गाय दूध निकालते समय लात क्यों मारती है? - gaay doodh nikaalate samay laat kyon maaratee hai?

गाय को खुश रखने का स्मार्ट तरीका

13 मई 2013

अपडेटेड 15 मई 2013

गाय दूध निकालते समय लात क्यों मारती है? - gaay doodh nikaalate samay laat kyon maaratee hai?

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इस तकनीक से गाय की हर हरकत पर नज़र रखी जा सकती है

एस्गर क्रिसटेंसन ने जब पशुपालन शुरू किया था तो डेनमार्क में 40 हजार पशुपालक थे. आज उनकी संख्या महज 3000 रह गई है.

दुनियाभर में डेयरी उद्योग को हाल के वर्षों में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

रिटेल क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के आने से कई देशों में दूध के थोक भाव में कमी आई है और छोटे उत्पादकों के लिए रोजी रोटी का जुगाड़ करना भारी पड़ रहा है. अमरीका में दुग्ध उत्पादों की बिक्री में कमी से भी इंडस्ट्री प्रभावित हुई है.

ऐसे में पशुपालकों के लिए गायों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अधिकतम लाभ कमाने के लिए कई जतन करने पड़ रहे हैं.

तकनीक का सहारा

पिछले आठ महीने से क्रिसटेंसन जीईए काऊव्यू का ट्रायल कर रहे हैं. ये ऐसी तकनीक है जो झुंड में हर जानवर की गतिविधि पर नज़र रखती है.

उन्होंने कहा, "इसकी मदद से आप देख सकते हैं कि गाय कितनी देर बैठी रहती है, कितने घंटे सोती है, कितनी देर भटकती है और वो कैसा महसूस कर रही है."

क्रिसटेंसन ने कहा, "अगर कोई गाय बहुत देर तक लेटी रहती है तो हो सकता है कि वो बीमार हो. मैं अपने आईफ़ोन पर में देख सकता है कि तबेले में गाय कहां है."

हर गाय पर एक विशेष पट्टा लगा रहता है. इस पट्टे पर एक बेतार आरटीएलएस (रियल टाइम लोकेटिंग सिस्टम) टैग फिट है.

तबेले की छत में एक ग्रिड पर लगे संवेदक इन टैग की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं.

पशुओं पर नज़र

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डेटा से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि गायों के लिए पर्याप्त चारा है या नहीं

संवेदक डेटा को एक हब को भेजते हैं जहां हर गाय की गतिविधि का आकलन करके उनकी सेहत का पता लगाने की कोशिश की जाती है.

इस सिस्टम से पशुपालक को अपने स्मार्टफ़ोन पर पता चलता है कि पशु बीमार है या वो गर्मी से बेहाल है या उसके गर्भधारण का समय आ गया है.

क्रिसटेंसन ने कहा, "इस सिस्टम से आप पता लगा सकते हैं कि गाय खुश है या नहीं. इससे दो दिन पहले ही मुझे पता लग जाता है कि कोई गाय बीमार होने वाली है. इस तरह समय रहते उसका इलाज किया जा सकता है और इससे पैसों की भी बचत होती है."

इस सिस्टम से गाय को ढ़ूढ़ने में भी मदद मिलती है.

क्रिसटेंसन ने कहा, “अगर मैं अपने आईफ़ोन पर गाय नंबर 5022 को टच करता हूं तो दो सैकंड में मुझे पता चल जाता है कि वो गाय कहां है.”

सिस्टम को विकसित करने के पीछे जीईए फार्म टैक्नोलॉजीज के केल्ड फ्लोरजैक का दिमाग है.

उन्होंने कहा, “गाय झुंड में रहती है. वो जितना संभव हो सके अपनी कमजोरियों को छिपाने की कोशिश करती हैं लेकिन वो अपने व्यवहार में बदलाव को नहीं छिपा सकती.”

फ्लोरजैक ने कहा, “लेकिन संभव है कि पशुपालक गाय के व्यवहार में बदलाव को न देख पाए.”

टैग

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सिस्टम से मिलने वाले डेटा स्मार्टफ़ोन पर उपलब्ध होता है

जब टैग लगाया जाता है तो जानवर के व्यवहार का डेटाबेस बनने में छह से दस दिन का समय लगता है.

सिस्टम में इस्तेमाल किए जाने वाले संवेदकों की रेंज 600 मीटर तक होती है.

फ्लोरजैक ने कहा कि गायों की कुछ खास आदतें होती हैं जिनसे उनकी सेहत के बारे में पता लगाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, “अगर किसी गाय को गर्मी लगती है तो वो ज्यादा भटकेगी, दूसरी गायों के साथ चिपकने की कोशिश करेगी और अपने बाड़े से बाहर निकल जाएगी.”

