 
आशा निराशा से घिरा, 
हंसता कभी रोता कभी 
गति-मति न हो अवरुद्ध, 
इसका ध्यान आठो याम है, 
चलना हमारा काम है। 

इस #विशद विश्व-प्रहार में 
किसको नहीं बहना पड़ा 
सुख-दुख हमारी ही तरह, 
किसको नहीं सहना पड़ा 
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, 
मुझ पर विधाता वाम है, 
चलना हमारा काम है। 

मैं पूर्णता की खोज में 
दर-दर भटकता ही रहा 
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ 
रोड़ा अटकता ही रहा 
निराशा क्यों मुझे? 
जीवन इसी का नाम है, 
चलना हमारा काम है। 

साथ में चलते रहे 
कुछ बीच ही से फिर गए 
गति न जीवन की रुकी 
जो गिर गए सो गिर गए 
रहे हर दम, 
उसी की सफलता अभिराम है, 
चलना हमारा काम है।

फ़कत यह जानता 
जो मिट गया वह जी गया
मूंदकर पलकें सहज 
दो घूंट हंसकर पी गया 
सुधा-मिश्रित गरल, 
वह साकिया का जाम है, 
चलना हमारा काम है।

आगे पढ़ें

1 year ago

फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ मुझ पर विधाता वाम है?

'फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है' – का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तर: कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है।

क गति प्रबल पैरों में भरी से कवि का क्या तात्पर्य है?

ICSE Class 10 Chalna Humara Kaam (Sahitya Sagar): Videos, MCQ's & Sample Papers | TopperLearning.

विधाता वाम है से क्या तात्पर्य है किस प्रकार के लोग ऐसा कहते हैं?

(iii) "विधाता वाम" का तात्पर्य है कि ईश्वर हमारे विरुद्‌ध है। कवि का कहना है सुख-दुख जीवन का अनिवार्य अंग है।

घ उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवि क्या संदेश दे रहा है उत्तर?

उसके यश की कीर्ति चारों दिशाओं में गूंजती है | कवि महान परोपकारी व्यक्तियों; यथा- दधीचि, रंतिदेव, उशीनर, कर्ण आदि का उदाहरण देते हुए अपने तथ्य को स्पष्ट करते हैं। हमें कभी भी अपने धन तथा कुशलता पर गर्व नहीं करना चाहिए। जब तक परम पिता परमेश्वर हमारे साथ हैं, तब तक हम भाग्यहीन तथा अनाथ नहीं हैं।