कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए Show कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में स्रोत :
Additional information availableClick on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher. Don’t remind me again OKAY About this sherLorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim. Close rare Unpublished contentThis ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left. Don’t remind me again OKAY कितना है बदनसीब ज़फ़र?कितना है बदनसीब 'ज़फर' दफ्न के लिए, दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में. 1677 : नीदरलैंड के जॉन और निकोल्स वान डर हेडेन को अग्निशामक यंत्र के लिए पेटेंट मिला. 1784 : पेनसिलवेनिया पैकेट एंड जनरल एडवरटाइजर नाम से अमेरिका का पहला दैनिक अखबार छपा.
लगता नहीं है दिल मेरा किसकी रचना है?लगता नहीं है दिल मेरा - कृष्णा अग्निहोत्री Lagta Nahin Hai Dil Mera - Hindi book by - Krishna Agnihotri.
बहादुर शाह ज़फ़र की मृत्यु कहाँ हुई *?7 नवंबर 1862बहादुर शाह ज़फ़र / मृत्यु तारीखnull
हिंदियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की तख़्त ऐ लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की ये पंक्तियाँ किसकी थी?एक दिन उनमें से एक रखवाले ने जफर साहब को चिढ़ाते हुए कहा, दमदमे में दम नहीं, अब खैर मांगो जान की, ऐ जफर अब हो चुकी शमसीर हिन्दुस्तान की। जफर साहब ने तुरंत ही पलटकर जवाब दिया, हिन्दियों में बू रहेगी, जब तलक ईमान की, तख्ते लंदन तक चलेगी तेग हिन्दुस्तान की।
|