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जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहते हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।[1] माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। माइटोकाण्ड्रिआन या सूत्रकणिका कोशिका के कोशिकाद्रव्य में उपस्थित दोहरी झिल्ली से घिरा रहता है। माइटोकाण्ड्रिया के भीतर आनुवांशिक पदार्थ के रूप में डीएनए होता है जो वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य एवं खोज़ का विषय हैं। माइटोकाण्ड्रिया में उपस्थित डीएनए की रचना एवं आकार जीवाणुओं के डीएनए के समान है। इससे अनुमान लगाया जाता है कि लाखों वर्ष पहले शायद कोई जीवाणु मानव की किसी कोशिका में प्रवेश कर गया होगा एवं कालांतर में उसने कोशिका को ही स्थायी निवास बना लिया। माइटोकाण्ड्रिया के डीएनए एवं कोशिकाओं के केन्द्रक में विद्यमान डीएनए में ३५-३८ जीन एक समान हैं। अपने डीएनए की वज़ह से माइकोण्ड्रिया कोशिका के भीतर आवश्यकता पड़ने पर अपनी संख्या स्वयं बढ़ा सकते हैं। संतानो की कोशिकाओं में पाया जाने वाला माइटोकांड्रिया उन्हें उनकी माता से प्राप्त होता है। निषेचित अंडों के माइटोकाण्ड्रिया में पाया जाने वाले डीएनए में शुक्राणुओं की भूमिका नहीं होती है।[2][2] श्वसन की क्रिया प्रत्येक जीवित कोशिका के कोशिका द्रव्य (साइटोप्लाज्म) एवं माइटोकाण्ड्रिया में सम्पन्न होती है। श्वसन सम्बन्धित प्रारम्भिक क्रियाएँ साइटोप्लाज्म में होती है तथा शेष क्रियाएँ माइटोकाण्ड्रियाओं में होती हैं। चूँकि क्रिया के अंतिम चरण में ही अधिकांश ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। इसलिए माइटोकाण्ड्रिया को कोशिका का श्वसनांग या 'शक्ति गृह' (पावर हाउस) कहा जाता है। जीव विज्ञान की प्रशाखा कोशिका विज्ञान या कोशिका जैविकी (साइटोलॉजी) इस विषय में विस्तार से वर्णन उपलब्ध कराती है। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के डॉ॰ सिविया यच. बेन्स ली एवं नार्मण्ड एल. हॉर और रॉकफैलर इन्स्टीटय़ूट फॉर मेडीकल रिसर्च के डॉ॰अलबर्ट क्लाड ने विभिन्न प्राणियों के जीवकोषों से माइटोकॉण्ड्रिया को अलग कर उनका गहन अध्ययन किया है। उनके अनुसार माइटोकॉण्ड्रिया की रासायनिक प्रक्रिया से शरीर के लिए पर्याप्त ऊर्जा-शक्ति भी उत्पन्न होती है।[1] संग्रहीत ऊर्जा का रासायनिक स्वरूप एटीपी (एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट) है। शरीर की आवश्यकतानुसार जिस भाग में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वहां अधिक मात्रा में माइटोकॉण्ड्रिया पाए जाते हैं। माइट्रोकान्ड्रिया के द्वारा मानव इतिहास का अध्ययन और खोज भी की जा सकती है, क्योंकि उनमें पुराने गुणसूत्र उपलब्ध होते हैं।[3] शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने पहली बार कोशिका के इस ऊर्जा प्रदान करने वाले घटक को एक कोशिका से दूसरी कोशिका में स्थानान्तरित करने में सफलता प्राप्त की है। माइटोकांड्रिया में दोष उत्पन्न हो जाने पर मांस-पेशियों में विकार, एपिलेप्सी, पक्षाघात और मंदबद्धि जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।[4] सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँविषयसूची माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का बिजली घर क्यों कहते हैं?इसे सुनेंरोकेंमाइटोकॉण्ड्रिया में भोजन के ऑक्सीकरण से ऊर्जा मुक्त होती है। यहीं पर ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है। इसलिए इसे कोशिका का ऊर्जा संयंत्र ( Power Plant ) कहते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का बिजलीघर अथवा ऊर्जा घर ( Power House ) कहा जाता है क्योंकि यह भोजन के ऑक्सीकरण तथा ऊर्जा उत्पादन का कार्य करता है। माइटोकांड्रिया का हिंदी नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंजीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहते हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं। रिक्तिका के संश्लेषण में कौन सा कोशिकांग शामिल है?