मियाँ नसीरुद्दीन की कौन सी विशेषताएं आपको प्रभावित करती है? - miyaan naseeruddeen kee kaun see visheshataen aapako prabhaavit karatee hai?

Home » Class 11 Hindi » NCERT Solutions for Class XI Aaroh Part 1 Hindi Chapter 2- Krishna Sobati

आरोह भाग -1 कृष्णा सोबती (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए )


प्रश्न 1:मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा जाता है?
उत्तर :  मियाँ नसीरुद्धीन का नानबाई रोटी पकाने का अंदाज़ निराला है। वह उसे काम नहीं कला समझता है। यह कला उसे अपने खानदान से विरासत में मिली है। अन्य नानबाई रोटी अवश्य पकाते हैं लेकिन नसीरुद्धीन की तरह अपने काम से प्यार नहीं करते हैं। उन्हें छप्पन तरह की रोटियाँ बनानी आती हैं। अन्य नानबाईयों के लिए यह काम उनकी जीविका का साधन है और मियाँ नसीरुद्धीन के लिए यह एक कला है, जिसे पकाने में उन्हें आनंद आता है। उसकी मसीहाई अंदाज़ और सर्वश्रेष्ठता के कारण ही उसे नानबाइयों का मसीहा कहा जाता है।


प्रश्न 2:लेखिका मियाँ नसीरुद्धीन के पास क्यों गई थीं?
उत्तर : लेखिका मियाँ नसीरुद्धीन के पास नानबाई कला के विषय में जानने के लिए गई थीं। एक बार लेखिका ने देखा कि एक अँधेरी दुकान पर आटा साना जा रहा था। उसे देखकर लेखिका जानने को उत्सुक हो गई कि वहाँ क्या बन रहा हैं? बात करने पर पता लगा कि वह मशूहर नानबाई पकाने वाले मियाँ नसीरुद्धीन की दुकान पर है।


प्रश्न 3:बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्धीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?
उत्तर :  नसीरुद्धीन अभी तक लेखिका को मूर्ख बना रहे थे। उनके खानदान में किसी ने भी बादशाह के यहाँ काम नहीं किया था। अतः जब मियाँ नसीरुद्धीन ने लेखिका को मूर्ख बनाने के लिए बादशाह का नाम लिया, तो लेखिका बादशाह का नाम जानने के लिए उत्सुक हो गईं। वे उनसे इस विषय में पूछने लगीं। नसीरुद्धीन अपने ही झूठ में फँस गए। अतः जब लेखिका बादशाह के नाम का प्रसंग पूछने लगी, तो लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्धीन की दिलचस्पी खत्म होने लगी। उन्हें अपने झूठ के पकड़े जाने का भय सताने लगा और वे बात को घूमाने लगे।


प्रश्न 4: मियाँ नसीरुद्धीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अँधड़ के आसार देख यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :  लेखिका मियाँ नसीरुद्धीन के परिवार के बारे में जानना चाहती थीं परन्तु जब उसने मियाँ नसीरुद्धीन के चेहरे पर देखा तो उनके हावभाव सही नहीं थे। वे भट्टी सुलगाने के लिए कह रहे थे। अतः वे आगे पूछने की हिम्मत न कर सकीं। वे उसकी बातों से उखड़े लग रहे थे। अतः उसने यही पूछा कि जिसे वे आवाज़ लगा रहे हैं क्या वह उनका शार्गिद है। इसके बाद मियाँ ने बताया कि वह उनका कारीगर है, जिसे काम सिखाने के साथ-साथ मज़दूरी भी देते हैं।


