(republic and democracy difference in hindi) गणराज्यवाद का अर्थ क्या है | लोकतंत्र और गणतंत्र में अंतर किसे कहते है ? Show गणराज्यवाद का अर्थ राजतंत्र से भिन्न, गणराज्यवाद ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें राज्य का प्रमुख साधारण जनता से आता है और प्रायः जनता द्वारा निर्वाचित होता है। यह नियमों का शासन है जो संविधानवाद पर आधारित होता है और उसी के माध्यम से कार्य करता है। यह वह प्रशासन है जिसमें व्यक्ति की स्वाधीनता सुनिश्चित होती है और जनता के लाभार्थ उसके हितों का ध्यान रखा जाता है। यह लोकतंत्र के साथ पैदा हुआ और उसी के साथ फलता-फूलता है। गणराज्यवाद लोकतंत्र के ढाँचे में सटीक बैठता है हालांकि लोकतंत्र गणराज्यवाद से आगे भी बहुत कुछ होता है। गणराज्यवादी शासन प्रणाली : इसकी विशेषताएँ गणराज्यवादी शासन इस अर्थ में लोकतांत्रिक होता है कि शासन करने वाले जनता के प्रतिनिधि होते हैं जो या तो किसी अन्य की जगह या एक सीमित अवधि के लिए निर्वाचित होते हैं। इतना ही नहीं, वे अपने निर्वाचकों के आगे उत्तरदायी भी होते हैं। यह इसलिए लोकतांत्रिक होता है क्योंकि यह एक निर्वाचित, उत्तरदायी और संवेदनशील शासन होता है। यह इसलिए लोकतांत्रिक होता क्योंकि यह जनता का शासन होता है। वह जब चाहती है, इसे बनाती है और जब चाहती है. इसे बदल देती है। यह इसलिए लोकतांत्रिक है क्योंकि गणराज्यवादी सरकारें जनता की इच्छा की मूर्त रूप होती हैं और उसी को लागू करने की इच्छा रखती हैं। बेंजामिन आस्टिन को एक पत्र में जेफरसन ने लिखा थाः ‘एक प्रातिनिधिक (और इसलिए गणराज्यवादी) शासन ऐसा शासन है जिसमें जनता की इच्छा एक प्रभावी तत्व होगी।श् गणराज्यवादी शासन मूलतः वहाँ तक लोकतांत्रिक शासन होता है जहाँ तक उसके हर सदस्य को उसके सरोकारों के बारे में बराबर की आवाज प्राप्त हो। एक गणराज्य किस चीज से बनता है? जेफरसन का यह कहना ठीक ही है कि ‘अपनी पहुँच और अपनी क्षमता के अंदर आने वाले विषयों में वैयक्तिक रूप से नागरिकों की तथा दूसरे सभी विषयों में उनके तात्कालिक रूप से चुने गए और उनके द्वारा हटाए जा सकने वाले प्रतिनिधियों की कार्रवाई एक गणराज्य का सारतत्व है।‘ गणराज्यवादी शासन प्रणाली शासन का एक सिद्धान्त प्रस्तुत करती है – एक सरकार जो लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित होय जो प्रातिनिधिक, उत्तरदायी और संवेदनशील हो, जो जनता की इच्छा पर आधारित और उसी के माध्यम से व्यक्त हो। ऐसा शासन जनता के अधिकारों व स्वाधीनताओं का एक सिद्धान्त प्रस्तुत करता है। गणराज्यवाद तथा स्वाधीनता के सिद्धान्त का चोली-दामन का साथ है। गणराज्यवाद के समर्थक इस बात पर जोर देते हैं कि मनुष्य के अधिकार शासन के सिद्धान्तों के आधार हैं। जेफरसन कहते हैंरू श्गणराज्य शासन की वह प्रणाली है जो मानवजाति के अधिकारों के खिलाफ शाश्वत रूप से किसी खुले या छिपे युद्ध से संलग्न नहीं है।श् मोंतेस्क्यू को उद्धृत करते हुए वे अपना यह विचार व्यक्त करते हैंरू श्गणराज्यवादी शासन प्रणालियों में मनुष्य समान होते हैंय समान वे क्रूर शासन प्रणालियों में भी होते हैं। पहली में इसलिए कि वे ही सब कुछ होते हैं। दूसरी में इसलिए के वे कुछ नहीं होते।