पोंगल कहाँ और कैसे मनाया जाता है? - pongal kahaan aur kaise manaaya jaata hai?

उत्तर भारत के मकर संक्रांति त्योहार को ही दक्षिण भारत में 'पोंगल' के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार गोवर्धन पूजा, दिवाली और मकर संक्रांति का मिला-जुला रूप है। पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है।

कब आता है यह त्योहार?

यह त्योहार प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के आसपास मनाया जाता है। यह उत्सव लगभग 4 दिन तक चलता है। लेकिन मुख्य पर्व पौष मास की प्रतिपदा को मनाया जाता है। पोंगल अर्थात खिचड़ी का त्योहार सूर्य के उत्तरायण होने के पुण्यकाल में मनाया जाता है।

पोंगल का अर्थ

पोंगल के पहले अमावस्या को लोग बुरी रीतियों का त्यागकर अच्छी चीजों को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करते हैं। यह कार्य 'पोही' कहलाता है तथा जिसका अर्थ है- 'जाने वाली।' पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है। पोही के अगले दिन अर्थात प्रतिपदा को दिवाली की तरह पोंगल की धूम मच जाती है।

चार दिन का उत्सव

पोंगल का उत्सव 4 दिन तक चलता है। पहले दिन भोगी, दूसरे दिन सूर्य, तीसरे दिन मट्टू और चौथे दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है। पहले दिन भोगी पोंगल में इन्द्रदेव की पूजा, दूसरे दिन सूर्यदेव की पूजा, तीसरे दिन को मट्टू अर्थात नंदी या बैल की पूजा और चौथे दिन कन्या की पूजा होती है, जो काली मंदिर में बड़े धूमधाम से की जाती है।

क्यों मनाते हैं त्योहार?

दक्षिण भारत में धान की फसल समेटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं और भगवान से आगामी फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, सूर्य, इन्द्रदेव तथा खेतिहर मवेशियों की पूजा और आराधना की जाती है।

दक्षिण भारत का नववर्ष

जिस प्रकार उत्तर भारत में नववर्ष की शुरुआत चैत्र प्रतिपदा से होती है उसी प्रकार दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण होने वाले दिन पोंगल से ही नववर्ष का आरंभ माना जाता है।

कैसे मनाते हैं त्योहार?

पोंगल 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन कूड़ा-करकट एकत्र कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की और तीसरे दिन पशुधन की पूजा होती है। चौथे दिन काली पूजा होती है। अर्थात दिवाली की तरह रंगाई-पुताई, लक्ष्मी की पूजा और फिर गोवर्धन पूजा की तरह मवेशियों की पूजा। घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है, नए वस्त्र और बर्तन खरीदते हैं। बैलों और गायों के सींग रंगे जाते हैं। सांडों-बैलों के साथ भाग-दौड़कर उन्हें नियंत्रित करने का जश्न भी होता है।

गाय के दूध का उफान

इस त्योहार पर गाय के दूध के उफान को बहुत महत्व दिया जाता है। इसका कारण है कि जिस प्रकार दूध का उफान शुद्ध और शुभ है उसी प्रकार प्रत्येक प्राणी का मन भी शुद्ध संस्कारों से उज्ज्वल होना चाहिए। इसीलिए नए बर्तनों में दूध उबाला जाता है।

पोंगल के पकवान

इस दिन विशेष तौर पर खीर बनाई जाती है। इस दिन मिठाई और मसालेदार पोंगल व्यंजन तैयार करते हैं। चावल, दूध, घी, शकर से भोजन तैयार कर सूर्यदेव को भोग लगाते हैं।

क्या है पौराणिक कथा?

कथानुसार शिव अपने बैल वसव को धरती पर जाकर संदेश देने के लिए कहते हैं कि मनुष्यों से कहो कि वे प्रतिदिन तेल लगाकर नहाएं और माह में 1 दिन ही भोजन करें। वसव धरती पर जाकर उल्टा ही संदेश दे देता है। इससे क्रोधित होकर शिव शाप देते हैं कि जाओ, आज से तुम धरती पर मनुष्यों की कृषि में सहयोग दोगे।

पोंगल की अन्य मान्यता

एक अन्य कथा इन्द्र और कृष्ण से जुड़ी है। गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद ग्वाले फिर से अपनी नगरी को बसाने और बैलों के साथ फिर से फसल उगाही का कार्य करते हैं। यह भी मान्यता है कि प्राचीनकाल में द्रविण शस्य उत्सव के रूप में इस पर्व को मनाया जाता था। यह भी कहा जाता है कि यह पर्व मदुरै के पति-पत्नी कण्णगी और कोवलन की कथा से जुड़ा है।

जानिए, कैसे मनाया जाता है पोंगल का त्योहार ?

