जैसी ध्वनि विशेष रूप में निकलती है तथा श्वास भी निकलती है और समय लगता है जिसके कारण इन्हें महाप्राण कहा जाता है महाप्राण का कहने का अर्थ है कि वर्णों के उच्चारण में प्राण वायु का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक वर्ग का 2 तथा 4 वर्ण महाप्राण होता है। महाप्राण कि कुल संख्या 14 हैं। Show क वर्ग – ख घ च वर्ग – छ झ ट वर्ग – ठ ढ़ त वर्ग – थ ध प वर्ग - फ ल इसके अलावे श ष स और ह भी महाप्राण है
घोष और अघोष क्या है ? घोष : आवाज के विचार से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वर तंत्रियाँ गूँजने लगती या कंपन होती हैं वे घोष या सघोष व्यंजन कहलाते हैं। प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा और पाँचवाँ वर्ण, सारे स्वर वर्ण तथा य, र, ल, व और ह आदि वर्ण शामिल हैं । घोष की कुल संख्या 20 हैं इसके साथ ही जीतने स्वर हा सभी सघोष है
अघोष : जिन वर्ण का उच्चारण करते समय स्वर तंत्रियों जहां से आवाज आती है उसमें अगर कंपन या गुंजन नहीं हो उसमे किसी प्रकार की किया प्रतिक्रिया न हो तो ऐसे वर्णों को हम अघोष कहते हैं स्वनविज्ञान और स्वनिमविज्ञान में अघोष (voiceless या surd) वह ध्वनियाँ (विशेषकर व्यंजन) होती हैं जिनमें स्वर-रज्जु में कम्पन नहीं होता है। इसके विपरीत घोष (voiced) वह ध्वनियाँ होती हैं जिनमें स्वर-रज्जु में कम्पन होता है। उदाहरण के लिए "प" एक अघोष ध्वनि है जबकि "ब" एक घोष ध्वनि है।[1] इसी तरह "स" और "श" दोनों अघोष है, जबकि "ज़" घोष है। देवनागरी के हर नियमित वर्ग में पहले दो वर्ण अघोष और उन के बाद के दो घोष होते हैं। क/ख, च/छ, त/थ, ट/ठ, प/फ अघोष हैं, जबकि ग/घ, ज/झ, द/ध, ड/ढ, ब/भ घोष हैं।
इसे सुनेंरोकेंसघोष व्यंजन कि परिभाषा: ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण करते समय स्वर यंत्री में कंपन होता है, ऐसे व्यंजन सघोष व्यंजन कहलाते हैं। वर्णमाला में इनकी कुल संख्या 31 होती है। सघोष व्यंजन प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा और पांचवां अक्षर होते हैं। अंतस्थ व्यंजन और ह सघोष व्यंजन है। अल्पप्राण की संख्या कितनी है? इसे सुनेंरोकेंअल्पप्राण व्यंजन ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 20 होती है। महाप्राण कितने होते हैं? इसे सुनेंरोकेंमहाप्राण कि कुल संख्या 14 हैं। अल्पप्राण कौन कौन से होते हैं?इसे सुनेंरोकेंअल्पप्राण किसे कहते हैं? हिन्दी वर्णमाला में स्पर्शी व्यंजन (क, च, ट, त,प वर्ग) के प्रथम, तृतीय और पंचम वर्ण अल्पप्राण कहे जाते हैं। क्योंकि इनके उच्चारण में अन्य दो (द्वितीय और चतुर्थ) वर्णों की अपेक्षा कम श्वास खर्च होती है। इसलिए यह अल्पप्राण कहलाते हैं। पढ़ना: जर्मन लोगों से हिटलर ने क्या वादे किए? सघोष ध्वनि कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंदेवनागरी के हर नियमित वर्ग में पहले दो वर्ण अघोष और उन के बाद के दो घोष