सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को नंगी आंखों से न देखने की सलाह क्यों दी जाती है? - soory grahan ke dauraan soory ko nangee aankhon se na dekhane kee salaah kyon dee jaatee hai?

सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को नंगी आंखों से न देखने की सलाह क्यों दी जाती है? - soory grahan ke dauraan soory ko nangee aankhon se na dekhane kee salaah kyon dee jaatee hai?

मुख्य बातें

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने लोगों को नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण नहीं देखने की सलाह दी है।
  • भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा के करीब 40 से 50 फीसदी हिस्से को ढक लेगा।
  • भारत में अगला सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को दिखाई देगा।

Solar Eclipse Today:आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022) लगने जा रहा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यह करीब 2 घंटे तक रहेगा। भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार 25 अक्टूबर 2022 (3 कार्तिक, शक संवत 1944) को आंशिक सूर्य ग्रहण की घटना घटित होगी। ग्रहण सूर्यास्त के पहले दोपहर बाद आरम्भ होगा और इसे देश के अधिकांश स्थानों से देखा जा सकेगा। हालांकि ग्रहण का अंत भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि वह सूर्यास्त के बाद भी जारी रहेगा। चूंकि यह आंशिक सूर्य ग्रहण है, इसलिए चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से कवर नहीं कर पाएगा। इसलिए भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा के करीब 40 से 50 फीसदी हिस्से को ढक लेगा। जबकि देश के दूसरे हिस्सों में यह 40 फीसदी से कम हिस्से को कवर करेगा।

क्या होता है सूर्य ग्रहण (Surya Grahan)

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है । यह स्थिति तब बनती है जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा और पृथ्वी के एक खास स्थिति में आ जाती है। वह स्थिति तब बनती है तो सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में स्थित होता है। जब चंद्रमा की वजह से सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पूरी तरह से नहीं पड़ती हैं तो वह पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थिति होती है। वहीं आंशिक सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा के बीच में आ जाने के कारण सूर्य की किरणें पृथ्वी के कुछ हिस्से तक नहीं पहुंच पाती हैं। अधिकतर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होते हैं, क्योंकि उस समय चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है।

भारत में इन जगहों पर नहीं दिखेगा

वैसे तो इस बार आंशिक सूर्य ग्रहण देश के हर हिस्से में दिखेगा। लेकिन इसके बावजूद कुछ क्षेत्र ऐसे हैं,जहां पर सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और आइजॉल, डिब्रूगढ़, इम्फाल, इटानगर, कोहिमा, सिबसागर, सिलचर, तामलोंग इत्यादि में दिखाई नहीं देगा।

वहीं अगर देश के प्रमुख शहरों में सूर्य ग्रहण की अवधि देखी जाय तो दिल्ली में यह 1 घंटे 13 मिनट और मुम्बई में 1 घंटे 19 मिनट का ग्रहण लगेगा। जबिक चेन्नई में 31 मिनट और कोलकाता में ग्रहण की अवधि 12 मिनट की होगी।

ग्रहण के दौरान कभी न करें ये गलतियां

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने लोगों को नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण नहीं देखने की सलाह दी है। उसके अनुसार सूर्य ग्रहण को थोड़ी देर के लिए भी खाली आंखों से नहीं देखा जाना चाहिए। चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्सों को ढक दे तब भी इसे खाली आंखों से न देखें क्योंकि यह आंखों को स्थाई नुकसान पहुँचा सकता है जिससे अंधापन हो सकता है।

इस तरह देखें सूर्य ग्रहण

सरकार के अनुसार सूर्य ग्रहण को देखने की सबसे सही तरीका ऐलुमिनी माइलर, काले पॉलिमर, 14 नं. शेड के झलाईदार कांच का इस्तेमाल है। इसके अलावा टेलिस्कोप के माध्यम से श्वेत पट पर सूर्य की छाया का प्रक्षेपण कर इसे देखा जा सकता है।

भारत के अलावा सूर्य ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर तथा उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्रों में भी दिखाई देगा। भारत में अगला सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को दिखाई देगा, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा।

सूर्य ग्रहण आज, जानिए भारत में कब, कहाँ और कितना रहेगा असर

25 अक्टूबर 2022

सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को नंगी आंखों से न देखने की सलाह क्यों दी जाती है? - soory grahan ke dauraan soory ko nangee aankhon se na dekhane kee salaah kyon dee jaatee hai?

इमेज स्रोत, Getty Images

दिवाली के अगले दिन यानी 25 अक्तूबर, मंगलवार को, भारत और दुनिया के कुछ और हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण होगा.

ये सूर्य ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ़्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर में दिखेगा.

भारत में ये सूर्य ग्रहण पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकतर हिस्सों में दिखेगा.

