"पाकिस्तान का संविधान" यहाँ पुनर्प्रेषित होता है। यह पृष्ठ पाकिस्तान के मौजूदा संविधान के बारे में है। पाकिस्तान की पिछले संविधानों के बारे में जानकारी के लिये देखें पाकिस्तान का संविधान, १९५६ और पाकिस्तान का संविधान, १९६२। पाकिस्तानी संविधान के संशोधनों के लिये देखें पाकिस्तानी संविधान के संशोधन और पाकिस्तान के संविधान की उद्देशिका के लिये देखें उद्देश्य संकल्प।
पाकिस्तान का संविधान (उर्दू: آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान उर्दू: دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है।[1] पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा अप्रैल 10, 1973 को पारित हुआ तथा अगस्त 14, 1973 से प्रभावी हुआ।[2] इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा संविधान है और इस में कई बार संशोधन किया जा चुका है। पाकिस्तानी संविधान का इतिहास व उत्पत्ति[संपादित करें]इन्हें भी देखें: पाकिस्तान का संविधान, १९५६ एवं पाकिस्तान का संविधान, १९६२1950 में भारत में संविधान के परवर्तन के बाद, पाकिस्तान के सांसदों ने अपने संविधान को गठित करने के प्रयास तेज़ कर दिए। प्रधानमन्त्री मोहम्मद अली और उनकी सरकार के अधिकारियों ने देश में विपक्षी दलों के सहयोग के साथ पाकिस्तान के लिए एक संविधान तैयार करने के लिए काम किया। [3] अन्त में, इस संयुक्त कार्य के कारण, संविधान के पहले समूच्चय को लागू किया गया। यह घटना 23 मार्च 1956 को हुई थी, इस दिन को आज भी पाकिस्तान के संविधान के प्रवर्तन के उपलक्ष्य में गणतंत्रता दिवस(या पाकिस्तान दिवस) मनाता है। इस संविधान ने पाकिस्तान को "एकसदनीय विधायिका" के साथ सरकार की संसदीय प्रणाली प्रदान की। साथ ही, इसने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को एक इस्लामी गणराज्य घोषित भी किया(इसी के साथ पाकिस्तान विश्व की पहली इस्लामी गणराज्य बन गई)। इसके अलावा, इसमें, समता के सिद्धान्त को भी पहली बार पेश किया गया था। संविधान द्वारा, इस्कंदर मिर्जा ने अध्यक्ष पद ग्रहण किया, लेकिन राष्ट्रीय मामलों में उनकी लगातार असंवैधानिक भागीदारी के कारण, चार निर्वाचित प्रधानमंत्रियों को मात्र दो सालों में ही बर्खास्त कर दिया गया। जनता के दबाव के तहत, राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने 1958 में तख्तापलट को वैध ठहराया; और इस प्रकार यह संविधान लगभग निलम्बित हो गया। शीघ्र ही बाद में जनरल अयूब खान ने इस्कन्दर मिर्जा अपदस्थ और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। और इसलिए इस यह संविधान केवल 3 वर्ष के लिए ही चल पाया। 17 फरवरी 1960, को अयूब खान ने देश के भविष्य के राजनीतिक ढाँचे पर रिपोर्ट करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति की। आयोग पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में दस अन्य सदस्यों के साथ गठित की गई थी। इसमें पूर्वी पाकिस्तान से पाँच सदस्य और पाँच पश्चिमी पाकिस्तान से भी पाँच सदस्य थे। यह पूर्णतः सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वकीलों, उद्योगपतियों और जमींदारों से बना था। इस संविधान आयोग की रिपोर्ट को 6 मई 1961 को राष्ट्रपति अयूब के समक्ष प्रस्तुत की गई और राष्ट्रपति और उनके मन्त्रिमण्डल द्वारा जाँच के पश्चात जनवरी 1962 में, कैबिनेट अन्त में नए संविधान के मूल पाठ को मंजूरी दे दी गई। इसे राष्ट्रपति अयूब द्वारा 1 मार्च 1962 को लागू किया गया था और अन्त में 8 जून 1962 को यह प्रभाव में आया। यह संविधान निहित 250 अनुच्छेद और बारह भागों और तीन कार्यक्रम में बाँटा गया था। पिछले संविधान की तरह ही इसमें भी पाकिस्तान को इस्लामी मूल्यों पर बनाने की बात की गई थी और एकसदनीय विधायिका को तथस्त रखा गया था। परन्तु 1956 के संविधान के मुकाबले इस संविधान की परियोजनाओं के मुताबिक पाकिस्तान के राष्ट्रपति को अनेक कर्याधिकार दिये गए थे, और मूलतः एक अध्यक्षीय व्यवस्था गठित की गई थी। १९५६ के संविधान की तरह ही 1962 का संविधान भी अधिक समय तक नहीं रह पाया। पाकिस्तान में दूसरा मार्शल लॉ(सैन्य शासन), 26 मार्च 1969 को लगाया गया था जब राष्ट्रपति अयूब खान ने 1962 में संविधान निराकृत किया और सेना के कमाण्डर-इन-चीफ़ जनरल आगा मोहम्मद याह्या खान को सत्ता सौंप दिया। राष्ट्रपति पद संभालने पर, जनरल याह्या खान पश्चिम पाकिस्तान में लोकप्रिय माँग पर एक इकाई व्यवस्था को खत्म कर दिया और एक आदमी एक वोट के सिद्धान्त पर आम चुनाव का आदेश दिया।