Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi कविता/कहानी/नाटक की रचना प्रक्रिया Questions and Answers help students in exams. (क) कैसे बनती है कविता प्रश्न 1. किंतु कविता में इस प्रकार के कई उपकरण नहीं होते। कविता
को किसी बाह्य उपकरण की सहायता से सिखाया नहीं जा सकता। कवि अपनी संवेदनाओं को कविता के रूप में प्रस्तुत करता है। दूसरा मत-दूसरा मत यह है कि चित्रकला, संगीतकला आदि के समान कविता लेखन को भी सिखाया जा सकता है। भारत तथा पश्चिमी देशों के कुछ विश्व-विद्यालयों में काव्य लेखन से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाते हैं। इस प्रकार चित्र, संगीत, नृत्य आदि कलाओं के समान कविता लेखन को भी अभ्यास के द्वारा सीखा जा सकता है। कविता के बार-बार पढ़ने तथा विषय के जानने से कवि की संवेदनाओं के निकट पहुंचा जा सकता है। इस मत के
मानने वालों का विचार है कि उचित प्रशिक्षण तथा अभ्यास के द्वारा कविता लेखन सरलता से किया जा सकता है। प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. पाठ से संवाद प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. अनेक शब्द का विशेष अर्थ है कि असहायों और पीड़ितों की संख्या बहुत बड़ी है। ‘दैन्य दानव’, ‘क्रूर स्थिति’, ‘कंगाल बुद्धि’ संक्षिप्त होने पर भी अपने भीतर व्यापकता के भावों को समेटे हुए हैं। अन्यथा स्वातंत्र्य इति’ में लाक्षणिकता विद्यमान है जो बोध कराती है कि भूखे-नंगे व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। वह इंसान के लिए तभी महत्त्वपूर्ण हो सकती है जब उसका पेट भरा हुआ हो। तत्सम शब्दावली की अधिकता है। अतुकांत छंद का प्रयोग होने पर भी भावगत लयात्मकता की सृष्टि हुई है। तुक का स्वाभाविक प्रयोग एक स्थान पर किया गया है। (ख) कैसे लिखें कहानी प्रश्न 1. प्रश्न 2. 1. कथानक अथवा कथावस्तु-यह कहानी का पहला और सर्वप्रथम तत्व है। कहानी में आरंभ से अंत तक जो कुछ कहा जाए उसे . कथानक अथवा कथावस्तु कहते हैं। कहानी में घटित होने वाली घटनाएं ही उसका कथानक होता है। यह कहानी का मूलाधार होता है। इसे आरंभ, मध्य और अंत तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। 2. पात्र-योजना अथवा चरित्र-चित्रण-यह कहानी का दूसरा प्रमुख तत्व है। कहानी में पात्र योजना कथानक के अनुरूप होना चाहिए। कहानी में नायक और नायिका दो प्रमुख पात्र होते हैं। अन्य इनके सहायक पात्र होते हैं। पात्रों के द्वारा ही लेखक अपना उद्देश्य स्पष्ट करता है और समाज को संदेश देता है। 3. संवाद-योजना अथवा कथोपकथन-संवाद का शाब्दिक अर्थ है-परस्पर बातचीत। कहानी में पात्रों के बीच हुई परस्पर बातचीत को – संवाद अथवा कथोपकथन कहते हैं। यह कहानी का तीसरा प्रमुख तत्व होता है। संवाद पात्रों के चरित्र का उद्घाटन करते हैं तथा कहानी का विकास करते हैं। इसलिए संवाद योजना, सहज, सरल, स्वाभाविक तथा पात्रानुकूल होनी चाहिए। 4. देशकाल और वातावरण–यह कहानी का चौथा प्रमुख तत्व होता है। देशकाल और वातावरण से तात्पर्य परिस्थितियों और समय से है। इनके द्वारा कहानी में घटित घटनाओं की परिस्थितियों तथा वातावरण का बोध होता है। कहानी में देशकाल वातावरण कथानक के अनुरूप होना चाहिए तथा घटनाओं से समन्वय होना चाहिए। 5. उद्देश्य-यह कहानी का पाँचवां प्रमुख तत्व है। साहित्य में कोई भी रचना निरुद्देश्य नहीं होती। प्रत्येक रचना का अपना कोई-न कोई उद्देश्य अवश्य होता है। इस प्रकार कहानी भी एक उद्देश्यपूर्ण रचना है। कहानी में लेखक अपने पात्रों के माध्यम से अपना उद्देश्य स्पष्ट करता है। 