Sangharsh ke karan me tunukmizaz ho gaya Questions and Answers Class 7अभ्यास Show साक्षात्कार से— प्रश्न 1. साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए। उत्तर – साक्षात्कार पढ़कर हमारे मन में धनराज पिल्लै की साफ, स्वच्छ और ईमानदार छवि उभरती है। वह अपना जीवन एक आम मध्यवर्गीय परिवार में व्यतीत करते थे और अपने जीवन काल में उन्होंने काफी संघर्ष किया है। वह हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी होते हुए भी आम लोगों कि तरह मुंबई के लोकल ट्रेन और बसों में यात्रा किया करते थे। उन्हें अपनी माॅं से बहुत लगाव था, उन्होंने अपनी माॅं की शिक्षा को हर समय याद रखा और कभी भी अपने इतना प्रसिद्ध होने पर उन्हें अभीमान नहीं था। वास्तव में धनराज पिल्ले एक मेहनती और नेक दिल के इंसान थे। इन्हीं गुणों के कारण वह एक हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में जाने जाते हैं। प्रश्न 2. धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए। उत्तर – धनराज पिल्लै ने जमीन उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है और इस मंजिल को हासिल करने के लिए उन्होंने अपने जीवन सफर में काफी संघर्ष किया है व कष्ट सहे हैं। उनका बचपन बहुत संघर्षपूर्ण रहा, उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है। दोनों भाइयों को देख उन्हें भी हाॅकी खेलने का शौक आया था, परंतु उनके पास एक हॉकी स्टिक खरीदने तक के भी पैसे नहीं थे। वह अपने साथियों से ही हॉकी माॅंग कर काम चलाया करते थे। 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी जूनियर राष्ट्रीय हॉकी 1985 में मणिपुर में खेली। फिर 1986 में उनको सीनियर टीम में डाल दिया गया और फिर व मुंबई के लिए रवाना हो गए। मुंबई में उन्होंने और उनके बड़े भाई ने खूब धमाल मचाया। इसी कारण उनमें एक आशा जगी और उन्हें लगा कि इस वर्ष 1988 के ओलंपिक नेशनल कैंप के लिए उन्हें बुलावा जरूर आएगा। परंतु उनकी आशा टूट गई और उन्हें बुलावा नहीं आया। उनका नाम 57 खिलाड़ियों की लिस्ट में नहीं था। एक साल बाद ही 1989 में ऑलबिन एशिया कप के कैंप के लिए उन्हें चुन लिया गया तब से लेकर आज तक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते चले गए। धनराज पिल्ले हॉकी के महान खिलाड़ी माने जाते हैं, इन्होंने कई देशों के विरुद्ध भारत का नेतृत्व किया तथा जीत भी प्राप्त की है। प्रश्न 3. ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’–धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है? उत्तर – धनराज पिल्लै की माॅं से उन्हें अपनी प्रसिद्ध को विनम्रता से संभालने की सीख मिली है। इसका यह तात्पर्य है कि चाहे मनुष्य अपने जीवन में कितना भी प्रसिद्ध हो जाए उसे अपने ऊपर घमंड नहीं करना चाहिए और दूसरों को कभी भी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। अपनी माॅं की इसी सीख और अच्छे संस्कारों के कारण धनराज पिल्लै अपने जीवन में सफल, परिश्रमी, मेहनती और एक ईमानदार इंसान बन पाए। साक्षात्कार से आगे— प्रश्न 1. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए। उत्तर – ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर इसलिए कहा जाता है क्योंकि जिस तरह जादूगर अपने दांवपेंचों से हमारी आंखों के सामने ऐसा करतब दिखाता है कि हम हैरान हो जाते हैं। उसी तरह ध्यानचंद भी मैदान में हॉकी के खेल में करतब दिखाते थे। वह अपने खेल में इतने निपुण थे कि कई बार तो लोगों को भ्रम हो जाता था कि ध्यानचंद चुम्बक युक्त हाॅंकी का प्रयोग तो नहीं करते। इन्हीं कारणों से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है। प्रश्न 2. किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाता है? उत्तर – हॉकी खेल भारत में प्राचीन समय से खेला जा रहा है। इस खेल को राजा महाराजाओं से लेकर गाॅंव के लोग भी बड़े रुचि से खेला करते थे। इस खेल की रूचि अभी भी हर देश विदेश में बढ़ती जा रही है। यह खेल कम खर्चीला खेल है और इसे सीमित संसाधनों के साथ भी खेला जा सकता है। इसे खेल को कम समय में भी खेला जा सकता है। यह खेल वर्षों से आगे बढ़ते ही जा रहा है। इन्हीं विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है। प्रश्न 3. आप समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में छपे हुए साक्षात्कार पढ़ें अपनी रुचि से किसी व्यक्ति को चुनें, उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें। उत्तर –
