World Kidney Day: 10 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है. किडनी को खराब करने वाले कारकों, किडनी से संबंधित बीमारियों और उसे हेल्दी रखने के लिए जागरुक करने के लिए विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है. किडनी मुट्ठी या सेम के बीज जैसी होती है. यह शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, इसलिए किडनी की सेहत का ध्यान रखना काफी जरूरी होता है. Show किडनी शरीर में कई तरह से काम करती है. इसका मुख्य काम खून से अपशिष्ट पदार्थ, अतिरिक्त पानी और अशुद्धियों को फिल्टर करके बाहर निकालना है. फिल्टर करने के बाद ये सारे अपशिष्ट उत्पाद ब्लैडर में जमा हो जाते हैं और बाद में यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं. किडनी की सेहत के लिए कई फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं. कई लोगों को किडनी की समस्या का अंत में जाकर पता लगता है, तब तक उनकी किडनी डैमेज हो चुकी होती है. लेकिन कुछ ऐसे संकेत भी हैं, जिनसे शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है कि किडनी सही तरह से काम नहीं कर रही है और आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है. किडनी डिजीज के लक्षण (Symptoms of kidney disease) किडनी रोग के शुरुआती चरणों में कुछ ऐसे लक्षण हो सकते हैं, जो कि आपको सामान्य लग सकते हैं. आमतौर पर किडनी की बीमारी में कारण को पता लगाकर उसे दूर करने की कोशिश की जाती है. जैसे-जैसे किडनी डैमेज होती जाती है, वैसे-वैसे किडनी रोग के लक्षण सामने आते जाते हैं. इस दौरान शरीर में काफी अधिक मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ या इलेक्ट्रोलाइट बन सकते हैं, जो कि जहर की तरह काम करने लगते हैं. किडनी डिसीज के शुरुआत में ये लक्षण हो सकते हैं, जो समय के साथ बढ़ सकते हैं.
किडनी की बीमारी होने का कारण (Cause of kidney disease) किडनी की बीमारी के लक्षण किसी अन्य बीमारी के कारण भी हो सकते हैं. इसलिए इन लक्षणों के दिखने का मतलब यह नहीं है कि अगर किसी में ये लक्षण दिख रहे हैं तो उसे किडनी की समस्या ही है. यह किसी अन्य बीमारी के भी लक्षण हो सकते हैं. इसके बारे में सही जानकारी के लिए सबसे पहले डॉक्टर से मिलें. किडनी की बीमारी तब होती है, जब कोई बीमारी किडनी के काम करने की प्रोसेस में दखल देती है, या फिर उसके काम को रोकती है. कई महीनों या वर्षों तक ऐसा होने से किडनी खराब होने लगती है. किडनी रोग होने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे:
किडनी रोग का खतरा बढ़ाने वाले कारक (Factor that increase the risk of kidney disease) कुछ कारक हैं, जो किडनी रोग या उससे संबंधित समस्या को बढ़ा सकते हैं. इसलिए उन कारकों के बारे में भी जान लीजिए.
डॉक्टर को कब दिखाएं (When to see a doctor) Mayoclinic के मुताबिक, अगर किसी को किडनी की बीमारी के लक्षण लंबे समय से दिख रहे हैं, तो उसे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. अगर जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाते हैं और अगर किडनी समस्या निकलती है, तो किडनी फेल होने से रोका जा सकता है. वहीं यदि आपको ऊपर बताई हुई कोई ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जो किडनी के जोखिम को बढ़ा देती है, तो उसके बारे में डॉक्टर को बताएं, वह यूरिन टेस्ट, ब्लड टेस्ट आदि के माध्यम से किडनी के काम करने की प्रोसेस और स्थिति के बारे में पता लगा सकते हैं. ये भी पढ़ें
देश में हर साल लाखों लोग किडनी की बीमारियों की वजह से जान गंवा बैठते हैं, लेकिन इसका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि किडनी की बीमारी का पता तब चलता है, जब किडनियां 60 से 65 प्रतिशत तक डैमेज हो चुकी होती हैं, इसलिए सावधानी ही इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका है। कैसे, बता रहे हैं मज्कूर आलम यह सभी जानते हैं कि किडनियां रक्तशोधन का काम करती हैं। दरअसल इस प्रक्रिया में ये खून से विषैले तत्व और शरीर से अनावश्यक पानी को युरिन के माध्यम से शरीर के बाहर निकाल देती हैं, इसलिए अगर किडनियां ठीक ढंग से काम न करें तो सेहत