कुई की गरमी कम करने के लिए लोग क्या करते है? - kuee kee garamee kam karane ke lie log kya karate hai?

विषयसूची

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  • 1 1 राजस्थान में कुई किसे कहते हैं इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?`?
  • 2 कोई की खुदाई करने वाले लोग क्या कहलाते हैं?
  • 3 राजस्थान में कुंई किसे कहते है तथा यह क्यों बनाई जाती हैं?
  • 4 राजस्थान में चेजारो कुंई का निर्माण करते हैं तो उसके निर्माण में राजस्थान के लोग किसका इस्तेमाल नहीं करते?
  • 5 कुईं के भीतर कौन सा पानी एकत्र होता है?
  • 6 राजस्थान की रजत बूँदें पाठ के आधार पर बताइए कि कुईं का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस नमी को पानी के रूप में बदलने के लिए चार-पाँच हाथ के व्यास की जगह को तीस से साथ हाथ की गहराई तक खोदा जाता है। खुदाई के साथ चिनाई भी की जाती है। इस चिनाई के बाद खड़िया की पट्टी पर रिस-रिस कर पानी एकत्र हो जाता है। इसी तंग गहरी जगह को कुंई कहा जाता है।

कोई की खुदाई करने वाले लोग क्या कहलाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Explanation: चेलवांजी कुएँ की खुदाई व चिनाई करने वाले प्रशिक्षित लोग होते हैं। कुंई कुएँ से छोटी होती है, परंतु गहराई कम नहीं होती।

कुईं की गर्मी कम करने के लिए लोग नीचे क्या फेंकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – कुंई की खुदाई के समय गहराई बढ़ने के साथ-साथ गर्मी बढ़ती जाती है। उस गर्मी को कम करने के लिए ऊपर जमीन पर खड़े लोग बीच-बीच में मुट्ठी भर रेत बहुत जोर के साथ नीचे फेंकते हैं।

कुंई की खुदाई और चिनाई का काम क्या कहलाता है?

इसे सुनेंरोकेंचेलवांजी यानी चेजारे,कुंई की खुदाई ओर एक विशेष तरह की चिनाई करने वाले दक्षतम लोग। यह काम चेजा कहलाता है। चेजारो जिस कुंई को बना रहे हैं, वह भी कोई साधारण ढांचा नहीं है। कुई यानी बहुत ही छोटा-सा कुआं।

राजस्थान में कुंई किसे कहते है तथा यह क्यों बनाई जाती हैं?

इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में छोटे कुएँ को कुंई कहते हैं। छोटे कुँए को राजस्थान में कुंई कहते हैं। यह कुँए व्यास में छोटे होते हैं किन्तु गहरायी सामान्य कुओं की तरह ही होती है। हालांकि विब्भिन स्थान पर कुंईयो की गहराई अलग-अलग(काम-ज़्यादा) होती है। इनका उपयोग वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए किआ जाता है।

राजस्थान में चेजारो कुंई का निर्माण करते हैं तो उसके निर्माण में राजस्थान के लोग किसका इस्तेमाल नहीं करते?

इसे सुनेंरोकेंरेत के नीचे सब जगह खड़िया की पट्टी नहीं है। इसलिए कुंई भी सारे राजस्थान में नहीं मिलतीं। चुरू, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर के कई क्षेत्रों में यह पट्टी चलती है और इसी कारण वहाँ गाँव-गाँव में कुंइयाँ हैं।

कुई का मुंह छोटा क्यों रखा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है। यदि कुंई का व्यास बड़ा होगा तो उसमें कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाता है और तब उसे ऊपर निकालना कठिन होता है।

कुई की खुदाई कैसे की जाती है?

इसे सुनेंरोकेंकुंई का व्यास बहुत कम होता है। इसलिए इसकी खुदाई फावड़े या कुल्हाड़ी से नहीं की जा सकती। बसौली से इसकी खुदाई की जाती है। यह छोटी डंडी का छोटे फावड़े जैसा औजार होता है जिस पर लोहे का नुकीला फल तथा लकड़ी का हत्था लगा होता है।

कुईं के भीतर कौन सा पानी एकत्र होता है?

