औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कब और कहाँ आरंभ हुई? - audyogik kraanti sarvapratham kab aur kahaan aarambh huee?

वह आर्थिक एवं शिल्प वैज्ञानिक विकास, जो 18 सताब्दी में अधिक सशक्त और तीव्र हो गया था, जिसके फलस्वरूप आधुनिक उद्योगवाद का जन्म हुआ, को औद्योगिक क्रांति (audyogik Kranti) कहा जाता है! 

मोटे तौर पर औद्योगिक क्रांति से तात्पर्य उन आधारभूत परिवर्तनों से है जिनके फलस्वरूप यह संभव हो सका कि मनुष्य कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन के पुराने तरीकों को त्याग कर विशाल कारखानों में बड़ी मात्रा में विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन कर सकें! 

Table of Contents show

1 औद्योगिक क्रांति क्या हैं (audyogik kranti kya hai) –

1.1 औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ (Start of industrial revolution in hindi) –

1.2 औद्योगिक क्रांति के प्रमुख आविष्कार (audyogik kranti ke pramukh avishkar on ki suchi) –

1.3 औद्योगिक क्रांति के कारण (audyogik kranti kya hai)-

1.3.1 (1) कृषि सुधार –

1.3.2 (2) पुनर्जागरण एवं भौगोलिक खोज –

1.3.3 (3) तकनीकी क्रांति –

1.3.4 (4) आधुनिक एवं व्यवसायिक शिक्षा –

1.3.5 (5) यातायात एवं संचार क्रांति –

1.3.6 (6) धर्म सुधार आंदोलन –

1.3.7 (7) व्यवसायिक क्रांति –

1.3.8 (8) फ्रांसीसी क्रांति –

1.3.9 (9) राष्ट्रवाद का उदय –

1.4 औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ इंग्लैंड से ही क्यों हुआ (audyogik kranti ka prarambh england se hi kyon hua) –

1.5 औद्योगिक क्रांति के प्रभाव एवं परिणाम (audyogik kranti ke parinaam)-

1.5.1 (1) उत्पादन में वृद्धि –

1.5.2 (2) कुटीर उद्योग का हास –

1.5.3 (3) भौतिकवाद को प्रोत्साहन –

1.5.4 (4) शहरीकरण-

1.5.5 (5) संरक्षण की नीति –

1.5.6 (6) बाजारों की तलाश –

1.5.7 (6) आर्थिक एवं राजनीतिक उदारवाद –

1.6 औद्योगिक क्रांति के लाभ (audyogik kranti ke labh) –

1.7 प्रश्न :- औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब और कहां से हुई

1.8 Related

Industrial revolution in hindi

औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ (Start of industrial revolution in hindi) –   

औद्योगिक क्रांति (audyogik kranti) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1837 में फ्रांस के समाजवादी नेता जेरोम एडोल्फ ब्लांकी ने किया था आगे इंग्लैंड के ऑर्नाल्ड टायनबी ने इसे लोकप्रिय बनाया! औद्योगिक क्रांति के प्रारंभ की कोई निश्चित तिथि नहीं है! औद्योगिक क्रांति कोई आकस्मिक घटना नहीं है, अपितु विकास की एक सतत प्रक्रिया जो वर्तमान में भी चल रही है! 

सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ इंग्लैंड में हुआ इसका प्रसार धीरे-धीरे विश्व के अन्य देशों में हुआ 1750 से 1885 के मध्य इंग्लैंड में आर्थिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए जैसे-

(1) घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना उत्पादन पद्धति ने ले लिया! 

(2) उत्पादन संबंधी अनेक कार्य जो पहले हाथ से किए जाते थे अब वाष्पचलित यंत्रों से किए जाने लगे! 

(3) देश के आंतरिक एवं बाह्य व्यापार में काफी वृद्धि हुई! 

(4) यातायात एवं संचार के आधुनिक साधनों का उपयोग किया जाने लगा 

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख आविष्कार (audyogik kranti ke pramukh avishkar on ki suchi) –

                          अविष्कार

                         अविष्कारक

कताई जेनी

जेम्स हारग्रीव्स

पानी का फ्रेम

रिचर्ड आर्कराइट 

घूमता हुआ खच्चर 

सैमुअल क्राॅम्पटन

भाप इंजन

जेम्स वाट

भाप लोकोमोटिव

रिचर्ड ट्रेविथिक

स्टीमबोट और स्टीमशीप

राबर्ट फुल्टन

इलेक्ट्रिक जनरेटर और इलेक्ट्रिक मोटर्स

माइकल फैराडे

इलेक्ट्रिक रेलवे और ट्रॉमवे

वर्नर वॉन सीमेंस

गरमागरम दीप

जोसेफ विल्सन स्वान

तार

विलियम फोदरगिल कुक - चार्ल्स व्हीटस्टोन

टेलीफोन

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल

आंतरिक दहन इंजन

एटिएन लेनोइर

औद्योगिक क्रांति के कारण (audyogik kranti kya hai)-

औद्योगिक क्रांति (audyogik kranti) को प्रेरित करने वाले अनेक कारण थे परंतु इन्हें कुछ निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत देखा सकता है –

