सबसे ज्यादा खतरनाक हथियार कौन से देश के पास है? - sabase jyaada khataranaak hathiyaar kaun se desh ke paas hai?

साइंस डेस्क: आज के वर्तमान समय में पूरी दुनिया अपने ताकत को बढ़ाने में जुटी हैं ताकि वो दुनिया पर राज कर सके। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे दुनिया के सबसे खतरनाक हथियार के बारे में की कौन सा हथियार दुनिया में सबसे खतरनाक हैं। जिससे किसी भी चीज को नष्ट किया जा सकता हैं। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।

हाइड्रोजन बम :

हाइड्रोजन बम को एल्बम नाम से भी जाना जाता है। यह बम दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार हैं। हाइड्रोजन बम परमाणु बम से भी ज्यादा शक्तिशाली होता है। क्यों की ये बम संलयन अभिक्रिया पर कार्य करता है। इसे बनाने के लिए हाइड्रोजन सन लाइन की जरुरत पड़ती है।

रूस के यूक्रेन हमले के साथ ही उन कंपनियों की मार्केट वैल्यू में उछाल आ गया है, जो सभी देशों को हथियार बेचती हैं. जर्मनी ने अपने डिफेन्स बजट को दोगुने से भी ज्यादा बढ़ा दिया है. इटली, नीदरलैंड्स और स्पेन भी रक्षा बजट बढ़ा सकते हैं. ये ट्रेंड आगे यूरोप से बाहर भी देखने को मिल सकता है. किसी देश में युद्ध होना दूसरे देशों के लिए हथियार खरीदने के विज्ञापन की तरह हो जाता है. यूक्रेन पर हमला करने के बावजूद रूस पर अमेरिकी या नाटो देश हमला करने से बच रहे हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह रूस का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर होना है. आइए जानते हैं दुनिया के हथियारों के बाजार में किस देश का कितना दखल है. 

हथियारों के ये हैं पांच सबसे बड़े विक्रेता

अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी और चीन ये वे पांच देश हैं, जिनका दुनिया के हथियारों के 75 फीसदी बाजार पर कब्जा है.

अमेरिका बेचता है सबसे ज्यादा हथियार

हथियारों की बिक्री के मामले में अमेरिका शीर्ष पर है, यह अकेले 37 फीसदी से ज्यादा हथियार बेचता है. इसके बाद रूस का नंबर आता है. इसकी हथियारों के बाजार में 20 फीसदी की हिस्सेदारी है. वहीं फ्रांस 8.3 फीसदी तीसरे, जर्मनी 5.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ चौथे स्थान है. वहीं इस सूचना में 5वें नंबर पर चीन है, जिसकी 5.2 फीसदी की हिस्सेदारी है.

हथियारों के पांच सबसे बड़े खरीददार

स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी SIPRI की साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब, भारत, इजिप्ट, ऑस्ट्रेलिया और चीन दुनिया के पांच सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देश हैं.

भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीददार

ग्लोबल हथियार मार्केट में सऊदी अरब 11 फीसदी, भारत 9.5 फीसदी, इजिप्ट 5.8 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया 5.1 फीसदी और चीन 4.7 फीसदी के साथ सबसे बड़े 5 खरीदार देश हैं. 

चीन का खरीद-बिक्री का फॉर्मूला अलग 

चीन इकलौता ऐसा देश है, जिसका नाम सबसे ज्यादा हथियार बेचने वाले और सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों की सूची में शामिल है. जानकारों के मुताबिक चीन रिवर्स इंजीनियरिंग फॉर्मूले पर काम करता है. यानी पहले वो हथियारों को खरीदता है. फिर उन हथियारों में अपनी जरूरत के हिसाब से कुछ बदलाव करता है और फिर उन्हें आगे दूसरे देशों को बेच देता है.