इस सिस्टम से समय रहते गाय की बीमारी का पता लगाया जा सकता है और इस तरह पशुपालक को पैसों की भी बचत होती है.

अभी इस सिस्टम का इस्तेमाल डेनमार्क, जर्मनी और नीदरलैंड में किया जा रहा है और ब्रिटेन तथा अमेरिका में इसी महीने इसे लांच किया जा रहा है.

इस्तेमाल

काऊव्यू एक तरह के आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) का इस्तेमाल करता है जिसे यूडब्ल्यूबी (अल्ट्रा वाइडबैंड) तकनीक कहा जाता है.

आरएफआईडी तकनीक पशुपालन में नई नहीं है. पारंपरिक तौर पर इसका इस्तेमाल जानवरों को एक फार्म से दूसरे फार्म में ले जाते समय उन पर नज़र रखने और चोरी रोकने के लिए किया जाता रहा है.

गाय तो खुशी-खुशी पट्टा पहन लेती है लेकिन सूअरों के मामले में ऐसा नहीं है.

उनके लिए कान में पहनने वाला टैग बनाया गया है क्योंकि वे गर्दन और पैर में लगने वाले टैग को तोड़ देते हैं.

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देसी गाय का इलाज़ अपने घर में ही सस्ते में कैसे कर सकते हैं यह मैं आपको बताने जा रहा हूं।

गाय जब सींग से मारती हो

जो गाय सींग से मारती है, उसका एलोपैथी में कोई इलाज़ नहीं है, लेकिन होम्योपैथी में उसके लिए एक दवा है ‘नक्स वोमिका’। इसकी दौ सौ पोटेंसियल की दवा लेकर उसकी दस बूंद रोज़ सुबह-शाम गाय को देंगे तो उसकी मारने की आदत छूट जाएगी और उसका स्वभाव बदल जाएगा। 

गाय जब लात से मारती हो

जो गाय दूध निकालते समय लात से मारती है, उसके लिये होम्योपैथी की दवाई है ‘लेकेसिस’। इसकी 1000 पावर  की 10 बूंद 15 दिन में एक बार देंगे, तो दो महीने में वह लात मारने की आदत भूल जायेगी।

गाय का बछड़ा -बछड़ी मर गया हो

जिस गाय का बछड़ा-बछड़ी मर गया हो, वो मां है उसको पीड़ा होती है, तो वह दूध देना बंद कर देती है। उसके लिए होम्योपैथी में दवाई है  इगनेसिया 200 पावर। इसकी 10-10 बूंद 10 दिन तक देंगे तो वह गाय वापस अपने दूध पर आ जाएगी, दुःख भूल जाएगी । अगर किसी व्यक्ति के साथ ऐसी घटना हुई है, किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्‍यु हो गई या व्यापार में बड़ा घाटा हो गया, आदमी एकदम डिप्रेशन में चला गया, उसको भी अगर इगनेसिया 200 की  2-2 बूंद देंगे तो वह 10 दिन में सामान्य हो जाएगा।

कील या कांटा गड़ गया हो

जिस गाय को कोई कील गड़ गई, कोई कांच गड़ गया, कोई कांटा चुभ गया हो अथवा किसी मधुमक्खी, ततैया या किसी जीव ने डंक मार दिया हो, उसके लिए दवाई है ‘लेडम पाल 30 पावर’। उसकी 10-10 बूंद आधे-आधे घंटे से 4 बार देनी है। तीन घंटे में गाय एकदम नार्मल हो जाएगी। सारी सूजन उतर जाएगी। बाद में वो कील-कांटा अपने आप निकल जाएगा और वह ठीक हो जाएगा। टिटनेस का इंजेक्शन भी नहीं लगाना पड़ेगा।

थन से खून आना 

जिस गाय के थन से खून आ रहा है, ब्लाडिंग हो रही है तो वह दूध बिल्कुल काम नहीं आता। उसके लिए दवाई है ‘इप्पीकाक 200’ पावर। इसकी10-10 बूंद पांच-सात दिन देंगे तो उसका खून आना बंद हो जायेगा और शुद्ध दूध आना शुरू हो जायेगा।

थन सूज जाना

जिस गाय का थन सूज गया है दूध नहीं निकालने देती, हाथ नहीं लगाने देती, उसके लिए दवाई है ‘बेलाडोना’ 200 पावर। ये दवा लगातार 8-10 दिन देने से उसके थन की सूजन उतर जाएगी।