(1) कृषि सुधार – 

18 वीं सदी के बीच में इंग्लैंड की कृषि क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए, जिसे कृषि क्रांति कहा जाता है! कृषि क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड की संपत्ति में वृद्धि हुई और अनाज की बढ़ती हुई मांग भी पूरी हुई! 

बड़े फार्म बनने से छोटे किसान अपनी जमीन बेचकर शहरों में चले गए! ये भूमिहीन की किसान धीरे धीरे मजदूर में बदल गये! कृषि कांति का दूसरा महत्वपूर्ण परिणाम यह हुआ कि खेती का पूंजीवादी आधार पर संगठन होना शुरू हो गया! 

कृषि क्षेत्र में प्रगति ने औद्योगीकरण को दो मुख्य प्रकार से प्रोत्साहित किया! प्रथम उद्योगों हेतु कच्चा माल बहुतायत में प्राप्त हो सका! दूसरा, कृषि विकास में ग्रामीण क्षेत्र में भी समृद्धि लाई, इससे उद्योगों को शहरों के साथ-साथ गांव में भी एक बड़ा बाजार प्राप्त हो सका! 

(2) पुनर्जागरण एवं भौगोलिक खोज – 

पुनर्जागरण में भौगोलिक खोजों को प्रोत्साहित किया जिसे यूरोप के लोगों को भौतिक एवं मानव संसाधन का एक विशाल खजाना प्राप्त हो गया! भौतिक समृद्धि एवं मानव संसाधन की सुलभता ने औद्योगिक क्रांति की पृष्ठभूमि को तैयार किया! 

(3) तकनीकी क्रांति – 

पुनर्जागरण के परिणामस्वरुप तर्क और बुद्धि का महत्व बढा जिससे वैज्ञानिक सिद्धांतों का आविष्कार हुआ! जब इन वैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग तकनीक में हुआ, तब नवीन तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी अस्तित्व में आई! इस नवीन तकनीक एवं प्रौद्योगिकी ने औद्योगिक क्रांति की आधारशिला निर्मित कर दी! भाप तकनीक के अविष्कार ने उद्योग क्रांति को तीव्रता प्रदान की! 

(4) आधुनिक एवं व्यवसायिक शिक्षा –

पुनर्जागरण तथा प्रबोधन के परिणामस्वरुप परंपरागत शिक्षा पद्धति की जगह अन्वेषणात्मक एवं व्यवसायिक शिक्षा को महत्व दिया जाने लगा,जिससे एक नवीन पीढ़ी का जन्म हुआ! इस नवीन पीढ़ी ने परंपरागत उद्योग पद्धति की जगह नवीन उत्पादन पद्धति की ओर सोचा एवं उस दिशा में कई प्रयोग किए! इस प्रकार यूरोप औद्योगिकरण की ओर आगे बढ़ा! 

(5) यातायात एवं संचार क्रांति –

यातायात एवं संचार के क्षेत्र में प्रकृति ने औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहित किया! यातायात एवं संचार के क्षेत्र में सुधार के कारण उद्योगों को न केवल कच्चा माल प्राप्त करने में, बल्कि निर्मित वस्तुओं को बाजार तक पहुंचाने में भी आसानी हुई! 

(6) धर्म सुधार आंदोलन – 

धर्म सुधार आंदोलन से लोगों के व्यक्तिगत जीवन पर धर्म का प्रभाव कम हुआ, इससे लोगों को वैचारिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्राप्त हुई! मानव का रुझान भौतिकवाद की ओर बढ़ा! परिणामस्वरूप मानव आर्थिक क्षेत्र में साहसिक परिवर्तनों की ओर आगे बढ़ा! इन्ही परिवर्तनों ने औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया! 

(7) व्यवसायिक क्रांति –

भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप यूरोप के व्यापारियों को विदेशों में नवीन बाजार प्राप्त हो गए, जिससे उनके वाणिज्य और व्यापार में अत्यधिक वृद्धि हुई! इस व्यवसायिक क्रांति के कारण यूरोप के व्यापारियों के पास अत्याधिक धन संचित हो गया, जिसका उपयोग उन्होंने औद्योगिक विकास के लिए किया!

