विषयसूची हिंदी शब्द भंडार में कितने प्रकार के शब्द हैं?शब्द भंडार के प्रकार
भाषा के विकास में शब्द का भंडार का क्या महत्व है?इसे सुनेंरोकेंबच्चों का शब्द भण्डार जितना ज्यादा होता है, उनको किसी पाठ को पढ़कर समझने में उतनी ही आसानी होती है अगर वह पाठ उनके शब्द भण्डार से मेल खाता है। शब्द भण्डार की इसी मान्यता के चलते हर पाठ के पीछे कठिन शब्दों की सूची और उनका अर्थ देने की परंपरा पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा बनी होगी। जैसे अविराम का अर्थ निरंतर होता है। हिंदी भाषा के शब्द स्रोत क्या है?इसे सुनेंरोकें१) संस्कृत से प्राकृत, अपभ्रंश से होते हुए हिन्दी में आये हुए तत्सम शब्द; जैसे- अचल, अध, काल, दण्ड आदि। २) संस्कृत से सीधे हिन्दी में भक्ति, आधुनिक आदि विभिन्न कालों के लिए गए शब्द; जैसे- कर्म, विधा, ज्ञान, क्षेत्र, कृष्ण, पुस्तक आदि। शब्द भंडार क्या है? इसे सुनेंरोकेंहिंदी साहित्य की हम बात करे तो हिंदी साहित्य में शब्दों का अथाह भंडार है। भंडार का मतलब है खजाना जो कभी खत्म नहीं होने वाला है। भंडार उसे ही कहा जाता है जहां शब्दों की कोई कमी नहीं होती है और शब्दों का भंडार का मतलब यही है की शब्द पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। शब्द भंडार का क्या महत्व है? हिंदी भाषा के शब्द भंडार का मूल स्रोत क्या है?इसे सुनेंरोकेंअगर हम बात करें हिंदी भाषा में शब्द भंडार की तो मुख्य रूप से इसमें जो शब्द लिए गए हैं वो शब्द संस्कृत भाषा से है। साथ ही अरबी, फारसी, अंग्रेजी आदि भाषाओं के शब्द भी इसमें शामिल हैं। भाषा के विकास में शब्द भंडार का क्या मतलब है?शब्द भंडार के कितने स्रोत हैं?इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार भाषाओं के शब्द-भण्डार को उस भाषा का शब्द-समूह कहा जाता है। विश्व भर की अन्य भाषाओं की तरह हिन्दी के शब्द-समूह को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है– १) परम्परागत शब्द २) देशज(देशी) शब्द ३) विदेशी शब्द। १) परम्परागत शब्द:- परम्परागत शब्द भाषा को विरासत में मिलते हैं। शब्दों की संख्या कौन बनाता है? इसे सुनेंरोकेंहिन्दी या किसी भी भाषा में शब्दों की संख्या निर्धारित नही की जा सकती। जनसंख्या की तरह। शब्दकोष में बहुतसे शब्द होते हैं जो व्यवहार में नहीं हैं। और बहुतसे शब्द व्यवहार में आ रहे हैं पर शब्दकोष में नहीहैं। बच्चों के शब्द भंडार में कैसे वृद्धि की जा सकती है? इसे सुनेंरोकेंबच्चे के शब्दों को लिपिबद्ध एवं क्रमबद्ध कर उसके शब्द भंडार में वृद्धि व उसे शुद्ध भाषा का स्वरूप प्रदान करना शिक्षक का कर्तव्य है। यह कार्य खेल, कविता व कहानी के माध्यम से होता है तो बच्चे के दिलोदिमाग पर उसकी अमिट छाप पड़ती है जो जीवन पर्यत रहती है। भाषा के विकास में सबसे भंडार का क्या महत्व है?रूप कितने प्रकार के होते हैं?इसे सुनेंरोकेंशब्दों के दो रूप है। एक तो शुद्ध रूप है या मूल रूप है जो कोश में मिलता है और दूसरा वह रूप है जो किसी प्रकार के संबंध-सूत्र से युक्त होता है। यह दूसरा, वाक्य में प्रयोग के योग्य रूप ही ‘पद’ या ‘रूप’ कहलाता है। इसे सुनेंरोकेंवर्णों के मिलने से शब्द बनते हैं और शब्द के मिलने से भाषा का निर्माण होता है। इस प्रकार जो भाषा जितना ज्यादा प्रचलित होगा उस भाषा का शब्द भंडार भी उतना ही ज्यादा होगा। इसका मतलब है की वहां शब्द की अधिकता होगी शब्द की कमी नहीं होगी। भंडार का मतलब होता है कोष या खजाना इस प्रकार शब्द का कोष ही शब्द भंडार है। भाषा कितने प्रकार की होती है *?मौखिक भाषा भाषा के कितने रूप होते हैं उनके नाम बताइए? इसे सुनेंरोकेंभाषा के मुख्यतः 3 रूप होते है मौखिक भाषा, लिखित भाषा और सांकेतिक भाषा । सामान्य तौर पर भाषा के केवल 2 रूप होते हैं मौखिक भाषा और लिखित भाषा। हिंदी शब्द भंडार में कितने प्रकार के शब्द होते हैं?हिंदी भाषा का शब्द-भंडार समृद्ध है, उसकी लिपि नागरी वैज्ञानिक है, भाषा की जिस सार्थक स्वतंत्रा लघुतम इकार्इ को 'शब्द कहा जाता है, उसके अनेक भेद है। अर्थ, व्युत्पत्ति, उत्पत्ति, प्रयोग आदि के आधर पर शब्दों का वर्गीकरण विद्वानों ने किया है। (क) रूढ़ जैसे- घर, अलग, सुविध। (आ) योगरूढ़, जैसे- शतायु।
शब्द भंडार के कितने स्रोत है?तत्सम तत् (उसके) + सम (समान) अर्थात उसके समान। जो शब्द संस्कृत भाषा (मूल भाषा) से ज्यों के त्यों हिंदी में आ गए हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। इनका प्रयोग हिंदी में भी उसी रूप में किया जाता है, जिस रूप में संस्कृत में किया जाता है, जैसे: अग्नि, क्षेत्र, रात्रि, सूर्य, मातृ, पितृ, आदि।
बालकों में कितने प्रकार का शब्द भंडार पाया जाता है?किसी भी भाषा का शब्द-भंडार लम्बी परंपरा से निर्मित होता है अध्ययन के आधार पर शब्दों को पाँच स्रोतों से लाया माना जाता है।
शब्द भंडार का क्या महत्व है?बच्चों का शब्द भण्डार जितना ज्यादा होता है, उनको किसी पाठ को पढ़कर समझने में उतनी ही आसानी होती है अगर वह पाठ उनके शब्द भण्डार से मेल खाता है। शब्द भण्डार की इसी मान्यता के चलते हर पाठ के पीछे कठिन शब्दों की सूची और उनका अर्थ देने की परंपरा पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा बनी होगी। जैसे अविराम का अर्थ निरंतर होता है।
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