‘ एक गणराज्यवादी शासन प्रणाली की बुनियादी विशेषताओं को संक्षेप में इस प्रकार रखा जा सकता हैः लोकतंत्र और गणराज्यवाद की तुलना लोकतंत्र और गणराज्यवाद की निकटता से इंकार नहीं किया जा सकता। दोनों का उद्देश्य जनता की संप्रभुता स्थापित करना हैय दोनों का चरित्र प्रातिनिधिक होता हैय दोनों मनुष्य के व्यक्तित्व का सम्मान मानव-विकास के मापदंड के रूप में करते हैंय दोनों मनुष्य के अधिकारों व स्वाधीनताओं को उसकी प्रगति के लिए अनिवार्य मानते हैंय दोनों निर्वाचित सरकार को जनमत के प्रति संवेदनशील मानते हैं। दोनों शासित के प्रति शासक की जवाबदेही पर जोर देते हैं। पर फिर भी बहुत कुछ है जो गणराज्यवाद और लोकतंत्र में भेद करता है। लोकतंत्र अल्पमत पर बहमत का शासन है जिसमें व्यक्ति के और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए सुरक्षा के उपाय नहीं होते। गणराज्य भी बहुमत का शासन होता है पर लोकतंत्र के असीमित बहुमत के विपरीत यह एक सीमित बहुमत होता है। गणराज्य अल्पसंख्यकों के और व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। लोकतंत्र सर्वशक्तिसंपन्न बहुमत का शासन है जिसमें उसकी असीमित शक्तियों के मुकाबले कोई सुरक्षा प्राप्त नहीं होती। यह बहुमत की असीम निरंकुशता होती है। गणराज्यवाद बहुमत का शासन सुनिश्चित करता है पर उस बहुमत का जो स्वयं ही नियंत्रित है। यह एक प्रातिनिधिक चरित्र वाला निरंतर सीमित शासन होता है – ऐसा शासन जो संशोधनों के जरिये परिवर्तनीय हो, जिसमें शक्तियाँ तीन अंगों अर्थात विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच विभाजित हों और हर अंग बाकी दो अंगों को नियंत्रित करे ताकि सभी अंग परस्पर संतुलित रहें। स्वतंत्रता के एक सिद्धान्त के रूप में गणराज्यवाद अधिकारों, व्यक्ति के अकारय अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। एक गणराज्यवादी और एक लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के बीच एक बुनियादी अंतर होता है। गणराज्य एक प्रातिनिधिक शासन है जिसमें कानूनों का, मिसाल के लिए संविधान का, शासन होता है दूसरी ओर एक लोकतंत्र (प्रत्यक्ष रूप से या प्रतिनिधियों के जरिये) बहुमत का और कुछ लोगों की राय में भीड़ का शासन होता है। एक गणराज्यवादी व्यक्ति के अकाट्य अधिकारों को मान्यता देता है जबकि लोकतंत्रों का सरोकार सिर्फ इससे होता है कि जनता के लिए, मिसाल के लिए उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए या लोक-कल्याण के लिए, क्या किया जा सकता है। एक गणराज्यवादी शासन वह है जिसमें सत्ता जनता द्वारा सार्वजनिक अधिकारियों के निर्वाचन से व्युत्पन्न होती है, और ये व्यक्ति जनता के सर्वोत्तम प्रतिनिधि होते हैं। एक लोकतंत्र जनता का शासन होता है और इसलिए उसमें सत्ता जन-सभा से व्युत्पन्न होती है। गणराज्यवादी शासन में कानून संबंधी दृष्टिकोण सुनिश्चित सिद्धान्तों और नियमों के अनुसार न्याय के प्रशासन का दृष्टिकोण होता है। लोकतंत्रों में कानून के प्रति यह दृष्टिकोण होता है कि बहुमत की इच्छा का वर्चस्व हो। गणराज्यवाद स्वाधीनता, बुद्धि और न्याय जैसे जीवन मूल्यों को जन्म देता है जबकि लोकतंत्र राग-द्वेष, पूर्वाग्रह और असंतोष पैदा करता है। बोध प्रश्न गणराज्यवाद की शक्तियाँ और कमजोरियाँ गणराज्यवाद के गुण गणराज्यवादी शासन एक लोकतांत्रिक शासन से अधिक भी कुछ होता है। लोकतांत्रिक शासन बहुमत का शासन होता है। इसके विपरीत गणराज्य ऐसा शासन होता है जो बहुमत का शासन तो होता है पर यह बहुमत नियमों के अनुसार शासन करता है। इसलिए गणराज्यवाद निरंकुश शासन के, बहुमत की निरंकुशता के, उसके निरपेक्ष वर्चस्व के खिलाफ जमानत देता है। यह जनसमूह के शासन के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करता है जो बहुमत के