लड़की की शादी की आगे इन इंडिया 2022 - ladakee kee shaadee kee aage in indiya 2022

महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को इस प्रस्ताव की घोषणा करते हुए इसकी जानकारी दी थी। वर्तमान में देश में पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है, जबकि महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। PM मोदी ने महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र बढ़ाने के फैसले को लड़कियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी बताया था।

अब सवाल उठ रहा है कि क्या अब कोई 18 साल से अधिक उम्र की लड़की (बालिग), जो 21 साल के कम उम्र की होगी, वह शादी कर नहीं पाएगी? चलिए समझते हैं क्या कहते हैं कानून?

क्या है महिलाओं की शादी की उम्र 21 वर्ष किए जाने का प्रस्ताव?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान लड़कियों की शादी की उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष किए जाने संबंधी प्रस्ताव का ऐलान किया था। PM ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा था, ''सरकार बेटियों और बहनों के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा से चिंतित रही है। बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए, ये जरूरी है कि उनकी शादी सही उम्र में हो।''

अभी भारत में महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों की 21 वर्ष है। कानून में बदलाव के बाद अब महिला और पुरुष दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष हो जाएगी।

महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए किन ऐक्ट में होंगे बदलाव?

महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए सरकार हिंदू मैरिज ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 5 (iii), स्पेशल मैरिज ऐक्ट, 1954 और बाल विवाह निषेध ऐक्ट, 2006 में बदलाव करेगी, इन तीनों में ही सहमति से महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष होने का जिक्र है।

सरकार ने क्यों किया महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव का फैसला?

PM नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले के पीछे उन्हें स्वस्थ्य बनाना और कुपोषण से बचाना बताया था। साथ ही सरकार शादी की उम्र बढ़ाकर महिलाओं के कम उम्र में मां बनने से उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों को रोकना करना चाहती है।

इस मामले में टास्क फोर्स गठित किए जाने के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के अपने बजट भाषण में कहा था कि 1978 में शारदा एक्ट 1929 में बदलाव करते हुए महिलाओं की शादी की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष की गई थी। उन्होंने महिलाओं की शाद की उम्र बढ़ाने के हालिया प्रस्ताव की वजह बताते हुए कहा था कि अब जबकि भारत और तरक्की कर रहा है, तो महिलाओं के लिए ऊंची शिक्षा हासिल करने और करियर बनाने के अवसर भी बढ़ गए हैं।

साथ ही इस फैसले का उद्देश्य कम उम्र में शादी से मातृ मृत्यु दर के बढ़ने के खतरे को कम करना और महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार करना भी है। सीतारमण ने कहा था कि इस पूरे मुद्दे को एक लड़की के मां बनने की उम्र में प्रवेश के नजरिए से देखा जाना चाहिए।

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महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव की किस आधार पर हुई सिफारिश?

महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर 21 वर्ष का किए जाने संबंधी प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी दिसंबर 2020 में नीति आयोग को सौंपी गई केंद्रीय टास्क फोर्स की सिफारिशों पर आधारित हैं, जिसकी अध्यक्ष जया जेटली थीं। महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा जून 2020 में गठित इस टास्क फोर्स में नीति आयोग के डॉ वी के पॉल और महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों के सचिव और विधायी विभाग भी शामिल थे।

इस टास्क फोर्स का गठन मातृत्व की उम्र से संबंधित, MMR (मातृ मृत्यु दर) को कम करने की अनिवार्यता, पोषण स्तर में सुधार और संबंधित मुद्दों से संबंधित मामलों के लिए किया गया था। टास्क फोर्स ने इस मामले को लेकर 16 यूनिवर्सिटीज, 15 NGO, हजारों युवाओं, पिछड़े तबको और सभी धर्मों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से समान रूप से फीडबैक लिया।

महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ने से पड़ेगा क्या प्रभाव?

महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाए जाने के बाद इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। कई लोगों के मन में ये सवाल हैं कि देश में बालिग होने की उम्र 18 वर्ष है और अगर कोई महिला 18 वर्ष से अधिक और 21 साल से कम उम्र में शादी करती है तो क्या उसकी शादी वैध माना जाएगी?

