कौन से जानवर के काटने से रेबीज होता है? - kaun se jaanavar ke kaatane se rebeej hota hai?

हिंदी न्यूज़ लाइफस्टाइलWorld Rabies Day 2021: कुत्ते के अलावा इन जानवरों के काटने से भी होता है रेबीज, ये हैं बचाव के उपाय

World Rabies Day: आज दुनियाभर में 'वर्ल्ड रेबीज डे' मनाया जा रहा है। यह खास दिन हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे लोगों को इस जानलेवा रोग के प्रति जागरूक करने का...

कौन से जानवर के काटने से रेबीज होता है? - kaun se jaanavar ke kaatane se rebeej hota hai?

Manju Mamgainलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 28 Sep 2021 05:43 PM

World Rabies Day: आज दुनियाभर में 'वर्ल्ड रेबीज डे' मनाया जा रहा है। यह खास दिन हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे लोगों को इस जानलेवा रोग के प्रति जागरूक करने का उद्देश्य है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी। 

क्या है रेबीज-
रेबीज एक वायरल इंफेक्शन है जो लायसावायरस के कारण होता है। इंसान के शरीर में यह वायरस कुत्ते, बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के काटने से प्रवेश करता है। खास बात यह है कि यह वायरस पालतू जानवरों के चाटने या काटने पर भी इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकता है। दरअसल, व्यक्ति का खून जब जानवरों की लार‌ के संपर्क में आता है तो उसे रेबीज का खतरा बढ़ जाता है। चिंता की बात यह है कि रेबीज जैसे जानलेवा रोग के लक्षण व्यक्ति में बहुत देर बाद नजर आते हैं।  

रैबीज 2 तरह से करता है प्रभावित- 
रैबीज व्यक्ति के शरीर को दो तरह से प्रभावित करता है। रैबीज वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं। जिसकी वजह से  व्यक्ति या तो जल्द कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है। इसके अलावा यह वायरस, मानव त्वचा या मांसपेशियों के संपर्क में आने के बाद रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क की ओर प्रसारित हो जाता हैं। इस वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने के बाद, इसके लक्षण और संकेत संक्रमित व्यक्ति में दिखाई देने लगते हैं।

रैबीज के लक्षण-
बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, चिंता और व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, अनिद्रा, एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि।

जानवर के काटने पर क्या करें-
अगर किसी व्यक्ति को कुत्ते या बंदर ने काट लिया है तो उस जगह को 10 से 15 मिनट के लिए साबुन से साफ करें। उसके बाद बिना देर किए डॉक्टर के पास जाकर  72 घंटे के अंदर इलाज करवाएं। डॉक्टर की सलाह लिए बिना कोई इलाज ना करें। जख्म पर मिर्ची ना लगाएं। जितना जल्दी हो सके वेक्सिन या एआरवी के टीके लगवाएं।

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कौन से जानवर के काटने से रेबीज होता है? - kaun se jaanavar ke kaatane se rebeej hota hai?

आज विश्व भर में 'वर्ल्ड रेबीज डे' मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी। रेबीज लायसावायरस के कारण होने वाला एक वायरल रोग है। सबसे पहले इस रोग से लड़ने के लिए लुई पाश्चर ने पहली प्रभावी रेबीज वैक्सीन विकसित की थी। आइए आज इस खास मौके पर जानते हैं आखिर क्या है रेबीज, इसके लक्षण और बचाव के तरीके। 

क्या है रेबीज-
 रेबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रेबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी  फैल जाता है। रेबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, जो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है। 

रेबीज का वायरस कैसे करता है प्रभावित-
रैबीज व्यक्ति के शरीर को दो तरह से प्रभावित करता है। रैबीज वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं। जिसकी वजह से  व्यक्ति या तो जल्द कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है। कभी-कभी उसे पानी से भी डर लगता है। इसके अलावा कुछ लोगों को लकवा भी हो सकता है। इसके अलावा यह वायरस, मानव त्वचा या मांसपेशियों के संपर्क में आने के बाद रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क की ओर प्रसारित हो जाता हैं। इस वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने के बाद, इसके लक्षण और संकेत संक्रमित व्यक्ति में दिखाई देने लगते हैं।