बच्चादानी बाहर आने पर

जिस गाय की बच्चादानी बाहर आती है। उसके लिए दवाई है ‘सीपिया 200’। इसकी 10-15 दिन 10-10 बूंद रोज़ देंने से वह ठीक हो जाएगी। जब बच्चादानी बाहर है, उस समय नीम के पत्‍ते उबालकर ठंडा करके उससे उसे धो दीजिए ताकि इंफ्क्शन समाप्त हो जाए। इसके बाद  फिटकरी पीसकर उसमें पानी मिला लें और फिर कपड़ा भिगोकर पानी उस पर चिपोड़ दीजिए, तो उससे वह अंदर चला जाएगा, फिटकरी का काम है सिकोड़ना और ‘सीपिया’ उसको स्थायी रूप से ठीक कर देगा।

आफ़रा होने पर

जिस गाय का पेट फूल गया, फूड्स प्वायजनिंग हो गया हो, उसके लिए तीन चार दवा हैं। एक है अमृतधारा। अमृतधारा की 10-10 बूंदे हर आधा घंटे में  दिन में 2-3 बार देंगे तो उसका आफ़रा ठीक हो जायेगा। दूसरा, 10-15 ग्राम हींग घोलकर आधा लीटर पानी में मिलकर पीला दीजिये उससे भी उसका आफ़रा ठीक हो जाएगा। इसके अलावा तीसरा इलाज़ है ईनो। ईनो पिला दीजिए उससे भी उसका आफरा ठीक हो जाएगा। इसके लिए होम्योपैथी में दवाई है ‘कार्बो वेज’ 30 पावर। इसे आधा-आधा घंटे से 2-3 बार देने से ठीक हो जाता है। अगर इन सब में से कुछ भी नहीं है तो गाय के बायें ओर का जो पेट है उसका नर्म स्थान देखकर मोटी सुई उसके पेट में खोप दीजिए और बाद में ऊपर से खोल दीजिये तो गैस निकल जाएगी, गाय बच जाएगी, नहीं तो दम घुटने से वह मर भी सकती है।

थनेला होने पर

ऐसे ही जिस गाय को ‘थनेला’ हो गया, थनेला मतलब जिसका थन खराब हो जाता है ऊपर दूध जम जाता है दूध आना बंद हो जाता है कभी एक थन, कभी दो, कभी तीन तो कभी चारो थन। उसके लिए इलाज है देसी चने। 200 ग्राम चने सुबह भिगो दें। शाम को उसे कपड़े में बांध दें। वह चना अंकुरित हो जायेगे। उस चने को 15 से 20 दिन खिलाने से वह थन वापस चालू हो जायेगा। दूसरा इलाज है शीशम के पत्ते। शीशम के पत्ते की चटनी बनाकर जहां दूध जम गया है  वहां दिन में दो बार लेप करें। अगर दूध के जमने के कारण गादी पत्‍थर हो गई है, तो भी 6-7 दिन में वह गादी बिल्कुल नरम हो जाएगी। इसके बाद  नीम के पत्ते उबालना या लाल दवा को मोटी सुई से 100 ग्राम पानी चढ़ाना, बाद में उसमें उसको निचोड़ देना। इससे दूध निकल जाएगा। दो – तीन बार ऐसा करने से उसका थन चालू हो जाएगा।

अब थन खराब क्यों होता है। दूध निकालने के बाद या बछड़े को पिलाने के बाद अगर हमने थन नहीं धोया या गाय बैठ गई और थन खुला है तो जीव घुस जाते हैं, उससे वह थन खराब हो जाता है। इसलिये सावधानी रखनी होती है कि थन खराब न हो।  

गाय गर्भवती है कैसे जानें

गाय गर्भवती है कि नहीं इसकी पहचान करनी है तो उसी गाय के गौमूत्र में 100 ग्राम मूंग के दाने ग्लास में भिगो दें। शाम को कपड़े में बांध दें। दूसरे दिन खोलकर देखेंगे तो गौमूत्र में भीगे मूंग अगर 10-12 से ज्यादा अंकुरित हैं तो गाय गर्भवती नहीं है। अगर 10-12 से कम अंकुरित है तो गाय गर्भवती है। दूसरा उपाय है कि गाय के गोमूत्र में 4-5 बूंद नीबू डालकर देखें। अगर उसका रंग बदलता है तो गाय गर्भ से है। नहीं तो गाय गर्भवती नहीं है।

‘हीट’ में न आने पर

कई बार दो-दो, चार-चार साल हो जाते हैं गाय हीट में नहीं आती तो वह गर्भधारण नही कर पाती। उसके लिए एक छोटा सा इलाज़ है जायफल। उसका ऊपर का छिलका उतारकर, उसको फोड़कर, गुड़ में लपेटकर एक जायफल गाय को खिला देना। वह इतना गरम होता है कि उससे अपनी गाय हीट में आ जायेगी। अगर जायफल किसी कारण से नहीं मिले तो चार छोआरे लेकर उसकी गुठली निकालकर उसके टुकड़े करके गुड़ में लपेटकर उसको आठ दिन गाय को खिलायें, उससे भी गाय हीट में आ जाती है। अब अगर गाय हीट में आती है पर ठहरती नहीं है बार-बार रिपीट होती है तो उसके लिये हीट में आने के बाद गाय को एलोविरा का एक कप रस सोमवार, बुधवार, शुक्रवार, रविवार, मंगलवार एक दिन छोड़कर एक दिन ऐसे पांच बार उसको पिला दीजिये। जब हीट में आये क्रास करवाइये,  गर्भ ठहर जाएगा।