दूसरा सवाल ये भी है कि अगर 18 साल से अधिक लेकिन 21 साल से कम उम्र की महिला सहमति से संबंध बनाती है तो क्या विवाह के लिए प्रस्तावित उम्र (21 वर्ष) से कम में ऐसा करने पर उसके साथी पर रेप की धाराएं लगेंगी? चलिए जानते हैं कि इन सवालों के क्या जवाब हैं?

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18 से अधिक, पर 21 से कम उम्र की महिला अगर सहमति से बनाएगी संबंध तो क्या होगा?

अगर कोई महिला 18 वर्ष की होने, यानी बालिग होने पर और शादी की उम्र (प्रस्तावित 21 वर्ष) से पहले ही अपनी सहमति से संबंध बनाती है तो क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में लता सिंह vs स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश मामले में फैसला देते हुए कहा था कि, ''अगर कोई महिला बालिग है, तो वह अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने या अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति के साथ रहने के लिए स्वतंत्र है।''

शीर्ष कोट कई बार ये कह चुकी है कि दो बालिग लोग, जो 18 या उससे अधिक के हों, अपनी सहमति से 'लिव-इन पार्टनर' के रूप में एक साथ रह सकते हैं, भले ही वे शादीशुदा न हों।

7 मई, 2018 के एक आदेश में, जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ऐसे ही एक मामले में जहां लड़की 19 वर्ष की थी, लेकिन लड़का 21 वर्ष का नहीं था, पर कहा था, "वे दोनों बालिग हैं। यहां तक कि अगर वे शादी की व्यवस्था में शामिल होने के योग्य नहीं भी हैं, तो भी उन्हें शादी के बाहर भी साथ रहने का अधिकार है। पसंद की आजादी लड़की की होगी कि वह किसके साथ रहना चाहती है।''

लिव-इन रिलेशनशिप को घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत भी मान्यता मिल चुकी है।

इन नियमों से स्पष्ट है कि भले ही महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी जाए, लेकिन तब भी किसी महिला को 18 वर्ष का होने, यानी बालिग होने पर शादी के बिना भी अपनी सहमति से संबंध बनाने या लिव-इन पार्टनर के रूप में रहने का अधिकार होगा।

18 से अधिक, पर 21 से कम उम्र की महिला करेगी शादी तो क्या होगा?

लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 किए जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब 18 से अधिक यानी बालिग लड़की, जो 21 से कम की होगी, मर्जी से शादी कर पाएगी? इससे समझने से पहले विवाह और बाल विवाह के नियमों को समझना जरूरी है?

आइए समझते हैं कि किन स्थितियों में विवाह को बाल विवाह माना जाएगा।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006, के तहत, अगर पुरुष- आयु 21 वर्ष से कम और महिला- आयु 18 वर्ष से कम हो, तो उसे चाइल्ड यानी बालक माना जाता है,

  • बाल विवाह क्या है? अगर महिला या पुरुष दोनों में से कोई भी चाइल्ड या बालक है तो उन दोनों के विवाह को बाल विवाह माना जाएगा। अगर लड़का वयस्क है तो उसके माता-पिता या संरक्षक को महिला के पुनर्विवाह तक भरण पोषण या आवास का आदेश दिया जा सकता है।
  • ऐसी शादी करवाने वाले, संचालन करने वाला या प्रेरित करने वालों को भी दो साल की सजा या एक लाख रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकता है। अगर बाल विवाह होने से बच्चा पैदा हो जाए या महिला गर्भवती हो जाए तो भी शादी अवैध होगी।
  • बाल विवाह से पैदा होने वाले बच्चों के ऐसे बच्चे को धर्मज माना जाएगा। ऐसे में बच्चे के पालन पोषण का आदेश, विवाह के पक्षकार यानी लड़का-लड़की या उनके माता-पिता या संरक्षक को दिया जा सकता है।

(i) अगर लड़का और लड़की दोनों 18 साल से कम उम्र के हैं?

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006, की धारा 3 के मुताबिक, अगर लड़का और लड़की दोनों नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के हैं, तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक, बाल विवाह को शून्य माना जाएगा।

(ii) अगर लड़का 18 साल से अधिक और लड़की 18 से कम की हो?

