ध्वनि कविता का सार, ध्वनि का सार, ध्वनि कविता का सारांश, ध्वनि का सार'ध्वनि' कविता श्री सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा लिखित एक उत्साहवर्धक कविता है। कवि ने इस कविता में मानव के मन एवं हृदय में वसंत रूपी उत्साह के आगमन की बात की है। कवि का कहना है कि अभी उसकी मृत्यु नहीं होगी। अभी-अभी उसके जीवन में कोमल, मधुर, और सुकुमार वसंत का आगमन हुआ है। उसके जीवन में बहुत लंबे समय के बाद खुशियाँ आई हैं। अभी उसकी मृत्यु नहीं हो सकती है। Show
जीवन में उसे चाहे विपरीत परिस्थितियाँ मिली हैं पर वह उनसे परेशान होकर अपने आपको हताश और निराश नहीं होने देगा। उसके हृदय में जीने की असीम इच्छा है। उसके मन में अभी नये उत्साह का संचार हुआ है। वह लोगों के सुख के लिए अभी रहेगा। वह सोई हुई कलियों को अपने हाथ से सहलाते हुए दुलारेगा। वह उन्हें सूर्य की तरह जगाएगा। इस कार्य से उसके मन को खुशी मिलेगी जिससे सोई हुई कलियों को सूर्य के प्रकाश की भाँति वह नया जीवन देने का प्रयास करेगा। कवि कहता है कि वह ऊब के कारण होने वाले आलस्य को प्रत्येक फूल से खिंचकर फेंक देगा। वह उन पर अपने नए जीवन की खुशियों को बरसाने की बात करता है। वह उन फूलों को खुशियाँ देना चाहता है। कवि जीवन में निराश और हताश लोगों को वह रास्ता दिखाना चाहता है, जहाँ उनकी असीम खुशियाँ हैं। अत: वह बार-बार कहता है कि अभी उसका ऑंतिम समय नहीं आया। अभी उसकी मृत्यु नहीं हो सकती अर्थात् अभी वह रहेगा| ------------------- ध्वनि कविता की व्याख्या, ध्वनि की व्याख्या, ध्वनि कविता का भावार्थ, ध्वनि का भावार्थध्वनि कविता का भावार्थ- ध्वनि कविता में कवि कहता है कि प्रकृति में वसंत ऋतु का आगमन होने से अभी प्राकृतिक सुंदरता नष्ट नहीं होगी। प्राकृति कहती है कि उसके जीवन में सुंदर कोमल वसंत ऋतु का अभी-अभी ही तो आगमन हुआ है। वसंत के आने से चारों तरफ वन-उपवन में सुंदरता ही सुंदरता फैली फैल गई है। वसंत ऋतु के आने से पेड़-पौधों पर हरे-हरे पत्ते निकलने लगे हैं। पेड़-पौधों के हरे-भरे हो जाने से इन पर कोमल-कोमल कलियां दिखाई देने लगी हैं, जो पेड़-पौधे सोए हुए से लगते थे या आलस्य से भरे हुए लगते थे, अब प्रकृति स्वयं वसंत के आने पर किसी सपने की भांति अपने हाथों से सोई हुई कलियों को स्पर्श करेंगी। प्रकृति के स्पर्श होते ही ये सोई हुई कलियां जाग उठेगी। मनोहारी सवेरा की भांति यह समय उनके जीवन में प्रकट होगा। ध्वनि कविता का भावार्थ- ध्वनि कविता में प्रकृति कहती है कि मैं वन-उपवन से नींद में अलसाई रहने की इच्छा को खींच लूंगी अर्थात उनमें नवीन विचारों का संचार कर दूंगी। जिस प्रकार मैं सदैव नवीन बनी रहती हूं उसी प्रकार उनमें भी नव जीवन रूपी अमृत की धारा उत्पन्न कर दूंगी। प्रकृति कहती है कि मैं उन सभी को अर्थात फूलों को वन-उपवन को अपना अनंत सौंदर्य दिखा दूंगी। प्रकृति सदैव सुंदर और मनोहारी होती है उसकी सुंदरता का कभी भी अंत नहीं हो सकता है। प्रकृति कहती है की वसंत के माध्यम से मेरा सौंदर्य अभी-अभी ही तो शुरू हुआ है। ध्वनि कविता का प्रश्न उत्तरध्वनि का प्रश्न उत्तरकविता सेप्रश्न-1- कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा ?उत्तर- ध्वनि कविता में कवि प्रकृति प्रेमी है वह अपना विस्तार पाकर स्वयं को मृत्यु-भय से मुक्ति पाता है। वह प्रकृति में रहकर मिलने वाले अच्छे आनंद के प्रभाव से स्वयं को अमर्त्य मानता है। उसे विश्वास है कि प्रकृति द्वारा मिलने वाले अमृत को पाकर वह अमर हो जाएगा अर्थात अमरता प्राप्त कर लेने के बाद उसका अंत कभी भी नहीं होगा। प्रश्न-2- फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन सा प्रयास करता है?