दरअसल यह सवाल एक बच्चे ने पूछा था और इसी सवाल को 'हमने संदर्भ के पिछले अंक में छापा था। शायद आपने भी इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश की हो। बहरहाल हमने इस सवाल की तहकीकात की। Show सबसे पहली बात कि हाथी का बच्चा दूध पीता है यह तो उस सवाल पूछने वाले बच्चे को मालूम है। दूसरा यह कि वह पीता कैसे है, मतलब कि उस बच्चे के दिमाग में दो बाते आई होंगी कि हाथी का बच्चा सूंड से पीता है या मुंह से। ज़ाहिर है कि हाथी जब पानी पीता है तो वह सूंड में भरता है और मुंह में डाल लेता है। सोचिए कि सूंड से वह मूंगफली या एक सिक्का भी ज़मीन से उठा लेता है तो सूंड हाथी के लिए एक खासा हथियार है। वह अपने भोजन को सूंड से ही उठाकर मुंह तक लाता है। केवल पता इतना करना है कि हाथी का बच्चा अपनी मां के थनों से दूध कैसे पीता है? अनेक लोगों से पूछा कि किसी ने हथिनी को अपने बच्चे को दूध पिलाते देखा है। यानी कि शुद्ध रूप से यह सवाल अवलोकन पर आधारित है। मैंने खुद भी जीवविज्ञान पढ़ा पर मैं भी अचंभित हुआ मुझे भी इस सवाल का जवाब खोजने में दिलचस्पी जागी। सोचा कि क्यों न उन लोगों से पूछा जाए जो हाथी पालते हैं। अक्सर गांवों शहरों में साधु लोग हाथी लेकर घूमते हैं। एक दिन हाथी वाले बाबा से पूछा - बाबा ने कहा हमने हाथी तो पाला है पर बच्चा दूध कैसे पीता है यह कभी नहीं देखा, शायद सूंड से ही पीता होगा। हमने अपनी तहकीकात जारी रखी। इसी बीच अन्य जीवविज्ञानियों से पूछा, उनका भी कहना था कि पढ़ा तो नहीं और देखने में भी नहीं आया। अलबत्ता इस बीच अनेक लोगों से पूछताछ रखी। एक साधु ने बताया कि हां उसने हाथी के बच्चों को दूध पीते देखा है, उसने बताया कि बच्चा मुंह से ही दूध पीता है सूंड से नहीं। चौपायों जैसे कि गाय भैंस बकरी में थन पिछली टांगों के नज़दीक पेट पर होते हैं जबकि हथिनी के थन अगली टांगों के नज़दीक यानी छाती पर होते हैं। जब बच्चों को दूध पीना होता है तो वह अगली टांगों के पीछे से, बगल से अपनी सूंड को ऊपर करता है और मुंह में दूध चुसता है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? गर्भ काल या हमल अवधि जंतु जगत की मादा का गर्भ धारण से लेकर शिशु को जन्म देने की अवधि को कहते हैं। यह अवधि हर प्राणी के लिए अलग-अलग होती है। अधिकांश प्रजातियों के लिए, जन्म से पहले भ्रूण कितना बढ़ता है वह गर्भ काल की लंबाई निर्धारित करता है। छोटी प्रजातियों का गर्भ काल सामान्य रूप से बड़े जानवरों की तुलना में छोटी अवधि का होता है। उदाहरण के लिए, एक हाथी का गर्भ काल 624 दिन का होता है, जबकि एक बिल्ली का गर्भ काल सामान्य रूप से 58-65 दिन का होता है। हालांकि, सभी जातियों के लिए भ्रूण का बढ़ना गर्भ काल की लंबाई को निर्धारित नहीं करता है। जो जातियाँ प्रजनन काल में ही प्रजनन करते हैं, साधारणतय: साल के उसी समय बच्चे जनते हैं जब भोजन की प्रचुरता हो। अफ़्रीकी हाथी प्रजाति में दो या तीन (विवादित) जीवित जातियाँ हैं; जबकि एशियाई हाथी प्रजाति के अंतर्गत केवल एशियाई हाथी ही जीवित जाति है, लेकिन इसे तीन या चार (विवादित) उपजातियों में विभाजित किया जा सकता है। अफ़्रीकी तथा एशियाई हाथी समान पूर्वज से क़रीब ७६ लाख वर्ष पूर्व विभाजित हो गये थे।