आशिंक सूर्य ग्रहण के तीन चरण होते हैं. शुरुआत, मैक्सिमम पॉइंट और अंत.

भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक़, "25 अक्तूबर 2022 (3 कार्तिक, शक संवत 1944) को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. भारत में सूर्यास्त के पहले शाम में ग्रहण शुरू होगा.

इसे अधिकांश स्थानों से देखा जा सकेगा. हांलाकि ग्रहण अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ स्थानों (जिनमें से कुछ के नाम हैं आइजॉल, डिब्रूगढ़, इम्फाल, ईटानगर, कोहिमा, सिबसागर, सिलचर, तामलोंग) में दिखाई नहीं देगा.

मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है, "ग्रहण का अंत भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि वह सूर्यास्त के उपरांत भी जारी रहेगा."

मंत्रालय के मुताबिक, "ग्रहण की अवधि शुरू से लेकर सूर्यास्त के समय तक दिल्ली और मुम्बई में क्रमश: एक घंटे 13 मिनट और एक घंटे 19 मिनट की होगी.

चेन्नई और कोलकाता में ग्रहण की अवधि शुरू से लेकर सूर्यास्त के समय तक क्रमश: 31 मिनट और 12 मिनट की होगी. ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर के अलावा उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा."

बरतें या सावधानी

सरकार ने लोगों को ख़ाली आँखों से सूर्य ग्रहण ना देखने की सलाह दी है.

सरकार की तरफ़ से कहा गया है, "सूर्य ग्रहण को थोड़ी देर के लिए भी ख़ाली आँखों से नहीं देखा जाना चाहिए. चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्सों को ढक दे तब भी इसे ख़ाली आँखों से न देखें क्योंकि यह आँखों को स्थायी नुक़सान पहुँचा सकता है, जिससे अंधापन हो सकता है.

सूर्य ग्रहण को देखने की सबसे सही तकनीक है ऐलुमिनी माइलर, काले पॉलिमर, 14 नं. शेड के झलाईदार काँच का उपयोग कर अथवा टेलिस्कोप के माध्यम से श्वेत पट पर सूर्य की छाया का प्रक्षेपण कर इसे देखना."

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, "भारत में अगला सूर्य ग्रहण दो अगस्त 2027 को दिखाई देगा, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. देश के सभी हिस्सों से वह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में परिलक्षित होगा. अमावस्या को सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है. वे तीनों एक सीध में आ जाते हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चन्द्र चक्रिका सूर्य चक्रिका को आंशिक रूप से ही ढक पाती है."

वीडियो कैप्शन,

सूर्य ग्रहण के दौरान देश के कुछ हिस्सों में सूरज वलयाकार दिखेगा.

ग्रहण को लेकर आज भी कायम हैं, डराने वाले विश्वास

दुनिया में ऐसे लोग भी हैं, जिनके लिए ग्रहण किसी ख़तरे का प्रतीक है- जैसे दुनिया के ख़ात्मे या भयंकर उथल-पुथल की चेतावनी.

हिंदू मिथकों में इसे अमृत मंथन और राहु-केतु नामक दैत्यों की कहानी से जोड़ा जाता है. इससे जुड़े कई अंधविश्वास प्रचलित हैं. ग्रहण हमेशा से इंसान को जितना अचंभित करता रहा है, उतना ही डराता भी रहा है.

असल में, जब तक मनुष्य को ग्रहण के वजहों की सही जानकारी नहीं थी, उसने असमय सूरज को घेरती इस अंधेरी छाया को लेकर कई कल्पनाएं कीं, कई कहानियां गढ़ीं.

  • सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण ख़त्म - BBC News हिंदी

17वीं सदी के यूनानी कवि आर्कीलकस ने कहा था कि भरी दोपहर में अंधेरा छा गया और इस अनुभव के बाद अब उन्हें किसी भी बात पर अचरज नहीं होगा.

मज़े की बात यह है कि आज जब हम ग्रहण के वैज्ञानिक कारण जानते हैं, तब भी ग्रहण से जुड़ी ये कहानियां और ये अंधविश्वास बरक़रार हैं.

कैलिफोर्निया की ग्रिफिथ वेधशाला के निदेशक एडविन क्रप कहते हैं, ''17वीं सदी के अंतिम वर्षों तक भी अधिकांश लोगों को मालूम नहीं था कि ग्रहण क्यों होता है या तारे क्यों टूटते हैं. हालांकि आठवीं शताब्दी से ही खगोलशास्त्र‍ियों को इनके वैज्ञानिक कारणों की जानकारी थी.''

वीडियो कैप्शन,

क्यों ख़ास है इस बार चंद्र ग्रहण?

क्रप के मुताबिक़, ''जानकारी के इस अभाव की वजह थी- संचार और शिक्षा की कमी. जानकारी का प्रचार-प्रसार मुश्किल था जिसके कारण अंधविश्वास पनपते रहे."

