संस्कृत भाषा का उत्पत्ति कब हुआ? - sanskrt bhaasha ka utpatti kab hua?

रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। दुनिया के कई देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत और वेद के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए जुटे हैं। हमारे देश में तो इंग्लिश बोलना शान की बात मानी जाती है। इंग्लिश नहीं आने पर लोग आत्मग्लानि अनुभव करते हैं जिस कारण जगह-जगह इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स चल रहे हैं।

संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है तथा समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। 'संस्कृत' का शाब्दिक अर्थ है परिपूर्ण भाषा। संस्कृत पूर्णतया वैज्ञानिक तथा सक्षम भाषा है। संस्कृत भाषा के व्याकरण में विश्वभर के भाषा विशेषज्ञों का ध्यानाकर्षण किया है। उसके व्याकरण को देखकर ही अन्य भाषाओं के व्याकरण विकसित हुए हैं। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार यह भाषा कम्प्यूटर के उपयोग के लिए सर्वोत्तम भाषा है, लेकिन इस भाषा को वे कभी भी कम्प्यूटर की भाषा नहीं बनने देंगे।

कहते हैं कि किसी देश की जाति, संस्कृति, धर्म और इतिहास को नष्ट करना है तो उसकी भाषा को सबसे पहले नष्ट किया जाए। मात्र 3,000 वर्ष पूर्व तक भारत में संस्कृत बोली जाती थी तभी तो ईसा से 500 वर्ष पूर्व पाणिणी ने दुनिया का पहला व्याकरण ग्रंथ लिखा था, जो संस्कृत का था। इसका नाम 'अष्टाध्यायी' है।

1100 ईसवीं तक संस्कृत समस्त भारत की राजभाषा के रूप सें जोड़ने की प्रमुख कड़ी थी। अरबों और अंग्रेजों ने सबसे पहले ही इसी भाषा को खत्म किया और भारत पर अरबी और रोमन लिपि और भाषा को लादा गया। भारत की कई भाषाओं की लिपि देवनागरी थी लेकिन उसे बदलकर अरबी कर दिया गया, तो कुछ को नष्ट ही कर दिया गया। वर्तमान में हिन्दी की लिपि को रोमन में बदलने का छद्म कार्य शुरू हो चला है।

यदि संस्कृत व्यापक पैमाने पर नहीं बोली जाती तो व्याकरण लिखने की आवश्यकता ही नहीं होती। भारत में आज जितनी भी भाषाएं बोली जाती है वे सभी संस्कृत से जन्मी हैं जिनका इतिहास मात्र 1500 से 2000 वर्ष पुराना है। उन सभी से पहले संस्कृत, प्राकृत, पाली, अर्धमागधि आदि भाषाओं का प्रचलन था।

आदिकाल में भाषा नहीं थी, ध्वनि संकेत थे। ध्वनि संकेतों से मानव समझता था कि कोई व्यक्ति क्या कहना चाहता है। फिर चित्रलिपियों का प्रयोग किया जाने लगा। प्रारंभिक मनुष्यों ने भाषा की रचना अपनी विशेष बौद्धिक प्रतिभा के बल पर नहीं की। उन्होंने अपने-अपने ध्वनि संकेतों को चित्र रूप और फिर विशेष आकृति के रूप देना शुरू किया। इस तरह भाषा का क्रमश: विकास हुआ। इसमें किसी भी प्रकार की बौद्धिक और वैज्ञानिक क्षमता का उपयोग नहीं किया गया।

संस्कृत ऐसी भाषा नहीं है जिसकी रचना की गई हो। इस भाषा की खोज की गई है। भारत में पहली बार उन लोगों ने सोचा-समझा और जाना कि मानव के पास अपनी कोई एक लिपियुक्त और मुकम्मल भाषा होना चाहिए जिसके माध्यम से वह संप्रेषण और विचार-विमर्श ही नहीं कर सके बल्कि जिसका कोई वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक आधार भी हो। ये वे लोग थे, जो हिमालय के आसपास रहते थे।

उन्होंने ऐसी भाषा को बोलना शुरू किया, जो प्रकृतिसम्मत थी। पहली दफे सोच-समझकर किसी भाषा का आविष्कार हुआ था तो वो संस्कृत थी। चूंकि इसका आविष्कार करने वाले देवलोक के देवता थे तो इसे देववाणी कहा जाने लगा। संस्कृत को देवनागरी में लिखा जाता है। देवता लोग हिमालय के उत्तर में रहते थे।

दोस्तों क्या आपको पता है की दुनिया की सबसे पुराणी भाषा संस्कृत की खोज किसने की थी और इस भाषा की उत्पत्ति कैसे हुई अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े क्योकि यहां हम संस्कृत की खोज से जुडी सभी राज खोलने वाले है।

इस लेख में क्या है?