[22] हाथी केन्या में नदी पार करता हुआ अफ़्रीकी बुश हाथी नामीबिया के ऍतोशा राष्ट्रीय उद्यान में जंगली परिवेष में हाथी का वीडियो वे हाथी जो लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति के अंतर्गत आते हैं और सामूहिक रूप से अफ़्रीकी हाथी कहलाते हैं, वर्तमान में ३७ अफ़्रीकी देशों में पाया जाता है। अफ़्रीकी हाथी, एशियाई हाथी से कई प्रकार से भिन्न होते हैं, जिनमें सबसे स्पष्ट उनके बड़े कान होते हैं।[23] अफ़्रीकी हाथी एशियाई हाथी से आकार में बड़े होते हैं और उनकी अवतल पीठ होती है। अफ़्रीकी हाथी में नर और मादा दोनों के हाथीदांत होते हैं और उनकी त्वचा में बाल भी कम होते हैं। अफ़्रीकी बुश हाथी, अफ़्रीकी जंगली हाथी, एशियाई हाथी, विलुप्त अमरीकी मॅस्टोडॉन तथा मैमथ के डी॰एन॰ए॰ विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों सन् २०१० ई॰ में इस निष्कर्ष में पहुँचे कि यकीनन अफ़्रीकी बुश हाथी तथा अफ़्रीकी जंगली हाथी दो अलग जातियाँ हैं। उन्होंने लिखा :
[26] दूसरी तरफ़ पश्चिमी अफ़्रीका में हाथी की आबादी छोटी तथा बँटी हुयी है और महाद्वीप के बहुत छोटे अनुपात को दर्शाती है। [34] मध्य अफ़्रीका की आबादी के बारे में बहुत अनिश्चित्ता बनी हुयी है, जहाँ जंगलों के कारण आबादी का सर्वेक्षण करना कठिन कार्य है, परन्तु यह ज्ञात है कि वहाँ हाथीदाँत के अवैध शिकार तथा हाथी के मांस के लिए उनका धड़ल्ले से शिकार किया जा रहा है।[35] दक्षिण अफ़्रीका में हाथी की आबादी दुगुने से ज़्यादा हो गयी है और यह संख्या सन् १९९५ में हाथीदाँत के व्यापार पर पाबन्दी लगाने के बाद ८,००० से बढ़कर २०,००० से अधिक हो गई है[36] दक्षिण अफ़्रीका (अन्य जगह नहीं) में यह पाबन्दी फरवरी २००८ को हटा दी गई जो पर्यावरण गुटों में विवाद का विषय बन गई है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] एशियाई हाथी - पश्चिमी घाट, मारयूर, केरल में एशियाई हाथी, ऍलिफ़स मैक्सिमस, अफ़्रीकी हाथी से छोटा होता है। इसके कान छोटे होते हैं और अधिकांश रूप से केवल नर में हाथीदाँत पाये जाते हैं। दुनिया भर में एशियाई हाथी की - जिन्हें भारतीय हाथी भी कहा जाता है - आबादी ६०,००० आंकी गई है जो अफ़्रीकी हाथी का दसवां भाग है। अधिक सटीक यह अनुमान लगाया गया है कि एशिया में जंगली हाथी क़रीब ३८,००० से ५३,००० हैं तथा पालतू हाथी १४,५०० से लेकर १५,३०० हैं और तक़रीबन १,००० हाथी दुनिया भर के चिड़ियाघरों में हैं।[37] एशियाई हाथी की आबादी का पतन अफ़्रीकी हाथी की तुलना में धीरे हुआ है और इसके प्रमुख कारण हैं अवैध शिकार तथा मनुष्यों द्वारा उनके क्षेत्रों को हड़प जाना।[कृपया उद्धरण जोड़ें] जयपुर, भारत में पालतू हाथी पर्यटकों को सवारी कराते हुए एशियाई हाथी की कई उपजातियाँ मौर्फ़ोमीट्रिक तथा मौलिक्यूलर डाटा प्रणालियों द्वारा पहचानी गई हैं। ऍलिफ़स मैक्सिमस मैक्सिमस (श्री लंकाई हाथी) केवल श्री लंका के द्वीप में पाया जाता है। वह एशियाई हाथियों में सबसे बड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी जंगलों में संख्या ३,००० से ४,५०० तक आंकी गई है, हालाँकि हाल में कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है। बड़े नर हाथी ५,४०० कि॰ के लगभग वज़नी होते हैं तथा कंधे तक ३.