स्विमिंग पूल में क्लोरीन क्यों मिलाया जाता है? - sviming pool mein kloreen kyon milaaya jaata hai?

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स्विमिंग पूल को स्विमर्स के लिए सेफ और क्लीन बनाए रखने के लिए पानी की केमिस्ट्री को अच्छी तरह से बनाए रखना जरूरी होता है और स्विमिंग पूल के केमिकल्स को मेंटेन करते रहना भी पूल ओनर के टाइम और पैसे को बचाए रख सकता है। इन स्टेप्स को फॉलो करते हुए, कोई भी स्विमिंग पूल ओनर, अपने पूल को ठीक किसी हाइ-प्राइज्ड प्रोफेशनल्स की तरह ही मेंटेन कर सकता है।

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    तय करें, कि आपको किस प्रकार के क्लोरीन का उपयोग करना चाहिए: क्लोरीन, जो बैक्टीरिया, अल्गी और माइक्रोओर्गेनिज्म्स को मारता है, वो बॉटल्स, 3-इंच टेब्लेट्स, 1-इंच टेब्लेट्स, स्टिक्स और एक ग्रेन्यूलर फॉर्म में उपलब्ध होता है; हालांकि, लेबल्स को ध्यान से देखने पर आपको मालूम होगा, कि ज़्यादातर सभी भी मौजूद एक्टिव इंग्रेडिएंट्स लगभग एक-जैसे ही होते हैं। प्राइज़ की अलग-अलग रेंज होने के बावजूद, आपको सिर्फ एक्टिव इंग्रेडिएंट्स के कोन्संट्रेशन का फर्क ही नजर आएगा। एक 3-इंच की टेबलेट, 1-इंच टेबलेट और स्टिक्स में मिलने वाले एक्टिव इंग्रेडिएंट को "ट्राईक्लोर (Trichlor)" (या Trichloro-S-Triazinetrione) कहा जाता है, और ग्रेन्यूलर क्लोरीन में मिलने वाले एक्टिव इंग्रेडिएंट को "डाइक्लोर (Dichlor)" (या Sodium Dichloro-S-Triazinetrione) बोला जाता है।

    • 3-इंच टेबलेट, क्लोरीन का सबसे कॉमन (और सबसे सस्ता) फॉर्म है, जो कि धीमे-धीमे घुलते हैं और जिनके लिए कम मेंटेनेन्स की जरूरत भी होती है। क्लोरीन स्टिक्स बड़ी होती हैं, और ये 3-इंच टेबलेट के मुक़ाबले धीमे भी घुलती हैं, लेकिन ये बहुत कम पॉपुलर हैं। 1-इंच क्लोरीन टेबलेट, 3-इंच वाली टेबलेट्स या क्लोरीन स्टिक्स के मुक़ाबले ज्यादा जल्दी घुलती हैं और ये आमतौर पर ग्राउंड के ऊपर रखे स्विमिंग पूल, ग्राउंड के ऊपर बने छोटे स्विमिंग पूल्स और स्पा के लिए बेहतर होते हैं। Trichloro-S-Triazinetrione के 90% कोन्संट्रेशन वाली क्लोरीन टेबलेट्स या स्टिक्स की तलाश करें।

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    • ध्यान रखें, कि सस्ते, "बिग बॉक्स" स्लो टेब्स और स्टिक्स में बाइंडर और फिलर होते हैं, जो टैबलेट को एक साथ रखते हैं। ये जब घुलेंगे, तब आप खुद ही इनके फर्क महसूस करेंगे: सस्ते टेब्स और स्टिक्स, धीरे-धीरे घुलने और उनके शेप को बनाए रखने के बजाय, 2 से 3 दिनों के अंदर ही टूट या गिर जाती हैं।

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    • हालांकि, ग्रेन्यूलर क्लोरीन भी थी ऊपर बताई हुई टेबलेट्स और स्टिक्स की तरह ही काम करते हैं; लेकिन कैल्शियम हाइपोक्लोराइट (calcium hypochlorite) जैसी इनओर्गेनिक क्लोरीन को स्विमिंग पूल में एड करने से पहले, एक बकेट भर पानी में घोलना होता है। साथ ही इसे स्विमिंग पूल में रोजाना भी एड किया जाना होता है। दूसरे टाइप के ओर्गेनिक क्लोरीन (Sodium Dichloro) या इनओर्गेनिक लीथियम हाइपोक्लोराइट को पहले घोलने की जरूरत नहीं होती है। ये स्विमिंग पूल के क्लोरीन लेवल के ऊपर काफी अच्छी तरह का कंट्रोल देते हैं, लेकिन इनके लिए डेली टेस्टिंग और एक्सट्रा केमिकल की जरूरत पड़ती है। ग्रेन्यूलर क्लोरीन में Sodium Dichloro-S-Triazinetrione के 56% से 62% तक के कोन्संट्रेशन की तलाश करें।