होते हैं। क/ख, च/छ, त/थ, ट/ठ, प/फ अघोष हैं, जबकि ग/घ, ज/झ, द/ध, ड/ढ, ब/भ घोष हैं। घोष और अघोष में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंस्वनविज्ञान और स्वनिमविज्ञान में घोष (voiced) वह ध्वनियाँ (विशेषकर व्यंजन) होती हैं जिनमें स्वर-रज्जु में कम्पन होता है, जबकि अघोष वह ध्वनियाँ होती हैं जिनमें यह कम्पन नहीं होता। उदाहरण के लिए “प” एक अघोष ध्वनि है जबकि “ब” एक घोष ध्वनि है। इसी तरह “स” और “श” दोनों अघोष है, जबकि “ज़” घोष है। अल्पप्राण और महाप्राण कितने होते हैं?इसे सुनेंरोकेंइनकी संख्या 15 होती है। You can learn more about Hindi Varnamala (हिंदी वर्णमाला) के बारे में और अधिक जाने. महाप्राण में कौन कौन से वर्ण आते हैं? सभी महाप्राण वर्णों वाला वर्ग है:
पढ़ना: तीस वर्षीय युद्ध का काल क्या था? महाप्राण का मतलब क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंहिन्दीशब्दकोश में महाप्राण की परिभाषा महाप्राण १ संज्ञा पुं० [सं०] व्याकरण के अनुसार वह वर्ण जिसके उच्चारण में प्राणवायु का विशेष व्यवहार करना पड़ता है । विशेष—वर्णमाला में प्रत्येक वर्ग का दूसरा तथा चौथा अक्षर तथा हिंदी की कुछ अन्य ध्वनियाँ महाप्राण हैं । जैसे,— कवर्ग का—ख, घ । बवर्ग का—छ, झ । महाप्राण वर्ण कौन से है?इसे सुनेंरोकेंमहाप्राण का अर्थ अर्थात् ख्, घ्, छ्, झ्, ठ्, ढ़्, थ्, ध्, फ्, भ्, श्, ष्, स्, ह् महाप्राण ध्वनियाँ हैं। अल्पप्राण और महाप्राण की संख्या कितनी है? इन में से अल्पप्राण व्यंजन कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंसरल शब्दों में- जिन व्यंजनों के उच्चारण में श्वास-वायु कम मात्रा में बाहर निकलती है, उन्हें अल्पप्राण कहते हैं। प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और पाँचवाँ वर्ण अल्पप्राण व्यंजन हैं। जैसे- क, ग, ङ; ज, ञ; ट, ड, ण; त, द, न; प, ब, म,। अन्तःस्थ (य, र, ल, व ) भी अल्पप्राण ही हैं। सघोष वर्ण कितने होते हैं?देवनागरी के हर नियमित वर्ग में पहले दो वर्ण अघोष और उन के बाद के तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण सघोषं होते हैं। क/ख, च/छ, त/थ, ट/ठ, प/फ अघोष हैं, जबकि ग/घ, ज/झ, द/ध, ड/ढ, ब/भ घोष हैं।
अघोष और सघोष में क्या अंतर है?स्वनविज्ञान और स्वनिमविज्ञान में अघोष (voiceless या surd) वह ध्वनियाँ (विशेषकर व्यंजन) होती हैं जिनमें स्वर-रज्जु में कम्पन नहीं होता है। इसके विपरीत घोष (voiced) वह ध्वनियाँ होती हैं जिनमें स्वर-रज्जु में कम्पन होता है। उदाहरण के लिए "प" एक अघोष ध्वनि है जबकि "ब" एक घोष ध्वनि है।
अघोष व्यंजन की संख्या कितनी होती है?जिन वर्णों के उच्चारण में नाद की जगह केवल श्वाँस का उपयोग होता हैं, उन्हे अघोष वर्ण कहते हैं। इनकी संख्या 13 होती है।
घोष वर्ण कौन सा है?जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन होता है उन्हें घोष या सघोष कहते हैं। अंतःस्थ और ह।
|