  1. संस्कृत की खोज किसने की थी
  2. संस्कृत भाषा की उत्पत्ति
  3. संस्कृत भाषा कितनी पुरानी है?

संस्कृत की खोज किसने की थी

संस्कृत जिसे हम देवभाषा भी कहते है। लगभग 3000 साल पहले तक भारत में संस्कृत बोली जाती थी, बड़े बड़े महर्षियों का कहना है कि ये भाषा संस्कृति और संस्कारों द्वारा उत्पन्न हुई है, इसलिए इसे हम संस्कृत के नाम से जानते है। संस्कृत की खोज महर्षि पाणिनि द्वारा किया गया था।

इन्होंने सबसे पहला संस्कृत व्याकरण ग्रंथ की रचना की थी, इनके साथ महर्षि कात्यायन और महर्षि पतंजलि ने मिल कर योग क्रियाओं को भाषा में संस्कारित किया। कहा जाता है कि देवो द्वारा भी संस्कृत भाषा का ही उच्चारण किया जाता था यह सबसे प्राचीन भाषा है जिसे आज भी पढ़ा और समझा जाता है।

संस्कृत भाषा की उत्पत्ति

हिंदू धर्म की सबसे पहली और प्राचीन भाषा संस्कृत है, इसकी उत्पत्ति वेद काल से पहले ही हो गई थी। आर्य ( श्रेष्ठ मानव ) समाज द्वारा है इस भाषा को बढ़ावा दिया गया था। और कहा जाता है कि जितनी भी प्रांतिय भाषाएं है उन सब में कहीं ना कहीं संस्कृत भाषा का उच्चारण किया गया है।

संस्कृत भाषा की उत्पत्ति के बाद इसे 2 भागों में बांट दिया गया था एक वैदिक संस्कृत और दूसरा लौकिक संस्कृत। ऋग्वेद और सभी वेद को वैदिक संस्कृत से लिखा गया है और रामायण के अक्षर लौकिक संस्कृत द्वारा लिखे गए ही।

संस्कृत भाषा कितनी पुरानी है?

संस्कृत भाषा वैदिक समय से चलती आ रही है अनुमान लगाया जाता है कि वेद काल से पहले भी संस्कृत भाषा ही बोली जाती होगी पर इसका कोई प्रमाण नहीं है। जितने भी वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, ग्रंथ आदि लिखे गए थे यह सब संस्कृत में ही रचित है।

तो इससे समझा जा सकता है की वेद आज से 3500 साल पहले लिखे गए थे ,तो संस्कृत भाषा भी बहुत प्राचीन भाषा होगी। संस्कृत भाषा हिंदू धर्म की भाषा है और आज भी बड़े से बड़े पूजा पाठ में संस्कृत के मंत्र का ही उच्चारण किया जाता है।

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संस्कृत भाषा की उत्पत्ति कहाँ से हुई?

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा है जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है।

संस्कृत भाषा का जन्म कब हुआ?

3500 ई. पूर्व से 500 ई. पूर्व का समय तो वैदिक संस्कृत काल के लिए और बाद का लौकिक संस्कृत काल के लिए निर्धारित करते हैं।

संस्कृत भाषा के जनक कौन है?

वैयाकरण, आधुनिक संस्कृत के पिता। पाणिनि (७०० ई॰पू॰) संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के गान्धार में हुआ था।

संस्कृत भाषा कितने वर्ष पुराना है?

संस्कृत भाषा का मूल तमिल को माना गया है। ये ईसा से 3000 साल पहले से बोली जाती है। संस्कृत आज भी भारत की राजभाषा है। हालांकि महज कागजों तक सिमट चुकी है।