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    सावधानी के साथ सायन्यूरिक एसिड (cyanuric acid) यूज करें: सायन्यूरिक एसिड (CYA, जिसे आइसोसायन्यूरिक एसिड भी कहा जाता है), ये डाइक्लोर/ट्राइक्लोर टेबलेट्स में पाया जाता है। हालांकि, सायन्यूरिक एसिड क्लोरीन में पाए जाने वाला एक स्टेबलाइजिंग इंग्रेडिएंट है, जो इसे सन (धूप) में खराब होने से बचाए रखता है, ये क्लोरीन की प्रभावशीलता (ORP, या ऑक्सीकरण में कमी) की लागत को कम करने के लिए, ऐसा करता है। अगर आप एक सायन्यूरिक एसिड यूज करते हैं, तो लेवल्स को टेस्ट करने की पुष्टि कर लें। अगर लेवल्स बहुत ज्यादा हाइ होंगे, तो क्लोरीन उसकी अपनी सैनिटाइजिंग एबिलिटी को पूरी तरह से खो देगा।

    • कुछ खास तरह की नई स्टडीज़ से पता चला है, कि क्लोरीन को अच्छी तरह से परफ़ोर्म करने के काबिल होने के लिए, CYA को असल में 40 ppm (CYA के हाइ लेवल्स TDS या Total Dissolved Solids बनाते हैं, जो क्लोरीन की एक्टिविटी के बीच में "दखल" पैदा कर देता है) से हाइ नहीं होना चाहिए।[उद्धरण आवश्यक है]

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    अगर आप सायन्यूरिक एसिड को नहीं यूज करने का फैसला करते हैं, तो फिर कैल्शियम हाइपोक्लोराइट (सॉलिड) या सोडियम हाइपोक्लोराइट (लिक्विड) को चुनें: आपको अपने pH को टेस्ट करने करने की ज्यादा मेहनत भी करना होगी; इन दोनों केमिक्ल्स में स्ट्रॉंग बेस मौजूद होते हैं और अगर आपने इसे भरपूर मात्रा में यूज किया होगा, तो ये pH को बढ़ा देगा। लिक्विड क्लोरीन यूज करने से आपके पूल को बिना सायन्यूरिक एसिड लेवल्स एड किए, सैनिटाइज़ करने में मदद मिलेगी। सायन्यूरिक एसिड = स्टेबलाइजर। स्टेबलाइज किया हुआ क्लोरीन (टेबलेट्स और ग्रेन्यूलर) में हाइ लेवल सायन्यूरिक एसिड मौजूद होगा।

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    अपने स्विमिंग पूल में क्लोरीन एड करें: फ्लोटिंग क्लोरीन फीडर्स और ऑटोमेटिक केमिकल फीडर्स, किसी भी पूल सप्लाइ डिस्ट्रीब्यूटर में मिल जाते हैं, आपके पूल में धीरे-धीरे 1- और 3-इंच क्लोरीन टेबलेट्स या क्लोरीन स्टिक्स घुलती हैं। ऑटोमेटिक क्लोरीन फीडर्स स्विमिंग पूल को अच्छी तरह से मेंटेन करने में काफी मददगार होते हैं। केमिकल फीडर्स धीरे-धीरे आपके पूल के पानी में क्लोरीन की सटीक मात्रा को बाहर निकालते हैं, और साथ ही स्विमिंग पूल में एड किए हुए क्लोरीन की मात्रा के ऊपर भी कंट्रोल बनाए रखता है। अगर फीडर को सही ढ़ंग से एडजस्ट किया गया है, आपको एक या ज्यादा हफ्तों तक आपके क्लोरीन लेवल के बारे में चिंता नहीं करना होगी।