प्रश्न 5:पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खिंचा है?
उत्तर :  वे बताती हैं कि मियाँ नसीरुद्दीन की आयु 70 है। मौसम की मार के कारण उनका चेहरा पक्का हुआ लग रहा है। मियाँ नसीरुद्धीन की आँखों में देखकर पता चलता है कि उसमें काइयाँपन और भोलापन का मिला-जुला रूप है। उनकी पेशानी मँजे हुए व्यक्ति के समान तेवर से पूर्ण है। वे अपना जवाब बड़े सधे हुए रूप में देते हैं। वे अपने सिर पंचहज़ारी अंदाज में हिलाते हैं। वे कभी आँखें तरेरते हैं और कभी उसके कंचे को फेरते हैं।


प्रश्न 6:मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?
उत्तर :  मियाँ नसीरुद्दीन को अपने काम से बहुत प्यार है। उनका काम रोटी बनाने का है परन्तु वे उसे काम के रूप में नहीं एक कला के रूप में देखते हैं। उनकी यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी। जब हम अपने काम से प्यार करने लगे, तो वह बस काम नहीं रह जाता है। उन्हें बहुत प्रकार की रोटियाँ बनानी आती हैं। इसमें वे स्वयं पर गर्व करते हैं। अपने काम का उन्हें इतना गहरा ज्ञान है कि उसने उन्हें गर्व से भर दिया है। लोग प्रायः अपने काम को इतने गर्व से नहीं लेते हैं। काम उनके लिए पैसे कमाने का जरिया है।


प्रश्न 7: तालीम की तालीम ही बड़ी चीज़ होती है- यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए।
उत्तर :   प्रस्तुत ‘तालीम’ शब्द का दो बार प्रयोग कर काम को सीखने की लगन को दिखाया गया है। जहाँ पहली बार ‘तालीम’ शब्द का प्रयोग काम को सीखने के लिए प्रयुक्त किया गया है, वहीं दूसरा शब्द उसे और गहराई से सीखने के लिए दर्शाता है। इसके स्थान पर हम शिक्षण शब्द का प्रयोग कर सकते हैं।


प्रश्न 8:मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपारिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों?
उत्तर :  इसके पीछे बहुत से कारण छिपे हैं। अब समय बदल रहा है। आज की पीढ़ी शिक्षित हो रही है। वे जानती है कि पढ़ाई करके उसे इससे अच्छे काम मिल सकते हैं। अतः वे आज बेहतर भविष्य के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी करने और बड़ा व्यवसाय करने के इच्छुक हैं। ऐसे व्यवसायों में शारीरिक मेहनत बहुत अधिक है और आमदनी कम है। ये व्यवसाय उनके भविष्य को बेहतर नहीं बना सकते हैं। यही कारण है कि लोग अपने पारंपारिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं।


प्रश्न 9:मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? वह तो खोजियों की खुराफात है- अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें।
उत्तर :  यहाँ पर समाचार पत्र में काम करने वाले पत्रकार के बारे में बात की जा रही है। पत्रकार अपने समाचार-पत्र में छापने के लिए खबर की तलाश में होते हैं। वे हर बात पर अपनी पैनी नज़र रखते हैं। अतः लोगों को उनसे डर लगता है।


प्रश्न 10:पाठ में आए रोटियों के अलग-अलग नामों की सूची बनाएँ और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर :  रोटियों के नाम इस प्रकार हैं-
बाकराखानी- यह रोटी हल्का मीठा स्वाद लिए होती है। इसे मैदा, सूजी, अंडा, चीनी, दूध, घी तथा नमक डालकर बनाया जाता है। इन सबको मिलाकर इन्हें गूंथा जाता है और फिर एक घंटे के लिए खमीर करने के लिए छोड़ा जाता है। तब यह रोटी बनती है। इसे तंदूर में बनाया जाता है। यह खुशबूदार तथा शीरमाल से बहुत मुलायम होती है। मुँह में डालते ही यह घुल जाती है।
रूमाली- यह रोटी रूमाल के समान पतली और मुलायम होती है। इसे मैदा, आटे तथा दूध के साथ गूंथा जाता है और इससे पतली-पतली रोटी बनाई जाती हैं।
शीरमाल- यह रोटी केसर के स्वाद वाली होती है। यह मैदा, दूध, चीनी तथा मेवों का प्रयोग करके बनाई जाती है। यही कारण है कि इसे शीरमाल कहते हैं। यह अन्य रोटियों से मोटी होती है। खाने में बहुत स्वाद होती हैं। यह तंदूर में पकती है।
गाव दीदां- जानकारी नहीं है।
ताफ़तान- ताफ़तान को शीरमाल की ही एक किस्म माना जाता है। यह तंदूर में नहीं पकती है।
बेसनी- यह बेसन से बनी रोटी होती है।
गाज़ेबान- जानकारी नहीं है।
खमीरी- खमीरी रोटी को बनाने के लिए इसमें आटा, नमक, चीनी तथा घी का इस्तेमाल होता है। यह भी तंदूर पर बनाई जाती है।
तुनकी- यह एक रोटी का प्रकार है और खाने में खस्ता होती है।


