कवि निराला ने बादल को गरजने के ललए कि क्यों कक? - kavi niraala ne baadal ko garajane ke lale ki kyon kak?


निराला विद्रोही कवि थे इसलिए उनके काव्य-शिल्प में भी विद्रोह की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने कला के क्षेत्र में रूढ़ियों और परंपराओं को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने भाषा, छंद, शैली-प्रत्येक क्षेत्र में मौलिकता और नवीनता का समावेश करने का प्रयत्न किया था। वे छायावादी कवि थे इसलिए शिल्प की कोमलता उनकी कविता में कहीं-न-कहीं अवश्य बनी रही थी। उनकी कविताओं के शिल्प में विद्यमान प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

(i) भाषागत कोमलता- उनकी भाषा में एकरसता की कमी है। उन्होंने सरल, व्यावहारिक, सुबोध, सौष्ठव प्रधान और अलंकृत भाषा का प्रयोग किया है। उनकी भाषा पर संस्कृत का विशेष प्रभाव है-

विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन !
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो।

(ii) कोमलता- निराला की कविताओं में कोमलता है। उन्होंने विशिष्ट शब्दों के प्रयोग से कोमलता को उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की है-
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्‌युत्-छवि उर में, कवि नवजीवन वाले।

(iii) शब्दों की मधुर योजना- निराला जी ने अन्य छायावादी कवियों की तरह भाषा को भाषानुसारिणी बनाने के लिए शब्दों की मधुर योजना की है यथा-
शिशु पाते हैं माताओं के
वक्ष-स्थल पर भूला गान
माताएँ भी पातीं शिशु के
अधरों पर अपनी मुस्कान।

(iv) लाक्षणिक प्रयोग-निराला की भाषा में लाक्षणिक प्रयोग भरे पड़े हैं। उन्होंने परंपरा के प्रति अपने विरोध- भाव को प्रकट करते समय भी लाक्षणिकता का प्रयोग ही किया था-
कठिन शृंखला बज-बजा कर
गाता हूँ अतीत के गान
मुझ भूले पर उस अतीत का
क्या ऐसा ही होगा ध्यान?

(v) संगीतात्मकता- छायावादी कवियों की तरह निराला ने भी तुक के संगीत का प्रयोग प्राय: नहीं किया था और उसके स्थान पर लय-संगीत को अपनाया था। उन्हें संगीत का अच्छा ज्ञान था। उनकी यह विशेषता कविता में स्थान- स्थान पर दिखाई देती है-
कहीं पड़ी है उर में
मंद-मंद पुष्प-माला
पाट-पाटा शोभा-श्री
पट नहीं रही है।

(vi) चित्रात्मकता- निराला जी ने शब्दों के बल पर भाव चित्र प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने बादलों का शब्द चित्र ऐसा खींचा है कि वे काले घुंघराले बालों के समान आँखों के सामने झूमते-गरजते-चमकते से प्रतीत होने लगते हैं।

(vii) लोकगीतों जैसी भाषा- निराला ने अनेक गीतों की भाषा लोकगीतों के समान प्रयुक्त की हैं। कहीं-कहीं उन्होंने कजली और गजल भी लिखी हैं। इसमें कवि ने देशज शब्दों का खुल कर प्रयोग किया है-

अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।

(viii) मुक्त छंद- निराला ने मुख्य रूप से अपनी भावनाओं को मुक्त छंद में प्रकट किया है। उन्होंने छंद से मुक्त रह कर अपने काव्य की रचना की है। इनके मुक्त छंद को अनेक लोगों ने खंड छंद, केंचुआ छंद, रबड़ छंद, कंगारू छंद आदि नाम दिए हैं।

(ix) अलंकार योजना- कवि ने समान रूप से शब्दालंकारों और अर्थालंकारों का प्रयोग किया है। इससे इनके काव्य में सुंदरता की वृद्धि हुई है।

(i) पुनरुक्ति प्रकाश-
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले।

(ii) उपमा-बाल कल्पना के-से पाले।

(iii) वीप्सा-विकल विकल, उन्मन थे उन्मन

(iv) प्रश्न-क्या ऐसा ही होगा ध्यान?