भारत रूस से लेता है सबसे ज्यादा हथियार

SIPRI की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक रूस के हथियारों के टॉप थ्री खरीदार हैं - भारत, चीन और अल्जीरिया हैं. रूस के 23 फीसदी हथियार भारत, 18 फीसदी चीन और 15 फीसदी अल्जीरिया खरीदता है. यानी रूस के हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भारत ही है. जानकारों की मानें तो इसी वजह से भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमलों के मामले से दूरी बनाई हुई है. रूस का खुलकर विरोध नहीं करने की एक बड़ी वजह यह भी है.

रूस समेट रहा तो यूएस बढ़ा रहा बाजार

SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दस सालों में जहां अमेरिका के हथियारों का बाजार 15 फीसदी बढ़ा है, वहीं रूस का 22 फीसदी कम हुआ है.

तीन और देशों से भी हथियार लेता है भारत

अमेरिका के हथियारों के सबसे बड़े खरीदारों की बात है तो सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया इस लिस्ट में टॉप पर हैं. ऐसा नहीं है कि भारत अमेरिका से हथियार नहीं खरीदता. रूस के अलावा भारत अमेरिका, इजरायल और फ्रांस से भी हथियार खरीदता है, इसलिए भारत ना तो रूस को नाराज कर सकता है और ना अमेरिका के खिलाफ खड़ा हो सकता है.

इंडियन एयरफोर्स का मल्टीरोल फाइटर जेट डैसो राफेल (Dassault Rafale) को उड़ाने के लिए एक या दो क्रू की जरूरत होती है. लंबाई 50.1 फीट, विंगस्पैन 35.9 फीट, ऊंचाई 17.6 फीट और खाली वजन 10, 300 किलोग्राम है. इसमें 4400 से 4700 किलोग्राम फ्यूल आता है. यह अधिकतम 1912 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ता है. इसकी कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है. यह अधिकतम 51,952 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है. राफेल जब सीधे आसमान की ओर उड़ान भरता है तब इसकी गति 304.8 मीटर प्रति सेकेंड होती है. इसमें 30 मिलिमीटर की एक 125 राउंड वाली ऑटोकैनन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स होते हैं वायुसेना के वर्जन के लिए और 13 नौसैनिक वर्जन के लिए. यानी सेनाओं के हिसाब से हथियार लगाने की सुविधा. इसमें हवा से हवा, हवा से जमीन, हवा से शिप और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. इसके अलावा इसमें कई तरह के बम लगा सकते हैं. (फोटोः PTI)

नई दिल्ली, एजेंसी। America's Deadly Weapons: दुनिया का सबसे ताकतवर कहा जाने वाला देश अमेरिका जिसे हमेशा से खुद को बड़ा और खतरनाक बनाने की चाहत रहती है, जिसके चलते उसने कई ऐसे हथियार बनाए हैं जिन्होंने अमेरिका को अकेले ही कई युद्ध में जीत हासिल करने में मदद की है। ये हथियार जिस जमाने में खोजे गए थे, उस समय इनके सामने आने से पहले दुश्मन की रूह भी कांप जाती थी।

आप इन हथियारों की मारक क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अमेरिकी एटम बम ने ही जापान के हिरोशिमा-नागासाकी को बर्बाद कर दिया था। आइए जानते हैं अमेरिका के बनाए ऐसे 7 खतरनाक हथियारों के बारे में जिन्होंने दुश्मनों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया।

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द गैटलिंग गन (The Gatling Gun)

अमेरिकी गृहयुद्ध (American Civil War) के दौरान इस बंदूक को तैनात किया गया था। अमेरिका ने उस समय कई युद्ध इसी बंदूक के बलबूते जीते गए। यह पहली रैपिड फायर गन थी। गैटलिंग गन को अमेरिकी वैज्ञानिक रिचर्ड गैटलिंग ने बनाया था। शुरुआती बंदूक के चारों ओर छह नाल होती थीं, जो एक मिनट में 350 गोलियां दागती थीं। बाद में अमेरिकी सेना ने शोध करके इस बंदूक को और विकसित कर लिया।