बिगड़ने लगती है। क्यों होती है किडनी फेल लक्षण: हाथ-पैरों और आंखों के नीचे सूजन, सांस फूलना, भूख न लगना और हाजमा ठीक न रहना, खून की कमी से शरीर पीला पड़ना, कमजोरी, थकान, बार-बार पेशाब आना, उल्टी व जी मिचलाना, पैरों की पिंडलियों में खिंचाव होना, शरीर में खुजली होना आदि लक्षण यह बताते हैं कि किडनियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं। किडनी की बीमारी को चार चरणों में बांटा जा सकता है- दूसरा चरण: ईजीएफआर घट कर 90-60 के बीच में होता है, लेकिन क्रियेटिनिन सामान्य ही रहता है। इस स्टेज में भी युरिन में प्रोटीन ज्यादा निकलता है। तीसरा चरण: ईजीएफआर 60-30 के बीच आ जाता है, वहीं क्रियेटिनिन बढ़ने लगता है। इसी स्टेज में किडनी की बीमारी के लक्षण सामने आने लगते हैं। एनीमिया हो सकता है, ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आ सकता है। शरीर में खुजली होती है। चौथा चरण: ईजीएफआर 30-15 के बीच होता है और क्रियेटिनिन भी बढ़ कर 2-4 के बीच हो जाता है। यह वह स्टेज है कि जरा-सी भी असावधानी मरीज को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की स्टेज में पहुंचा सकती है। पांचवां चरण: ईजीएफआर 15 से कम हो जाता है और क्रियेटिनिन 4-5 या उससे ज्यादा हो जाता है। फिर मरीज के लिए डायलिसिस या ट्रांसप्लांट का ही उपाय बचता है। क्या है इलाज ट्रांसप्लांट ही है स्थायी इलाज: किडनी खराब होने का स्थायी इलाज ट्रांसप्लांट ही है। ट्रांसप्लांट के प्रोसेस के दौरान मरीज और डोनर के ब्लड ग्रुप से लेकर टिश्यू मैचिंग तक कई टेस्ट करके यह तय किया जाता है कि डोनर मरीज के लिए सही है या नहीं। हालांकि ट्रांसप्लांट के बाद डोनर तो कुछ ही दिनों में सामान्य जीवन जीने लगता है, लेकिन मरीज को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। अल्ट्रासाउंड टेस्ट है फायदेमंद इलाज है महंगा अगर इसके अस्थायी इलाज डायलिसिस की बात करें तो एक बार के डायलिसिस पर लगभग 2000 से 3000 रुपये खर्च आता है। महीने में लगभग 8-10 बार डायलिसिस करवाना पड़ता है यानी हर महीने 20 से 30 हजार रुपये का खर्च आता है। किडनी की बीमारी से बचने के उपाय स्वस्थ रखे ये आहार जीवनशैली से जुड़े रोगों में हुई शुमार किडनी से जुड़े कुछ तथ्य - 10 में से एक इंसान में किडनी की बीमारी होने की संभावना होती है भारत में। दिल से है कनेक्शन लिक्विड का सेवन कम करें खून की नियमित जांच है जरूरी
ट्रांसप्लांट करने वालों के लिए क्या हैं नियम डायलिसिस - डॉ. ए. के. भल्ला, चेयरमैन डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी, सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली किडनी के लिए कौन सा टेस्ट होता है?किडनी फंक्शन (Kidney Function Tests)
एल्ब्यूमिन प्रोटीन (albumin protein) की उपस्थिति की जांच के लिए यूरिन टेस्ट किया जाता है। यूरिन में एल्ब्यूमिन प्रोटीन की मौजूदगी किडनी खराब होने का संकेत देती है।
किडनी खराब होने पर कहाँ दर्द होता है?पीठ दर्द या पेट के निचले हिस्से में दर्द: पीठ, बाजू या पसलियों के नीचे दर्द गुर्दे की गड़बड़ी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं जैसे कि गुर्दे की पथरी या पाइलोनफ्राइटिस। इसी तरह, पेट के निचले हिस्से में दर्द मूत्राशय के संक्रमण या एक मूत्रवाहिनी (गुर्दे और मूत्राशय को जोड़ने वाली ट्यूब) में पत्थर होने से जुड़ा हो सकता है।
आपको कैसे पता चलेगा कि आपकी किडनी स्वस्थ है या नहीं?यूरिन एल्ब्यूमिन टेस्ट (Urine Albumin test)
एल्ब्यूमिन एक तरह का ब्लड प्रोटीन होता है जो नॉर्मली यूरिन के जरिए पास नहीं होता है। अगर यूरिन टेस्ट में ये सामने आ रहा है मतलब किडनी की समस्या शुरू हो रही है। इसके अलावा, इमेजिंग टेस्ट जैसे अल्ट्रासाउंड आदि भी किए जाते हैं जो किडनी स्टोन्स का पता लगा सकते हैं।
किडनी खराब होने का शुरुआती लक्षण क्या है?kidney ख़राब होने के लक्षण (kidani fail hone ke lakshan) –. रात के समय पेशाब ज्यादा होना, urine output में बदलाव।. पेशाब का रंग बदल जाना।. Foamy या bubbly पेशाब आना।. Hemoglobin कम हो जाना जिससे आपके ankle, legs में swelling दिखना।. वजन बढ़ना, Skin rashes.. |