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    क्लोरीन टेबलेट्स या स्टिक्स को कभी भी सीधे अपने स्विमिंग पूल में मत डाल दें या न ही इन्हें स्विमिंग पूल की स्किमर बास्केट में डालें (हालांकि, ऐसी कुछ ब्रांड्स हैं, जो केबल तभी घुलती हैं, जब उन पर से पानी गुजर रहा हो): अगर क्लोरीन टेबलेट आपके स्किमर बास्केट में घुल रही है, आपके पूल प्लंबिंग और सर्कुलेशन सिस्टम से होकर गुजरने वाला सारा पानी क्लोरीन का हाइ लेवल को ले जाएगा। ये क्लोरीन का हाइ कोन्संट्रेशन (जो पानी को बहुत कम pH देता है) धीरे-धीरे सर्क्युलेशन सिस्टम को अंदर से खराब कर देता है और ये आपके पूल के पंप और फिल्टर कम्पोनेंट्स को जल्दी खराब कर सकता है।

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    पूल को वीकली शॉक दें: जैसे कि ये आपके पूल को क्लीन करने के लिए काम करता है, क्लोरीन अमोनिया और नाइट्रोजन जैसे अन्य केमिकल्स को भी जोड़ लेता है, जो न केवल इसे प्रभावी रूप से निष्क्रिय करता है, बल्कि जॉक खुजली जैसी स्किन कंडीशन जैसे इरिटेंट भी पैदा करता है। इसे कम्बाइन्ड क्लोरीन को कम करने के लिए, कभी-कभी शॉक ट्रीटमेंट के डोज़ भी अप्लाई करें।

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    अगले दिन इसे एक मेंटेनेंस एल्गिसाइड (algaecide) के डोज़ के साथ फॉलो करें: एल्गिसाइड ऐसे सर्फैक्टेंट्स (surfactants) होते हैं, जो पूल सर्फ़ेस पर एल्गी जमने से रोके रखती है।

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    एक प्रोपर pH लेवल मेंटेन करें: ये भी पूल में क्लोरीन के होने जितना जरूरी हो सकता है। पूल के pH लेवल को लगभग ह्यूमन टियर्स (आँसुओं) के बराबर, 7.2 होना चाहिए, हालांकि, 7.2 - 7.6 की रेंज ठीक रहती है। pH लेवल जब 8.2 या कहें तो बहुत ज्यादा हाइ होने के बजाय, 7.2 होता है, तब क्लोरीन और भी असरदार तरीके से पानी को सैनिटाइज़ कर सकता है। आसानी से गलत पढ़े जाने वाले एक टेस्ट स्ट्रिप के बजाय, pH को ड्रॉप-टाइप टेस्ट किट से टेस्ट किया जाना बेस्ट होता है।

    • अक्सर आप pH लेवल को हाइ पाते हैं; पंप चालू और पानी के सर्कुलेट होने पर "म्युरीऐटिक एसिड (muriatic acid)" (मतलब हाइड्रोक्लोरिक एसिड) को सीधे पूल के डीप एंड में धीरे-धीरे डालना, pH को कम करने का बेस्ट तरीका होता है। हालांकि, ग्रेन्यूलर एसिड (pH माइनस या डिक्रिजर) भी म्युरीऐटिक एसिड के विकल्प के तौर पर यूज करने का एक सेफ ऑप्शन है।

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    अगर pH हाइ है, तो म्युरीऐटिक एसिड की जरा सी मात्रा एड कर लें और फिर लगातार 6 घंटे तक फिल्टरेशन के बाद, जरूरत के हिसाब से pH को एडजस्ट करते हुए पानी को फिर से टेस्ट कर लें: ये "बाउंसिंग (bouncing)" को रोके रखेगा। अगर आपके सामने असल में pH बाउंस प्रॉब्लम है, तो ये आमतौर पर लो टोटल एल्केलाइन इशू की वजह से होता है; एक बार अच्छी तरह से एडजस्ट हो जाए, फिर pH को करीब 1 से 3 हफ्ते तक, बारिश और यूज बगैरह के हिसाब से मेंटेन रहना चाहिए।

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    अगर स्वीमर्स को "आँखों में जलन” जैसी प्रॉब्लम हो रही है, तो ऐसा होने के पीछे हाइ क्लोरीन नहीं, बल्कि pH असली वजह होगी।

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    बैलेंस की पुष्टि करने के लिए पानी को हर हफ्ते में कम से कम दो बार जरूर टेस्ट करें: अपने पूल क्लोरीन (FAC या फ्री अवेलेबल क्लोरीन - अच्छा टाइप) लेवल को हमेशा 1-3 ppm पर मेंटेन रखें और ऐसा करते हुए आपको स्विमिंग सीजन में बहुत कम मेंटेनेंस करने की जरूरत पड़ेगी।