छात्र स्वयं समाचार पत्रों में से किसी व्यक्ति की साक्षात्कार पढ़कर अपनी रुचि से उसकी जानकारी प्राप्त कर उसके लिए कुछ प्रश्न तैयार कर सकते हैं। अनुमान और कल्पना— प्रश्न 1. ‘यह कोई जरूरी नहीं है कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’ क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों से बातचीत के आधार पर लिखिए। उत्तर – हम धनराज पिल्ले की इस बात से सहमत हैं कि शोहरत पैसा भी साथ में लेकर आए। उनका यह कहना और मानना बिल्कुल सच है क्योंकि जिस तरह धनराज को जितनी शोहरत मिली उतना उन्हें पैसा प्राप्त नहीं हुआ। वह काफी समय तक अपनी जीवन में आर्थिक परेशानियों से जूझते रहे और आम लोगों की तरह ही लोकल ट्रेनों और बसों में यात्रा किया करते थे। प्रश्न 2. (क) अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगना आसान होता है या मुश्किल? (ख) क्या आप और आपके आसपास के लोग अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँग लेते हैं? (ग) माफ़ी माँगना मुश्किल होता है या माफ़ करना? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए। उत्तर – (क) अपनी गलतियों के लिए माफी माॅंगना मुश्किल तो होता है, परंतु हमें अपनी गलतियों के लिए माफी जरूर माॅंगनी चाहिए। जो व्यक्ति अपने ही गलती के लिए माफी नहीं मांगता वह बहुत ही घमंडी व स्वाभिमानी मनुष्य होता है। (ख) नहीं, कई बार तो हमारे आसपास के लोग गलती कर के अपनी गलती मानने तक तैयार नहीं होते, माफी तो बहुत दूर की बात है। साथ ही साथ अकड़ भी दिखाते हैं। उन्हें लगता है कि माफी मांगने से उनकी इज्जत और अभिमान घट जाएगी। (ग) माफी माॅंगना और माफ करना, मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों ही मुश्किल होते हैं क्योंकि अगर किसी मनुष्य ने कोई गलती की है और जब उससे उसका एहसास होता है। तो वह माफी तो मांग लेता है परंतु जो सामने वाले व्यक्ति पर बितती है। उसके लिए वह कठिन हो जाता है कि वह उसे माफ करे या नहीं। और कभी-कभी तो ऐसा होता है कि जब किसी मनुष्य को अपनी गलती का एहसास होता है, तो वह अपनी नजरों में ही इतना गिर जाता है कि सामने वाले से बात तक नहीं कर पाता और उससे अपनी नजरें छुपाते रहता है। भाषा की बात— प्रश्न 1. नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिसमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए– प्रेरणा प्रेरक प्रेरित संभव संभावित संभवतः उत्साह उत्साहित उत्साहवर्धक उत्तर –
प्रश्न 2. तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे– बादल, बादर, बदरा, बदरिया; मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए। उत्तर –
प्रश्न 3. हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए, जैसे– फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं– गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि। उत्तर – क्रिकेट – एंपायर, रन, चौका, छक्का, क्षेत्ररक्षण, बल्लेबाज, गेंदबाज, आउट, कैच विकेटकीपर, विकेट इत्यादि। ध्यान चंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्यों?ध्यानचंद हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे। वे हॉकी स्टिक और बॉल के साथ इस तरह खेलते थे मानो कोई करिश्मा है। इसलिए इन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है।
हॉकी का जादूगर ने किसे कहा जाता है और क्यों?भारतीय हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। भारतीय हॉकी इतिहास के महान खिलाड़ी को भारत रत्न के लिए भी कई बार नाम दिया जा चुका है लेकिन अभी तक इनको भारत रत्न नही मिल पाया है । हॉकी में अद्भुत कला के साथ खेलने के कारण मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहते है।
मेजर ध्यानचंद को क्या कहा जाता है?मेजर ध्यानचंद(Major Dhyan Chand) एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी थे, हॉकी स्टिक और गेंद पर इनकी मजबूत पकड़ के कारण इन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है।
हॉकी के जादूगर का क्या नाम था?आज सारा देश हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यान चंद सिंह जन्मदिन मना रहा है। आज ही के दिन साल 1905 में इलाहाबाद में ध्यान चंद सिंह का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को देशभर में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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