इसे सुनेंरोकेंकुंई में खड़िया पट्टी पर रेत के नीचे इकट्ठा हुआ जल बूंद-बूंद करके रिस-रिसकर एकत्र होता जाता है। इसे प्रतिदिन दिन में एक बार निकाला जाता है।

राजस्थान की रजत बूँदें पाठ के आधार पर बताइए कि कुईं का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपाठ के आधार पर बताइए। उत्तर : जो लोग कुंई खोदते हैं, उन्हें चेजारे कहा जाता है। राजस्थान के गाँवों में चेजारों को विशेष स्थान प्राप्त था। कुंई खोदने के पश्चात उन्हें गाँव वालों द्वारा बहुत मान-सम्मान दिया जाता था।

कोई का मुंह छोटा क्यों रखा जाता है कारण लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है। यदि कुंई का व्यास बड़ा होगा तो उसमें कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाता है और तब उसे ऊपर निकालना कठिन होता है। निजी होते हुए भी: सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है।

राजस्र्ान की कुं ई क्यों बनाई जाती हैं कुं ई सेजल लेनेकी प्रद्विया बताइए?

इसे सुनेंरोकें➲ कुईं का संबंध राजस्थान से है। कुईं का व्यास छोटा इसलिये रखा जाता है, ताकि कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल नहीं और ऊपर आसानी से निकल जाए। राजस्थान में कुईं का प्रचलन बहुत अधिक रहा है। कुईं राजस्थान जैसे कुछ क्षेत्रों में ही प्रचलित है जहाँ पानी की कमी होती है। भूजल का स्तर भी बेहद कम होता है।

विषयसूची

  • 1 कुई का मुंह छोटा क्यों रखा जाता है स्पष्ट करें?
  • 2 कुईं में पानी एकत्रित होने की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए बताइए कि कुईं के घेरे को छोटा रखने के क्या क्या कारण हैं?
  • 3 कुंई का मुंह छोटा रखने के कौन कौन से कारण है?
  • 4 कुंई की खुदाई और चिनाई का काम क्या कहलाता है?
  • 5 राजस्थान की रजत बूँदें पाठ के आधार पर बताइए कि कुईं का दूसरा नाम क्या है?
  • 6 राजस्थान में जल प्राप्त करने के लिए कुंई का निर्माण वैज्ञानिक खोज से कैसे कम नहीं है अपने विचार प्रस्तुत कीजिए?

कुई का मुंह छोटा क्यों रखा जाता है स्पष्ट करें?

इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है। यदि कुंई का व्यास बड़ा होगा तो उसमें कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाता है और तब उसे ऊपर निकालना कठिन होता है।

कुईं में पानी एकत्रित होने की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए बताइए कि कुईं के घेरे को छोटा रखने के क्या क्या कारण हैं?

इसे सुनेंरोकेंकुंई के तल पर पानी की मात्रा इतनी कम होती है कि यदि कुंई का व्यास बड़ा हो तो कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाएगा। ऐसी स्थिति में उसे ऊपर निकालना संभव नहीं होगा। छोटे व्यास की कुंई में धीरे-धीरे रिस कर आ रहा पानी दो-चार हाथ की ऊँचाई ले लेता है। कुंई के व्यास का संबंध इन क्षेत्रों में पड़ने वाली तेज गर्मी से भी है।

कुंई का मुंह छोटा रखने के कौन कौन से कारण है?

उत्तर-:-

  • रेत में जमा पानी कुंई में बहुत धीरे-धीरे रिसता है। अतः मुँह छोटा हो तभी प्रतिदिन जल स्तर पानी भरने लायक बन पाता है।
  • बड़े व्यास से धूप और गरमी में पानी के भाप बनकर उड़ जाने का खतरा बना रहता है।
  • कुंई की स्वच्छता और सुरक्षा के लिए उसे ढककर रखना जरूरी है; मुँह छोटा होने से यह कार्य आसानी से किया जा सकता है।

राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं तथा कुंई का मुंह क्यों छोटा रखा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में छोटे कुएँ को कुंई कहते हैं। छोटे कुँए को राजस्थान में कुंई कहते हैं। यह कुँए व्यास में छोटे होते हैं किन्तु गहरायी सामान्य कुओं की तरह ही होती है। हालांकि विब्भिन स्थान पर कुंईयो की गहराई अलग-अलग(काम-ज़्यादा) होती है। इनका उपयोग वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए किआ जाता है।

कुई का मुंह छोटा क्यों रखा जाता है 50 से 60 शब्दों में?