(v) अनुप्रास- कहीं हरी, कहीं लाल

(vi) यमक-पर-पर कर देते हो।

वास्तव में निराला ने मौलिक शिल्प योजना को महत्व दिया है जिस कारण साहित्य में उनकी अपनी ही पहचान है।

प्रश्न 5-1: कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने' के लिए कहता है, क्यों?

उत्तर 5-1: निराला क्रांतिकारी कवि थे। वे समाज में बदलाव लाना चाहते थे इसलिए जनता में चेतना जागृत करने के लिए और जोश जगाने के लिए कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए न कह 'गरजने' के लिए कहा है। गरजना शब्द क्रान्ति, बदलाव, विरोध दर्शाता है।

प्रश्न 5-2: कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?

उत्तर 5-2: कवि ने गीत में बादलों के माध्यम से लोगों में उत्साह का सृजन करने को कहा है। वह लोगों को क्रान्ति लाने के लिए उत्साहित करना चाहते हैं इसलिए कविता का शीर्षक उत्साह रखा गया है।

प्रश्न 5-3: कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है ?

उत्तर 5-3: कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है -
• पानी बरसा कर सबकी प्यास बुझाता है और सुखी बनाता है।
• गर्जन कर क्रांतिकारी चेतना जागृत करता है।
• नवनिर्माण कर नवजीवन प्रदान करता है।

प्रश्न 5-4: शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।

उत्तर 5-4: कविता की इन पंक्तियों में नाद-सौंदर्य मौजूद है -
1: "घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
2: ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले
3: "विद्युत-छबि उर में"
4: विकल-विकल, उन्मन थे उन्मन

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One Line Answer

कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने' के लिए कहता है, क्यों?

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Solution

कवि ने बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं कहता बल्कि 'गरजने' के लिए कहा है; क्योंकि 'गरजना' विद्रोह का प्रतीक है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से कविता में नूतन विद्रोह का आह्वान किया है।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A)

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Chapter 5: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह और अट नहीं रही है - उत्साह [Page 35]

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NCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2

Chapter 5 सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह और अट नहीं रही है
उत्साह | Q 1 | Page 35

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कवि निराला ने बादलों को गरजने के लिए क्यों कहा है?

कवि बादल को गरजने के लिए इसलिए कहता है क्योकि वह वातावरण में जोश, पौरुष और क्रांति चाहता है। निराला को बादल की गर्जन बहुत प्रिय है। उत्साह छायावादी कविता है।

उत्साह कविता में कवि बादल को गरजने के लिए क्यों कहता है बादल से कवि की अन्य अपेक्षाएँ क्या है?

बादल से कवि की अन्य अपेक्षाएँ क्या हैं? उत्तर- 'उत्साह' कविता में कवि बादल को गरजने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि वह लोगों में उत्साह और क्रांति लाना चाहता है। उससे कवि अपेक्षा करता है कि गरमी से व्याकुल, पीड़ित और वेचैन लोगों को छुटकारा दिलाए।

क बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है उत्साह कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

कवि बादलों से गरजने का आह्वान करता है। कवि का कहना है कि बादलों की रचना में एक नवीनता है। काले-काले घुंघराले बादलों का अनगढ़ रूप ऐसे लगता है जैसे उनमें किसी बालक की कल्पना समाई हुई हो। ... इसलिए कवि बादलों से कहता है कि वे किसी नई कविता की रचना कर दें और उस रचना से सबको भर दें।

कवि ने बादलों को क्या क्या कहा है और क्यों?

उत्तर कवि ने बादल को कल्पना जैसे विस्तार के समान घने बाल वाले, नवजीवन देने वाले कवि के समान, अज्ञात दिशा से आए अनंत के घन इत्यादि कहा है।