सैन्धव सभ्यता अपने काल की विकसित नगरीय सभ्यता थी जो बहुत बड़े भू-भाग में फैली हुई थी। विस्तृत क्षेत्र में पनपी यह सभ्यता अपना कोई चिह्न अथवा स्मृति छोड़े बिना कैसे लुप्त हो गई, यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका प्रत्युत्तर हमारे आज के ज्ञान के आधार पर नहीं दिया जा सकता। केवल अनुमान के आधार पर अलग-अलग विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मत प्रस्तुत किये हैं। सामान्यतः किसी भी सभ्यता का पतन एक नहीं अपितु अनेक तथ्यों का परिणाम होता है। जहाँ तक सैन्धव सभ्यता का प्रश्न है, यह सोचना कि इतने विशाल और विविध प्रकार के भौगोलिक क्षेत्र में फैली हुई, दीर्घजीवी, नागरीय सभ्यता का अन्त सर्वत्र किसी एक ही कारण से हुआ हो, सर्वथा अनुपयुक्त होगा। सिंधु सभ्यता के नगर-नियोजन एवं नगर निर्माण में एक ह्रासोन्मुख प्रवृत्ति दिखती है। उदाहरण के लिए पतली विभाजक दीवारों से घरों के आंगन का विभाजन कर दिया गया था। शहर बड़ी तेजी से तंग बस्तियों में बदल रहे थे। विशाल स्नानागार और अन्न भंडार का उपयोग पूर्णत: समाप्त हो गया था। मूर्तियों, लघु मूर्तियों, मनकाओं आदि की संख्या में कमी आई। बहावलपुर क्षेत्र में हाकरा नदी तटों के साथ परिपक्व काल में जहाँ 174 बस्तियाँ थीं, वहाँ उत्तरवर्ती हड़प्पा काल में बस्तियों की संख्या 50 रह गई। जहाँ हड़प्पा, बहावलपुर और मोहनजोदड़ो के त्रिभुज में बस्तियों की संख्या में ह्रास हुआ वहीं गुजरात, पूर्वी पंजाब, हरियाणा और ऊपरी दोआब के दूरस्थ क्षेत्रों में गंगा की बस्तियों की संख्या में वृद्धि हुई। सिंधु सभ्यता के नगरों का पतन स्थूल रूप से लगभग 1800 ई.पू. में हुआ। इस तारीख का समर्थन इस तथ्य से भी होता है कि मेसोपोटामिया साहित्य में 1900 ई.पू. के अंत तक मेलुहा का उल्लेख समाप्त हो गया था। Show पतन के कारण–
प्रशासनिक शिथिलता- जॉन माशल का मत। जलवायु में हुए परिवर्तन के कारण यह सभ्यता नष्ट हो गई- ऑरेल स्टाइन का यह मत है। निष्कर्ष- सिन्धु सभ्यता के पतन के लिए कोई एक कारक उत्तरदायी नहीं हैं, वरन् ऐसा कहा जा सकता है कि अलग-अलग स्थल के पतन के लिए अलग-अलग कारक उत्तरदायी रहे होगें। हड़प्पा सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक है।1800 ई० पू० के आस-पास हड़प्पा सभ्यता के पतन के लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगे थे। इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ इस सम्बन्ध में अब भी मतभेद बना हुआ है। इस लेख में हमने हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों को के बारे में बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है। Do you know the causes of decline of the Harappan Civilisation HN हड़प्पा सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक है।1800 ई० पू० के आस-पास हड़प्पा सभ्यता के पतन के लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगे थे। इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ इस सम्बन्ध में अब भी मतभेद बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण हडप्पा सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। ज्यादातर विद्वानो का मत है की इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप से हुआ, हालाकि इस सभ्यता का विकास नदी के घाटी में ही हुयी थी तो बाढ़ का आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्कसंगत लगता है। वही कुछ और विद्वानो का कहना है की केवल बाढ़ इतनी विशाल सभ्यता का पतन का कारण नहीं हो सकती। इसलिए बाढ़ के अलावा और भी कारणों जैसे - आग लग जाना, महामारी, बाहरी आक्रमण आदि का समर्थन कुछ विद्वान करते हैं। फिर भी तर्कसंगत लगता है कि पहले तो यहाँ बाढ़ का प्रकोप हुआ होगा, जिसमें