वो कहते हैं, "प्राचीन समय में मनुष्य की दिनचर्या कुदरत के नियमों के हिसाब से संचालित होती थी. इन नियमों में कोई भी फ़ेरबदल मनुष्य को बेचैन करने के लिए काफ़ी था.''

ग्रहण के बारे में विभिन्न सभ्यताओं का नज़रिया

प्रकाश और जीवन के स्रोत सूर्य का छिपना लोगों को डराता था और इसीलिए इससे जुड़ी तरह-तरह की कहानियां प्रचलित हो गई थीं. सबसे व्यापक रूपक था सूरज को खा जाने वाले दानव का.

एक ओर पश्चिमी एशिया में मान्यता थी कि ग्रहण के दौरान ड्रैगन सूरज को निगलने की कोशिश करता है और इसलिए वहाँ उस ड्रैगन को भगाने के लिए ढोल-नगाड़े बजाए जाते थे.

वहीं, चीन में मान्यता थी कि सूरज को निगलने की कोशिश करने वाला दरअसल, स्वर्ग का एक कुत्ता है. पेरुवासियों के मुताबिक़, यह एक विशाल प्यूमा था और वाइकिंग मान्यता थी कि ग्रहण के समय आसमानी भेड़ियों का जोड़ा सूरज पर हमला करता है.

  • चंद्रग्रहण लगा, 580 साल में सबसे लंबी अवधि का ग्रहण

खगोलविज्ञानी और वेस्टर्न केप विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर जरीटा हॉलब्रुक कहते हैं, "ग्रहण के बारे में विभिन्न सभ्यताओं का नज़रिया इस बात पर निर्भर करता है कि वहाँ प्रकृति कितनी उदार या अनुदार है.

जहाँ जीवन मुश्किल है, वहाँ देवी-देवताओं के भी क्रूर और डरावने होने की कल्पना की गई और इसीलिए वहाँ ग्रहण से जुड़ी कहानियाँ भी डरावनी हैं. जहाँ जीवन आसान है, भरपूर खाने-पीने को है, वहाँ ईश्वर या पराशक्तियों से मानव का रिश्ता बेहद प्रेमपूर्ण होता है और उनके मिथक भी ऐसे ही होते हैं."

  • नासा का लूसी मिशन बृहस्पति की कक्षा में क्या तलाश करने वाला है?
  • नासा ने ढूंढा हमारे जैसा सौरमंडल

मध्य कालीन यूरोप में, प्लेग और युद्धों से जनता त्रस्त रहती थी, ऐसे में सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण उन्हें बाइबल में प्रलय के वर्णन की याद दिलाता था. प्रोफ़ेसर क्रिस फ्रेंच कहते हैं, "लोग ग्रहण को प्रलय से क्यों जोड़ते थे, इसे समझना बेहद आसान है."

बाइबल में उल्लेख है कि क़यामत के दिन सूरज बिल्कुल काला हो जाएगा और चाँद लाल रंग का हो जाएगा.

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में क्रमश: ऐसा ही होता है. फिर लोगों का जीवन भी छोटा था और उनके जीवन में ऐसी खगोलीय घटना बमुश्किल एक बार ही घट पाती थी, इसलिए यह और भी डराती थी.

सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को नंगी आंखों से क्यों नहीं देखना चाहिए?

सूर्य के प्रकाश में विद्यमान हानिकारक इंफ्रारेड किरणें सूर्य ग्रहण के दौरान अधिकतम होती हैं एवं ये आंख के अत्यधिक संवदेनशील भागों रेटिना, फोरिया एवं मैकुला को जलाती हैं, जिससे आंख की रोशनी को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है. हमारी आंखों में लेंस या कॉर्निया ज्वलनशील शीशे के जैसी गतिविधियां करते हैं.

हम सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को क्यों नहीं देख सकते संक्षिप्त उत्तर?

पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले ले फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुँच नहीं पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता ...

सूर्य ग्रहण में क्या नहीं करना चाहिए?

सूर्यग्रहण के दौरान व्यक्ति को किसी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। दरअसल, कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा अधिक रहती है। इसलिए किसी भी नए काम की शुरुआत या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दौरान नाखून काटना, बाल में कंघी करना तक अशुभ माना जाता है।

पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य का कौन सा भाग दिखाई देता है?

पूर्ण सूर्यग्रहण के समय आप को सूर्य से उठने वाली सौर ज्वाला(सोलर फ्लेयर) और सूर्य की सबसे ऊपरी सतह जिसे कोरोना कहते हैं वो दिखता है। वो भाग जो चंद्रमा के द्वारा ढका नहीं जाता वहीं भाग चमकता है और बाकी भाग अंधेरा दिखाई देता हैं।