पथरी का ऑपरेशन मशीन द्वारा कैसे होता है? - patharee ka opareshan masheen dvaara kaise hota hai?

अभी तक पीजीआई में दूरबीन के ऑपरेशन के माध्यम से किडनी की पथरी को निकाला जाता है। ऐसे में मरीज का ऑपरेशन होने के साथ साथ पथरी की समस्या पूरी तरह खत्म नहीं होती। इस समस्या को दूर करने के लिए पीजीआई प्रशासन ने आधुनिक लिथोट्रिप्सी मशीन मंगवाई है। करोड़ों रुपये की इस मशीन के आने के बाद किडनी से पथरी निकालने के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। ध्वनि तरंगों यानि शॉक वेब के माध्यम से पथरी का उपचार हो सकेगा।

लिथोट्रिप्सी मशीन से ऐसे होगा किडनी का उपचार : लिथोट्रिप्सी मशीन के उच्च दबाव वाली ध्वनि तरंगों को मरीज के शरीर में भेजती है। इसके तहत ऑपरेटिंग टेबल पर मरीज को लेटा दिया जाएगा। टेबल पर पेट की सीध में पानी से भरा तकिया लगा दिया जाएगा। यह किडनी के पीछे होगा। इसके बाद शॉक वेब (ध्वनि तरंगों) से पथरी पर फोकस किया जाएगा। फिर पत्थरी को तोड़ने के लिए उस पर तरंगों के माध्यम से फोकस किया जाएगा। इसके बाद उसकी लोकेशन पर 1 से 2 हजार शॉक वेब के वार किए जाएंगे। ध्वनि तरंगों की चोट से पथरी का पाउडर बन जाएगा। इसके बाद पथरी का हिस्सा पेशाब के जरिए बाहर आ जाएगा।

खून के लिए नहीं भटकेंगे मरीज और तीमारदार : लिथोट्रिप्सी मशीन के आने के बाद मरीजों और उनके तीमारदार दोनों को फायदा होगा। इसके आने के बाद मरीज को ऑपरेशन नहीं कराना पड़ेगा। इसके अलावा मरीज के तीमारदारों को ऑपरेशन से पहले खून के लिए इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा। इस मशीन से किडनी में मौजूद पथरी को क्रश करने की पूरी प्रक्रिया में 45 से 60 मिनट में पूरी हो जाएगी। मरीज को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

पीजीआई में प्रदेशभर से आते है किडनी पथरी के मरीज : पीजीआई में प्रदेशभर से प्रतिदिन पथरी के पचास से ज्यादा मरीज आते है। फिलहाल अभी तक प्रदेश के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में लिथोट्रिप्सी मशीन नहीं है। ऐसे में कुछ मरीज ऑपरेशन से बचने के लिए निजी अस्पतालों की तरफ रूख करते है। यहां पर निजी डॉक्टर उपचार के नाम पर मरीजों से मनमानी फीस वसूल करते है। वर्तमान में ऑपरेशन के द्वारा पथरी निकालने के नाम पर ही निजी अस्पताल में 15 से 20 हजार रुपये वसूले जाते है।

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किडनी रक्त में से अपशिष्ट और तरल पदार्थ को अलग करने का काम करती है, जब अपशिष्ट पदार्थ की मात्रा अधिक होती है और तरल पदार्थ कम होता है तो अपशिष्ट पदार्थ किडनी में जमा होने लगते हैं और इकठ्ठा होकर छोटे या बड़े आकार के पत्थरनुमा संरचना में बदल जाते हैं। इस संरचना को हम किडनी स्टोन कहते हैं। यह कई तरह के मिनरल्स और साल्ट से मिलकर बना होता है।

किडनी स्टोन के लेजर उपचार को लेजर लिथोट्रिप्सी कहते हैं। आज हम इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

Table of Contents

  • किडनी स्टोन के प्रकार
  • किडनी स्टोन होने का कारण
  • किडनी स्टोन के लक्षण
  • गुर्दे की पथरी का लेजर ऑपरेशन क्या है? What is Laser Lithotripsy In Hindi 
  • किडनी स्टोन के लेजर ऑपरेशन की जरूरत कब पड़ती है?
  • किडनी स्टोन की लेजर सर्जरी की क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
    • सर्जरी के पहले – (निदान) 
  • गुर्दे की पथरी का लेजर ऑपरेशन कैसे होता है? Kidney Stone Ka Laser Operation Kaise Hota Hai?
  • Pristyn Care से करें संपर्क

