भारत में प्राचीन काल से ही खेती के साथ पशुपालन किया जाता रहा है। आज भी किसान खेती के साथ पशुपालन करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। ऐसे में पशुपालक किसान के साथ सबसे बड़ी समस्या ये हैं कि उनका पशु जैसे गाय-भैंस कम दूध देते हैं। कई बार देखने में आता है कि ज्यादा दूध के चक्कर में पशुपालक किसान अपने दुधारू पशु गाय, भैंस को इंजेेक्शन लगवा देते हैं जिससे वह अधिक दूध देना शुरू कर देता है। लेकिन बता दें कि ऐसा करना न केवल पशु के लिए स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि ऐसे दूध का सेवन करना दूसरों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि प्राकृतिक और घरेलू औषधीय तरीके से गाय, भैंस जैसे दुधारू पशु का दूध कैसे बढ़ाया जा सकता है ताकि पशु बिना किसी परेशानी के स्वयं ही अधिक दूध देना शुरू कर दे। तो आइए ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से जानते हैं गाय, भैंस का दूध बढ़ाने के तीन आसान उपाय। Show
गाय का दूध बढ़ाने का पाउडर जिस प्रकार बच्चों की सेहत के लिए बाजार में कइ न्यूट्रिशियन पाउडर उपलब्ध हैं, उसी प्रकार दूधारू पशुओं के लिए भी कई कंपनियों के पाउडर उपलब्ध है जिसके इस्तेमाल से पशु ज्यादा दूध देते हैं। इसके अलावा किसान देशी तरीके से भी पशुओं के लिए चूर्ण (पाउडर) बनाते हैं जिसे पशुओं को खिलाने पर ज्यादा दूध मिलता है। गाय भैंस को दूध बढ़ाने वाले इंजेक्शन लगवाने से होते हैं ये नुकसानकई लोग अपने गाय और भैंसों से अधिक दूध प्राप्त करने के लिए इंजेक्शन आदि का सहारा लेते हैं, यह पहले कारगर तो साबित होता है लेकिन कई बार इसका प्रभाव विपरीत भी पड़ जाता है। ज्यादा से ज्यादा दूध निकालने के चक्कर में गाय और भैंसों में ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगा देते है। इस दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन पर रोक होने के बावजूद इसका इस्तेमाल गाय और भैंस में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। ऐसे में इसके इस्तेमाल करने वाले और बेचने वाले दोनों को जुर्माना और सजा हो सकती है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधी प्रशासन ऐसे इंजेक्शन की खेप कई बार पकड़ चुका है और इस पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसा माना जाता है कि गाय-भैंस दूध देने के बावजूद करीब 25 फीसदी अपने बच्चों के लिए बचा लेती हैं। यह इंजेक्शन देकर उस दूध को भी निकाल लिया जाता है जो खतरनाक है। ऐसे करें दूध बढ़ाने के प्राकृतिक सरल उपायगाय, भैंस का दूध बढ़ाने के लिए हमें हमेशा नुकसान रहित उपाय करने चाहिए जिससे पशु के स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुुंचे और दूध भी अधिक मात्रा में प्राप्त हो। ऐसे उपायों को अपनाकर आप अधिक मात्रा में गुणवत्तापूर्ण दूध प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि हम गाय या भैंस के आहार पर भी ध्यान दें। इसके अलावा इनके रखरखाव और देखभाल पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। 1. लोबिया खिलाने से बढ़ जाता है गाय व भैंस का दूधपशुपालन विभाग के अनुसार लोबिया घास खिलाने से गाय का दूध बढ़ जाता है। लोबिया घास में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो दूध की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं। लोबिया घास खिलाने से गाय की सेहत पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ता और दूध की मात्रा भी सहज ही बढ़ जाती है। लोबिया घास में कुछ विशेषताएं पाई जाती है जिसके कारण गाय, भैंसों को इसे खिलाना फायदेमंद बताया गया है। लोबिया घास की विशेषता यह है कि इस घास का अन्य घास के मुकाबले पाचक होना है। इसमें प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो दूधारू पशु के लिए जरूरी होती है। ऐसे में यदि पशुपालक गाय व भैंस को लोबिया घास खिलाएं तो वे प्राकृतिक रूप से दूध की मात्रा बढ़ा सकते हैं। 2. गाय व भैंस का दूध बढ़ाने की घरेलू औषधि बनाएंगाय व भैंस की दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए आप घर पर ही इसकी औषधी बना सकते हैं। इसके लिए कुछ चीजों की जरूरत होगी जो आसानी से आपको मिल जाएगी। औषधी निर्माण की विधि इस प्रकार से है- इस औषधी को बनाने के लिए आपको 250 ग्राम गेहूं का दलिया, 100 ग्राम गुड़ सर्बत (आवटी), 50 ग्राम मैथी, एक कच्चा नारियल, 25-25 ग्राम जीरा व अजवाईन की आवश्यकता होगी। कैसे करना है इन चीजों का उपयोग
3. सरसों का तेल और आटे से बनाएं दूध बढ़ाने की दवासरसों के तेल और आटे से भी घरलू दवा बनाकर गाय को खिलाने से भी गाय, भैंस के दूध की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। दवा बनाने का तरीका इस प्रकार से है- सबसे पहले 200 से 300 ग्राम सरसों का तेल, 250 ग्राम गेहूं का आटा लें। अब दोनों को आपस में मिलाकर शाम के समय पशु को चारा व पानी खिलाने के बाद खिलाएं। ध्यान रहे दवा खिलाने के बाद पशु को पानी नहीं पिलाना है। इतना ही नहीं यह दवाई भी पानी के साथ नहीं देनी है। अन्यथा पशु को खांसी की समस्या हो सकती है। यह दवा पशु को 7-8 दिनों तक ही खिलानी चाहिए इसके बाद इस दवा को बंद कर देनी चाहिए। वहीं पशु को हरा चारा व बिनौला आदि जो खुराक आप पहले से दे रहें है उसे देते रहना चाहिए। इसे बंद नहीं करना चाहिए। गाय के गर्मी में क्या लक्षण होते हैं?गर्मी के लक्षण. बार-बार चीखना,. दूध कम हो जाना,. भूख कम हो जाना,. बेचैन मालूम पड़ना,. दूसरी गाय के ऊपर चढ़ना,. दूसरी गाय के गर्म गाय पर चढ़ने के समय गर्म गाय का चुपचाप खड़ी रहना,. बार-बार पेशाब करना,. भगोष्ठ में सूजन,. गाय को गर्मी लगने पर क्या करें?गर्म दिनों में पशु को दिन में नहलाना चाहिए विशेषकर भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना चाहिए। गर्मियों के दिनों में पशु को ठंडा पानी पर्याप्त पिलाना चाहिए। संकर नस्ल के पशु जिनको अधिक गर्मी सहन नहीं होती है उनके आवास में पंखे या कूलर लगाना चाहिए। पशुओं का चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम को देर से भेजना चाहिए।
गाय कितने दिन में गर्म होती है?गर्भित न होने पर वह हर 19-23 दिन बाद गर्मी में आती रहती है।
गर्मी में गाय का दूध कैसे बढ़ाएं?डॉ पुतान सिंह के अनुसार पशुपालक दाना, खली, चोकर, खनिज लवण मिलाकर संतुलित आहार तैयार करके पशु को प्रतिदिन दें तो दूध में 20% बढ़ोत्तरी होती है। सौ किलो संतुलित दाना बनाने की विधि... दाना (मक्का, जौ, गेंहू, बाजरा) इसकी मात्रा लगभग 35 प्रतिशत होनी चाहिए।
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