बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी बलराम जी की चोटी की तरह मोटी और बड़ी करना चाहते थे इस लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हुए चूँकि उनकी माता यशोदा बताया की दूध पीने से उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाएगी। Show 2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे? उत्तर श्रीकृष्ण बलराम भैया की तरह लम्बी, मोटी चोटी चाहते हैं। उनके अनुसार नहाते वक्त जैसे बलराम भैया की चोटी नागिन जैसी लहराती है वह भी उसी प्रकार की चोटी चाहते हैं और इसी विषय में सोचा करते हैं। 3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं? उत्तर दूध की तुलना में श्रीकृष्ण को माखन-रोटी अधिक प्रिय है। 4. ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं? उत्तर यहाँ पर ग्वालन के हृदय में यशोदा के लिए ईर्ष्या की भावना व क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। जहाँ वे एक तरफ कृष्ण का यशोदा पुत्र होने की वजह से ईर्ष्या से ग्रसित हैं वहीं दूसरी और उसके द्वारा चोरी व सारा माखन खाने से क्रोधित हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही हैं। 5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं? उत्तर श्रीकृष्ण माखन चुराते समय आधा माखन खुद खाते हैं व आधा अपने सखाओं को खिलाते हैं। जिसके कारण माखन जगह-जगह ज़मीन पर गिर जाता है। 6. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों? उत्तर दोनों पदों में प्रथम पद सबसे अच्छा लगता है। क्योंकि यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालपन के कारण माता से अनुनय-विनय करते हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने दूध पिया पर फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही। उनकी माता से उनकी नाराज़गी व्यक्त करना, दूध न पीने का हट करना, बलराम भैया की तरह चोटी पाने का हट करना हृदय को बड़ा ही आनन्द देता है। ये पद श्रीकृष्ण की बाल-लीला के कारण मनोहारी जान पड़ता है जिसे सूरदास जी ने बड़े ही उत्तम ढ़ंग से प्रस्तुत किया है। भाषा की बात 1. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए। उत्तर माखनचोर 2. श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए। उत्तर गोविन्द, रणछोड़, वासुदेव, मुरलीधर, नन्दलाल। पृष्ठ संख्या: 94 3. कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे- मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं? मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते थे क्योंकि मक्खन ऊँच टंगे छींकों की हांडियों में पड़ा होता था और श्रीकृष्ण छोटे बालक थे। छोटे-छोटे हाथों से जब ऊपर चढ़कर छींके से मक्खन चुराते व साथियों को खिलाते तो जल्दी-जल्दी में थोड़ा-बहुत बिखर जाता था। Students can prepare for their exams by studying NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद was designed by our team of subject expert teachers. सूरदास के पद NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15प्रश्न-अभ्यास पदों से प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
प्रश्न 6. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. मैंने लाख बहाने बनाए कि मैंने मिठाई नहीं खाई किंतु मेरी चोरी पकड़ी जा चुकी थी। माँ से दो-चार डाँट पड़ी, पर मिठाइयाँ खाने का लोभ मैं नहीं छोड़ पाया। मौका मिलते ही घरवालों से छिप-छिपाकर मिठाइयाँ खा लेता हूँ। इस तरह बाल सुलभ चेष्टा के कारण चोरी से दूध – माखन खाना न श्रीकृष्ण छोड़ पाते हैं और न मैं। हम दोनों की चेष्टा एक-सी है। कृष्ण दूध पीने के लिए क्यों तैयार हुए?प्रश्न. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? उत्तर- बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी को बढ़ाने के लालच में दूध पीने को तैयार हुए थे। माता यशोदा बालक श्रीकृष्ण से यही कहती थीं कि जितना अधिक तुम दूध पियोगे उतनी ही तुम्हारी चोटी लंबी होगी।
बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या क्या सोच रहे थे?बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? उत्तर:- माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को बताया की दूध पीने से उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाएगी। श्रीकृष्ण अपनी चोटी बलराम जी की चोटी की तरह मोटी और बड़ी करना चाहते थे इस लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हुए।
बालक कृष्ण दूध क्यों नहीं पीना चाहते थे?माता यशोदा ने श्रीकृष्ण से कहा कि यदि वह दूध पीते हैं तो उनकी चोटी बलराम भैया की तरह लंबी एवं मोटी हो जाएगी। श्रीकृष्ण इसी लोभ में दूध पीते रहते हैं। पर जब चोटी नहीं बढ़ती तो वो माता यशोदा से बेहद नाराज़ हो जाते हैं और उनसे पूछने लगते हैं कि तूने तो कहा था कि चोट लंबी और मोटी हो जाएगी पर ये तो वैसी की वैसी ही है।
श्री कृष्ण को क्या खाना अच्छा लगता है?श्री कृष्ण का भोग: भगवान कृष्ण को माखन और मिश्री बहुत पसंद है. इसके अलावा खीर, हलवा, पूरनपोली, लड्डू और सैवइयां भी उनको पसंद हैं.
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