किडनी स्टोन के प्रकार

अलग-अलग साल्ट और मिनरल्स से बने होने के आधार पर किडनी स्टोन के कई प्रकार हैं, कुछ प्रधान प्रकार नीचे लिखे गए हैं-

  • कैल्शियम स्टोन (calcium stone)
  • यूरिक एसिड स्टोन (uric acid stone)
  • स्ट्रूवाइट स्टोन (Struvite Stone)
  • सिस्टीन स्टोन (cystine stone)

किडनी स्टोन होने का कारण

  • शरीर में पानी की कमी
  • जरूरत से अधिक वजन
  • क्रोनिक डायरिया
  • हाई ब्लड शुगर
  • आहार में एनिमल प्रोटीन
  • आनुवंशिक

किडनी स्टोन के लक्षण

  • पसलियों के नीचे और पीछे की तरफ तेज दर्द
  • पेशाब करते समय चुभन और दर्द
  • लाल, गुलाबी या भूरे रंग की पेशाब
  • मूत्र से अजीब दुर्गन्ध आना
  • तेज बुखार और बार-बार पेशाब आना

ये भी पढ़ें- किडनी स्टोन की सर्जरी करने के लिए परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी सर्जरी

गुर्दे की पथरी का लेजर ऑपरेशन क्या है? What is Laser Lithotripsy In Hindi 

लेजर लिथोट्रिप्सी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें लेजर किरण और युरेट्रोस्कोप की मदद से किडनी स्टोन का ऑपरेशन किया जाता है। गुर्दे की पथरी के लेजर ऑपरेशन में किडनी में कोई चीरफाड़ नहीं होता है और उपचार के दो दिन बाद रोगी आसानी से अपने ऑफिस जा सकता है और सभी सामान्य काम कर सकता है।

किडनी स्टोन के लेजर ऑपरेशन की जरूरत कब पड़ती है?

पथरी किडनी से बाहर निकलकर पेशाब नली में फंस सकती है। जब पथरी का आकार बड़ा होता है तो पेशाब नली के जाम हो जाने की संभावना बन सकती है, उस दौरान सही समय पर उपचार न मिल पाने पर किडनी फेलियर भी हो सकता है।

आमतौर पर जब किडनी स्टोन छोटे आकार का होता है तब डॉक्टर रोगी को सर्जरी की सलाह नहीं देते हैं और उसे दवाइयों और घरेलू नुस्खे से ठीक करते हैं। लेकिन जब दवाइयों के सेवन के बाद भी मरीज को आराम नहीं मिलता है और स्थिति गंभीर होती जाती है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।

बाकी उपचार प्रक्रिया की तुलना में किडनी स्टोन का लेजर ऑपरेशन बहुत अच्छा होता है। इसमें कोई कट नहीं होता है और रिकवरी के लिए रोगी को ज्यादा दिन तक बिस्तर में नहीं रहना पड़ता है।

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किडनी स्टोन की लेजर सर्जरी की क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

हालांकि, ज्यादातर मामलों में लेजर सर्जरी से जटिलताएं होने की संभावना न्यूनतम होती है। लेकिन दुर्भाग्य से किसी मामले में रोगी को निम्न जटिलताओं में से किसी का भी सामना करना पड़ सजता है।

  • इन्फेक्शन
  • पेशाब नली में चोट
  • पेशाब में खून की मात्रा अधिक होना
  • मूत्र नली को खुला रखने के लिए उपयोग होने वाली स्टेंट की पोजीशन चेंज हो सकती है

सर्जरी के पहले – (निदान) 

सर्जरी के पहले डॉक्टर पथरी के आकार और स्थिति का पता लगाने के लिए निम्न चीजें कर सकता है-

  • फिजिकल एग्जाम
  • रक्त और मूत्र परीक्षण
  • सीटीस्कैन, अल्ट्रासाउंड जैसे कई इमेजिंग टेस्ट
  • छाती का एक्स-रे
  • हार्ट की गतिविधि का पता लगाने के लिए ईसीजी

इसके अलावा सर्जरी के पहले आपको भी कुछ चीजें करनी पड़ सकती है-

  • जिन दवाइयों का सेवन करते हैं उनके बारे में डॉक्टर को बता दें
  • सर्जरी के पहले डॉक्टर द्वारा दी गई सावधानियों का पालन करें
  • सर्जरी वाले दिन आधी रात के बाद से कुछ भी खाना या पीना बंद कर दें

पढ़ें- गर्भावस्था में किडनी स्टोन का उपचार

गुर्दे की पथरी का लेजर ऑपरेशन कैसे होता है? Kidney Stone Ka Laser Operation Kaise Hota Hai?