४ मी॰ तक ऊँचे होते हैं। नरों के माथे पर बहुत बड़े उभार होते हैं और दोनों लिंगों में अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में रंजकता (pigmentation) क्षीण होती है। विशेषतयः इनके सूंड़, कान, मुँह तथा पेट में हल्के ग़ुलाबी रंग के चित्ते पड़े होते हैं। पिन्नावाला, श्री लंका में हाथियों का अनाथाश्रम है जो इनको विलुप्त होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ऍलिफ़स मैक्सिमस इन्डिकस (भारतीय हाथी) एशियाई हाथी की आबादी का बड़ा हिस्सा बनाता है। क़रीब ३६,००० की आबादी वाले ये हाथी हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्री लंकाई हाथी जितने ऊँचे होते हैं। मुख्य भू-भागीय हाथी भारत से लेकर इंडोनेशिया तक ११ एशियाई देशों में पाया जाता है। इनको जंगली इलाके परिवर्ती अंचल, जो कि जंगलों और घास के मैदानों के बीच होते हैं, पसन्द हैं क्योंकि वहाँ इनको भोजन में अधिक विविधता मिल जाती है। सन् २००३ ई॰ में बोर्नियो द्वीप में एक अन्य उपजाति पहचानी गई है। इसको बोर्नियो पिग्मी हाथी के नाम से नवाज़ा गया है और अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में यह ज़्यादा छोटा और कम आक्रामक होता है। इसके अपेक्षाकृत बड़े कान और पूँछ होते हैं और इसके हाथीदाँत भी अधिक सीधे होते हैं। एशियाई हाथी हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्रीलंकाई हाथी जितने ही ऊँचे होते हैं।सुमात्राई हाथी की रंजकता अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं। हाथी अपनी सूंड या तो चेतावनी देने के लिए या फिर मित्र अथवा शत्रु सूंघने के लिए उठाता है। हाथी की सूंड के रेखाचित्र हाथी अपनी सूंड का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए करता है। यहाँ पर हाथी अपनी आँख पोंछते हुए। सूंड हाथी की नाक और उसके ऊपरी होंठ की संधि है,[38] और लंबी हो जाने के कारण यह हाथी का सबसे महत्वपूर्ण तथा कार्यकुशल अंग बन गई है। अफ़्रीकी हाथियों की सूंड के छोर में दो अँगुलिनुमा उभार होते हैं, जबकि एशियाई हाथियों में केवल एक ही उभार होता है। एक तरफ़ तो हाथी की सूंड इतनी संवेदनशील होती है कि घास का एक तिनका भी उठा लेती है तो दूसरी तरफ़ इतनी मज़बूत भी होती है कि पेड़ की टहनियाँ भी उखाड़ ले। हाथी के हाथीदाँत उसके दूसरी ऊपरी छेदक दाँत होते हैं। हाथीदाँत हाथी के जीवनकाल में निरन्तर बढ़ते रहते हैं। एक वयस्क नर के हाथीदाँत लगभग एक वर्ष में १८ से॰मी॰ की दर से बढ़ते रहते हैं। हाथीदाँत पानी, लवण तथा मूल खोदने के काम आते हैं। इसके अलावा पेड़ों की छाल छीलने और अपने लिए रास्ता तैयार करने में भी हाथीदाँत का बड़ा योगदान होता है। इसके अलावा हाथीदाँत अपनी परिधि जताने के लिए पेड़ों में निशानदेही के लिए तथा कभी कभार अस्त्र-शस्त्र के लिए भी इस्तेमाल में लाए जाते हैं। अन्य स्तनपाइयों की तुलना में हाथी के दाँतों की रचना बिल्कुल अलग होती है। पूरी उम्र भर उनके २८ दाँत होते हैं। यह हैं:–
एशियाई हाथी के चर्वणक दाँत का प्रतिरूप अन्य स्तनपाइयों के विपरीत, जिनके दूध के दाँत झड़ने के बाद स्थाई दाँत आ जाते हैं, हाथी के दाँत निरन्तर बदली होते रहते हैं। लगभग एक वर्ष की आयु में हाथीदाँत के अग्रगामी दूध के दाँत झड़ जाते हैं और हाथीदाँत उगने लग जाते हैं। किन्तु चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा चर्वणक) एक हाथी की आयु में क़रीब पाँच बार[42] या बहुत विरले ही छः बार[43]बदली होते हैं। हाथियों को बोलचाल की भाषा में हाथी (अपने मूल वैज्ञानिक वर्गीकरण से) कहा जाता है, जिसका अर्थ मोटी चमड़ी के जानवरों से है। एक हाथी कि त्वचा २.