ल्हासा की ओरप्रश्न :-१ भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला और दूसरी यात्रा के समय भद्रवेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला क्यों ? Show उत्तर :- पहली बार लेखक भिखमंगे के वेश में थे । फ़िर भी लेखक को ठहरने का उचित स्थान मिला था पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था । भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था । उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़ी में रुकना पड़ा । यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव के कारण ही हुआ होगा । वहाँ के लोग शाम होते हीं छंङ पीकर होश खो देते थे । प्रश्न :-२ उस समय तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था ? उत्तर :- उस समय तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी । लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था । वहाँ हथियार का कानून न होने पर लोग बिना किसी भय के बंदूक लिए फिरते थे । डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते की उनके पास पैसा है या नहीं । प्रश्न :-३ लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछ्ड़ गया ? उत्तर :- लेखक जिस घोड़े पर सवार था , वह उतराई के वक्त थक गया था । उसकी चाल धीमी हो गई थी और लेखक उसे मारना नहीं चाहता था । इसलिए वह अपने साथियों से पिछड़ गया था। प्रश्न :-४ लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका , परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ? उत्तर :- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और लेखक को बहुत इंतजार भी करना पड़ता । परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियाँ पढ़ना चाहते थे । प्रश्न :-५ अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ? उत्तर :- लेखक को इस यात्रा के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा :- अ. वहाँ का रास्ता बहुत सुनसान और कठिन था । ब. उतराई के समय उनका घोड़ा सुस्त पड़ गया था । स. उन्हें तेज़ धूप में चलना पड़ा था । द. वापस आते समय लेखक को रूकने के लिए उचित स्थान नहीं मिला था । प्रश्न :-६ प्रस्तुत यात्रा - वृतांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था ? उत्तर :- उस समय के तिब्बती समाज में कोई छुआछूत की प्रथा नहीं थी । वहाँ की औरतें परदा नहीं करती थीं । वहाँ की जमीन जागीरदारों में बँटी थी जिसका ज्यादातर हिस्सा मठों के हाथ में होता था । प्रश्न :-७ तिब्बत की कौन - कौन सी बातें लेखक को अच्छी लगीं ? उत्तर :- तिब्बत की निम्नलिखित बातें लेखक को अच्छी लगीं :- १. वहाँ जाति का भेद-भाव न होना । २. औरतों का परदा प्रथा न होना । ३ .किसी भी अपरिचित लोगों का घर के अंदर आना और माँ-बहनों का उनके लिए चाय बना देना । प्रश्न :-८ लेखक को भिखमंगे का रूप बनाकर यात्रा क्यों करनी पड़ी ? उत्तर :- लेखक जब पहली बार यात्रा पर गया तब भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी इसलिए लेखक को वेश बदल कर जाना पड़ा । प्रश्न :-९ सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले।इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकतें हैं? उत्तर :- इस आधार पर हम ये कह सकते हैं कि सुमति के परिचय का क्षेत्र बहुत बड़ा था। उन्हें सब धर्मगुरू के रुप में सम्मान देते थे। वे लोगों को बोध गया का गंडा प्रदान करते थे और लोग उसे पाकर बहुत खुश होते थे। ॥ इति - शुभम् ॥ अगला पोस्ट क्लास 10 के लिए...)) बिमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’लेखक भिखमंगे के वेश में यात्रा क्यों कर रहे थे?थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों ? उत्तर:- इसका मुख्य कारण था – संबंधों का महत्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं।
लेखक ने तिब्बत की यात्रा किसने की और क्यों?राहुल सांकृत्यायन ने अपनी पहली तिब्बत यात्रा सन 1929-30 में नेपाल के रास्ते की थी। उस समय भारतीय लोगों को तिब्बत की यात्रा करने की अनुमति नहीं थी, इसीलिए उन्होंने एक भिखमंगे का छद्म वेश धारण किया और नेपाल के रास्ते तिब्बत की यात्रा की। 'ल्हासा की ओर' पाठ एक यात्रा वृतांत है, जिसके लेखक 'राहुल सांकृत्यायन' हैं।
ल्हासा की ओर यात्रा वृतांत लिखने का लेखक का क्या उद्देश्य था?यहाँ भी सुमति के जान-पहचान के आदमी थे और भिखमंगे रहते भी ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली । पाँच साल बाद हम इसी रास्ते लौटे थे और भिखमंगे नहीं, एक भद्र यात्री के वेश में घोड़ों पर सवार होकर आए थे; किंतु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह नहीं दी, और हम गाँव के एक सबसे गरीब झोपड़े में ठहरे थे।
लेखक ने ल्हासा जाने का निर्णय क्यों लिया था?(1) उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी। इसलिए उन्हें भिखमंगे के रुप में यात्रा करना पड़ी। (2) चोरी के डर से भिखमंगों को वहाँ के लोग घर में घुसने नहीं देते थे। इसी कारण लेखक को भी ठहरने के स्थान को लेकर कठिनाई का सामना करना पड़ा।
|