  1. प्रक्रिया शुरू करने से पहले शरीर को सुन्न करने के लिए डॉक्टर जनरल एनेस्थीसिया देंगे।
  2. अब युरेट्रोस्कोप को पेशाब नली के माध्यम से अंदर डाला जाएगा, युरेट्रोस्कोप एक पतले ट्यूब जैसा उपकरण है जो खोखला होता है।
  3. युरेट्रोस्कोप मूत्र पथ से होते हुए मूत्राशय और फिर मूत्र नली तक जाएगा, जरूरत पड़ने पर इसे किडनी तक भेजा जाता है।
  4. अब डॉक्टर फाइबर (एक प्रकार का तार जिससे लेजर बीम निकलती है) को युरेट्रोस्कोप के जरिए अंदर डालते हैं और लेजर किरण की मदद से पथरी के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए जाते हैं।
  5. पथरी मूत्र के जरिए बाहर निकल जाती है। पथरी के कोई भी कण किडनी में न बचें, इसलिए डॉक्टर मूत्र नली में एक अस्थाई स्टेंट लगा देते हैं। स्टेंट के कारण मूत्र नली हमेशा खुली रहती है जिससे बचा हुआ स्टोन पास हो जाता है।

पूरी प्रक्रिया ख़तम होने में 2 घंटे तक का समय लग सकता है।

Pristyn Care से करें संपर्क

यदि आप गुर्दे की पथरी से पीड़ित हैं और उसका सफल उपचार करवाना चाहते हैं तो Pristyn Care से संपर्क करें।

हमारे पास गुर्दे की पथरी का लेजर उपचार करने के लिए अनुभवी सर्जन और एडवांस उपकरण हैं। हम भारत के कई शहरों में फैले हैं। हमारे डॉक्टर आपके स्थिति का उचित निदान  करके आपको सर्जरी या दवाइयों की सलाह देते हैं।

सर्जरी करने वाले सर्जन 10 से अधिक वर्षों का अनुभव होता है, अपने रोगियों को एक बेहतर उपचार प्रदान करने के लिए  हम अपने रोगियों को निम्न सुविधाएं प्रदान करते हैं।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

पथरी का ऑपरेशन मशीन से कैसे होता है?

यह मशीन किडनी के पथरी को एंडोस्कोपिक तरीके से तोड़ने के काम आती है। इस मशीन की खासियत यह है कि एक साथ ही पत्थर को मैकेनिकल और अल्ट्रसाउंड तरीके से तोड़ने के साथ-साथ टुकड़ों को शरीर से बाहर भी निकल देती है। इस से सर्जरी में समय की काफी बचत होती है। इसमें मरीज को अधिक समय तक बेहोश नहीं रहना पड़ता है।

पथरी का ऑपरेशन दूरबीन से कैसे होता है?

रेनोस्कोप को यूरिन के रास्ते से किडनी तक पहुंचाया जाता है और लेजर पथरी के टुकड़े-टुकड़े करके बाहर निकाल देता है। सर्जरी के अगले दिन मरीज अपनी सामान्य दिनचर्या कर सकता है।

पथरी के ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

आम तौर पर डॉक्टर लगभग छह सप्ताह की प्रतीक्षा अवधि की सलाह देते हैं। अगर वह सहज है तो बड़े ही आराम से संभोग करना ठीक है।

लेजर द्वारा ऑपरेशन कैसे किया जाता है?

आँखों के कॉर्निया में एक फ्लैप बनाकर, उसमें कंप्यूटर नियंत्रित एक्सीमर लेज़र को सीधा आँखों पर प्रकाश स्पंदित किया जाता है। फिर कॉर्निया को दोबारा से आकृति में लाया जाता है। आखिर में सर्जन कॉर्निया फ्लैप को फिर से स्थापित करते हैं और यह कुछ ही घंटों में ठीक होना शुरू हो जाता है।