6. भाषा शैली-यह कहानी का छटा और महत्त्वपूर्ण तत्व है। कहानी में भाषा शैली सरल, सहज, स्वाभाविक, पात्रानुकूल और विषयानुकूल होनी चाहिए। इसमें सहज और सामान्य शब्दावली का प्रयोग होना चाहिए। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. यह दूसरा सत्य है कि कुछ लोगों में इस भावना का विकास हो जाता है और कुछ इसे विकसित करने में समर्थ नहीं होते। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कहानी का मानवीय जीवन से अटूट संबंध है। प्रश्न 8. प्राकृतिक रूप से मनुष्य एक कल्पनाशील प्राणी है। कल्पना करना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। धीरे-धीरे सत्य घटनाओं पर आधारित … (कथा) कथा-कहानी सुनते-सुनाते मनुष्य में कल्पना का सम्मिश्रण होने लगा क्योंकि प्रायः मनुष्य वह सुनना चाहता है जो उसे प्रिय है। .. प्राचीन काल में किसी घटना, युद्ध, प्रेम आदि के किस्से सुनाए जाते थे और श्रोता इन किस्से कहानियों को आनंदपूर्वक सुनते थे। धीरे धीरे ये किस्से ही कहानियों का रूप (धारण) ग्रहण कर लेते हैं। इस प्रकार कहानी कला का धीरे-धीरे विकास हुआ। प्रश्न 9. प्रश्न 10. कभी कहानीकार । की बुद्धि में पूरा कथानक आता है और कभी कहानी का एक सूत्र आता है। केवल एक छोटा-सा प्रसंग अथवा पात्र कहानीकार को आकर्षित करता है। इसलिए कोई एक प्रसंग भी कहानी का कथानक हो सकता है और कोई एक छोटी-सी घटना भी कथानक की प्रमुख घटना हो सकती है। उसके बाद कहानीकार उस घटना अथवा प्रसंग का कल्पना के आधार पर विस्तार करता है। यह सत्य है कि कहानीकार की कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती। यह कोई असंभव कल्पना नहीं होती बल्कि ऐसी कल्पना होती है जो संभव हो सके। कल्पना के विस्तार के लिए लेखक के पास जो सूत्र होता है उसके माध्यम से ही कल्पना आगे बढ़ती है। यह सूत्र लेखक को एक परिवेश, पात्र और समस्या प्रदान करता है। उनके आधार पर लेखक संभावनाओं पर विचार करता है और एक ऐसा काल्पनिक ढांचा तैयार करता है जो संभव हो सके और लेखक के उद्देश्यों सरे भी मेल खा सके। सामान्यत: कथानक में प्रारंभ, मध्य और अंत के रूप में कथानक का पूर्ण स्वरूप होता है। संपूर्ण कहानी कथानक के इर्द-गिर्द घुमती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कथानक कहानी का केंद्र बिंदु होता है। प्रश्न 11. पाठ से संवाद प्रश्न 1. जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। लेखक ने संवादों के माध्यम से भी हामिद के चरित्र को स्वर प्रदान किया है। हामिद का मेले से चिमटा खरीदना उसके मन में अपनी दादी के प्रति संवेदनाओं को व्यक्त करता है। उसे रोटी पकाते समय दादी के हाथ के जलने की चिंता रहती थी, इसलिए उसने चिमटा खरीदा। हामिद का मिठाई और मिट्टी के खिलौनों पर पैसे बर्बाद न करना उसकी समझदारी को व्यक्त करता है। इस प्रकार ‘ईदगाह’ कहानी में लेखक ने स्वयं, संवादों के माध्यम से तथा अन्य बच्चों के वार्तालापों से हामिद का चरित्र-चित्रण किया है। प्रश्न 2. प्रश्न 3. एक दिन राम घर में घूम रहा था और उसकी माँ अपना काम कर रही थीं। अचानक उसकी माँ की नज़र उसके शहीद पति मेजर करण सिंह पर पड़ी। उसने राम को बुलाते हुए कहा कि क्या तुम्हें याद है कि तुम्हारे पिता का देहांत कब हुआ था ? उनको मरे हुए एक वर्ष हो गया था। राम ने बिल्कुल ठीक-ठाक जवाब दे दिया। उसकी माँ ने उसे उन्हें प्रणाम करने को कहा। दोनों ने उनको प्रणाम किया और भगवान् से प्रार्थना की कि अगले जन्म में वे ही हमारे परिवार के सदस्य बनें। उनके परिवार में शहीद की पत्नी और उनका आठ साल का लड़का राम रहते थे। राम ने बड़े ही आदर से अपनी माँ से