भारी जान-माल की हानि हुई होगी, उसके बाद मृतको के शवों के सड़ने व अन्य कारणों से महामारी फैली गयी होगी तथा खाद्य सामग्री का अभाव हो गया होगा जिससे बचे हुए अधिकांश लोग भी मर गये होंगे तथा कुछ लोग सुदूर स्थानों पर चले गये होंगे। सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातात्विक स्थलों की सूची हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में विभिन्न विद्वानों का विभिन्न राय विचारक (विद्वान) विचार (मान्यता) स्टुअर्ट, पिगॉट और गॉर्डन-चाइल्ड बाहरी आक्रमण (आर्यन आक्रमण) एम.आर साहनी जलप्लावन (बाढ़) के.वी.आर केनेडी महामारी मार्शल और रायक्स भू-तात्विक परिवर्तन (Tectonic Disturbances) ऑरेल स्ट्रेन और ए.एन घोष जलवायु परिवर्तन वाल्टर फेयरसर्विस वनों की कटाई, संसाधनों की कमी, पारिस्थितिकीय असंतुलन मार्शल, एस.आर राव और मैकी बाढ़ जी.एफ हेल्स घाघगर नदी के बहाव में परिवर्तन के कारण विनाश। व्हीलर अपनी किताब प्राचीन भारत में उन्होंने उल्लेख किया है कि सभ्यता का पतन वास्तव में बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक और राजनीतिक पतन ही मुख्य कारण था। जॉर्ज डेल्स 'द मिथिकल नरसंहार ऐट मोहन जोदड़ो' में व्हीलर की घुसपैठ के सिद्धांत को नकारते हुए उन्होंने तर्क दिया है कि पाए गए कंकाल हड़प्पा काल से संबंधित नहीं थे और समाधी या दफ़न करने का तरीका हड़प्पा काल से मिलता नहीं है। हड़प्पा सभ्यता के पतन में निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तनों से प्रमाणित की जा सकती है: 1. मुहरों, लिपि, विशिष्ट मोती और मिट्टी के बर्तनों की अनुपस्थिति। 2. स्थानीय वजन के उपयोग के लिए मानकीकृत वजन प्रणाली में बदलाव। 3. घर निर्माण तकनीक में बदलाव और बड़े सार्वजनिक ढांचे निर्माण में गिरावट। 4. पक्की ईंटों के बदले पुनः कच्चे ईंटों का प्रयोग प्रारम्भ हो गया था। कुल मिलाकर केन्द्रीकृत ढांचे का पतन होना। खुदार्इ के दौरान मिले तथ्यों से ही विद्वानों ने इसके पतन के कुछ कारण अनुमानों के आधार पर निकाले है और इसके इलावा कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है की कैसे वैभवशाली हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ था। हड़प्पा शहर का अंत कैसे हुआ?अधिकांश विद्वानो के मतानुसार इस सभ्यता का अंत बाढ़ के प्रकोप से हुआ। चूँकि सिंधु घाटी सभ्यता नदियों के किनारे-किनारे विकसित हूई, इसलिए बाढ़ आना स्वाभाविक था, अतः यह तर्क सर्वमान्य हैं। परन्तु कुछ विद्वान मानते है कि केवल बाढ़ के कारण इतनी विशाल सभ्यता समाप्त नहीं हो सकती।
हड़प्पा के नगरों की अंत की शुरुआत कब हुई?जैसे- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान में तथा लोथल जो कि वर्तमान में भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। सिंधु घाटी सभ्यता के क्रमिक पतन का आरंभ 1800 ई. पू. से माना जाता है,1700 ई.
हड़प्पा सभ्यता का अंत क्यों हुआ वर्णन कीजिए?ज्यादातर विद्वानो का मत है की इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप से हुआ, हालाकि इस सभ्यता का विकास नदी के घाटी में ही हुयी थी तो बाढ़ का आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्कसंगत लगता है। वही कुछ और विद्वानो का कहना है की केवल बाढ़ इतनी विशाल सभ्यता का पतन का कारण नहीं हो सकती।
हड़प्पा सभ्यता का विनाश कब हुआ?- 1400 ई. पू.) - यह पतन का काल था, जिसके दौरान Page 3 मॉड्यूल - 1 प्राचीन भारत आपकी टिप्पणियाँ शहर उजड़ने लगे थे और व्यापार समाप्त हो गया था, जिससे धीरे-धीरे शहरीकरण की मुख्य विशिष्टताएं लुप्त होती गईं। आइए सर्वप्रथम हम, हड़प्पा सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का जायजा लेते हैं ।
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