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    एक पूल फ्लोटिंग क्लोरीन फीडर में क्लोरीन टेबलेट्स रखें।

    • टेस्ट स्ट्रिप्स बाकी की जरूरी चीजों के बारे में इंडिकेट करेगी।

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    रात में, वीकली शॉक (3 lbs) अप्लाई करें।

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    पानी को फिर से pH लेवल के लिए टेस्ट करें: आपके द्वारा लक्षित pH 7.2 होना चाहिए।

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    अगली सुबह एल्गिसाइड एड कर दें।

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    हफ्ते में दो बार पूल बैलेंस टेस्ट करें।

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    पहले एल्केलिनिटी को एडजस्ट करें, फिर ब्रोमीन या क्लोरीन को, फिर pH को एडजस्ट करें।

सलाह

  • अपने स्विमिंग पूल में केमिकल्स को हमेशा अल्फ़ाबेट के हिसाब से एडजस्ट करें। पहले एल्केलिनिटी को, फिर ब्रोमीन या क्लोरीन को, फिर pH को एडजस्ट करें।
  • क्लोरीन और ब्रोमीन के बीच का फर्क सिर्फ ये है, कि एक बार क्लोरीन बैक्टीरिया या हार्मफुल ओर्गेनिक्स के साथ, उन्हें खत्म करने के लिए कम्बाइन होता है, ज़्यादातर क्लोरीन यूज हो चुका होगा और ये फिर आपके स्विमिंग पूल को साफ करने के लिए काम नहीं करेगा। ये “कम्बाइन हुआ क्लोरीन” नैक्सट शॉक ट्रीटमेंट से बर्न हो जाएगा और फिल्टर के जरिए पानी से बाहर निकल जाएगा। जब ब्रोमीन पूल वॉटर के बैक्टीरिया के साथ कम्बाइन होता है, तब ब्रोमीन एक्टिव तो होता है, लेकिन इन हानिकारक दूषित पदार्थों को बेअसर करने के लिए बैक्टीरिया और कार्बनिक पदार्थों के साथ कम्बाइन होता है। जब आप ब्रोमीन पूल को शॉक देते हैं, तब शॉक ट्रीटमेंट सिर्फ दूषित पदार्थों को ही बर्न करता है, जो ब्रोमीन के अच्छे पोर्शन को पूल वॉटर में पीछे छोड़ देता है। पीछे छूटा हुआ ब्रोमीन, पूल को फिर से सैनिटाइज़ करने के लिए मौजूद रहता है। इसका रिजल्ट ये है, कि स्विमिंग पूल के पानी को सैनिटाइज़ करने के लिए जरूरी ब्रोमीन टेबलेट्स का वॉल्यूम, इसी काम को करने के लिए जरूरी क्लोरीन के वॉल्यूम से कम होता है।
  • ब्रोमीन पूल को क्लोरीन में या यहाँ तक कि साल्ट-क्लोरीन में कन्वर्ट करने की कोशिश मत करें। ये हो पाना मुमकिन नहीं है। जनरेट हुए क्लोरीन सीधे ब्रोमीन को रीजनरेट कर देगा।
  • ब्रोमीन यूज करने के कुछ निश्चित निश्चित फायदे और नुकसान हैं। चूंकि ब्रोमीन आमतौर पर स्किन और आँखों के लिए कम इरिटेटिंग होता है, इसी वजह से इसे कुछ पूल ओनर्स के द्वारा बेहतर माना जाता है। नेचुरली सेंसिटिव स्किन वाले काफी सारे पूल ओनर्स ब्रोमीन को प्रेफर करते हैं; हालांकि ब्रोमीन भी क्लोरीन के ही समान पीरीयोडिक ग्रुप में मौजूद होता है, इसलिए ये क्लोरीन की एलर्जी वाले लोगों के लिए किसी काम का नहीं होता। ब्रोमीन का नुकसान ये है, कि केमिकल, क्लोरीन की तुलना में प्रति पाउंड ज्यादा अच्छी डील होता है। क्योंकि ये स्टेबल होता है, इसके अलावा, आपकी स्किन या स्विमवियर से इसकी स्मेल को धोना भी मुश्किल हो सकता है। सबसे जरूरी, ब्रोमीन एक फुल साइज़ पूल के लिए क्लोरीन से अच्छा विकल्प नहीं होता है, इसलिए इसे हॉट टब्स या जकूजी जैसी छोटी फेसिलिटी के लिए यूज करने के बारे में सोचें। ब्रोमीन टेबलेट के फॉर्म में उपलब्ध होती है और इसे टेबलेट को घोलने के लिए केमिकल फीडर का यूज करते हुए पूल वॉटर में एड किया जाता है। स्पेशल नोट: ब्रोमीन, सायन्यूरिक एसिड के साथ स्टेबलाइज नहीं होता है - ऐसा करने की कोशिश भी मत करें।