इसे सुनेंरोकेंरेत में जमा पानी कुंई में बहुत धीरे-धीरे रिसता है। अतः मुँह छोटा हो तभी प्रतिदिन जल स्तर पानी भरने लायक बन पाता है। बड़े व्यास से धूप और गरमी में पानी के भाप बनकर उड़ जाने का खतरा बना रहता है। कुंई की स्वच्छता और सुरक्षा के लिए उसे ढककर रखना जरूरी है; मुँह छोटा होने से यह कार्य आसानी से किया जा सकता है।

कुंई की खुदाई और चिनाई का काम क्या कहलाता है?

इसे सुनेंरोकेंचेलवांजी यानी चेजारे,कुंई की खुदाई ओर एक विशेष तरह की चिनाई करने वाले दक्षतम लोग। यह काम चेजा कहलाता है। चेजारो जिस कुंई को बना रहे हैं, वह भी कोई साधारण ढांचा नहीं है। कुई यानी बहुत ही छोटा-सा कुआं।

राजस्थान की रजत बूँदें पाठ के आधार पर बताइए कि कुईं का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी।

राजस्थान में जल प्राप्त करने के लिए कुंई का निर्माण वैज्ञानिक खोज से कैसे कम नहीं है अपने विचार प्रस्तुत कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – यह बात बिल्कुल सही है कि राजस्थान में जल संग्रह के लिए बनी कुंई किसी वैज्ञानिक खोज से कम नहीं है। मरुभूमि में चारों तरफ अथाह रेत है। वर्षा भी कम होती है। भूजल खारा होता है।

पालरपानी पातालपानी और रेजाणीपानी में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंपालरपानी- बरसाती पानी, वर्षा का जल जिसे इकट्ठा करके रख लिया जाता है और साफ़ करके प्रयोग में लाया जाता है। पातालपानी वह जल जो दो सौ हाथ नीचे पाताल में मिलता है। यह जल ज्यादातर खारा होता है। रेजाणीपानी-रेत के कणों की गहराई में खड़िया की पट्टी के ऊपर कुंई में रिस- रिसकर एकत्र होनेवाला पानी रेजाणीपानी कहलाता है।

रेजाणी पानी की क्या विशेषता है रेजा शब्द का प्रयोग किसलिए किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंरेजाणीपानी पालरपानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है। यह धरातल से नीचे उतरता है, परंतु पाताल में नहीं मिलता। इस पानी को कुंई बनाकर ही प्राप्त किया जाता है। ‘रेजा’ शब्द का प्रयोग वर्षा की मात्रा नापने के लिए किया जाता है।

कुंई की गरमी कम करने के लिए ऊपर जमीन पर खड़े लोग मुट्ठी भर भरकर नीचे क्या फेंकते हैं?

Free Resources.

कुंई बनने वाले क्षेत्र पर किसका नियंत्रण रहता है?

इसकी नमी धारण करने की क्षमता बहुत होती है।

कुंई की चिनाई करने वाले को क्या कहते है?

मरुभूमि में कुंई के निर्माण का कार्य चेलवांजी यानी चेजार करते हैं। वे खुदाई व विशेष तरह की चिनाई करने में दक्ष होते हैं।

कुंई के लिए कितने रस्से की जरूरत पड़ती है?

लगभग पाँच हाथ के व्यास की कुंई में रस्से की एक ही कुंडली का सिर्फ एक घेरा बनाने के लिए लगभग पंद्रह हाथ लंबा रस्सा चाहिए। एक हाथ की गहराई में रस्से के आठ-दस लपेटे खप जाते हैं और इतने में ही रस्से की कुल लंबाई डेढ़ सौ हाथ हो जाती है।