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‘लोकनायक कवि थे गोस्वामी तुलसीदास’बीकानेर | गोस्वामीतुलसीदास की 519वीं जयती पर बुधवार को तुलसी सर्किल स्थित संत तुलसीदास की प्रतिमा का पूजन कर मानस पाठ किया गया। जयंती कार्यक्रम संत श्रीराम महाराज और साध्वी विष्णु प्रिया के सान्निध्य में हुआ। विप्र फाउंडेशन की जिलाध्यक्ष सुनीता गौड़ ने संत तुलसीदास को रामभक्ति का पयार्य बताया। इस मौके पर पूनमचंद खत्री, अशोक महता, एल.एन खत्री, पंडित केदारमल, शिवप्रसाद गौड़, स्नेहलता, कमला देवी, संतोष, दुर्गादेवी, अंजना सहित कई भक्त मौजूद थे। हिंदी विश्व भारती अनुसंधान परिषद की ओर से गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। नागरी भंडार में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. प्रभा भार्गव ने की। उन्होंने तुलसीदास को युगदृष्टा रचनाकार बताया। मुख्य वक्ता रामनरेश सोनी ने अपने विचार रखते हुए तुलसी रचित काव्य पर प्रकाश डाला। इस मौके पर देव शर्मा, डॉ. फारूक, डॉ. घनश्याम आत्रेय, डॉ. ब्रह्मा राम चौधरी, सरदार अली पडि़हार आदि शामिल हुए। बिनानी कन्या महाविद्यालय में बुधवार को तुलसी जयंती मनाई गई। उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉ. चित्रा पंचारिया ने कहा कि मध्यकालीन भारतीय समाज के महाकवि तुलसी समन्वय भावना के महान संत के रूप में प्रख्यात है। डॉ. घनश्याम व्यास ने कहा कि तुलसीदास एक महान भक्त कवि के साथ एक सच्चे सामाजिक लोकनायकत्व गुणों से परिपूर्ण थे। इस दौरान कला, वाणिज्य एवं कंप्यूटर संकाय की छात्राओं ने तुलसी के साहित्य एवं उनके उद्देश्य पर प्रकाश डाला। राजकीय मो.मू माध्यमिक विद्यालय के सभागार में बुधवार को तुलसी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि रमेश कुमार शर्मा थे। शर्मा ने भक्त शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास ने ग्रंथ रामचरित मानस में अरण्य रक्षा के श्रीराम के संकल्प को और उनके श्रीमुख से संतों, ऋषियों और मुनियों की मुख्य अभिव्यक्ति की। प्रधानाचार्य दुर्गाशंकर पुरोहित ने रामचरित मानस एवं अन्य ग्रंथों की समीक्षा करते हुए हनुमान चालीसा के महत्व को उजागर किया। कार्यक्रम का संचालन धनराज सोनी ने किया। तुलसी सर्किल पर गोस्वामी तुलसीदास की पूजा करते श्रद्धालु। लोकनायक तुलसी(यह लेख २१ अगस्त, १९७७ को नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है।) टैग: तुलसी This entry was posted on जुलाई 31, 2006 at 16:44 and is filed under लेख/आलेख. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, or trackback from your own site. तुलसीदास को लोकनायक क्यों कहते हैं?ग्रियर्सन ने इन्हें बुद्धदेव के बाद सबसे बड़ा लोकनायक कहा था । अतः तुलसीदास असाधारण शक्तिशाली कवि, लोकनायक, भक्त, महात्मा, साधक और समन्वयवादी व्यक्तित्त्व के धनी थे । लोकनायक का गौरव दिलवाया है।
लोकनायक कवि कौन कहे जाते हैं?'लोकनायक कवि थे गोस्वामी तुलसीदास' | 'लोकनायक कवि थे गोस्वामी तुलसीदास' - Dainik Bhaskar.
तुलसीदास जी के प्रसिद्ध महाकाव्य का नाम क्या है?रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया। तुलसीदास जी रामानंदी के बैरागी साधु थे।
महात्मा बुद्ध के बाद भारत के सबसे बड़े लोकनायक तुलसी थे यह कथन किसका है?महात्मा बुद्ध के बाद भारत के सबसे बड़े लोकनायक तुलसीदास शुमार किए जाते हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार-लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय कर सके। क्योंकि भारतीय जनता में नाना प्रकार की परस्पर विरोधिनी संस्कृतियाँ, साधनाएँ, जातियाँ, आचारनिष्ठा और विचार-पद्धतियाँ प्रचलित हैं।
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