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इसमें 6 की जगह 10 नाल लगाए गए, जो एक मिनट में 400 गोलियां दागती थीं। समय बदलने के साथ-साथ गैटलिंग गन की जगह द मैग्जिम मशीन गन (The Maxim Machine Gun) ने ले ली। जिसने प्रथम विश्व युद्ध (First world war) में कहर बरपाया था। 

परमाणु बम (Atomic Bomb)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने परमाणु बम (Atomic Bomb) विकसित किया था। 1939 की इस योजना को मैनहट्टन प्रोजेक्ट का नाम दिया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट को यूरेनियम कमेटी ने बताया था कि यह दुनिया का सबसे खतरनाक बम है। परीक्षण के बाद उन्होंने यह भी बताया था कि अब तक ऐसी तबाही किसी बम ने नहीं की है। 

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द्वितीय विश्व युद्ध में जब जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हमला किया, तो अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर वही परमाणु बम गिराकर उसे तबाह कर दिया था। इस बम को जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने बनाया था। इन्हें फादर ऑफ एटॉमिक बॉम्ब कहा जाता है। इन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एटम बम को विकसित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

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प्रिसिजन गाइडेड वेपन्स (Precision-guided Weapons)

ये वो हथियार होते हैं जो पहले से तय किए गए लक्ष्य पर अचूक हमला करते हैं। 70 के दशक में अमेरिका ने ऐसे हथियारों का बेहतरीन जखीरा खड़ा कर दिया था। उदाहरण के लिए - अमेरिका ने 1943 में 400 बी-17 बॉम्बर लॉन्च किए थे, जिन्होंने जर्मनी के बॉल-बियरिंग प्लांट्स की धज्जियां उड़ा दी थीं। 

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1972 के वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने लेजर गाइडेड बम बनाए और दागे। इससे अमेरिका की ताकत में बेहतरीन इजाफा हुआ। पिछले 40 सालों में अमेरिका के प्रिसिजन गाइडेड वेपन्स ने उसे हर तरह के युद्ध में बढ़त और जीत दिलाई है। इन हथियारों का फायदा उसे अब भी मिल रहा है। 

स्टेल्थ (Stealth)

स्टेल्थ यानी चुपके से वार करना। रूस ने जब 1960-70 के दशकों में जमीन से हवा में मार करने की तकनीक विकसित कर ली, तब अमेरिका ने स्टेल्थ तकनीक की खोज की। रूस के वैज्ञानिक प्योर उफिमेत्सेव स्टेल्थ तकनीक की खोज कर ही रहे थे कि उनका फॉर्मूला अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के वैज्ञानिक डेनिस ओवरहोल्सर को मिल गया। उन्होंने उसे और विकसित करके रूस से पहले ही स्टेल्थ विमान बना लिया और जिसका नाम होपलेस डायमंड था।

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होपलेस डायमंड ही बाद में लॉकहीड F-117 लड़ाकू विमान में विकसित हो गया। यह 1981 में दुनिया का पहला ऑपरेशनल स्टेल्थ एयरक्राफ्ट था। बाद में बी-2, एफ-22, एफ-35 जैसे स्टेल्थ लड़ाकू विमान बनाए गए। ये विमान राडार की पकड़ में नहीं आते हैं, क्योंकि इनकी गति और एंटी-इंफ्रारेड तकनीक इसे राडार की नजर में आने से बचाती है। 

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B-2 स्पिरिट स्टील्थ बाम्बर US B-2 Spirit Stealth bomber दुनिया में सबसे खतरनाक बाम्बर के तौर पर जाना जाता है। यह स्टील्थ एयरक्राफ्ट है। इसे कोई भी रडार ट्रैक नहीं कर सकता। ऐसे में यह दुश्‍मन को चकमा देने और लक्ष्‍य को भेदने में अत्‍यधिक सक्षम होता है। B-2 स्पिरिट स्टील्थ एक साथ 16 परमाणु बमों को अपने साथ लेकर उड़ सकता है। यह बाम्‍बर अपनी एक ही उड़ान में किसी भी देश के बड़े इलाके को तहस-नहस कर सकता है

