मंगल बाकि ग्रहों की भांति कुण्डली के बारह भावों में से किसी एक भाव में स्थित होता है। बारह भावों में से कुछ भाव ऐसे हैं जहां मंगल की स्थिति को मंगलीक दोष के रूप में लिया जाता है। Show
कुण्डली में जब लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव में मंगल स्थित होता है तब कुण्डली में मंगल दोष माना जाता है। सप्तम भाव से हम दाम्पत्य जीवन का विचार करते हैं। अष्टम भाव से दाम्पत्य जीवन के मांगलीक सुख को देखा जाता है। मंगल लग्न में स्थित होने से सप्तम भाव और अष्टम भाव दोनों भावों को दृष्टि देता है। चतुर्थ भाव में मंगल के स्थित होने से सप्तम भाव पर मंगल की चतुर्थ पूर्ण दृष्टि पड़ती है। द्वादश भाव में यदि मंगल स्थित है तब अष्टम दृष्टि से सप्तम भाव को देखता है। इसके अतिरिक्त सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए हम पांच बातों का विचार करते हैं -
ज्योतिष में इन पांचों बातों का प्रतिनिधित्व लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भाव करते हैं। इसीलिए इन पांचों भावों में मंगल की स्थिति को मंगलीक दोष का नाम दिया गया है। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]विवाह भाव में मंगल एवं अन्य ग्रहों की युति कुंडली में मांगलिक योग की आनलाइन जांच मंगली होना अभिशाप नहीं!
सप्तम भाव में मंगल होने से क्या होता है?सप्तम भाव में मंगल हो तो
विवाह में विलंब रहता है और परिवार से अलगाव की स्थिति बनी रहती है। जीवनसाथी का व्यवहार ज्यादा अच्छा नहीं रहता। सफलता के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और स्वभाव काफी चिड़चिड़ापन रहता है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती और व्यर्थ के कामों में धन खर्च हो सकता है।
कुंडली में मंगल अच्छा हो तो क्या होता है?कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति स्वभाव से निडर और साहसी होता है लेकिन अगल कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कुछ मामलों में मंगल को क्रूर ग्रह भी कहा जाता है. कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो जातक को कई तरह की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है.
सप्तम भाव से क्या देखा जाता है?जन्म कुंडली में सप्तम भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी तथा पार्टनर के विषय का बोध कराता है। यह नैतिक, अनैतिक रिश्ते को भी दर्शाता है। शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। इनमें काम का संबंध सप्तम भाव से होता है।
कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी कौन होता है?सप्तम भाव जीवनसाथी का होता है, इस भाव का स्वामी राहु से पीडि़त हो तो दाम्पत्य जीवन बाधित रहेगा। इस भाव में भावेश के साथ शनि-मंगल हो तो द्वितीय विवाह होता है या दाम्पत्य जीवन में बाधा रहती है। सप्तमेश एक घर पीछे यानी (छठवें भाव) सप्तम से द्वादश होगा ऐसी स्थिति भी बाधा का कारण बनती है।
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