नवजात शिशु बार बार लैट्रिन क्यों करते हैं? - navajaat shishu baar baar laitrin kyon karate hain?

विषयसूची

  • 1 बच्चा बार बार लैट्रिन करे तो क्या करना चाहिए?
  • 2 कितनी बार पॉटी करता है?
  • 3 बच्चे की टट्टी कैसे साफ करते हैं?
  • 4 दिन में कितनी बार टट्टी करना चाहिए?
  • 5 2 महीने का बच्चा दिन में कितनी बार पॉटी करता है?
  • 6 नवजात शिशु दिन में कितनी बार लैट्रिन करता है?

बच्चा बार बार लैट्रिन करे तो क्या करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंअगर बच्चे को बार-बार पॉटी आ रही है तो इससे उसे कमजोरी आ सकती है. बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इसलिए शुरुआत में बच्चे की डाइट पर बहुत ध्यान दें. ज्यादा लूज मोशन होने पर बच्चे में चिड़चिड़ापन आ जाता है.

कितनी बार पॉटी करता है?

इसे सुनेंरोकेंनवजात शिशुओं में Potty का कोई विशिष्ट पैटर्न नहीं है। आम तौर पर, वे दिन में एक बार या दिन में 10 बार Potty कर सकते हैं। कुछ बच्चे 5-7 दिनों के लिए भी Potty नहीं कर सकते हैं।

बच्चे की टट्टी कैसे साफ करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपानी- शौच करने के बाद हैंड शावर से साफ करना सबसे अच्छा विकल्प होता है। इसके साथ ही आप जेन्टल सोप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि शौच करने के बाद तो बट को साफ करना ही चाहिए लेकिन नहाने के समय भी इसका साफ करना ज़रूरी होता है।

शिशु बार बार पॉटी क्यों करता है?

इसे सुनेंरोकेंब्रेस्‍ट मिल्‍क पचाने में आसान होता है और इसीलिए स्‍तनपान करने वाले बच्‍चे ज्‍यादा पॉटी और पेशाब करते हैं। पांच महीने का होने पर शिशु पहले की तुलना में कम बार पॉटी करता है। फॉर्मूला मिल्‍क लेने वाले बच्‍चों की तुलना में स्‍तनपान करने वाले बच्‍चों का मल पतला होता है।

बार बार टट्टी आने का क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंआईबीएस एक ऐसा विकार है जिसमे बड़ी आंत प्रभावित होती है। इस रोग में मरीजों की आंत की बनावट में कोई बदलाव नही होता है, इसलिए कई बार इसे सिर्फ रोगी का वहम ही मान लिया जाता है। लेकिन आँतों की बनावट में कोई बदलाव ना आने के बावजूद भी रोगी को कब्ज या बार-बार दस्त लगना, पेट में दर्द, गैस जैसी समस्याएं होती हैं।

दिन में कितनी बार टट्टी करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंलेकिन अगर स्वस्थ व्यक्ति की बात करें तो एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में 6 से 8 बार टॉयलेट जाना चाहिए। डॉ जेनिफर शू के अनुसार एक व्यस्क आदमी हर दो से ढाई घंटे में टॉयलेट के लिए जाता है यानि वो 24 घंटे में 6-9 बार टॉयलेट जाता है। इसलिए आपको पूरे दिन में इतनी बार ही टॉयलेट जाना चाहिए।

2 महीने का बच्चा दिन में कितनी बार पॉटी करता है?

इसे सुनेंरोकेंयह बदलता रहता है, एक हफ्ते में बच्चा दिन में 6 से 8 बार मल त्याग कर सकता है। मल के फ्रीक्वेंसी इतनी मायने नहीं रखती है जब तक कि बच्चे को कोई असुविधा और उलटी न हो, फीड न कर पाने या पेट भरा होने जैसे लक्षण न दिखाई दें। जब आपका बच्चा ठोस खाद्य पदार्थ खाना शुरू करता है, तो बच्चे का मल कुछ कुछ बड़ों के जैसे दिखने लगता है।

नवजात शिशु दिन में कितनी बार लैट्रिन करता है?

खाना खाने के बाद लैट्रिन क्यों लगता है?