५ सेंटीमीटर तक मोटी होती है। इसके शरीर का अधिकांश भाग अत्यंत कठोर होता है। हालाँकि, मुंह और कान के भीतर के चारों ओर त्वचा काफ़ी पतली होती है। आम तौर पर, एक एशियाई हाथी की त्वचा में अपने अफ्रीकी रिश्तेदार से अधिक बाल होते हैं। युवा हाथी में यह फ़र्क अधिक नज़र आता है। एशियाई शावकों की त्वचा अमूमन कत्थई रंग के बालों से ढकी रहती है। उम्र के साथ बाल गाढ़े रंग के होने के साथ-साथ कम होने लगते हैं लेकिन उसके सिर और पूँछ में वह सदा रहते हैं। हाथी तरबूज़ को खाने से पहले अपने पैरों से कुचलता हुआ संग्रहालय में रखा हाथी के पैर का नाखून हाथी के पैरों कि बनावट मोटे स्तंभों या खंभों के समान होती है। हाथी को अपनी सीधी टाँगों और बड़े गद्देदार पैरों की वजह से खड़े रहने में मांसपेशियों से कम शक्ति की आवश्यकता होती है। इसी कारण, हाथी बिना थके बहुत लंबे समय तक खड़े रह सकते हैं। वास्तव में, अफ़्रीकी हाथियों को शायद ही कभी लेटे हुए देखा जाता हो, सामान्यत: वे बीमार या घायल होने पर ही लेटते है। इसके विपरीत एशियाई हाथी अक्सर लेटना पसन्द करते हैं। हाथी के पैर लगभग गोल होते हैं। अफ़्रीकी हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर तीन नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर चार नाखून होते हैं। भारतीय हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर चार नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर पाँच नाखून होते हैं। पैर की हड्डियों के नीचे एक कड़ा, श्लेषी पदार्थ होता है जो एक गद्दे या शॉकर के रूप में कार्य करता है। हाथी के वज़न से पैर फूल जाता है, लेकिन वज़न हट जाने से यह पहले जैसा हो जाता है। इसी कारण से गीली मिट्टी में गहरा धँस जाने के बावजूद हाथी अपनी टांगों को आसानी से बाहर खींच लेता है। निद्रा दिन में 2 से 4 घंटे[संपादित करें]पुनरुत्पत्ति और जीवन चक्र[संपादित करें]हाथी के बछड़े[संपादित करें]पर्यावरण का प्रभाव[संपादित करें]🔺अभयारण की तुलना में अधिक संरक्षित क्षेत्र है 🔺इसमें एक से अधिक परिस्थितिकी तंत्र का समावेश होता है। 🔺 पालतू पशुओं को चराने पर सम्पूर्ण प्रतिबंध होता है। 🔺अभयारण्य की तरह किसी एक विशेष प्रजाति पर केन्द्रित नही होता है। 🔺इसकी स्थापना राज्य एवं केन्द्र सरकार के संकलन से की जाती है। 🔺काजीरंगा,काबर्ट,वेलावदर,समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, गीर,दचीगाम आदि महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान हैं। हाथी के बच्चा कितने दिन में पैदा होता है?हाथी का गर्भ काल 22 महीनों का होता है, जो कि ज़मीनी जीवों में सबसे लम्बा है। जन्म के समय हाथी का बच्चा क़रीब 104 किलो का होता है।
वह कौन सा जानवर है जो पूरी जिंदगी प्रेग्नेंट रहता है?शोधकर्ताओं के मुताबिक, कंगारू (Kangaroo) से संबंधित शिशु को जन्म देने वाली प्रजाति स्वैम्प वॉलबी (Swamp Wallaby) पृथ्वी पर मौजूद अकेला ऐसा प्राणी है जो पूरे जीवन प्रेग्नेंट रहता है. मजेदार तथ्य है कि ये जानवर प्रेग्नेंसी के दौरान भी नवजात को स्तनपान (Lactating) कराता रहता है.
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