(8) फ्रांसीसी क्रांति –

1789 ई. को फ्रांसीसी क्रांति ने औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया! यूरोप के अधिकांश राष्ट्रों में निरंकुश, राजतंत्र और सामंती व्यवस्था के कारण वाणिज्य और व्यापार में कई प्रकार के प्रतिबंध लगे हुए थे, जिससे आर्थिक प्रगति  की संभावना क्षीण थी! 

फ्रांस की क्रांति ने संपूर्ण यूरोप में नवीन मध्यम वर्ग के उदय में तथा उदारवादी व प्रजातांत्रिक पद्धति को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई! नवोदित मध्यम वर्ग ने आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तनों को जन्म दिया, परिणामस्वरुप औद्योगिक क्रांति की प्रक्रिया प्रारंभ हुई!

(9) राष्ट्रवाद का उदय –  

राष्ट्रीयता की भावना 19वीं सदी में प्रखर रूप से सामने आने लगी थी! भौगोलिक खोजों, विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में हुई प्रगति तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार से आई समृद्धि से किसी राष्ट्र की शक्ति एवं व हैसियत का आकलन किया जाने लगा! जब इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति हुई और उसने यूरोप में अपनी सर्वश्रेष्ठ तथा स्थापित कर ली, तो यूरोप के अन्य राष्ट्रीय राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित होकर औद्योगिक विकास की ओर आगे बढ़ने लगे! 

औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कब और कहाँ आरंभ हुई? - audyogik kraanti sarvapratham kab aur kahaan aarambh huee?
औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कब और कहाँ आरंभ हुई? - audyogik kraanti sarvapratham kab aur kahaan aarambh huee?
औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कब और कहाँ आरंभ हुई? - audyogik kraanti sarvapratham kab aur kahaan aarambh huee?
औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कब और कहाँ आरंभ हुई? - audyogik kraanti sarvapratham kab aur kahaan aarambh huee?

औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ इंग्लैंड से ही क्यों हुआ (audyogik kranti ka prarambh england se hi kyon hua) –

औद्योगिक क्रांति के समय यूरोप के अन्य देशों में भी पूंजी एवं मानव संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध था! हालैंड जैसे देश में भौगोलिक खोजों एवं वाणिज्य व्यापार में इंग्लैंड से भी आगे थे! फ्रांस का भूभाग, खनिज संसाधन, जनसंख्या एवं व्यापार व इंग्लैंड से अधिक था! परंतु इसके पश्चात भी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्लैंड में हुई, इसके पीछे निम्नलिखित कारण उत्तरदाई है 

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव एवं परिणाम (audyogik kranti ke parinaam)- 

औद्योगिक क्रांति ने भाषण विश्व के आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किया! वास्तव में सारी दुनिया ही औद्योगिक क्रांति से प्रभावित हुई! औद्योगिक की क्रांति के परिणामों और प्रभावों को निम्न बिंदुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है! 

(1) उत्पादन में वृद्धि –

औद्योगिक क्रांति का सबसे पहला प्रभाव उत्पादन पर पड़ा! औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप वस्तुओं के उत्पादन एवं व्यापार में गुणात्मक और मात्रात्मक वृद्धि हुई! नवीन वस्तुओं एवं यातायात के संचार के साधनों का प्रयोग कर सकने के कारण मनुष्य का जीवन सुखपूर्ण हुआ! 

(2) कुटीर उद्योग का हास – 

औद्योगिक क्रांति से पूर्व व्यापार एवं उद्योग घरेलू प्रणाली के आधार पर संगठित थे! यंत्रों का आविष्कार और बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना से माल सस्ता और अधिक मात्रा में उपलब्ध होने लगा! 

कुटीर उद्योगों के स्वतंत्र कारीगर इस प्रतियोगिता में कहीं पीछे रह गये परंतु कुटीर उद्योग का पतन औद्योगिक देशों में नहीं बल्कि उपनिवेश विदेशों में हुआ! 

(3) भौतिकवाद को प्रोत्साहन – 

औद्योगिक क्रांति ने मनुष्य की विचारधारा का चिंतन को काफी हद तक प्रभावित किया! यांत्रिक विकास के साथ पूंजी बढी़ और पूॅंजी ने मनुष्य को अधिक भौतिक सुखों की ओर मोड़ दिया! 

पश्चिम के व्यक्ति जीवन में अध्यत्मवाद के बजाय भौतिकवाद की प्रधानता होने लगी! मनुष्य में अपने कृत्यों को आर्थिक लाभ हानि के तराजू पर तोलने की प्रवृत्ति बढ़ने लगी! अनेक अर्थशास्त्रियों ने ऐसी विचारधारा और योजनाओं का समर्थन किया! 