प्रश्न 11:तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें।
(क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया।
(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए।
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर।
उत्तर : मैं एक दिन लालाजी से सामान लेने गई। सामान माँगने पर उसने पंचहज़ारी अंदाज से सिर हिलाया और सामान निकाल दिया। मैंने उनसे दूसरा सामान माँगा अब उन्होंने आँखों के कंचे हम पर फेर दिए। हमने पूछा कि यह आपकी अपनी दुकान है। वह बोले, ”हाँ! पहले पिताजी की थी अब हमारी है। हम पिताजी के जाते ही आ बैठे उन्हीं के ठीये पर।


प्रश्न 12:बिटर-बिटर देखना वाक्य में देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है? देखने-संबंधी इस प्रकार के चार  क्रिया- विशेषणों के वाक्य बनाइए।
उत्तर :  देखने-संबंधी चार क्रिया-विशेषण शब्द इस प्रकार हैं-
(क) टुकुर-टुकुर देखना- बच्चा मुझे टुकुर-टुकुर देख रहा है।
(ख) टकटकी लगाकर देखना- माँ मुझे टकटकी लगाकर देखने लगी।
(ग) सकपका कर देखना- गोविंद सकपका कर देख रहा था।
(घ) टिम-टिम देखना- मेरी बेटी मधुरा मुझे टिम-टिम देखने लगी।


प्रश्न 13:नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है। समान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है? लिखें।
(क) मियाँ मशूहर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।
(ख) निकाल लेंगे वक्त थोड़ा।
(ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात।
(घ) रोटी जनाब पकती है आँच से।
उत्तर :
(क) छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मियाँ मशूहर हैं।
(ख) थोड़ा वक्त निकाल लेंगे।
(ग) दिमाग में बात चक्कर काट गई है।
(घ) जनाब! रोटी आँच से पकती है।


मियां नसीरुद्दीन की कौन सी विशेषताएं आपको प्रभावित करती हैं?

मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला का बखान करता है तथा इसमें वह अपनी खानदानी महारत बताता है । नानबाई रोटी बनाने की कला में माहिर है । अन्य नानबाई रोटियाँ तो पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानता है ।

मियाँ नसीरुद्दीन की क्या विशेषता थी?

उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखनेवाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे।

नसीरुद्दीन के स्वभाव की प्रमुख विशेषता क्या है?

इसमें खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्दचित्र खींचा गया है। मियाँ नसीरुद्दीन अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला और उसमें अपनी खानदानी महारत बताते हैं। वे ऐसे इंसान का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं और करके सीखने को असली हुनर मानते हैं।

मियाँ नसीरुद्दीन की कौन कौन सी बातें आपको अच्छी लगी है?

मियाँ नसीरुद्दीन को अपने काम से बहुत प्यार है। उनका काम रोटी बनाने का है परन्तु वे उसे काम के रूप में नहीं एक कला के रूप में देखते हैं। उनकी यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी। जब हम अपने काम से प्यार करने लगे, तो वह बस काम नहीं रह जाता है