पोंगल कहाँ और कैसे मनाया जाता है? - pongal kahaan aur kaise manaaya jaata hai?

जहां उत्तर भारत में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है तो वहीं भारत के दक्षिण हिस्से में इस दिन को पोंगल

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जहां उत्तर भारत में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है तो वहीं भारत के दक्षिण हिस्से में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन त्योहार को लगातार 4 दिनों तक मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन तमिल के लोग बुरी आदतों का त्याग करते हैं और इस परंपरा को पोही कहा जाता है। बता दें कि पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है। पारम्परिक रूप से ये सम्पन्नता को समर्पित त्यौहार होता है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप तथा कृषि संबंधी की आराधना की जाती है। आइए जानते हैं इसे क्यों और कैसे मनाया जाता है।

पोंगल कहाँ और कैसे मनाया जाता है? - pongal kahaan aur kaise manaaya jaata hai?

तमिलनाडू में इस पर्व को पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है। जिसका पहला दिन भोगी पोंगल, दूसरा दिन सूर्य पोंगल, तीसरा दिन मट्टू पोंगल और चौथा दिन कन्या पोंगल कहलाता है। दिनों के हिसाब से अलग-अलग तरीके से पूजा की जाती है। दक्षिण भारत के लोग फसल समेटने के बाद खुशी प्रकट करने और आने वाली फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। पोंगल पर्व में सुख समृद्धि के लिए लोग धूप, सूर्य, इन्द्रदेव और पशुओं की पूजा कर उनका आभार प्रकट करते हैं।
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धार्मिक महत्व
इस पर्व के पहले दिन इंद्र देव की आराधना की जाती है, क्योंकि इंद्र देव वर्षा के लिए उत्तरदायी होते हैं इसलिए खेती के लिए अच्छी बारिश की कामना से इनकी पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों से पुराने खराब सामानों को निकालकर उन्हें जलाते हैं।
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दूसरे दिन सूर्य देव की अराधना की जाती है। इस दिन विशेष तरह की खीर बनाकर उसे भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है।

इस पर्व के तीसरे दिन कृषि पशुओं जैसे गाय, बैल की पूजा की जाती है। उन्हें नहला धुलाकर तैयार किया जाता है। बैलों के सींगों को रंगा जाता है।

पोंगल कहाँ और कैसे मनाया जाता है? - pongal kahaan aur kaise manaaya jaata hai?

पोंगल के चौथे दिन घर को फूलों से सजाया जाता है। इस मौके पर घर की महिलाएं आंगन में रंगोली बनाती हैं। ये इस पर्व का आखिरी दिन होता है इसलिए लोग एक दूसरे को मिठाई बाटकर इस त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं।

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पोंगल त्योहार कहाँ और कैसे मनाया जाता है?

पोंगल दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है, जिसे 14 से 17 जनवरी के बीच सेलिब्रेट किया जाता है. लोहड़ी (Lohri) की तरह इसे भी किसानों द्वारा फसल के पक जाने की खुशी में सेलिब्रेट किया जाता है. दक्षिण भारत के कई हिस्सों में इस त्योहार से जुड़ी एक और प्रथा है.

पोंगल का त्योहार कब और कहां मनाया जाता है?

इस पर्व का इतिहास कम से कम 1000 साल पुराना है तथा इसे तमिलनाडु के अलावा देश के अन्य भागों, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर तथा अन्य कई स्थानों पर रहने वाले तमिलों द्वारा उत्साह से मनाया जाता है। तमिलनाडु के प्रायः सभी सरकारी संस्थानों में इस दिन अवकाश रहता है।

पोंगल में किसकी पूजा की जाती है?

पोंगल पर्व से तमिलनाडु में नववर्ष का शुभारंभ हो जाता है। पोंगल के दिन नई फसल, प्रकाश, जीवन के लिए, सूर्य के प्रति पोंगल पर्व पर कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। पोंगल का अर्थ है 'उबालना'।

पोंगल पर्व कैसे बनाया जाता है?

Pongal 2022: पोंगल का त्योहार आज, जानें कहां और कैसे मनाया जाता है ये त्योहार ? वनइंडिया हिंदी - YouTube.