जेर न डालने पर

गाय बच्चे को जन्म देने के बाद कभी-कभी जेर नही डालती। उसका कारण है कि गाय को भय लगता है कि कुत्ता या कोई जानवर आकर उनके बछड़े-बछड़ी को नुकसान न पहुंचाए, इसलिए वो जेर नहीं डालती। क्योंकि जेर की गंध से कुत्ता आता है। इसलिए गोपालक को जब तक जेर नहीं पड़ जाये वहां रहना चाहिये। उसके बाद भी अगर देर हो रही हो तो उसके लिये छोआरे की आधी गुठली को फोड़कर गुड़ में लपेटकर खिला दें, थोड़ी में वह बाहर आ जायेगी।

सहज प्रसव के लिए

गाय का सहज प्रसव हो, कष्ट न हो उसके लिए आधा किलो गोबर, एक लीटर पानी में घोलकर छानकर गाय को पिला दीजिये, घंटे भर में आराम से प्रसव हो जाएगा। यह बच्चा दानी का मुंह खोल देता है। इसके लिए होम्योपैथी में दवाई है ‘कोलोफाइलम’ 200 पावर। उसकी 10 बूंदे आधे-आधे घंटे से दो बार देने से आराम से प्रसव हो जाएगा।

जिस गाय की कुली उतर गयी हो, तो उसके लिये छहः चीजे रखनी है। पान का गीला चूना, दूसरा हल्दी, तीसरा शहद, चौथा गुड़, पांचवा बैंड्रज पट्‌टी, छठा रुई।  इसके बाद थोड़ा गीला चूना, उतनी ही हल्दी और शहद मिलकर किसी कटोरी में पेस्ट बना लें । बाद में थोड़ा गुड़ लेकर थोड़ा पानी मिलाकर उसका लेप लगा देना। देरी करेंगे तो वह जम जाएगा। बाद में बैंड्रेज के चार फोल्ड करके पहले पट्‌टी चिपकाना, बाद में रुई चिपकाना नहीं तो बाल उखाड़ेगी। उसे छह-सात दिन चिपका रहने दें। वह ठीक हो जाएगी।

तो ऐसे छोटे-छोटे उपाय से हम अपने गाय को अपने घर में ठीक कर सकते हैं।

दवा कैसे दें

गाय को दवा देने के लिए रोटी की पपड़ी उतारकर कर उसमें दवा की दस बूंदे डालें और वह रोटी गाय को खिला देनी है। या फिर आधा लीटर पानी में 10 बूंद डालकर नाल के द्वारा या बॉटल में भरकर उसको पिला देना तो उससे वह दवा उसके अंदर चली जाएगी।

तो ऐसे बहुत छोटी-छोटी चीजों के द्वारा हम अपनी गायों को घर में ही ठीक कर सकते हैं।

(श्री शंकर लाल वर्ष 1960 से अखिल भारतीय गौ सेवा गतिविधि के पालक और संघ के प्रचारक हैं।)

गाय दूध देते समय लात चलाती है क्या किया जाए?

इस सिस्टम से गाय को ढ़ूढ़ने में भी मदद मिलती है.

गाय मारती है तो क्या करना चाहिए?

गाय या भैंस शारीरिक रूप से कमजोर है तो उसे अधिक मात्रा में चारा दें। ताकि वह कमजोरी का शिकार न रहे। अगर पशु को गर्मी में रखा गया है तो इसकी वजह से भी वह लात मार सकती है। इसलिए पशु के आस पास कूलर या पंखे का इंतजाम करें।

गाय को लात मारने से क्या होता है?

गीता का यह श्लोक उस समय फिर से चरितार्थ साबित होता है। जब एक व्यक्ति गाय को लात मारने की कोशिश करता है।

गाय दूध ना दे तो क्या करना चाहिए?

इस तरह से करने से पशु को खतरनाक आक्सीटोसिन इंजेक्शन से बचाया जा सकता है। जिससे दूध पर पड़ने वाले विपरीत परिणामों से भी मुक्ति मिलती है। इसलिए पशु को इस तरह की आदत डाले जिससे पशु के साथ पशु से मिलने वाले दूध से पशुपालक को भी फायदा होगा।