इसे सुनेंरोकेंखाना खाने के तुरंत बाद पॉटी लगने की समस्या को गैस्ट्रो-कॉलिक रिफलक्स कहते हैं। देखा गया है कि ये समस्या उन लोगों को ज्यादा आती है, जो शुरुआत में लंबे समय तक शौच को रोककर रखते हैं। खाना अच्छी तरह चबाकर खाएं। फाइबर वाले आहारों का करें सेवन।

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बच्‍चे को दस्‍त होने पर इन बातों का रखें विशेष ख्‍़याल

नवजात शिशु बार बार लैट्रिन क्यों करते हैं? - navajaat shishu baar baar laitrin kyon karate hain?

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बच्‍चे द्वारा नियमित रूप से सही तरह पॉटी करना मां के लिए किसी राहत से कम नहीं। अगर बच्‍चा बार-बार और पतली पॉटी कर रहा है तो, निश्‍चित रूप से मां के लिए चिंता का विषय हो सकता है। बच्‍चे के लगातार पतली पॉटी करने पर आपके मन में जो पहला ख्‍याल आता है, वो यह है कि कहीं बच्‍चे को दस्‍त (diarrhoea) तो नहीं हो गया। इससे पहले कि आप बच्चे को इलाज के लिए डॉक्‍टर के पास ले जाएं, आपको कुछ ज़रूरी बातों का जानना बेहद ज़रूरी है। पढ़ें- इन 9 घरेलू उपचारों से दस्त के दौरान बच्चों को मिलता है आराम

स्तनपान करने वाले बच्चों की पॉटी करने की प्रक्रिया

मुंबई स्थित जसलोक अस्‍पताल में कंसलटेंट पीडीअट्रिशन डॉक्‍टर राजू खूबचंदानी के अनुसार, बच्‍चे द्वारा पतली पॉटी करने का मतलब हमेशा ये संकेत नहीं है कि उसे दस्‍त लगे हों। स्‍तनपान करने वाले नवजात शिशु एक, तीन या चार दिन में 15 बार पॉटी कर सकते हैं। अगर बच्‍चा सही तरह से फीडिंग ले रहा है, हेल्‍दी दिख रहा है और उसका वजन भी सही बढ़ रहा है, तो पतली पॉटी आने पर आपको परेशान नहीं होना चाहिए। कई माताएं बच्‍चे की पतली पॉटी के लिए स्‍तनपान को जिम्‍मेदार मानकर उसे फीडिंग कराना बंद कर देती हैं, जो कि एक गलतफहमी है।

'फॉर्मूला फेड बेबीज' बच्चों की पॉटी करने की प्रक्रिया

डॉक्‍टर के अनुसार, ये प्रकिया फॉर्मूला फेड बेबीज (Formula fed babies) यानि दूध के अलावा ऊपरी खाना खाने वाले बच्‍चों के मामले में अलग हो सकती है। ऐसे बच्‍चे थोड़ी मोटी और हार्ड पॉटी करते हैं। अगर ऐसे बच्‍चे पतली पॉटी कर रहे हैं, तो गंभीर विषय हो सकता है। इसके अलावा ऐसे बच्‍चों के स्‍तनपान करने वाले बच्‍चों की तुलना में पेट खराब होने के चांस भी दस गुणा ज्‍यादा होते हैं। ऐसे बच्‍चों को पतली पॉटी से उनके शरीर में तरल पदार्थ की कमी हो सकती है।

दस्‍त बच्‍चे के शरीर से कुछ खराब पदार्थों को नष्‍ट करने में सहायक है। चूंकि अभी आपके बच्‍चे के सिस्‍टम का विकास हाे रहा है। इसलिए बच्‍चे का सिस्‍टम बड़ों की तुलना में अलग तरह से काम करता है। पतली पॉटी होने का मतलब दस्‍त होना बिल्‍कुल गलत धारणा है।

इन बातों का रखें ख्‍याल 

  • अगर पतली पॉटी के साथ बच्‍चे को हल्‍का बुखार है और बच्‍चा एक साल से छोटा है, तो इस समस्‍या को गंभीरता से लेना चाहिए।
  • दस्‍त के साथ उल्‍टी पेट में संक्रमण का संकेत हो सकते हैं। इसलिए सावधान रहें।
  • ज्‍यादा प्‍यास लगना, जीभ सूख जाना, आंखे धंसना और बच्‍चे का लगातार रोना डिहाइड्रेशन का संकेत हो सकते हैं।
  • दस्‍त में खून आना भी एक गंभीर समस्‍या हो सकती है। ऐसे में विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है।