[4] 1973 के संविधान का प्रारूपण[संपादित करें]1970 के संवैधानिक संकट के बाद नई सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक एक नए संविधान का मसौदा तैयार करना था। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1972 को 1970 के चुनाव के आधार पर विधायिका बनाई गई। एक समिति विभिन्न राजनीतिक दलों के पार अनुभाग से स्थापित की गई। इस समिति का उद्देश्य देश में एक संविधान बनाना था, जिस पर सभी राजनीतिक पार्टियाँ सहमत हूँ। समिति के अन्दर एक अन्तर यह था कि क्या देश में संसदीय सत्ता प्रणाली होनी चाहिए या राष्ट्रपति प्रणाली। इसके अलावा प्रान्तीय स्वायत्तता के मुद्दे पर अलग अलग विचार थे। संवैधानिक समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने में आठ महीने किए, अन्ततः 10 अप्रैल 1973 को समिति ने, संविधान के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की। संघीय विधानसभा(नेशनल असेम्ब्ली) में बहुमत यानी 135 सकारात्मक मतों के साथ यह अपनाया गया और 14 अगस्त 1973 को यह संविधान पाकिस्तान में लागू कर दिया गया। महत्वपूर्ण वशिष्ठियाँ[संपादित करें]शासन तंत्र[संपादित करें]
इस्लामिक प्रावधान[संपादित करें]
हिस्से[संपादित करें]पाकिस्तानी संविधान में बारह भाग और पाँच अनुसूचियाँ हैं, इसके अलावा संविधान के प्रस्तावना के रूपमें ऑब्जेक्टिव्स रेज़ोल्यूशन(उद्देश्य संकल्प) को भी, बतौर पूरकांश, 1985 में जोड़ा गया है। इसके अलावा संविधान में 21 संशोधन भी हैं, जिन्हें भिन्न अवसरों पर संविधान में जोड़ा गया है। भाग[संपादित करें]संविधान के भिन्न-भिन्न लेखों को संविधान के निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है:
अनुसूचियाँ[संपादित करें]अनुसूचियां संविधान में दी गई सूचना है जो सरकारी नीति और नौकरशाही गतिविधियों को श्रेणीबद्ध और सारणीबद्ध करती है:
संशोधन[संपादित करें]पाकिस्तान के पीछे संविधानों में दिए गए प्रावधानों के विरुद्ध इस संविधान में संशोधन पाकिस्तान कि संसद की मंजूरी से ही लाया जा सकता है मौजूदा कानून के अनुसार संशोधन के लिए प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके अलावा संधत्व-संबंधिन प्रस्तावों को प्रांतीय विधायिकाओं में भी पारित होना होगता है। मौजूदा संविधान में लाए गए संशोधनों की सूची नीचे दी गई है:
प्रस्तावना[संपादित करें]ऑब्जेक्टिव्स रेज़ोल्यूशन (उद्देश्य संकल्प) को 1946 में पाकिस्तानी संविधानसभा में, बतौर नीतीनिर्देषक, पारित किया गया था। 1985 में इसे संविधान में प्रस्तावना के रूप में संकलित किया गया था। इसका पाठ इस प्रकार है: [22]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
पाकिस्तान का संविधान लिखने वाला कौन है?पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा अप्रैल 10, 1973 को पारित हुआ तथा अगस्त 14, 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया।
पाकिस्तान का संविधान लागू कब हुआ?Detailed Solution. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने 10 अप्रैल, 1973 को अपना संविधान पारित किया। संविधान सभा के अध्यक्ष ने 12 अप्रैल 1973 को इसे प्रमाणित किया और विधानसभा ने इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के संविधान को प्रकाशित किया।
पाकिस्तान का पुराना नाम क्या है?सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान।
पाकिस्तान में संविधान दिवस कब मनाया जाता है?साथ ही 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाया गया था, जिसने रियासत-ए-पाकिस्तान को, अधिराजकीय, पाकिस्तान अधिराज्य से विश्व के पहले इस्लामी गणराज्य, इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में परिवर्तित कर दिया। इस दिन ("23 मार्च") को पूरे पाकिस्तान में छुट्टी होती है।
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