रैबीज के लक्षण-
बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, चिंता और व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, अनिद्रा, एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि।

जानवर के काटने पर क्या करें-
-अगर रेबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्ते आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं।
-काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटौल से साफ करें।
-जितना जल्दी हो सके वेक्सिन या एआरवी के टीके लगवाएं।
-पालतु कुत्तों को इंजेक्शन लगवाएं।

जानवर के काटने पर क्या न करें-
-अगर रेबीज से संक्रमित किसी कुत्ते या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें।
-काटे हुए जख्म पर मिर्च न बांधे।
-घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं।
-रेबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्ते व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाए।

72 घटे बाद नहीं होता असर-
यदि किसी भी व्यक्ति को रेबीज संक्रमित किसी जानवर ने काट लिया और उसने 72 घंटे के भीतर अपना इलाज नहीं करवाया तो उसके बाद वेक्सिन या एआरवी के टीके लगावने का कोई फायदा नहीं है। इस लिए जितना जल्दी हो सके वेक्सिन व एआरवी के टीके अवश्य लगावाएं। बता दें, तीनों नगर निगमों के क्षेत्र में करीब 300 लोग रोज कुत्ते के काटने का शिकार होते हैं।

लापरवाही न बरतें-
एम्स के मेडिसन विभाग के डॉक्टर नवल विक्रम का कहना है कि कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगाने चाहिए। रेबीज खतरनाक है मगर इसके बारे में लोगों की कम जानकारी और ज्यादा घातक साबित होती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है मगर ऐसा नहीं है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार कटे अंग पर पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी ये रोग फैल सकता है।

रेबीज के लक्षण कितने दिनों में दिखाई देते हैं?

मनुष्यों में रेबीज की ऊष्मायन(इन्क्यूबेशन) अवधि आमतौर पर 20-60 दिनों के बीच होती है। यद्यपि फुलमिनेंट रोग 5-6 दिनों के भीतर रोगसूचक बन सकता है, चिंता की बात यह है कि 1-3% मामलों में, ऊष्मायन(इन्क्यूबेशन) अवधि 6 महीने से अधिक हो सकती है।

रेबीज कौन से जानवर के काटने से होता है?

इन जानवरों के काटने से होता है रेबीज दरअसल कुत्ता, बिल्ली, बंदर, नेवला, लोमड़ी, सियार या अन्य जंगली जानवरों के काटने से रेबीज भी हो सकता है. इसके अलावा अगर किसी घाव पर गलती से कुत्ते की लार गिर जाती है तो उससे भी रेबीज हो जाता है. जानवरों के द्वारा चाटने, नाखून मारने से भी रेबीज हो सकता है.

रेबीज वायरस कितने समय तक जिंदा रहता है?

इसके बाद उसकी मौत हो जाती है. अगर कोई कुत्ता इससे संक्रमित होता है तो ज्यादातर मामलों में रेबीज बीमारी होने के कारण उसकी 3-5 दिनों में मौत हो सकती है. मनुष्यों में भी रेबीज जानवरों के समान ही होता है.

रेबीज का पता कैसे चलता है?

रैबीज के लक्षण जैसे कि बुखार आना, सिरदर्द होना, घबराहट या बेचैनी होना, चिंता और व्याकुलता रहना, भ्रम की स्थिति में रहना, खाना निगलने में मुश्किल होना, बहुत अधिक लार निकलना। ये सारे लक्षण रैबीज के हैं। इसके अलावा पानी से डर लगना, पागलपन के लक्षण व अनिद्रा की समस्या रैबीज के लक्षण हो सकते हैं।