कुछ घरेलू उपाय

  • राइस कंजी दस्‍त के लिए एक बेहतरीन घरेलू और कारगर उपाय है। एक मुट्ठी राइस पाउडर पानी में मिलाकर कम से कम 10 मिनट पकाएं। इसमें हल्‍का नमक और बाद में कम से कम एक लीटर पानी मिलाकर पतला कर लें। इस पतले तरल पदार्थ को बच्‍चे को पिलाएं।
  • दूसरा उपाय एक गिलास पानी में थोड़ी चीनी और एक चुटकी नमक मिलाकर बच्‍चे को पिलाएं।
  • स्‍तनपान वाले बच्‍चे को केवल स्‍तनपान ही कराएं। इससे उसे बैक्‍टीरियल, वायरल और डायरिया से लड़ने में शक्ति मिलती है।
  • बच्‍चे को जबरदस्‍ती फीडिंग ना कराएं। उसे जब भूख लगे, तब ही फीडिंग कराएं।
  • फीडिंग छुड़ाने के लिए दाल की खिचड़ी को एक बेहतर चीज माना जाता है। इसके लिए अनावश्यक आहार परिवर्तन की जरूरत नहीं हैं।
  • अगर आप घर कुछ ऐसा नहीं बना सकते, तो बाजार में मिलने वाले रिहाड्रेटेशन का इस्‍तेमाल करें।
  • अपने बच्‍चे को कोई भी एंटीबायोटिक दवा देने से बचें। डॉक्‍टर द्वारा दी गई दवाओं के बारे में सही से जानकारी लेनी चाहिए। अगर बच्‍चे को उल्‍टी की दवा दे रहे हैं तो ध्‍यान रहे कि इसके तुरंत बाद उसे फीडिंग ना कराएं। दवा देने के बाद कम से कम एक घंटे बाद फीडिंग कराएं।

मूल स्रोत -Loose motions in babies might not always suggest diarrhoea

अनुवादक – Usman Khan

चित्र स्रोत - Shutterstock


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नवजात शिशु अगर बार बार पॉटी करे तो क्या करना चाहिए?

बच्चे के दस्त ठीक करने के अन्य घरेलू उपाय इससे त्वचा हाइड्रेट रहती है और बच्चे के दस्त को रोकने में भी काफी मदद मिलती है. चावल का पानी पिलाने शिशु को बार-बार पॉटी नहीं आती. बच्चे को आप मसूर की दाल का सूप (Masoor Dal Soup) भी दे सकते हैं. मसूर की दाल का पानी या सूप पीने से बच्चे की दस्त की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है.

नवजात शिशु 1 दिन में कितनी बार पॉटी करता है?

नवजात शिशुओं में Potty का कोई विशिष्ट पैटर्न नहीं है। आम तौर पर, वे दिन में एक बार या दिन में 10 बार Potty कर सकते हैं। कुछ बच्चे 5-7 दिनों के लिए भी Potty नहीं कर सकते हैं।

नवजात शिशु को कितनी बार पॉटी करना चाहिए?

नवजात शिशु से लेकर एक महीने की उम्र इस उम्र में बच्‍चे लगभग तीन से चार बार पॉटी और लगभग हर घंटे में पेशाब करते हैं, इसलिए शुरुआती महीने में आपको डायपर की बहुत जरूरत पड़ती है।

छोटे बच्चों को बार बार पॉटी क्यों आती है?

- अगर आपके बच्चे की उम्र 2 साल से कम है तो रोटावायरस से होने वाले इंफेक्शन की वजह से भी उसे लूज मोशन और डायरिया हो सकता है। - अगर बच्चे को किसी फूड आइटम यानी खाने पीने कि किसी चीज जैसे- दूध, अंडा या मूंगफली से ऐलर्जी है तो इन चीजों को खाने के बाद भी बच्चे का पेट खराब हो सकता है और उसे मोशन्स शुरू हो सकते हैं।