अगर लड़का 18 साल से अधिक और लड़की 18 साल से कम है तो भी बाल विवाह होने के कारण इसे शून्य माना जाएगा। ऐसे मामलों में अगर लड़की शिकायत करती है तो लड़के को दो साल की जेल हो सकती है।

(iii) अगर लड़का 21 से अधिक और लड़की 18 से कम की हो?

अगर लड़का 21 साल या उससे अधिक हो, यानी शादी की उम्र के कानूनी रूप से योग्य हो, लेकिन लड़की 18 साल के कम उम्र की हो, तो इस स्थिति में भी एक के बालक होने की वजह से इसे बाल विवाह ही माना जाएगा और शादी को शून्य माना जाएगा। इस स्थिति में भी लड़की शिकायत करती है तो लड़के को दो साल की जेल हो सकती है।

(iv) अगर लड़की 18 से अधिक लेकिन 21 साल से कम हो?

अब तक लड़की के 18 या उससे अधिक की उम्र का होने पर उसे शादी के लिए कानूनी रूप से योग्य माना जाता था, लेकिन अब जब लड़की की शादी की उम्र 21 साल होगी तो अगर वह 18 साल से अधिक लेकिन 21 साल से कम उम्र में शादी करेगी तो उसके भी बाल विवाह के अंतर्गत आने का खतरा रहेगा, ऐसे में उसके लिए बालिग होने के बावजूद शादी करना मुश्किल होगा। हालांकि इसे लेकर स्थिति कानून बनने के बाद ही साफ हो पाएगा।

कुछ अपवाद भी, जब बाल विवाह को कोर्ट ने माना वैध

भारत में पिछले कुछ दशकों में कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जब अदालतों ने अलग-अलग आधार पर बाल विवाह (शादी के लिए नियत उम्र से कम में) हुई शादियों को भी मान्यता दी है।

सितंबर 2021 में एक ऐसे ही मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने ये फैसला दिया था कि नाबालिग लड़की के साथ शादी उस स्थिति में कानूनी रूप से वैध होगी, अगर नाबालिग लड़की 18 साल की होने के बाद भी उस शादी को अमान्य घोषित नहीं करती है या ऐसा करने के लिए कोर्ट के पास नहीं जाती है।

इसके अलावा अगस्त 2010 में भी दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 साल से कम उम्र के लड़के और 16 साल से कम उम्र की लड़की के मामले में भी इन दोनों नाबालिगों की शादी को मान्यता दी थी।

कोर्ट ने कहा कि नाबालिग लड़की की शादी तब वैध हो जाएगी, अगर बालिग होने के बाद भी वह उसे अमान्य घोषित नहीं करती है। अगर सीधे शब्दों में समझें तो, भले ही कानून बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन यह तब तक वैध माना जाता है जब तक दुल्हन अपनी शादी को अमान्य घोषित करने के लिए अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाती।

ऊपर के उदाहरणों से साफ है कि अगर कोई लड़की शादी के लिए प्रस्तावित 21 वर्ष से कम और 18 वर्ष से अधिक की होने पर शादी करती है और अगर वह शादी के लिए बालिग (21 वर्ष) होने के बाद भी इसे रद्द करवाने के लिए अपील नहीं करती है, तो उसकी ये शादी वैध होगी।

भारत में विवाह की कानूनी आयु क्या है 2022?

उत्तर – कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़का और लड़की बालिग होने के साथ-साथ मानसिक रूप से स्टेबल भी होना चाहिए। वर्ष 2023 के मौजूदा स्थिति के अनुसार, पुरुष की आयु 21 वर्ष से ज्यादा तथा महिला की उम्र 18 वर्ष से ज्यादा होना जरूरी है।

12 कानूनन लड़कियों के विवाह की उम्र क्या है?

भारत सरकार ने पिछले दिनों महिलाओं की शादी की न्‍यूनतम कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का विधेयक संसद में पेश किया। इस कदम के पक्ष और विपक्ष में तमाम बातें कही गईं। बाल विवाह निषेध संशोधन बिल, 2021 में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। जबकि पुरुषों के लिए उम्र 21 साल ही है।

भारत में विवाह की आयु क्या है?

वर्तमान कानून: हिंदुओं के लिये, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 विवाह हेतु लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित करता है।

कितने साल की उम्र में शादी करनी चाहिए?

अभी भारत में महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों की 21 वर्ष है। कानून में बदलाव के बाद अब महिला और पुरुष दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष हो जाएगी।