उत्तर- कवि फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए उसे सुबह-सुबह अपने कोमल हाथों से छूकर जगाने का प्रयास करता है। फूलों को छूकर कवि उसके आलस्य को भगा देना चाहता है। वह अपने मन में जीवनदायी रहस्य, सुकुमारता और कोमलता इत्यादि मनोहारी भाव को फूलों को दे देना के लिए लालायित है। प्रश्न-3- कवि फूलों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या-क्या करना चाहता है?उत्तर- कवि सोए हुए पुष्पों की तंद्रा एवं आलस्य को भगाने के लिए उन्हें अपने कोमल-कोमल प्यारे सपने दिखाना चाहता है। वह उन सोई कलियों को अपने हाथों से सहलाना चाहता है। उन कलियों के लिए सूर्य को ही प्रकट कर उन्हें जगाना चाहता है। कवि प्रत्येक स्तर पर उन कलियों की निद्रा को दूर करना एवं भगाना चाहता है अर्थात उसकी तंद्रा और आलस्य को भगाकर उनमें एक नवीन विचारों के संचार को भरना चाहता। कविता से आगे-प्रश्न-1- वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।उत्तर- वसंत ऋतु के आगमन पर प्रकृति हँसते हुए और सौंदर्य विखेरती हुई दिखती है। मदमाती शीतल-पवन के झोंके में मन को प्रफुल्लित या आनंदित करने वाली स्वर लहरिया चारों तरफ गूंजने लगती है। वसंत ऋतु में प्राकृतिक सौंदर्य महान शिल्पी के समान लगती है। वसंत के आगमन पर चिड़ियों का चहचहाना आकाश की नीलिमा सभी प्राणियों की बदली हुई विचार धारा वसंत ऋतु को ऋतुराज होने का गौरव प्रदान करते हैं प्रश्न-2- वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।उत्तर- जैसा कि आप लोग जानते ही हैं कि वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा गया है। इस ऋतु में अनेक पर्व त्यौहार मनाए जाते हैं। उनमें प्रमुख त्यौहार है महाशिवरात्रि, होली, वसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा स्नान, नवरात्र आदि आप किसी एक विषय पर निबंध है लिख सकते हो। प्रश्न-3- ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं लिखिए?उत्तर-लोगों के जीवन पर ऋतु परिवर्तन का गहरा प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव सभी प्राणियों के मानसिक शारीरिक इत्यादि अवस्थाओं में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए ग्रीष्म ऋतु में गर्मी की अधिकता से लोगों की पाचन क्रिया खराब हो जाती है। सभी व्यक्ति ठंड के मौसम को पसंद करते हैं। गर्मी के अधिक पड़ने के कारण लोग सुबह-सुबह ही अपने सभी कार्यों को खत्म कर लेना पसंद करते हैं। दोपहर के समय इसी शांत और शीतल जगह पर आराम फरमाते हैं। समय-समय पर आंधी और तूफान जनजीवन को प्रभावित करता रहता है। ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। इसके आने से वायु में नमी और शीतलता बढ़ जाती है। ग्रिष्म में धूप से तप्त प्राणियों के चेहरे पर शांति लगती है। किसान हल लेकर खेतों की तरफ निकल देते हैं। चारों ओर हरियाली की छटा बिखरती हुई दिखाई देती है। धूल मिट्टी नष्ट हो जाती है और वायुमंडल पहले से शुद्ध हो जाता है। जगह-जगह सावन के मधुर स्वर रहरिया गाई जाती हैं। ध्वनि कविता का अनुमान और कल्पनाप्रश्न-1- कविता की निम्नलिखित पंक्तियां पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन हुआ है?फूटे हैं आमों में बौर |