  • प्रोफेशनल टेस्टिंग को हर एक सीजन में 3 से 5 बार कराना चाहिए; प्रोफेशनल टेस्टिंग में ऐसे कुछ और टेस्ट्स परफ़ोर्म होंगे और होने चाहिए, जो अक्सर कंज्यूमर्स के लिए उपलब्ध नहीं होते: टोटल क्लोरीन वर्सेस फ्री क्लोरीन, सायन्यूरिक एसिड, एसिड डिमांड, एडजस्टेड टोटल एल्केलिनिटी, कैल्शियम हार्डनेस, वॉटर टेम्परेचर (ये पूरे वॉटर बैलेंस में अंतर ला सकता है), टोटल डिसॉल्व्ड सोलिड्स (TDS), आइरन, कॉपर, QAC (quaternary ammonium compounds), या एल्गिसाइड लेवल।
  • अगर क्लोरैमाइन (chloramine) या कम्बाइन्ड क्लोरीन को जमा होने दिया जाए, फिर इसे तोड़ना या कंट्रोल कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है, जिसकी वजह से पानी में "बदबू", गंदगी, आँखों और स्किन में जलन, एल्गी ग्रोथ बगैरह बढ़ने लगती है और क्लोरीन की डिमांड बन जाती है। जब क्लोरीन डिमांड प्रेजेंट होती है, तब सिक्योर क्लोरीन लेवल मेंटेन कर पाना मुश्किल हो जाता है और क्लोरीन की डिमांड को पूरा करने के लिए क्लोरीन की काफी ज्यादा मात्रा (एक 20,000 गैलन वाले पूल वॉटर के लिए 25 kg ज्यादा नहीं होता) की जरूरत होती है। अगर क्लोरीन की डिमांड को पूरा नहीं किया जाए, तो क्योंकि ज्यादा से ज्यादा क्लोरैमाइन कम्बाइन करने के लिए और ज्यादा क्लोरीन की जरूरत होगी, इसलिए कंडीशन और भी बदतर हो जाएगी। स्पेशल नोट: अभी-हाल में ज़्यादातर पब्लिक (पीने योग्य) पानी को क्लोरैमाइन (क्लोराइड) का उपयोग करके प्रोड्यूस किया जाता है, जिससे प्रॉब्लम और बढ़ जाती है।
  • स्केलिंग या एसिडिक कंडीशन्स को रोकने के लिए, अपने पूल वॉटर के ओवरऑल बैलेंस को तय करने के लिए लैंगेलियर सेचुरेशन इंडेक्स (Langelier saturation index) को फॉलो करें।
  • बेक़्वासिल (baquacil), एक और दूसरा क्लोरीन आल्टर्नेतिव है, जहां बाइग्वानाइड (biguanide) एक्टिव इंग्रेडिएंट होता है। वैसे तो ये काफी कम यूजर-फ्रेंडली और ज्यादा महंगे होते हैं, ये उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प होता है, जिन्हें क्लोरीन से प्रॉब्लम है, क्योंकि साल्ट-वॉटर पूल सिस्टम भी क्लोरीन प्रोड्यूस करते हैं। अगर आप बेक़्वासिल ब्रांड सैनिटाइजर यूज करते हैं, तो भी आप कैल्शियम के लिए किसी भी ब्रांड या ph बैलेंस का यूज कर सकते हैं। स्पेशल नोट: बेक़्वासिल सायन्यूरिक एसिड के साथ में स्टेबलाइज नहीं हो सकता है।
  • पूल या स्पा में 50ppm के कोन्संट्रेशन में बोरेट (borate) एड करना, pH में आने वाले बदलावों को कम करने के लिए एक सेकंडरी pH बफर की तरह काम करता है, लेकिन साथ ही पानी को एक सॉफ्ट और सिल्की टेक्सचर भी दे देता है।
  • साल्ट क्लोरीनेटर्स भी एक और दूसरी पूल सेनिटेशन मेथड होते हैं। एक लो लेवल साल्ट को पूल में एड किया जाता है और इसे फिर पूल के कंट्रोल बॉक्स में क्लोरीन में कन्वर्ट किया जाता है, जिससे फिर पूल की सैनिटाइजिंग मेंटेन होती है। चूंकि यहाँ पर होने वाली केमिकल रिएक्शन से pH लेवल बढ़ जाता है, और इसे फिर "म्युरीऐटिक एसिड" से कम किया जाना होता है, इसी वजह से अपने pH लेवल की तरफ ध्यान दें। साल्ट/क्लोरीन जनरेटर्स का इमप्रोपर इन्स्टालेशन भी पूल सर्फ़ेस पर खुदने, मेटल पूल पार्ट्स और एक्सेसरीज के वक़्त से पहले ही खराब होने जैसी ही दूसरी प्रॉब्लम्स भी सामने आ सकती है।