इसे सुनेंरोकेंरिक्तिका कोशिका झिल्ली से घिरा होता है जिसे टोनोप्लास्ट कहा जाता है । कोशिका के किस अंग को बिजलीघर कहते हैं और क्यों? इसे सुनेंरोकेंमाइटोकाण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा संयन्त्र (बिजली घर) कहते है। माइटोकाण्ड्रिया में एन्जाइम होते है जो भोजन पदार्थो का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा का निर्माण करते है, जो ए.टी.पी. के रूप में एकत्र होती है। यह ऊर्जा बहुत-सी जैविक प्रक्रियाओं में काम आती है। कोशिका का पावर हाउस किसे कहते हैं और क्यों?इसे सुनेंरोकेंमाइटोकांड्रिया को कोशिका का पावर हाउस कहा जाता है क्योंकि कोशिकाओं को ऊर्जा और जरुरी लाल रक्त कणों की आपूर्ति माइटोकांड्रिया द्वारा होती है। माइटोकॉन्ड्रिया कौन सी कोशिका में पाया जाता है? इसे सुनेंरोकेंमाइटोकॉन्ड्रिया लाल रक्त कोशिकाओं में पाए जाते हैं, जबकी श्वेत रक्त कोशिकाओं में नहीं। 2. माइटोकॉन्ड्रिया और इसके अंदर का डीएनए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मां के अंड कोशिकाओं के माध्यम से हस्तांतरित होता है। माइटोकांड्रिया में कितने जिले होती है?इसे सुनेंरोकेंमाइटोकॉन्ड्रिया की संख्या (Number of Mitochondria) इसकी संख्या भिन्न-भिन्न कोशिकाओं में भिन्न-भिन्न होती है जैसे अधिक चयापचय गतिविधि वाले कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया की अधिक संख्या होती है। आम तौर पर एक कोशिका में इनकी संख्या 1000-1600 होती है। क्लोरेन्काइमा क्या है? इसे सुनेंरोकेंपैरेन्काइमा कोशिकाओं की प्राथमिक भित्तियां पतली और पारगम्य होती हैं जिनमें से छोटे अणुओं का परिवहन हो सकता है और उनका साइटोप्लाज्म विभिन्न जैवरसायनिक कार्यकलापों जैसे नेक्टर के स्राव या पत्ते खाने की आदत को अनुत्साहित करने संश्लेषण का कार्य करते हैं उन्हें क्लोरेन्काइमा कोशिकाएं कहते हैं। झिल्ली युक्त कोशिका अंगों वाली कोशिकाओं को क्या कहते हैं?इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: अन्तर्द्रविक जालिका सुकेन्द्रिक कोशिकाओं में एक झिल्लीदार कोशिकांग है। माइट्रोकांड्रिया को ऊर्जा का घर क्यों कहा जाता है?माइटोकॉन्ड्रिया किसी भी कोशिका के अंदर पाया जाता है जिसका मुख्य काम कोशिका के हर हिस्से में ऊर्जा पहुंचाना होता है. इसी कारण माइटोकांड्रिया को कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है.
माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस क्यों कहा जाता है इसकी संरचना का वर्णन कीजिए?माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस क्यों कहा जाता है? माइटोकाँन्ड्रिया कोशिका के केन्द्रक के अन्दर पाया जाता है जो विभिन भोजन पदार्थो का आँक्सीकरण करता है जिसके कारण ऊर्जा उत्पनन होती है ,उस ऊर्जा का सग्रंहन करके ऱखने का काम माइटोकाँन्ड्रिया करता है जिसके कारण इसे कोशिका का पावर हाउस कहते है..
माइटोकॉन्ड्रिया का दूसरा नाम क्या है?जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहते हैं।
कोशिका का ऊर्जा घर क्या होता है?प्राणी की हर कोशिका (लाल रक्त कणों के अलावा) को जीवित रहने और कार्य करने की ऊर्जा पावर हाउस से मिलती है। इन पावर हाउस को 'माइटोकोंड्रिया' कहते हैं। माइटोकोंड्रिया ऑक्सीजन जलाकर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
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