पूछा कि उनका देहांत कैसे हुआ था। उसकी माँ ने बताया कि दुश्मनों को मारते-मारते वह खुद भी चल बसे। उन्होंने वहाँ दीपक जलाया और वापस अपने-अपने कामों में लग गए। चोर बना शरीफ एक रात एक चोर किसी के घर चोरी करके आया था। जाते-जाते उसने देखा कि एक सरकारी नौकर पेड़ काट रहा था। रात बहुत हो चुकी थी। सारा शहर सो गया था। कोई वाहन सड़क पर नहीं था। केवल वह चोर और वह पेड़ काटने वाला ही सड़क पर थे। चोर ने सारा तमाशा एक कोने में खड़े होकर देखा। पहले तो वह बहुत खुश हो रहा था। लेकिन बाद में जब उसने सारा पेड़ काट दिया तो उसके पत्थर दिल में थोड़ी हमदर्दी उस पेड़ के लिए आई। धीरे-धीरे उस चोर का दिल मोम की तरह पिघल गया। उसने सोचा कि यह पेड़ हमें छाया देते हैं। यह उसे काटे जा रहा है। उसने चोरी किया हुआ समान वापस उस घर में रखा जहाँ से उसने चोरी की थी। वापस आकर देखा तो सारा पेड़ कट चुका था और वह आदमी वहीं उसे काट कर सो गया था। चोर ने अपनी बंदूक साथ के तालाब में फेंक . दी और प्रण लिया कि वह सारे बुरे काम छोड़ देगा और एक आम आदमी बन कर रहेगा। उसने अपने आपको पुलिस के हवाले कर दिया। उसे दस साल की जेल हुई। बाहर आने पर उसने कुछ कमाने के लिए टी-स्टाल खोल लिया और खुशी-खुशी जीने लगा। घर में आग राजू और उसकी माँ हर रोज़ की तरह अपना-अपना काम कर रहे थे। उसकी माँ फोन पर बात कर रही थी और वह बाहर खेल रहा था। वह घर पर आया और सीधा रसोई की तरफ चल पड़ा। वह बहुत प्यासा था। गैस खुली हुई थी। उसने जैसे ही लाइट का स्विच ऑन किया वैसे ही धमाका हुआ और रसोई में आग लग गई। उसने चिल्लाना शुरू कर दिया- ‘बचाओ-बचाओ।’ उसकी माँ ने आवाज़ सुनी और वह घबरा गई। वह मदद के लिए आस-पास के घरों में भागी। लेकिन कोई मदद करने को तैयार नहीं था। उसने फोन उठाया और 102 पर डॉयल किया। फॉयर-ब्रिगेड को आने में पंद्रह मिनट लगने थे। उसने आग बुझाने की पूरी कोशिश की लेकिन आग धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। राजू बेहोश हो गया था। उसकी माँ को डर था कि वह मर न गया हो। अचानक फॉयरब्रिगेड आई और उसने आग .. बझा दी। राज को फौरन अस्पताल पहँचा दिया गया। थोडे दिनों में ही वह ठीक हो गया और फिर से खेलने लगा। उसकी माँ ने सीखा कि कभी भी गैस खुली नहीं छोड़नी। रोहित एक आठ साल का लड़का है। उसे पढ़ना बहुत पसंद था लेकिन जब से उसके घर में नया टी० वी० आया तब से वह सारे काम छोड़कर टी० वी० देखता रहता है। उसने पढ़ना तक छोड़ दिया। उसे अब पढ़ने में कोई रुचि नहीं थी। वह सारा दिन एकटक आँखें लगाए टी० वी० देखता रहता था। वह चौबीस घंटों में से कम-से-कम दस घंटे टी० वी० देखता रहता था। उसका दिमाग़ अब वैसे ही सोचने लगता जैसे वह टी० वी० में देखता था। वह स्कूल से बहुत छुट्टी लेता था। वह अपने दोस्तों से भी लड़ता रहता था। वह दिन भर टी०वी० देखते-देखते पतला होता जा रहा था। वह जल्द ही बीमार हो जाता था। उसके माता-पिता जी ने सोच लिया कि वह टी० उन्होंने केबल काट भी दी। वह बहत रोने लगा। वह पूरा एक दिन रोता रहा। उसकी माँ ने उसे समझाया कि ज़्यादा टी० वी० देखने से आँखें ख़राब हो जाती हैं, पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता, स्कूल जाने का मन नहीं करता। जो उसकी माँ ने उसे समझाया वह सब समझ गया और उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह अब एक घंटे से ज्यादा टी० वी० नहीं देखेगा। उसका पढ़ाई में ध्यान लगना शुरू हो गया और वह फिर कक्षा में अच्छे अंक लेने लगा। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें ज़्यादा टी० वी० नहीं देखना चाहिए, अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। प्रश्न 4. (ग) नाटक लिखने का व्याकरण प्रश्न 1. नाटक किसे कहते हैं ? प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. पाठ से संवाद प्रश्न 1. नाटककार अपने नाटक का कथ्य भूतकाल से ले अथवा भविष्यकाल से उसे उस नाटक को वर्तमान काल में ही संयोजित करना होता है। कैसा भी नाटक हो उसे एक विशेष समय में, एक विशेष स्थान पर और वर्तमान काल में ही घटित होना होता है। कोई भी पौराणिक अथवा ऐतिहासिक कथानक भी न आँखों के सामने वर्तमान में ही घटित होता है। इसलिए नाटक के मंच-निर्देश वर्तमान काल में ही लिखे जाते हैं। इन्हीं कारणों से नाटक की कहानी बेशक भूतकाल या भविष्यकाल से संबद्ध हो उसे वर्तमान काल में ही घटित होना पड़ता है। प्रश्न 2. प्रश्न 3. पूनम – (रमेश को समझाते हुए) कोई बात नहीं, धंधे में नफा-नुकसान होता रहता है। अभी कुछ दिन की मोहलत माँग लेते हैं। लड़के वाले मान ही प्रश्न 4. (ख) (घ) कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण प्रश्न 1. नाटक: प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. पाठ से संवाद प्रश्न 1. प्रश्न 2. अगले दृश्य में चंद्रिका प्रसाद का परेशान मुद्रा में आना। भोजन करना पति-पत्नी का वार्तालाप। अगले दृश्य में सिद्धेश्वरी का खाना खाने बैठना। सोए हुए पुत्र को देखना आधी रोटी उसके लिए रखना। अंतिम दृश्य में आँसू बहाते हुए सिद्धेश्वरी का भोजन करना, घर में मक्खियों का भिनभिनाना और चंद्रिका प्रसाद का निश्चिततापूर्वक सोना। दृश्य तीन (रामचंद्र थकाहारा-सा घर में आता है। सिद्धेश्वरी उसके हाथ-पैर धुलवाती है। वह पटरा लेकर बैठ जाता है। सिद्धेश्वरी उसके सामने थाली में खाना लगा रख देती है।) सिद्धेश्वरी-खाना खाओ बेटा! सिद्धेश्वरी-दफ्तर में कोई बात हो गई है क्या ? प्रश्न 3. कविता क्या है और कैसे बनती है?कविता दो प्रकार से लिखी जाती है पहली छंदमुक्त और दूसरी छंदयुक्त कविताएं। छंदमुक्त कविताएं- छंदमुक्त कविताएं कविता लेखन की शुरुआत करने पर लिखी जाती है। जब कोई रचनाकार कविता लिखने की शुरुआत करता है, तो वो सबसे पहले छंदमुक्त रचनाएं ही लिखता है एवं उन्हें महत्व देता है।
कविता की संरचना कैसे की जाती है?कवि की कल्पना शब्दों के सार्थक और उचित प्रयोग द्वारा ही साकार होती है। अपनी हृदयगत भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कवि भाषा की अनेक प्रकार से योजना करता है ओर इस प्रकार प्रभावशाली कविता रचता है। शब्द शक्ति, शब्द गुण, अलंकार लय तुक छंद, रस, चित्रात्मक भाषा इन सबके सहारे कविता का सौंदर्य संसार आकार ग्रहण करता है।
कक्षा 12 कविता के लिए कौन कौन से घटक होने चाहिए?भाषा— भाषा कविता का महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि भाषा के माध्यम से ही कवि अपनी संवेदना और भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करता है।. शैली— शैली भी कविता का प्रमुख घटक है। ... . बिंब— बिंब का शाब्दिक अर्थ है– शब्दचित्र। ... . छंद— यह कविता का अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि छंद ही कविता को कविता का रूप प्रदान करते हैं।. कविता क्या है pdf?कविता ही मनुष्य के हृदय को स्वार्थ-संबंधों के संकुचित मंडल से ऊपर उठाकर लोक-सामान्य भाव-भूमि पर ले जाती है, जहाँ जगत् की नाना गतियों के मार्मिक स्वरूप का साक्षात्कार और शुद्ध अनुभूतियों का संचार होता है, इस भूमि पर पहुँचे हुए मनुष्य को कुछ काल के लिए अपना पता नहीं रहता। वह अपनी सत्ता को लोक-सत्ता में लीन किए रहता है।
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