चेतावनी

  • किसी भी केमिकल्स को बहुत ज्यादा एड मत करें।
  • क्लोरीन को पानी में मिलाएँ, न कि क्लोरीन में पानी को, क्योंकि इसकी वजह से काफी गंभीर रिएक्शन हो सकते हैं।
  • किसी भी तरह के केमिकल रिएक्शन को होने से रोकने के लिए और केमिकल्स के इफेक्ट को बढ़ाने के लिए, टब में अलग-अलग केमिक्ल्स एड करने के बीच हमेशा दो घंटे का अंतर रखें।
  • ये केमिक्ल्स काफी खतरनाक होते हैं। इन्हें बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • मैन्युफ़ेक्चरर के प्रोडक्ट लेबल इन्सट्रक्शन को हमेशा फॉलो करें।
  • ऐसा कुछ न करें, जिसके बारे में आपको कुछ मालूम न हो।
  • म्युरीऐटिक एसिड pH लेवल्स को कम करने की बेस्ट चॉइस होती है, लेकिन इससे खतरनाक धुआँ निकलता है और इन्हें बहुत ज्यादा सावधानी के साथ यूज किया जाना चाहिए। सोडियम बाइसल्फेट, ग्रेन्यूलर pH माइनस या pH डिक्रीजर "सेफ" हैं और ये ज़्यादातर होमओनर-फ्रेंडली होते हैं।

विकीहाउ के बारे में

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स्विमिंग पूल में क्लोरीन क्यों डालते हैं?

जब एक स्विमिंग पूल में क्लोरीन मिलाया जाता है तो यह एक कमजोर एसिड बनाता है जिसे हाइपोक्लोरस एसिड के रूप में जाना जाता है जो साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया को मारता है, और यह उन कीटाणुओं को भी मारता है जो डायरिया और स्वीमर्स ईयर जैसे वायरस का कारण बनते हैं

पानी में क्लोरीन क्यों मिलाया जाता है?

Pani Me Chlorine Kyon Milaya Jata Hai जलजनित रोगों की मुख्य वजह उसमें पाए जाने वाले कोलीफार्म बैक्टीरिया होता है। इसको नष्ट करने के लिए पानी में क्लोरीन मिलाया जाता है।

स्विमिंग पूल के पानी में कितना क्लोरीन होना चाहिए?

स्वास्थ्य मानकों के अनुसार क्लोरीन का स्तर 1.0 से 3.0 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) होना चाहिएस्विमिंग पूल का पानी आपको बीमार न करे इसलिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें। स्विमिंग पूल में जाने से पहले शावर लेना न भूलें। अगर हाल ही में आपको डायरिया हो चुका है तो स्विमिंग पूल में जाने से परहेज करें।

स्विमिंग पूल में क्लोरीन कैसे डालें?

अपने स्विमिंग पूल में क्लोरीन एड करें: फ्लोटिंग क्लोरीन फीडर्स और ऑटोमेटिक केमिकल फीडर्स, किसी भी पूल सप्लाइ डिस्ट्रीब्यूटर में मिल जाते हैं, आपके पूल में धीरे-धीरे 1- और 3-इंच क्लोरीन टेबलेट्स या क्लोरीन स्टिक्स घुलती हैं।