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ड्रोन्स (Drones)

जब आबे कारेम ने पहली बार जीनैट बनाया था, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि यह आगे चलकर 1990 में एमक्यू-1 प्रीडेटर नामक खतरनाक ड्रोन बनेगा, जो युद्ध की परंपरा को ही बदलकर रख देगा। इसके बाद अगले 15 सालों में मानवरहित विमान बनाने के मामले में अमेरिका ने काफी तरक्की कर ली। एमक्यू-9सी रीपर ड्रोन बनाया गया, जो एमक्यू-1 प्रीडेटर से ज्यादा मारक और तेज था। 

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इसके बाद नॉर्थरोप ग्रुमेन एक्स-47बी बनाया गया। यह फाइटर जेट है जिसे पायलट नहीं उड़ाते, बल्कि रिमोट के जरिए उड़ाया जाता है। यह बेहद खतरनाक अमेरिकी ड्रोन है। ड्रोन्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे उड़ाने के लिए किसी पायलट की जरूरत नहीं होती। ये रिमोट से चलते हैं। ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी को मारने के लिए अमेरिका ने ड्रोन का ही उपयोग किया।

GBU-28 लेजर गाइडेड

जीबीयू-28 लेजर गाइडेड बंकर बस्टर है। इसकी रेंज इतनी है कि ये प्लेन से पांच मील की दूरी पर निशाना साधा जा सकता है। ये कंक्रीट जमीन के 20 फीट तक के अंदर घुस सकता है। विस्फोटक क्षमता की बात की जाए तो 630 एलीबीज हाई एक्सप्लोसिव है। यह बंकर नष्ट करने वाला एक बड़ा हथियार है।

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एक्टिव डेनियल सिस्‍टम (Active Denial System)

इसको इंसानों को टार्गेट करने के लिए बनाया गया है। इससे इंसान को दर्द होता है। इसको अमेरिकी एयरफोर्स ने बनाया है। इसे रेथिओन कंपनी ने बनाया है जिसे हीट रे भी कहा जाता है। इस हथियार से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव निकलती हैं। इसका इस्तेमाल भीड़ को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है।

विश्व में सबसे ज्यादा हथियार कौन से देश में है?

रूस के पास हैं सबसे अधिक सक्रिय परमाणु हथियार- रूस के पास सबसे ज्यादा 6500 परमाणु हथियार हैं, जिसमें से 1600 सक्रिय अवस्था में हैं. वहीं अमेरिका के कुल 6185 परमाणु हथियार हैं और 1600 सक्रिय अवस्था में हैं. परमाणु हथियारों को अगर आधार माना जाए तो रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे ताकतवर देश हैं.

दुनिया का सबसे घातक हथियार कौन है?

परमाणु बम (Atomic Bomb) अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट को यूरेनियम कमेटी ने बताया था कि यह दुनिया का सबसे खतरनाक बम है।

हथियार में भारत कितने नंबर पर है?

हथियारों के खर्च और निर्यात पर स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा नई वैश्विक की 2021 की रिपोर्ट देखें तो भारत हथियार निर्यात के मामले में दुनियाभर में 24 वें स्थान पर है। हथियार निर्यात के मामले में भारत दुनियाभर में 24 वें स्थान पर है(फोटो सोर्स: PTI/फाइल)।

कौन सा देश सबसे खतरनाक हथियार बनाता है?

इसकी सबसे बड़ी वजह रूस के खतरनाक हथियार हैं। इन हथियारों से रूस अपने किसी दुश्मन को तबाह कर सकता है। इन हथियारों की तैनाती करने से ही दुश्मन खौफ खाने लगते हैं। रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम है।