(4) शहरीकरण- 

बड़े-बड़े कारखाने के ऐसे स्थानों पर स्थापित हुए हैं, जहां कोयला तथा अन्य साधन उपलब्ध थे! गांव से बेरोजगार आकर कारखानों में काम करने लगे तथा वहीं आसपास बस गए! यह बसाहट धीरे धीरे नगरों में बदल गई! 

इसी प्रकार मेनचेस्टर, लंकाशायर, लीवरपूल तथा ग्लासगो को आदि नगरों का जन्म और विकास औद्योगिक की क्रांति के परिणाम स्वरुप ही हुआ है! दक्षिण के कुछ नगरों से भी आबादी का स्थानांतरण उत्तर की ओर हुआ! 

(5) संरक्षण की नीति – 

औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि से औद्योगिक देशों के लिए आवश्यक हो गया कि वह विदेशों से आने वाली वस्तुओं पर भारी कर लगाए तथा अपने देश में राष्ट्रीय उत्पादन ऊंची महत्व दे! अर्थात अपने राष्ट्रीय बाजार को संरक्षित करें! 

(6) बाजारों की तलाश – 

जब उत्पादन बढ़ा और माल को अपने ही देश में खपाना मुश्किल हो गया तो  औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े एवं अविकसित देशों की मंडियों एवं बाजारों की तलाश होने लगी! बाजारों की आवश्यकता ने यूरोप को उपनिवेशक संघर्ष को ओर धकेल दिया! 

(6) आर्थिक एवं राजनीतिक उदारवाद – 

मशीन, उद्योग, व्यापार, संचार और तथा परिवहन के विकास के साथ आर्थिक तथा राजनीतिक सोच में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए! व्यक्तिक स्वतंत्रता के समर्थकों ने व्यक्ति और उसके कार्यों में राज्य हस्तक्षेप को अवांछनीय बनाया! इन विचारकों नए सिद्धांत की वकालत की कि सामाजिक विकास के लिए मनुष्य के व्यक्तित्व को स्वतंत्र रखना बहुत जरूरी है! 

औद्योगिक क्रांति के लाभ (audyogik kranti ke labh) –

Audyogik kranti ke labh इस प्रकार हैं – 

(1) नवीन वैज्ञानिक खोजों के फलस्वरुप नवीन प्रौद्योगिकी का विकास हुआ, जिससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई! 

(2) औद्योगिक क्रांति के कारण यातायात के साधनों का तेजी से विकास हुआ तथा मानव के लिए अब यातायात सुगम और सुविधाजनक हो गया! 

(3) औद्योगिक क्रांति के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिला, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने और उसका विस्तार करने का प्रयास किया गया! 

(4) मशीनों के अविष्कार के कारण मानव को अधिक परिश्रम वाले कामों से मुक्ति मिली और नागरिकों के जीवन में सुख सुविधा मकी वृद्धि हुई! 

(5) औद्योगिक क्रांति के कारण वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिला, जिससे भविष्य में अनेक प्रकार के अनुसंधान किया जा सके! 

प्रश्न :- औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब और कहां से हुई

उत्तर :- सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ इंग्लैंड में हुआ इसका प्रसार धीरे-धीरे विश्व के अन्य देशों में हुआ 1750 इसे अट्ठारह सौ पचासी के मध्य इंग्लैंड में आज क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए

औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कहाँ और कब हुई?

ग्रेट ब्रिटेन, महाद्वीपीय यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में नए औद्योगिक तरीकों में बदलाव लगभग 1760 और 1820 और 1840 के बीच हुआ, जिसे औद्योगिक क्रांति के रूप में जाना जाता है।

औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई?

1750 – 1840औद्योगिक क्रांति / अवधिnull

सबसे पहले क्रांति कहाँ हुई?

ब्रिटेन पहला देश था जिसने औद्योगिकरण का अनुभव किया था विश्व मे प्रथम औद्योगिक क्रांति का आशय 1780 ई - 1820 के मध्य आये औद्योगिक विकास में तीव्र परिवर्तन से है।

औद्योगिक क्रांति के सर्वप्रथम इंग्लैंड में शुरू होने के क्या कारण थे?

अनुकूल जलवायु, कोयला तथा लोहे की उपलब्धता तथा आंतरिक भागो तक पहुंच हेतु नदियों की उपलब्धता आदि कुछ ऐसे कारण थे जिन्होंने इंग्लॅण्ड में औद्योगिक क्रांति को जनम दिया। इंग्लैंड में 18 वीं शताब्दी के पश्चात् लोहे तथा कोयला के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई जिसने औद्योगिक क्रांति की शुरुआत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।