माध्यम से सक्रिय होते हुए राग-द्वेष और पूर्वाग्रहों से संचालित हो सकता है। इसलिए अमेरिकियों ने 1798 में ही स्पष्ट कर दिया था कि वे एक लोकतंत्र की नहीं, एक गणराज्य की स्थापना कर रहे हैं। गणराज्यवादी शासन सीमित होता हैः उर्ध्व दिशा में इस तरह सीमित शक्तियाँ केन्द्र तथा क्षेत्रीय स्थानीय इकाइयों के बीच विभाजित होती हैं, और क्षैतिज दिशा में इस तरह सीमित शक्तियाँ शासन के तीनों अंगों के बीच विभाजित होती हैं। इस तरह यह शक्तियों के अलगाव के सिद्धान्त तथा प्रतिबंधों और संतुलन के सिद्धांत, दोनों के आधार पर काम करता है। गणराज्यवादी शासन के पीछे कार्यरत विचार यह है कि शासन का हर अंग निरंकुश और निरपेक्ष हुए बिना काम करता है। गणराज्यवादी शासन केवल एक शासन का सिद्धांत नहीं, स्वतंत्रता का एक सिद्धान्त भी प्रस्तुत करता है। यह हर व्यक्ति के लिए उसके अधिकार सुनिश्चित करता है क्योंकि यह उन अधिकारों का हनन से सुरक्षित रखने की व्यवस्था करता है। गणराज्यवादी शासन में व्यक्ति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कारगर सुरक्षा की जाती है। गणराज्यवाद की कमजोरियाँ गणराज्यवाद एक अस्पष्ट शब्द बन गया है। एक विशेष प्रकार की राजनीतिक प्रणाली से नहीं बल्कि अनेक प्रणालियों से इसका संबंध हो सकता है। इनमें एक ओर एक सीमित राजतंत्र वाली संसदीय प्रणाली है तो दूसरी ओर एक सीमित सरकार वाली राष्ट्रपतीय प्रणाली शामिल हैं। कुछ लेखकों ने तो गणराज्यवाद को मूलगामी लोकतंत्र का पर्याय कहा है। कहा जाता है कि गणराज्यवाद ने शासन के एक सिद्धान्त के अलावा स्वतंत्रता का एक सिद्धान्त भी प्रस्तुत किया है। इसका स्वतंत्रता का सिद्धान्त सचमुच मतिभ्रम पैदा करने वाला है क्योंकि यह कभी तो स्वतंत्रता के एक सकारात्मक सिद्धान्त की और कभी एक नकारात्मक सिद्धान्त की पैरवी करता है। गणतंत्र और राजतंत्र क्या है?जहाँ राजतंत्र का अर्थ एक राजा का शासन है जिसका निश्चय वंशगत आधार पर और केवल जन्म के संयोग से होता है, वहीं गणराज्य ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें राज्य का प्रमुख कोई राजा नहीं, जनता से आने वाला कोई व्यक्ति होता है। राजतंत्र जहाँ वंशगत होता है वहीं गणराज्य अधिकतर निर्वाचित होता है।
गणतंत्र की परिभाषा क्या है?एक गणराज्य या गणतंत्र (गणतन्त्र) (लातिन: रेस पब्लिका ) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक "सार्वजनिक मामला" माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अन्तर्गत राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता।
भारत को गणराज्य क्यों कहा जाता है?लोकतंत्र या प्रजातंत्र वह शासनतंत्र है जहां वास्तव में सामान्य जनता या जनता के बहुमत की इच्छानुसार शासन चलता है । विश्व के अधिकतर देश गणराज्य हैं और साथ ही लोकतांत्रिक भी। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक गणराज्य है क्योंकि यहां जनता की , जनता के द्वारा और जनता के लिए चुनी गई बहुमत की सरकार है ।
भारत का लोकतांत्रिक गणराज्य क्या है?लोकतान्त्रिक गणराज्य सरकार का वह रूप है जो गणतंत्र और लोकतंत्र से अपनाए गए सिद्धांतों पर काम करता है। कई देश जो अपने आधिकारिक नामों में "लोकतान्त्रिक गणराज्य" शब्द का उपयोग करते हैं (जैसे अल्जीरिया, कांगो-किंशासा, इथियोपिया, उत्तर कोरिया, लाओस और नेपाल) को कई गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा अलोकतांत्रिक माना जाता है।
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